दोस्तो, Antarvasna Stories
मेरा नाम बताना ज़रूरी Antarvasna Stories तो नहीं मगर आप मुझे लवर बॉय पुकार सकते हैं। मैं भोपाल का रहने वाला हूँ और लोग कहते हैं कि मैं काफी हैन्डसम हूँ। मेरी लम्बाई 5’9″ है और आयु 19 साल है।
यह बात उस वक़्त की है जब मैं बारहवीं में था। उस वक़्त मेरी परीक्षा शुरू होने में सिर्फ एक सप्ताह रह गया था और पढ़ाई जोरों पर थी। मैं दिन भर पढ़ाई करता था इसी वजह से थोड़ा मूड ताज़ा करने के लिए शाम के समय क्रिकेट खेलने पास वाले मैदान में चला जाता था।
एक दिन की बात है, मैं मैदान में खेल रहा था तभी मेरे दोस्त ने शॉट मारा और गेंद मैदान के बाहर चली गई। मैं गेंद लेने गया। क्योंकि गेंद बाहर चली गई थी इसलिए मैं दीवार पर चढ़ कर गेंद ढूँढ रहा था। मेरी नज़र अचानक मेरे घर के सामने वाले घर पर पड़ी। वो मैदान की दीवार से बिल्कुल करीब ही था। मैंने देखा कि स्नेहा भाभी जो उस घर में रहती हैं, अपने बाथरूम में नहा रही थीं। मैं उनके बाथरूम की दीवार में लगे रोशनदान से उन्हें साफ़ देख सकता था। मैंने उन्हें देखा तो बस देखता रह गया क्योंकि मैंने अपनी जिन्दगी में पहली बार किसी लड़की को पूरी तरह नंगा देखा था। मैं उन्हें पागलों की तरह घूरे जा रहा था। मैं उन्हें देख ही रहा था कि अचानक उनकी नज़र मुझ पर पड़ गई और मैं यह चिल्लाता हुआ कूद गया कि यार गेंद नीचे कहीं नहीं दिख रही, लगता है खो गई है ! और घर वापस आ गया।
मगर मेरे दिमाग में उनका वही नंगा बदन घूम रहा था- दूध जैसा गोरा और एक दम क्या कसा हुआ शरीर था ! फिर मैंने मैदान में जाना बंद कर दिया। मेरी परीक्षा खत्म होने के बाद करीब ४० दिन में हमारा परिणाम आ गया। घर पर सभी खुश थे। मैंने ६७% अंक प्राप्त किये। पापा मिठाई ले कर आये और बोले कि सब में बाँट दो !
मैं मिठाई लेकर सब लोगों को बाँटने चला गया और अंत में स्नेहा भाभी के घर भी गया। वो अपने पति के साथ रहती थी। क्योंकि उनकी नई-नई शादी हुई थी, उनका कोई बच्चा नहीं था। जब मैं उनके घर गया तो घर से उनके पति ऑफिस के लिए जा रहे थे। मैंने राजीव भैया को हेलो किया और मिठाई ऑफर की। उन्होंने एक टुकड़ा लिया और बोले कि अन्दर तेरी भाभी को भी दे दे ! मैं तो ऑफिस जा रहा हूँ !
और वो अपनी गाड़ी स्टार्ट करके ऑफिस के लिए निकल गए। मैं अन्दर गया तो उस दिन वाली घटना की वजह से भाभी से नज़रें नहीं मिला पा रहा था। वो बोली- वाह छोटू ! तू पास हो गया ! मगर इतना शरमा क्यों रहा है? ला मिठाई खिला !
मैंने उन्हें मिठाई दी और बोला- अच्छा भाभी ! अब मैं चलता हूँ !
तो वो बोली- छोटू, एक बात बता ! उस दिन तेरी गेंद मिल गई थी या नहीं?
तो मैं कुछ नहीं बोला।
वो बोली- चल मत बता ! यह तो बता दे कि उस दिन क्या देख रहा था?
मैं बोला- कुछ नहीं भाभी ! मैं तो बस गेंद ढूँढ रहा था !
इस पर वो बोली- चल मैं इतनी बुरी भी नहीं हूँ कि कोई लड़का ऐसी हालत में भी मुझे न देखे !
उनकी यह बात सुन कर मैं हैरान रह गया।
फिर वो बोली- चल इस उम्र में नहीं देखेगा तो कब देखेगा?
यह सुनकर मैं थोड़ा मुस्कुरा दिया। फिर वो पूछने लगी- चल बता ! मैं कैसी दिखती हूँ ?
मैं बोला- भाभी, उस दिन तो बस मज़ा आ गया था !
बोली- अच्छा ? अभी तो बड़ा शरीफ बन रहा था ?
तो मैं बोला- हाँ ! वो तो बस ऐसे ही !
और बस उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया। मुझे भी बस ग्रीन सिगनल का ही इन्तज़ार था।
मैंने भी उनका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो उन्होंने मुझे झटके से दूर कर दिया, बोली- रुक !
और जाकर दरवाज़ा बंद करके आई और बोली- यहाँ ठीक नहीं है !
वो मुझे अपने साथ अपने बेडरूम में ले गईं। मैंने उन्हें बेड पर धक्का दे दिया और उनके ऊपर लेट कर उन्हें चूमने लगा। करीब 15 मिनट तक मैं उनके लबो और चेहरे को चूमता रहा और वो मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को दबाने लगी।
फिर मैं उनके ऊपर से हटा और उनकी कुर्ती उतार दी और ब्रा भी खोल दी। मैं उनके दूध दबाने लगा, मैं उनके चुचूकों को दबा और चाट रहा था। इसी बीच वो सिसकियाँ ले रही थी और फिर उन्होंने खुद अपनी सलवार और पैंटी उतार फेंकी। अब वो मेरी सामने बिल्कुल नंगी थी। मैने देखा उनकी चूत एक दम टाइट थी और उस पर एक भी बाल नहीं था- एकदम साफ़ और चिकनी !
वो मेरे कपडे भी उतारने लगी। पहले उन्होंने मेरी टी-शर्ट, फिर जींस उतार फेंकी और फिर मैंने अपनी अंडरवियर उतार दी। अब हम दोनों एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे थे और मेरा लंड भी पूरी तरह से तैयार हो गया था। मैंने उनकी चूत पर अपने लण्ड का मुँह रखा तो उन्होंने हटा दिया और बोली- नहीं ! पहले पिछवाड़ा !
फिर मैंने उन्हें घूमने को कहा, उन्हें कुतिया बनाया और अपना लंड उनकी गाण्ड पर रखा और धक्का मारा तो थोड़ी तकलीफ हुई। फिर मैंने पास की अलमारी से तेल उठा कर उनकी गाण्ड और अपने लंड पर लगाया और एक जोर का धक्का दिया तो मेरा आधा लंड उनकी गाण्ड में चला गया। उनके मुँह से चीख निकल गई। मैने उनके मुँह पर हाथ रखा और एक जोर का धक्का लगाया। मेरा पूरा ७ इंच का लण्ड उनकी गांड में घुस गया। फिर बहुत देर तक मैं उनकी गाण्ड मारता रहा। इस बीच वो दो बार झड़ चुकी थी और मैं भी झड़ गया। फिर मैंने उनसे चूत मारने का कहा तो वो बोली- यह अभी सील बंद है ! इसको तो अभी तुम्हारे भैया ने भी नहीं मारा ! तुम ज़रूर मेरी चूत भी मारना, मगर अगली बार !
और फिर मैंने क्या किया, यह मैं आपको अगली बार बताऊँगा।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे बताएँ ! Antarvasna Stories