अन्तर्वासना रीना और पण्डित जी की चुदाई-2

अन्तर्वासना कहानी

दोस्तो, अन्तर्वासना कहानी हिंदी में इंडियन सेक्स स्टोरीज में आपने अब तक पढ़ा था कि पण्डित जी रीना की जवानी को भोगने के चक्कर में उसको पूजा करवाने के लिए फंसा चुके थे. वे दोनों पूजा करने के लिए चौकड़ी मार कर बैठे थे.

अब आगे..

पण्डित- पुत्री.. ये नारियल अपनी झोली में रख लो.. इसे तुम परसाद समझो.. तुम दोनों हाथ सिर के ऊपर से जोड़ कर शिव का ध्यान करो.

रीना सिर के ऊपर से हाथ जोड़ के बैठी थी.. पण्डित उसकी झोली में फ़ल डालता रहा.

रीना की इस पोजीशन में उसके चूचे और नंगा पेट पण्डित के लंड को सख्त कर रहे थे. रीना की नाभि भी पण्डित को साफ़ दिख रही थी.

पण्डित- रीना पुत्री.. ये मौलि (धागा) तुम्हें अपने पेट पर बांधनी है.. वेदों के अनुसार इसे पण्डित को बांधना चाहिए.. लेकिन यदि तुम्हें इसमें लज्जा की वजह से कोई आपत्ति हो तो तुम खुद बांध लो.. परन्तु विधि तो यही है कि इसे पण्डित बांधे.. क्योंकि पण्डित के हाथ शुद्ध होते हैं.. आगे जैसे तुम्हारी इच्छा.
रीना- पण्डित जी.. वेदों का पालन करना मेरा धर्म है.. जैसा वेदों में लिखा है आप वैसा ही कीजिये.
पण्डित- मौलि बांधने से पहले गंगाजल से वो जगह साफ़ करनी होती है.

पण्डित ने रीना के पेट पे गंगाजल छिड़का.. और उसका नंगा पेट गंगाजल से धोने लगा. रीना के पेट की स्किन अन्य औरतों के बनिस्बत बहुत कोमल थी. पण्डित उसके पेट को रगड़ रहा था. फिर उसने तौलिए से रीना का पेट पोंछ कर सुखाया.

रीना के हाथ सिर के ऊपर थे.. पण्डित रीना के सामने बैठ कर उसके पेट पे मौलि बांधने लगा.. पहली बार पण्डित ने रीना के नंगे पेट को छुआ.

गाँठ बांधते समय पण्डित ने अपनी उंगली रीना की नाभि पर रखी.

अब पण्डित ने उंगली पे लाल रंग की रोली लेकर रीना के पेट टीका जैसा लगाया.

पण्डित- रीना.. शिव को पार्वती की देह (बॉडी) पर चित्रकारी करने में आनन्द आता है.

ये कह कर पण्डित रीना के पेट पर गोल टीका बढ़ा करते हुए लगाने लगा. फिर उसने रीना के पेट पर त्रिशूल बनाया.

रीना की नाभि पर आ कर पण्डित रुक गया. अब पण्डित अपनी उंगली रीना की नाभि में घुमाने लगा. वो रीना की नाभि में टीका लगा रहा था. रीना के दोनों हाथ ऊपर थे. वह भोली थी.. और इन सब चीजों को धर्म समझ रही थी. लेकिन ये सब उसे भी कुछ कुछ अच्छा लग रहा था.

फिर पण्डित घूम कर रीना के पीछे आया.. उसने रीना की पीठ पर गंगाजल छिड़का और हाथ से उसकी पीठ पर गंगाजल लगाने लगा.

पण्डित- गंगाजल से तुम्हारी देह और शुद्ध हो जाएगी, क्योंकि गंगा शिव की जटाओं से निकल रही है इसलिए गंगाजल लगाने से शिव प्रसन्न होते हैं.

रीना के ब्लाउज के हुक्स नहीं थे.. पण्डित ने खुले हुए ब्लाउज को और साइड में कर दिया.. रीना की आलमोस्ट सारी पीठ नंगी हो गई. पण्डित उसकी नंगी पीठ पर गंगाजल डाल कर रगड़ रहा था. वो उसकी नंगी पीठ अपने हाथों से धो रहा था. रीना की नंगी पीठ को छूकर पण्डित का लंड एकदम टाईट हो गया था.

पण्डित- तुम्हारी राशी क्या है?
रीना- कुम्भ.
पण्डित- मैं टीके से तुम्हारी पीठ पर तुम्हारी राशी लिख रहा हूँ.. गंगाजल से शुद्ध हुई तुम्हारी पीठ पर तुम्हारी राशी लिखने से तुम्हारे ग्रहों की दशा लाभदायक हो जाएगी.

पण्डित ने रीना की नंगी पीठ पर टीके से कुम्भ की जगह लंड लिखा..

फिर पण्डित रीना के पैरों के पास आया.

पण्डित- अब अपने चरण सामने करो.
रीना ने पैर सामने कर दिये.. पण्डित ने उसका पेटीकोट थोड़ा ऊपर चढ़ाया.. उसकी टांगों पर गंगाजल छिड़का.. और उसकी टांगें अपने हाथों से रगड़ने लगा.
पण्डित- हमारे चरण बहुत सी अपवित्र जगहों पर पड़ते हैं.. गंगाजल से धोने के पश्चात अपवित्र जगहों का हम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता.. तुम शिव का ध्यान करती रहो.
रीना- जी पण्डित जी..
पण्डित- रीना.. यदि तुम्हें ये सब करने में लज्जा आ रही हो तो ये तुम खुद कर लो.. परन्तु वेदों के अनुसार ये कार्य पण्डित को ही करना चाहिये.
रीना- नहीं पण्डित जी.. यदि हम वेदों के अनुसार नहीं चले तो शिव कभी प्रसन्न नहीं होंगे.. और भगवान के कार्य में लज्जा कैसी.

रीना अंधविश्वासी थी.

पण्डित ने रीना का पेटीकोट घुटनों के ऊपर चढ़ा दिया.. अब रीना की टांगें जांघों तक नंगी थीं.

पण्डित ने उसकी जांघों पर गंगाजल लगाया और उसकी जांघें हाथों से धोने लगा. रीना ने शर्म से अपनी टांगें जोड़ रखी थीं तो पण्डित ने कहा.

पण्डित- रीना.. अपनी टांगें खोलो.

रीना ने धीरे धीरे अपनी टांगें खोल दीं. अब रीना पण्डित के सामने टांगें खोल कर बैठी थी. उसकी ब्लैक कच्छी पण्डित को साफ़ दिख रही थी. पण्डित ने रीना की जांघों को अन्दर तक छुआ.. और उन्हें गंगाजल से रगड़ने लगा.

इस वक्त पण्डित के हाथ रीना की चूत के नज़दीक थे.. कुछ देर रीना की पूरी जांघों को धोने के बाद अब वो उस जगह तौलिए से रगड़ कर सुखाने लगा.

फिर उसने उंगली में टीका लगाने के लिए रोली ली और रीना की जांघों के अन्दर तक चुत के नजदीक पे लगाने लगा.

रीना शरमाते हुए बोली- पण्डित जी.. यहाँ भी टीका लगाना होता है?

वो जरा असहज महसूस कर रही थी.

पण्डित- हाँ.. यहाँ देवलिंग बनाना होता है.

रीना टांगें खोल कर बैठी थी और पण्डित उसकी अंदरूनी जाँघों पर उंगलियों से देवलिंग बना रहा था.

पण्डित- रीना.. लज्जा ना करना..
रीना- नहीं पण्डित जी..

जैसे उंगली से माथे (फ़ोरेहेड) पर टीका लगाते हैं, पण्डित कच्छी के ऊपर से ही रीना की चूत पे भी टीका लगाने लगा. रीना शर्म से लाल हो रही थी.. लेकिन गरम भी हो रही थी. पण्डित टीका लगाने के बहाने 5-6 सेकंड्स तक कच्छी के ऊपर से रीना की चूत रगड़ता रहा.

चूत से हाथ हटाने के बाद पण्डित बोला.

पण्डित- विधि के अनुसार मुझे भी गंगाजल लगाना होगा.. अब तुम इस गंगाजल को मेरी छाती पर लगाओ.

पण्डित लेट गया.

रीना- जी पण्डित जी.

पण्डित ने छाती शेव कर रखी थी.. और पेट भी.. उसकी छाती और पेट बिल्कुल सफाचट चिकने और कोमल थे.

रीना गंगाजल से पण्डित की छाती और पेट रगड़ने लगी. रीना को अन्दर ही अन्दर पण्डित का बदन आकर्षित कर रहा था.. उसकी चुत पर पंडित की उंगली की रगड़न का अहसास अभी तक हो रहा था. उसके मन में आया कि पण्डित का बदन कितना कोमल और चिकना है.

ऐसे ख्याल रीना के मन में पहले कभी नहीं आये थे.

पण्डित- अब तुम मेरी छाती पर टीके से गणेश बना दो.. गणेश इस प्रकार बनना चाहिये कि मेरे ये दोनों निप्पलों गणेश के ऊपर के दोनों आँखों के बिंदु हों.

निप्पलों का नाम सुन कर रीना शरमा गई.

रीना ने गणेश बनाया.. लेकिन उसने टीके से सिर्फ गणेश के नीचे के दो खानों की बिन्दुएँ ही बनाईं.

पण्डित- रीना.. गणेश में चार बिंदु डालते हैं.
रीना- पण्डित जी.. लेकिन ऊपर की दो बिंदु तो पहले से ही बनी हुई हैं?
पण्डित- परन्तु टीका उन पर भी लगेगा.
रीना पण्डित के निप्पलों पर टीका लगाने लगी.
पण्डित- मानव की नाभि उसकी ऊर्जा का स्त्रोत होती है.. अतः यहाँ नाभि पर भी टीका लगाओ.
रीना- जो आज्ञा पण्डित जी.

रीना ने उंगली में टीका लगाया.. पण्डित की नाभि में उंगली डाली.. और टीका लगाने लगी. पण्डित ने रीना को आकर्षित करने के लिए अपना पेट और छाती शेव करने के साथ साथ अपनी नाभि में थोड़ी क्रीम भी लगाई थी.. इसलिए उसकी नाभि चिकनी हो गई थी.

रीना सोच रही थी कि इतनी चिकनी नाभि तो उसकी खुद की भी नहीं है. रीना पण्डित के बदन की तरफ़ खिंची चली जा रही थी. ऐसे विचार उसके मन में पहले कभी नहीं आये थे.

रीना ने पण्डित की नाभि में से अपनी उंगली निकाली.. पण्डित ने अपने थैले से एक लंड के आकार की लकड़ी निकाली लकड़ी बिल्कुल चिकनी थी.. करीब 5 इंच लम्बी और एक इंच मोटी थी.

लकड़ी के अंत में एक छेद था.. पण्डित ने उस छेद में डाल कर मौलि बाँधी.

पण्डित- ये लो.. ये देवलिंग है.

रीना ने देवलिंग को प्रणाम किया.

पण्डित- इस देवलिंग को अपनी कमर में बांध लो.. ये हमेशा तुम्हारे सामने तुम्हारे पेट के नीचे आना चाहिये.
रीना- पण्डित जी.. इससे क्या होगा..?
पण्डित- इससे शिव तुम्हारे साथ रहेगा.. यदि किसी और ने इसे देख लिया तो शिव कुपित हो जाएगा. अतः ये किसी को दिखाना या बताना नहीं है.. और तुम्हें हर समय ये बांधे रखना है.. सोते समय भी.
रीना- जैसा आप कहें पण्डित जी.
पण्डित- लाओ.. मैं बांध दूँ.
दोनों खड़े हो गए.. पण्डित ने वो देवलिंग रीना की कमर में डाला और उसके पीछे आकर मौलि की गाँठ बांधने लगा. इस वक्त उसके हाथ रीना की नंगी कमर को छू रहे थे.

गाँठ लगाने के बाद पण्डित बोला.

पण्डित- अब इस देवलिंग को अन्दर डाल लो.

रीना ने देवलिंग को अपने पेटीकोट के अन्दर कर लिया.. देवलिंग रीना की टांगों के बीच में आ रहा था.

पण्डित- बस.. अब तुम वस्त्र बदल कर घर जा सकती हो.. जो टीका मैंने लगाया है उसे ना हटाना.. चाहे तो घर जा कर साड़ी उतार कर सलवार कमीज़ पहन लेना.. जिससे की तुम्हारी देह पर लगा टीका किसी को दिखे ना..
रीना- परन्तु स्नान करते समय तो टीका हट जायेगा?
पण्डित- उसकी कोई बात नहीं.

रीना कपड़े बदल कर अपने घर आ गई.. उसने टांगों के बीच देवलिंग पहन रखा था.. पूरे दिन वह टांगों के बीच देवलिंग लेकर चलती फिरती रही. देवलिंग उसकी टांगों के बीच हिलता रहा. उसकी चुत के पास की स्किन को टच करता रहा.

रात को सोते वक्त रीना कच्छी नहीं पहनती थी. जब रात को रीना सोने के लिए लेटी हुई थी तो देवलिंग रीना की चूत के सीधे सम्पर्क में था. रीना देवलिंग को दोनों टांगें टाईटली जोड़ कर दबाने लगी.. ऐसा करने से उसे अच्छा लग रहा था. उसे इस वक्त अपने पति के लिंग (पेनिस) की भी याद आ रही थी. उसने सलवार का नाड़ा खोला.. देवलिंग को हाथ में लिया और देवलिंग को हल्के हल्के से अपनी चूत पर दबाने लगी. फिर देवलिंग को अपनी चूत पे रगड़ने लगी.. वह गरम हो रही थी.. तभी उसे ख्याल आया कि रीना, ये तू क्या कर रही है.. देवलिंग के साथ ऐसा करना बहुत पाप है. ये सोच कर रीना ने देवलिंग से हाथ हटा लिया.. सलवार का नाड़ा बाँधा और सोने की कोशिश करने लगी.

तकरीबन आधी रात को रीना की आँख खुली.. उसे अपनी हिप्स के बीच में कुछ चुभ रहा था.. उसने सलवार का नाड़ा खोला.. हाथ हिप्स के बीच में ले गई.. तो पाया कि देवलिंग उसकी हिप्स के बीच में फंसा हुआ था. देवलिंग का मुँह रीना की गांड के छेद से चिपका हुआ था. रीना को पीछे से ये चुभन अच्छी लग रही थी.. उसने देवलिंग को अपनी गांड पर और दबाया, उसे मज़ा आया. अब उसने और दबाया.. तो और मज़ा आया. उसकी गांड में आग सी लगी हुई थी. उसका दिल चाह रहा था कि पूरा देवलिंग गांड के छेद में दबा दे. तभी उसे फिर ख्याल आया कि देवलिंग के साथ ऐसा करना पाप है.. उसने ये भी सोचा कि क्या भगवान शिव मेरे साथ ऐसा करना चाहते हैं. डर के कारण उसने देवलिंग को टांगों के बीच में कर लिया.. नाड़ा बाँधा.. और सो गई.

अगले दिन रीना उसी पिछले रास्ते से पण्डित के पास सलवार कमीज़ पहन कर गई.

पण्डित- आओ रीना.. जाओ दूध से स्नान कर आओ.. और वस्त्र बदल लो..

रीना दूध से नहा कर कपड़े पहन रही थी तो उसने देखा कि आज जोगिया ब्लाउज और पेटीकोट के साथ जोगिया रंग की कच्छी भी पड़ी थी. उसने अपनी कच्छी उतार कर जोगिया कच्छी पहन ली.. और नहा कर बाहर आ गई.

पण्डित अग्नि जला कर बैठा मन्त्र पढ़ रहा था. रीना भी उसके पास आ कर बैठ गई.

पण्डित- रीना.. आज तो तुम्हारे सारे वस्त्र शुद्ध हैं ना..?
रीना थोड़ा शरमा गई..
रीना- जी पण्डित जी..
वह जानती थी कि पण्डित का मतलब कच्छी से है.

पण्डित- तुम चाहो तो वो देवलिंग फिलहाल निकाल सकती हो.

रीना खड़ी होकर देवलिंग की मौलि खोलने लगी.. लेकिन गाँठ काफी टाईट लगी थी.. पण्डित ने ये देखा.

पण्डित- लाओ मैं खोल दूँ.

पण्डित भी खड़ा हुआ.. रीना के पीछे आ कर वो मौलि खोलने लगा.

पण्डित- देवलिंग ने तुम्हें परेशान तो नहीं किया.. खास कर रात में सोने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई..?

रीना कैसे कहती कि रात को देवलिंग ने उसकी गांड के छेद के साथ क्या किया है.

रीना- नहीं पण्डित जी.. कोई परेशानी नहीं हुई.

पण्डित ने मौलि खोली.. रीना ने देवलिंग पेटीकोट से निकाला तो पाया कि मौलि उसके पेटीकोट के नाड़े में उलझ गई थी. रीना कुछ देर कोशिश करती रही लेकिन मौलि नाड़े से नहीं निकली.

पण्डित- रीना.. पूजा में विलम्ब हो रहा है.. लाओ मैं निकाल दूँ.

पण्डित रीना के सामने आया और उसके पेटीकोट के नाड़े से मौलि निकालने लगा.

पण्डित- ये ऐसे नहीं निकलेगा.. तुम ज़रा लेट जाओ.

रीना लेट गई.. पण्डित उसके नाड़े पे लगा हुआ था.

पण्डित- रीना.. नाड़े की गाँठ खोलनी पढ़ेगी.. पूजा में विलम्ब हो रहा है.
रीना- जी.

पण्डित ने पेटीकोट के नाड़े की गाँठ खोल दी.. गाँठ खोलने से पेटीकोट लूज हो गया और रीना की कच्छी से थोड़ा नीचे आ गया.

रीना शर्म से लाल हो रही थी.. पण्डित ने रीना का पेटीकोट थोड़ा नीचे सरका दिया. रीना पण्डित के सामने लेटी हुई थी.. उसका पेटीकोट उसकी कच्छी से नीचे था. मौलि निकालते वक्त पण्डित की कोहनी रीना की चूत के पास लग रही थी. कुछ देर बाद मौलि नाड़े से अलग हो गई.

पण्डित- ये लो.. निकल गई..

पण्डित ने मौलि निकाल कर रीना के पेटीकोट का नाड़ा बांधने लगा.. उसने नाड़े की गाँठ बहुत टाईट बाँधी.. जिससे रीना को दिक्कत हुई.

रीना- अह.. पण्डित जी.. बहुत टाईट है..

पण्डित ने फिर नाड़ा खोला.. और इस बार गाँठ लूज बाँधी.

फिर दोनों चौकड़ी मार के बैठ गए.

पण्डित- अब तुम ये मन्त्र 200 बार पढो.. और उसके बाद शिव की आरती करना है.

जब रीना की मन्त्र और आरती खत्म हो गई तो पण्डित ने कहा.

पण्डित- मैंने कल वेद फिर से पढ़े तो उसमें लिखा था कि स्त्री जितनी आकर्षक दिखे, शिव उतनी ही जल्दी प्रसन्न होते हैं. इसके लिए स्त्री जितना चाहे श्रृंगार कर सकती है.. लेकिन सच कहूँ..
रीना- हाँ कहिये पण्डित जी..
पण्डित- तुम पहले से ही इतनी आकर्षक दिखती हो कि शायद तुम्हें श्रृंगार की आवश्यकता ही ना पढ़े.

रीना अपनी तारीफ़ सुन कर शरमाने लगी.

पण्डित- मैं सोचता हूँ कि तुम बिना श्रृंगार के इतनी सुन्दर लगती हो.. तो श्रृंगार के पश्चात तो तुम बिल्कुल अप्सरा लगोगी.
रीना- कैसी बातें करते हैं पण्डित जी.. मैं इतनी सुन्दर कहाँ हूँ.
पण्डित- तुम नहीं जानती तुम कितनी सुन्दर हो.. तुम्हारा व्यवहार भी बहुत चंचल है.. तुम्हारी चाल भी आकर्षित करती है.

रीना ये सब सुन कर शरमा रही थी.. मुस्कुरा रही थी.. उसे अच्छा लग रहा था.

आगे की अन्तर्वासना कहानी भाग 3 में पढें

साथियो हिंदी में इंडियन सेक्स स्टोरीज का मजा लेते रहें!

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