अन्तर्वासना कहानी
दोस्तो, हिंदी में इंडियन अन्तर्वासना कहानी में आपने अब तक पढ़ा था कि पण्डित जी रीना की जवानी को भोगने के चक्कर में उसको पूजा करवाने के लिए फंसा चुके थे. पण्डित जी रीना की तारीफ़ करते हुए उस पर डोरे डाल रहे थे कि श्रृंगार के इतनी सुन्दर लगती हो.. तो श्रृंगार के पश्चात तो तुम बिल्कुल अप्सरा लगोगी.
अब आगे..
पण्डित- परम्परा के अनुसार तुम्हारा श्रृंगार पवित्र हाथों से होना चाहिये.. अथवा तुम्हारा श्रृंगार मैं करूँगा.. इसमें तुम्हें कोई आपत्ति तो नहीं?
रीना- नहीं पण्डित जी..
पण्डित- रीना.. मुझे याद नहीं रहा था.. लेकिन जो देवलिंग मैंने तुम्हें दिया था, उस पर पण्डित का चित्र होना चाहिये.. इसलिए इस देवलिंग पे मैं अपनी एक छोटी सी फोटो चिपका रहा हूँ.
रीना- ठीक है पण्डित जी.
पण्डित- और हाँ.. रात को दो बार उठ कर इस देवलिंग को जय करना.. एक बार सोने से पहले.. और दूसरी बार मध्य रात्रि में.
रीना- जी पण्डित जी..
पण्डित ने देवलिंग पर अपनी एक छोटी सी फोटो चिपका दी.. और रीना को बांधने के लिए दे दिया.
रीना ने पहले जैसे देवलिंग को अपनी टांगों के बीच बांध लिया..
आज की पूजा खत्म हुई और रीना अपने कपड़े पहन के घर चली आई.. पण्डित से अपनी तारीफ़ सुन कर वो खुश थी.
सारे दिन देवलिंग रीना की टांगों के बीच चुभता रहा.. लेकिन अब ये चुभन रीना को अच्छी लग रही थी.
रीना रात को सोने लेटी तो उसे याद आया कि देवलिंग को जय करना है..
उसने सलवार का नाड़ा खोल कर देवलिंग निकाला और अपने माथे से लगाया. वो देवलिंग पर पण्डित की फोटो को देखने लगी.
उसे पण्डित द्वारा की गई अपनी तारीफ़ याद आ गई.. अब उसे पण्डित अच्छा लगने लगा था.
कुछ देर तक पण्डित की फोटो को देखने के बाद उसने देवलिंग को वहीं अपनी टांगों के बीच में रख दिया और नाड़ा लगा लिया.
देवलिंग रीना की चूत को टच कर रहा था.. रीना ना चाहते हुए भी एक हाथ सलवार के ऊपर से ही देवलिंग पे ले गई.. और देवलिंग को अपनी चूत पे दबाने लगी. साथ साथ उसे पण्डित की तारीफ़ याद आ रही थी.
उसका दिल कर रहा था कि वो पूरा का पूरा देवलिंग अपनी चूत में डाल ले.. लेकिन इसे गलत मानते हुए और अपना मन मारते हुए उसने देवलिंग से हाथ हटा लिया.
आधी रात को उसकी आँख खुली तो उसे याद आया कि देवलिंग को जय करना है.
देवलिंग का सोचते ही रीना को अपने हिप्स के बीच में कुछ लगा.. देवलिंग कल की तरह रीना की हिप्स में फंसा हुआ था.
रीना ने सलवार का नाड़ा खोला और देवलिंग बाहर निकाला.. उसने देवलिंग को जय किया. उस पर पण्डित की फोटो को देख कर दिल में कहने लगी..
ये क्या पण्डित जी.. पीछे क्या कर रहे थे..?
रीना देवलिंग को अपनी हिप्स के बीच में ले गई और अपने गांड पे दबाने लगी. उसे मज़ा आ रहा था लेकिन डर की वजह से वो देवलिंग को गांड से हटा कर टांगों के बीच ले आई.. उसने देवलिंग को हल्का सा चूत पर रगड़ा.. फिर देवलिंग को अपने माथे पे रखा और पण्डित की फोटो को देख कर दिल में कहने लगी, ‘पण्डित जी.. क्या चाहते हो..? एक विधवा के साथ ये सब करना अच्छी बात नहीं..’
फिर उसने वापस देवलिंग को अपनी जगह बांध दिया.. और गरम चूत ही ले के सो गई.
अगले दिन..
पण्डित- रीना.. शिव को सुन्दर स्त्रियाँ आकर्षित करती हैं अत: तुम्हें श्रृंगार करना होगा.. परन्तु नियम के अनुसार ये श्रृंगार शुद्ध हाथों से होना चाहिये.. मैंने ऐसा पहले इसलिए नहीं कहा कि शायद तुम्हें लज्जा आये..
रीना- पण्डित जी.. मैंने तो आपसे पहले ही कहा था कि मैं भगवान के काम में कोई लज्जा नहीं करूँगी.
पण्डित- तो मैं तुम्हारा श्रृंगार खुद अपने हाथों से करूँगा.
रीना- जी पण्डित जी..
पण्डित- तो जाओ.. पहले दूथ से स्नान कर आओ.
रीना दूध से नहा आई.
पण्डित ने श्रृंगार का सारा सामान तैयार कर रखा था.. लिपस्टिक, रूज़, आई-लाइनर, ग्लीमर, बॉडी आयल..
रीना ने ब्लाउज और पेटीकोट पहना था.
पण्डित- आओ रीना..
पण्डित और रीना आमने सामने ज़मीन पर बैठ गए.. पण्डित रीना के बिल्कुल पास आ गया.
पण्डित- तो पहले आँखों से शुरू करते हैं
पण्डित रीना को आई-लाइनर लगाने लगा.
पण्डित- रीना.. एक बात कहूँ..?
रीना- जी कहिये पण्डित जी..
पण्डित- तुम्हारी आँखें बहुत सुन्दर हैं तुम्हारी आँखों में बहुत गहराई है.
रीना शरमा गई..
पण्डित- इतनी चमकीली.. जीवन से भरी.. प्यार बिखेरती.. कोई भी इन आँखों से मन्त्र-मुग्ध हो जाए.
रीना शर्माती रही.. वो कुछ बोली नहीं.. बस थोड़ा मुस्कुरा रही थी.. उसे अच्छा लग रहा था.
आई-लाइनर लगाने के बाद अब गालों पे रूज़ लगाने की बारी आई.
पण्डित ने रीना के गालों पे रूज़ लगाते हुए कहा.
पण्डित- रीना.. एक बात कहूँ.. ?
रीना- जी.. कहिये पण्डित जी..
पण्डित- तुम्हारे गाल कितने कोमल हैं जैसे कि मखमल के बने हों.. इन पे कुछ लगाती हो क्या..?
रीना- नहीं पण्डित जी.. अब श्रृंगार नहीं करती.. केवल नहाते वक्त साबुन लगाती हूँ.
पण्डित रीना के गालों पे हाथ फेरने लगा. इससे रीना शरमा रही थी.
पण्डित- रीना.. तुम्हारे गाल छूने में इतने अच्छे हैं कि शिव का भी इन्हें.. इन्हें..
रीना- इन्हें क्या पण्डित जी..?
पण्डित- शिव का भी इन गालों का चुम्बन लेने को दिल करे.
रीना शरमा गई.. थोड़ा सा मुस्कुराई भी.. अन्दर से उसे बहुत अच्छा लग रहा था.
पण्डित- और एक बार चुम्बन ले तो छोड़ने का दिल ना करे.
गालों पर रूज़ लगाने के बाद अब लिप्स की बारी आई.
पण्डित- रीना.. होंठ (लिप्स) सामने करो.
रीना ने लिप्स सामने करे.
पण्डित- मेरे ख्याल से तुम्हारे होंठों पर गाढ़ा लाल रंग बहुत अच्छा लगेगा.
पण्डित ने रीना के होंठों पे लिपस्टिक लगानी शुरू की.. रीना ने शर्म से आँखें बंद कर रखी थीं.
पण्डित- रीना.. तुम लिपस्टिक होंठ बंद करके लगाती हो क्या.. थोड़े होंठ खोलो..
रीना ने होंठ खोले.. पण्डित ने एक हाथ से रीना की ठोड़ी पकड़ी और दूसरे हाथ से लिपस्टिक लगाने लगा.
पण्डित- वाह.. अति सुन्दर..
रीना- क्या पण्डित जी?
पण्डित- तुम्हारे होंठ.. कितने आकर्षक हैं तुम्हारे होंठ.. क्या बनावट है.. कितने भरे भरे.. कितने गुलाबी..
रीना- आप मज़ाक कर रहे हैं पण्डित जी..
पण्डित- नहीं.. शिव की सौगंध.. तुम्हारे होंठ किसी को भी आकर्षित कर सकते हैं तुम्हारे होंठ देख कर तो शिव पार्वती के होंठ भूल जाएं.. वह भी ललचा जाएं.. तुम्हारे होंठों का सेवन करें.. तुम्हारे होंठों की मदिरा पिएं..
रीना अन्दर से मरी जा रही थी.. उसे बहुत ही अच्छा फ़ील हो रहा था.
पण्डित- एक बात पूछू?
रीना- पूछिए पण्डित जी..
पण्डित- क्या आज तक तुम्हारे होंठों का सेवन किसी ने किया है?
रीना ये सुनते ही बहुत शर्मा गई.
रीना- एक दो बार.. मेरे पति ने..
पण्डित- केवल एक दो बार..
रीना- वो ज्यादातर बाहर ही रहते थे.
पण्डित- तुम्हारे पति के अलावा और किसी ने नहीं..!
रीना- कैसी बातें कर रहे हैं पण्डित जी.. पति के अलावा और कौन कर सकता है? क्या वो पाप नहीं होता.
पण्डित- यदि विवश हो कर किया जाए तो पाप है, वरना नहीं.. लेकिन तुम्हारे होंठों का सेवन बहुत आनन्ददायक होगा.. ऐसे होंठों का रस जिसने नहीं पिया.. उसका जीवन अधूरा है.
रीना अन्दर ही अन्दर ख़ुशी से पागल हुई जा रही थी.. अपनी इतनी तारीफ़ उसने पहले बार सुनने को मिल रही थी.
फिर पण्डित ने हेयर-ड्रायर निकाला. अब पण्डित ड्रायर से रीना के बाल सुखाने लगा. रीना के बाल बहुत लम्बे थे.
पण्डित- रीना झूठ नहीं बोल रहा.. लेकिन तुम्हारे बाल इतने लम्बे और घने हैं कि शिव इनमें खो जाएंगे.
उसने रीना का हेयर-स्टाइल चेंज कर दिया. उसके बाल बहुत पफी हो गए थे. आई-लाइनर, रूज़, लिपस्टिक और ड्रायर लगाने के बाद पण्डित ने रीना को शीशा दिखाया.
रीना को यकीन ही नहीं हुआ कि वह इतनी सुन्दर भी दिख सकती है.
पण्डित ने वाकयी ही रीना का बहुत अच्छा मेकअप किया था. ऐसा मेकअप देख कर रीना खुद में सनसनी सी फ़ील करने लगी. उसे पता ना था कि वो भी इतनी एरोटिक लग सकती है.
पण्डित- मैंने तुम्हारे लिए खास जड़ीबूटियों का तेल बनाया है.. इससे तुम्हारी त्वचा में निखार आयेगा.. तुम्हारी त्वचा बहुत मुलायम हो जाएगी. तुम अपने बदन पे कौन सा तेल लगाती हो?
रीना ‘बदन’ का नाम सुन के थोड़ा शरमा गई.. सनसनी तो वो पहले ही फ़ील कर रही थी.. ‘बदन’ का नाम सुनके वो और अधिक सनसनी सी फ़ील करने लगी.
रीना- जी.. मैं बदन पे कोई तेल नहीं लगाती.
पण्डित- चलो कोई नहीं.. अब ज़रा घुटनों के बल खड़ी हो जाओ.
रीना अपने घुटनों के बल हो गई.
पण्डित- मैं तुम पर तेल लगाऊंगा.. लज्जा ना करना.
रीना- जी पण्डित जी..
रीना ब्लाउज-पेटीकोट में घुटनों पे थी..
पण्डित भी घुटनों पर हो गया. अब वो रीना के पेट पे तेल लगाने लगा. फिर वो रीना के पीछे आ गया.. और रीना की पीठ और कमर पर तेल लगाने लगा.
पण्डित- रीना तुम्हारी कमर कितनी लचीली है.. तेल के बिना भी कितनी चिकनी लगती है.
पण्डित रीना के बिल्कुल पीछे आ गया.. वे दोनों घुटनों पे थे.
रीना के हिप्स और पण्डित के लंड में मुश्किल से 1 इंच का फ़ासला था. पण्डित पीछे से ही रीना के पेट पे तेल लगाने लगा.
वो उसके पेट पे लम्बे लम्बे हाथ फेर रहा था.
पण्डित- रीना.. तुम्हारा बदन तो रेशमी है.. तुम्हारे पेट को हाथ लगाने में कितना आनन्द आता है.. ऐसा लग रहा है कि शनील की रजाई पे हाथ चला रहा हूँ.
पण्डित पीछे से रीना के और पास आ गया.. उसका लंड रीना के चूतड़ों की दरार को एकदम टच कर रहा था.
अब पण्डित रीना की नाभि में उंगली घुमाने का लगा.
पण्डित- तुम्हारी नाभि कितनी चिकनी और गहरी है.. जानती हो यदि शिव ने ऐसी नाभि देख ली तो वह क्या करेगा?
रीना- क्या पण्डित जी.?
पण्डित- सीधा तुम्हारी नाभि में अपनी जीभ डाले रखेगा.. इसे चूसता और चाटता रहेगा.
ये सुन कर रीना मुस्कुराने लगी. शायद हर लड़की या नारी को अपनी तारीफ़ सुनना अच्छा लगता है.. चाहे तारीफ़ झूठी ही क्यों ना हो.
पण्डित एक हाथ रीना के पेट पे फेर रहा था.. और दूसरे हाथ की उंगली रीना की नाभि में घुमा रहा था.
रीना के पेट पे लम्बे लम्बे हाथ मारते वक्त पण्डित दो तीन उंगलियां रीना के पेट से ऊपर उठता हुआ ब्लाउज के अन्दर भी ले जाता.
तीन चार बार उसकी उंगलियां रीना के मम्मों के निचले हिस्से पर टच हुईं.
रीना गरम होती जा रही थी.
पण्डित- रीना.. अब हमारी पूजा आखिरी चरण में है. परम्परा में कुछ आसन बताए गए हैं.
रीना- आसन.. कैसे आसन पण्डित जी?
पण्डित- अपने शरीर को शुद्ध करने के पश्चात जो स्त्री उस आसन में लेट जाती है.. शिव उससे सदा के लिए प्रसन्न हो जाता है.. लेकिन ये आसन तुम्हें एक पण्डित के साथ लेने होंगे.. परन्तु हो सकता है मेरे साथ आसन लेने में तुम्हें लज्जा आए.
रीना- आपके साथ आसन.. मुझे कोई आपत्ति नहीं है..!
पण्डित- तो तुम मेरे साथ आसन लोगी..?
रीना- जी पण्डित जी..!
पण्डित- लेकिन आसन लेने से पहले मुझे भी बदन पे तेल लगाना होगा.. और ये तुम्हें लगाना है.
रीना- जी पण्डित जी..
ये कह कर पण्डित ने तेल की बोतल रीना को दे दी.. और वो दोनों आमने सामने आ गए. दोनों घुटनों के बल खड़े थे.
रीना ने पण्डित की छाती पे तेल लगाना शुरू किया.
पण्डित ने छाती, पेट और अंडरआर्म्स शेव किये थे.. इसलिए उसकी स्किन बिल्कुल कोमल थी.
रीना पहले भी पण्डित के बदन से आकर्षित हो चुकी थी. आज पण्डित के बदन पे तेल लगाने से उसका बदन और चिकना हो गया. वो पण्डित की छाती, पेट, बाँहें और पीठ पर तेल लगाने लगी.
वह खुद के अन्दर से पण्डित के बदन से लिपटना चाह रही थी. रीना भी पण्डित के पीछे आ गई.. और उसकी पीठ पे तेल मलने लगी. फिर पीछे से ही उसके पेट और छाती पर तेल मलने लगी. रीना के चूचे हल्के हल्के पण्डित की पीठ से टच हो रहे थे. रीना ने भी पण्डित की नाभि में दो तीन बार उंगली घुमाई.
पण्डित- रीना.. तुम्हारे हाथों का स्पर्श कितना सुखदायी है.
रीना कहना चाह रही थी कि पण्डित जी.. आपके बदन का स्पर्श भी बहुत सुखदायी है.. लेकिन शर्म की वजह से ना कह पाई.
पण्डित- चलो.. अब आसन लेते हैं.. पहले आसन में हम दोनों को एक दूसरे से पीठ मिला कर बैठना है.
पण्डित और रीना चौकड़ी मार के और एक दूसरे की तरफ़ पीठ कर के बैठ गए.. फिर दोनों पास पास आए जिससे कि दोनों कि पीठ मिल जाएं.
पण्डित की पीठ तो पहले ही नंगी थी क्योंकि उसने सिर्फ लुंगी पहनी थी. रीना ब्लाउज और पेटीकोट में थी.. उसकी लोवर पीठ तो नंगी थी ही.. उसके ब्लाउज के हुक्स भी नहीं थे, इसलिए ऊपर की पीठ भी थोड़ी सी एक्सपोज्ड थी.
दोनों नंगी पीठ से पीठ मिला कर बैठ गए.
पण्डित- रीना.. अब हाथ जोड़ लो..
पण्डित हल्के हल्के रीना की पीठ को अपनी पीठ से रगड़ने लगा. दोनों की पीठ पे तेल लगा था.. इसलिए दोनों की पीठ चिकनी हो रही थी.
पण्डित- रीना.. तुम्हारी पीठ का स्पर्श कितना अच्छा है.. क्या तुमने इससे पहले कभी अपनी नंगी पीठ किसी की पीठ से मिलाई है..?
रीना- नहीं पण्डित जी.. पहली बार मिला रही हूँ.
रीना भी हल्के हल्के पण्डित की पीठ पे अपनी पीठ रगड़ने लगी.
पण्डित- चलो.. अब घुटनों पे खड़े होकर पीठ से पीठ मिलानी है.
दोनों घुटनों के बल हो गए.
एक दूसरे की पीठ से चिपक गए.. इस पोजीशन में सिर्फ पीठ ही नहीं.. दोनों के हिप्स भी चिपक रहे थे.
पण्डित- अब अपनी बाँहें मेरी बांहों में डाल के अपनी तरफ़ हल्के हल्के खींचो.
दोनों एक दूसरे की बांहों में बांहें डाल के खींचने लगे. दोनों की नंगी पीठ और हिप्स एक दूसरे की पीठ और हिप्स से चिपक गईं.
पण्डित अपने हिप्स रीना के कूल्हों पर रगड़ने लगा. रीना भी अपने चूतड़ पण्डित के कूल्हों पर रगड़ने लगी.
रीना की चूत गरम होती जा रही थी.
पण्डित- रीना.. क्या तुम्हें मेरी पीठ का स्पर्श सुखदायी लग रहा है?
रीना शरमाई.. लेकिन कुछ बोल ही पड़ी.
रीना- हाँ पण्डित जी.. आपकी पीठ का स्पर्श बहुत सुखदायी है.
पण्डित- और नीचे का..?
रीना समझ गई पण्डित का इशारा हिप्स की तरफ़ है.
रीना- अ..ह्ह..हाँ पण्डित जी..
दोनों एक दूसरे के हिप्स को रगड़ रहे थे.
पण्डित- रीना.. तुम्हारे चूतड़ भी कितने कोमल लगते हैं कितने सुडौल हैं. मेरे चूतड़ तो थोड़े कठोर हैं.
रीना- पण्डित जी.. आदमियों के थोड़े कठोर ही अच्छे लगते हैं.
पण्डित- अब मैं पेट के बल लेटूंगा.. और तुम मेरे ऊपर पेट के बल लेट जाना.
रीना- जी पण्डित जी.
पण्डित ज़मीन पर पेट के बल लेट गया और रीना पण्डित के ऊपर पेट के बल लेट गई.
रीना के चूचे पण्डित की पीठ पर चिपके हुए थे.
आगे की अन्तर्वासना कहानी भाग 4 में पढें
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