Antarvasna
दोस्तो सेक्स का अनुभव ऐसा Antarvasna होता है जो इंसान को पूरी जिंदगी याद रहता है और ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ था जो कि मैं आपको बता रहा हूँ।
बात तब की है जब मैं 18 साल का था, कक्षा 12 में पढ़ता था और मेरे इंस्टिट्यूट में एक सर और मैडम का अफेयर चल रहा था, मेरी कक्षा में सभी को उनके अफ़ेयर के बारे में पता था, सभी उनके मज़े लिया करते थे।
और एक दिन मेरी भी किस्मत का ताला खुल गया..
बात थी 12 जनवरी की, हमारे इंस्टिट्यूट का वार्षिक-उत्सव था, रात को सांस्कृतिक कार्यक्रम होने थे.. मैंने भी 2 ड्रामों मे भाग लिया था इसलिए मुझे भी एक दिन पहले देर रात तक इंस्टिट्यूट में रुकना पड़ा। मैं और मेरा दोस्त नवीन शाम को खाना खाकर फिर से इंस्टिट्यूट आ गए थे और सर ने हमें कहा था कि शायद रात को यहीं रुकना पड़ सकता है इसलिए हम पूरी तैयारी के साथ आए थे और हाल में ही सभी के बिस्तर लगे थे।
सभी लगभग 10 बजे तक सो चुके थे पर हम दोनों दोस्तों को नींद नहीं आ रही थी, तो हम बाहर जा कर मैदान में घूमने लगे। तभी पास की लाइब्रेरी से कुछ आवाज़ आती हमें सुनाई दी और हम दोनों लाइब्रेरी की ओर चलने लगे। धीरे धीरे आवाज़ तेज होती गई, जो किसी लड़की की आवाज़ थी, वो दर्द से कसमसा रही थी।
लाइब्रेरी के पास पहुँचते ही हम सब समझ चुके थे कि मामला आख़िर क्या है ! लाइब्रेरी के अंदर वही सर जिनका नाम राकेश था, प्रिया नाम की 24 साल की मैडम के साथ काम-क्रिया में लिप्त थे.. सर मैडम के बोबे दबा रहे थे और मैडम मस्ती से सर का लंड मसल रही थी।
इसे देख कर मेरी हालत भी खराब होने लगी और मैं भी अपना लंड हाथ से हिलाने लगा। तभी नवीन ने कहा- प्रतीक कंट्रोल कर ! आज तो मैडम को चोदेंगे, बस तोड़ा सा इंतजार कर…
और फिर हम धीरे से लाइब्रेरी में घुस कर छिप गये। मैडम और सर ने अपने अपने कपड़े खोल लिए थे। तभी नवीन ने चुपके से मैडम के कपड़े छुपा लिए और मुझे बोला- अब देख मेरा कमाल ..
थोड़ी देर में सर मैडम को चोदने लगे और कुछ ही देर में सर झड़ गये और मैडम से ऊपर से उठ कर कपड़े पहनने लगे। तभी मैडम ने अपने कपड़े देखे, पर उन्हें नहीं मिले। वो इधर उधर कपड़े देखने लगी पर कपड़े तो हमारे पास थे ..
इतने में नवीन ने कहा- क्यों प्रिया ! कपड़े नही मिल रहे?
उसको देख कर मैडम एक दम सुन्न सी रह गई और अपने हाथों से अपने स्तन छिपाने लगी और कहने लगी- अरे नवीन मेरे कपड़े दो !
नवीन ने कहा- बहनचोद ! अभी तो तुझे हमसे चुदाना पड़ेगा..
वो रोने लगी- नही ऐसा नहीं होगा ! जल्दी से मेरे कपड़े दो !
इसी बीच सर वहाँ से खिसक कर चले गये..
नवीन ने कहा- मैडम कपड़े चाहिएँ तो एक बार चूत देनी पड़ेगी…
मरती क्या नहीं करती, उसने मजबूरी में अपने दोनों हाथ नीचे कर दिया और बोली- लो कर लो जो भी करना हो…
बस उसका ये बोलना हुआ और मैं और नवीन उस पर चढ़ गये और उसको तीन बार चोदा.. और वो करीब पाँच बार झड़ गई और फिर हम दोनों को किस करके बोली- मज़ा आ गया ! इतना मज़ा तो तुम्हारे राकेश सर से भी नहीं आया…
और फिर हम चुपचाप आकर हाल में सो गये..
अगले दिन कार्यक्रम था। उस रात भी हमने उसे होटेल में ले जाकर चोदा !
वो मैं आपको बाद में बताऊँगा और नवीन से भी आपको मिलवाउँगा।
तब तक के लिए इजाज़त दीजिए !
और हाँ मुझे मेल तो आप करेंगे ही ना !सूरज और राहुल को मेरे मकान में किरये पर रहते हुए करीब एक महीना हो चुका था। वो दोनों शाम के आठ बजे कमरे पर आ जाते थे, फिर बाहर नहीं निकलते थे। मेरे पति अधिकतर कुवैत में रहते थे। मेरी शादी को लगभग सात वर्ष हो चुके थे।
घर पर बस सास ससुर ही थे जो सामने के हिस्से में रहते थे। मैं पीछे के हिस्से में रहती थी, यहीं किचन भी था। साधारणतया वे रात को आठ बजे के बाद पीछे नहीं आते थे। खाना खाने के बाद वे दोनों टीवी देखते थे, फिर साढ़े नौ बजे तक वो दोनों सो जाया करते थे।
उस समय मेरे मन का शैतान जाग उठता था और कम्प्यूटर पर मैं अन्तर्वासना और अन्य सेक्सी चेनल देखती रहती थी। सूरज और राहुल का कमरा मेरे ड्रेसिंग-रूम से लगा हुआ था और उस कमरा का दरवाजा उनके कमरा में खुलता था।
किराये पर देने के बाद से उसे मैंने अपनी तरफ़ से बंद कर रखा था। ड्रेसिंग-रूम में मैं कम ही जाती थी। ऊपर का रोशनदान का कांच टूटा होने से उनके कमरे में से आवाजें मुझे स्पष्ट आती थी। पर मैंने कभी उस पर ध्यान नहीं दिया।
आज मुझे राहुल और सूरज के कमरे में से टीवी में से कुछ सेक्सी आवाजें आ रही थी। मैं ऐसी आवाजें खूब पहचानती थी। ये ब्ल्यू फ़िल्म की चुदाई की आवाजें, सिसकारियाँ और इंगलिश डायलोग की आवाजें थी। मेरा ध्यान अब उस कमरे की तरफ़ था। मन में जिज्ञासा जाग उठी कि उस कमरे में क्या हो रहा है।
मैं ड्रेसिंग-रूम में गई और टेबल के ऊपर स्टूल रखा और उस पर चढ़ कर कमरे में झांकने लगी। सूरज और राहुल बैठे दारू पी रहे थे और एक तरफ़ टीवी में ब्ल्यू फ़िल्म चल रही थी। उनके पास पलंग नहीं था। उनके बिस्तर नीचे फ़र्श पर ही बिछे थे। मैं धीरे से नीचे उतर गई। मुझे ये अब मालूम हो गया था कि ये दोनों ब्ल्यू फ़िल्म के शौकीन है।
मेरा मन मचल उठा, मेरे मन में वासना हिलोरे मारने लगी। मैं उनके लण्ड की कल्पना करने लगी, उनका खड़ा हुआ लण्ड मुझे महसूस होने लगा था और अपनी चूत में घुसते हुए की कल्पना करने लगती थी। मेरा मन उनसे चुदाने को करने लगा और उन्हे पटाने की तरकीब सोचने लगी।
सीधी सी योजना मन में उठी कि इन से पहले दोस्ती बढाई जाये।
प्लान के मुताबिक सवेरे मैंने नाश्ता बनाया और और उनके कमरे के बाहर आकर उन्हें उठाया। सूरज ने दरवाजा खोला और मुझे देख कर चौंक गया।
‘दीदी आप… ! गुड मोर्निंग !’
‘चाय नाश्ता लाई हूँ, चलो उठो और नाश्ता कर लो’ मैंने उन्हें मुस्करा कर कहा। कमरे में आ कर मैंने मेज़ पर चाय और नाश्ता रख दिया।
‘नाश्ता कर लो तो बरतन दे जाना।’ कह कर मैं बाहर आ गई।
धीरे धीरे मेरी उनसे दोस्ती अच्छी हो गई। अब मैं बेधड़क उनके कमरे में आने जाने लगी। सूरज और राहुल दोनों ही इस दोस्ती से खुश थे। दोनों ही मुझे दीदी की नजर से नहीं, वासना की नजर से देखते थे। मैं उनकी नजरें भांप गई थी। वे दोनों ही अक्सर मेरे स्तनों को घूरते रहते थे। मेरे गाऊन में से मेरे तने हुए स्तनो को झांक कर देखने की कोशिश करते थे। शायद ये सब उनके ब्ल्यू फ़िल्म देखने का असर था। मैं चाहती भी यही थी कि उनकी भावना मेरे लिये जागे और मेरी चुदाई हो जाये।
मैं तो चाह रही थी कि अभी चोद दें ! पर शुरुआत कैसे हो।
आज मैं उनके कमरे में शाम को चिकन करी बना कर ले गई। वो दोनों नहा धो कर दारू पीने की तैयारी कर रहे थे। शायद फिर वो ब्ल्यू फ़िल्म देखते। इसलिये मेरा आना उन्हे अच्छा नहीं लग रहा था।
‘देखो ! दारू पी लो तब चिकन करी खा लेना…समझे?’
चिकन करी का नाम सुनते ही वो दोनों खुश हो गये।
‘अपनी दीदी को दारू नहीं टेस्ट कराओगे’
‘अरे दीदी आओ ना, सॉरी ! हमने पूछा नही, आओ बैठ जाओ’
मैं मुस्करा कर चली आई। मेरे दिल में आज हलचल थी। मन मचलने लगा था। मन मैला हो रहा था। चुदने की जबरदस्त इच्छा हो रही थी। कमरा उन्होंने बंद कर लिया और फिर ब्ल्यू फ़िल्म की आवाजें आने लगी थी। पर मुझे लगा राहुल और सूरज की आवाजें भी आ रही थी। ये दोनों क्या कर रहे होंगे। उत्सुकता के मारे कमरे में आकर मैंने फिर से मेज़ पर स्टूल लगाया और ऊपर चढ़ गई। अन्दर जो मैंने देखा तो मेरा मन डोल उठा।
सूरज और राहुल दोनों नंगे थे, उनके बलिष्ठ चिकने शरीर लाईट में चमक रहे थे। राहुल की गाण्ड चिकनाई से चमक रही थी और सूरज का लण्ड उसकी गाण्ड चोद रहा था। मेरे मुख से आह निकल गई, मैंने अपनी चूत दबा ली और उनकी लीला देखती रही। उनका कार्यक्रम समाप्त हुआ, तो मैं नीचे उतर गई और अपने कमरे में आ गई।
मेरी सांस उखड़ रही थी, दिल की धड़कन तेज हो गई थी, पसीना बह निकला था। मैंने जल्दी से लम्बा बैंगन उठाया और गाऊन ऊपर करके चूत पर घिसने लगी। कुछ ही देर में मैं झड गई। मैं बैचेन दिल से बिस्तर पर करवट बदलने लगी। रात को जाने कब नीन्द आ गई।
सुबह मैंने उन्हे नाश्ता दिया और प्लान के मुताबिक मैंने उनसे कहा,’आज मेरा जन्म दिन है, शाम का खाना मत बनाना, ये ड्रेसिंग-रूम वाला दरवाजा खोल देना’
‘दीदी आपको जन्म-दिन की बधाई … क्या खिला रही हो?’
‘तुम मिठाई तो खाओगे नही, इसलिये मेरे पास तुम्हारे लिये एक अच्छी दारु है, ठीक है ना?’
‘थेंक यू दीदी, मजा आ जायेगा’ राहुल ने जोश में मेरा गाल चूम लिया और फिर झेंप गया।
‘सॉरी दीदी !’
‘सॉरी क्यूँ, मेरे जन्म-दिन का चुम्मा तो देना ही है ना, आओ मुझे चुम्मा दो फिर से !’ मैंने मौका गंवाना उचित नहीं समझा।
राहुल ने फिर से मेरे गाल पर चुम्मा लिया। सूरज ने भी मेरे गाल पर चुम्मा दिया, पर उसने हल्की सी जीभ भी गाल से छुला दी। मैंने उसे देखा तो वो शरारत से हंस पड़ा।
‘अच्छा ! ! शरारत की… मारुंगी हांऽऽऽऽ !’ मैं मुस्कराती हुई वापस आ गई। दिल में एक आस जगी।
शाम को मैंने बड़े चाव से चिकन पुलाव और चिकन बनाया और उसे मैंने अपने ड्रेसिंग-रूम में रख दिया और दरवाजा खोला और उनके कमरे में आ गई। वो दोनों नहा धो कर पजामा पहन कर गिलास लगा कर बैठे थे। मैंने उन्हें बढ़िया शराब की बोतल दी और उनके साथ दीवार से लग कर बैठ गई। दोनों ने गिलास भरा और सोडा डाला और मुझे चियर्स किया। उनके जाम चालू हो गये।
‘दीदी, एक पेग तो ले लो, अच्छा लगेगा !’
‘अरे एक से क्या होगा, मौका आने दो, फिर खूब पेग लूंगी।’ मैं उनके सामने ही बिस्तर पर उल्टी लेट गई और कोहनी के बल सामने से शरीर उठा कर बाते करने लगी। मेरे झूलते हुए दोनों बोबे गाऊन में से उन्हें स्पष्ट नजर आने लगे थे। उनकी नजरे वही जमी थी। मेरा ये पोज सफ़ल रहा।
अचानक सूरज ने कहा- दीदी जन्म-दिन का किस तो किया ही नहीं। मैं अब सब समझ रही थी, उन्हें अब मुझसे खेलना था। मेरे झूलते बोबे देख कर उनका मन भी डोल उठा था। मैं भी इसके लिये तैयार थी कि कोई शुरुआत तो करे।
‘अरे हाँ रे… चलो पहले कौन करेगा?’ मेरे कहते ही राहुल लपक कर उठा।
‘दीदी, पहले मैं करूंगा’ मुझे लेटे ही लेटे उसने झुक कर किस कर लिया, उसका एक हाथ मेरे चूतड़ो पर से सहलाता हुआ पीठ पर आ गया और साथ में बधाई दी। मेरे शरीर में बिजलिया तड़क उठी। अब सूरज की बारी थी। आशा के अनुरूप उसने मेरे गाल पर किस किया पर मेरे झूलते हुए बोबे को भी एक उंगली से दबा दिया।
मेरा शरीर झनझना उठा। मैंने ऐसा जताया कि जैसे कुछ हुआ ही नही। पर दिल ने दिल का इशारा समझ लिया। मुझे लगा कि जल्दी ही खेल की शुरुआत होने वाली है। सूरज मेरे पास ही बैठ गया। तभी बिजली चली गई, कमरे में एकदम से अंधेरा हो गया। सूरज ने इसका तुरन्त फ़ायदा उठाया, और खेल शुरू हो गया।
‘दीदी, एक किस और ले लू, प्लीज़’
उसने मुझे हां या ना कहने का मौका दिये बिना मेरे गाल पर अंधेरे में किस कर दिया। उसके हाथ मेरे बोबे पर आ गये और दोनों हाथ मेरी चूंचियो पर कस गये। और दूसरे ही पल में वो मेरी पीठ पर सवार हो गया। मेरे बोबे उसके हाथ में थे, मेरे गाऊन के ऊपर से उसका लण्ड मेरे चूतड़ो पर गड़ने लगा। हाय रे, इतना कड़क लण्ड, लगा कि गया चूतड़ के अन्दर… पर नखरे तो करना था ना…
‘अरे सूरज, ये क्या, चल छोड़ मुझे…’
तभी मुझे लगा राहुल ने मेरे दोनों पांव पकड़ लिये और मेरा गाऊन उठा दिया। सूरज का पजामा राहुल ने खींच दिया। मेरी गाण्ड नीचे से नंगी हो चुकी थी और सूरज का लण्ड भी बाहर आ चुका था। मेरे मन के सितार बज उठे। मेरे बिना जतन के दोनों तैयार थे। मैं बस चुदने ही वाली थी।
‘क्या कर हो ये, मैं मर जाऊंगी देख सूरज, ना कर…हाय रे।’ सूरज ने मुझे धक्का दे कर चित लेटा दिया और मेरे गाऊन को ऊपर से खींच डाला।
तभी लाईट आ गई। पर बाज़ी सूरज के कब्जे में थी। राहुल ने मेरे पांव खींच कर चोड़ा दिये जबकि सूरज का लण्ड निशाने पर आ चुका था। मेरे पांव चौड़ाते ही मेरी चूत खुल गई और सूरज ने अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा डाला। मुझे बहुत आनन्द आया पर उन्हे दिखाने के लिये मैं हल्की सी चीख उठी,’हाय रे ! मुझे मार डाला… सूरज प्लीज़ छोड़ दे, देख मैं तेरी दीदी हूँ !’ उसका मस्त लण्ड गहराई में उतरता जा रहा था।
‘दीदी प्लीज़, मुझसे रहा नहीं जा रहा है, करने दो ना।’
‘देख मैं चिल्लाऊंगी… राहुल इसे हटा दे।’
‘दीदी, प्लीज, देखो आपका जन्म-दिन है, आप भी मजा लो, हमें भी मजा लेने दो’
‘हां दीदी, देखो ना, हम दोनों आपका नाम लेकर कितना मुठ मारते है… दीदी मान जाओ ना’ राहुल ने भी अपने मन की कह दी।
‘दीदी मेरा लण्ड कितना फ़ड़क रहा है, चुदा लो ना’ लण्ड पूर जड़ तक बैठ चुका था। सूरज ने विनती की और अपना होंठ मेरे मुख से सटा दिया। मैं मदहोश होती जा रही थी। कब तक मैं नाटक करती, मुझे भी तो चुदाई का मजा भरपूर मजा लेना था। दोनों ही मुझे चोदने के लिये उतावले हो रहे थे। वास्तव में मेरी हालत तो और भी अधिक खराब हो रही थी। बस चुदने का मन कर रहा था।
मैंने सूरज से अपने होंठ अलग किये और राहुल से कहा,’राहुल मेरे पांव छोड़ दे प्लीज़, मैं कुछ नहीं करूंगी’ राहुल ने मेरे पांव छोड़ दिये। मैंने अपनी टांगे उपर उठा ली और चूत को पूरी खोल दी। उसका लण्ड आराम से पूरा ही चूत में उतर गया।
मेरे मुख से चीख निकल पड़ी,’हाय सूरज, चल चोद दे मुझे, पूरा चोद दे मेरे राजा।’ मैंने भी उसे भींच लिया। चुदाई की मिठास का पूरा सुख उठाने लगी।
‘दीदी आपकी चूत से खून निकल रहा है, सूरज मत कर यार, देख दीदी को तकलीफ़ हो रही है।’
‘राहुल चुप रह, सूरज चोद यार…ये तो महीनो बाद चुदाई का असर है, फिर इसका लण्ड भी तो मोटा और लम्बा है, चोदने दे’ मैंने राहुल को समझाया, मैं मजा छोड़ना नहीं चाहती थी। सूरज के शरीर में अचानक बिजलियाँ भर गई और तरावट आने लगी। लण्ड कस कर चूत पर ठोकर मारने लगा।
मेरे बदन में आग सी उतरने लगी। सारा खून लगा कि चूत में बह रहा है, तेज मिठास चूत में भर गई और …और… मेरा पानी छूट पड़ा। मेरे मुख से एक चीख सी निकल गई। मैंने बहुत महीनो बाद चुदाया था सो बहुत अधिक उत्तेजित होने से मैं जल्दी झड़ गई।
‘हाय रे सूरज, मुझे सम्भाल, मैं तो अह्ह्… गई, सूरजऽऽऽ’ मैं झड़ने लगी। सूरज ने भी लगा कि बहुत रोकने की कोशिश कर रहा था पर रूक नहीं पा रहा था। उसने भी शायद किसी लड़की को पहली बार चोदा था, सो वो अधिक उत्तेजना के कारण झड़ने वाला था।’मै मर गया दीदी, भोसड़ी की, हाय माँ चुद गई मेरी तो…दीदीऽऽ !’ सूरज भी झड़ने को था, उसके मुँह से उत्तेजना भरी गालियाँ निकलने लगी
‘सूरज बस, हो जा रे अब, निकाल दे तू…।’
‘इस लण्ड की मा चोदू, ये भी गया… तेरी चूत मस्त है रे… दीदी… हाय रे…।’ उसका वीर्य छुट पड़ा।
‘आहऽऽ मा की भोसड़ी… निकल गया रे’ लगभग चीखता सा पिचकारी छोड़ने लगा। राहुल ने उसका लण्ड बाहर खींच लिया था और उसका माल मसल मसल कर बाहर निकलने लगा। कुछ ही देर हम दोनों निढाल पड़े थे। सूरज उठ कर बैठ गया। मैं पांव पसारे लेटी रही। इतने में राहुल मेरे ऊपर चढ गया। और लण्ड का जोर मेरी चूत पर लगाने लगा।
‘राहुल ठहर जा रे, अपनी दीदी का कचूमर ही निकाल दोगे क्या… रुक के करना… मैं कही भाग थोड़ी रही हूँ।’ मैंने गहरी सांसे भरते हुए कहा।
राहुल धीरे से मेरे ऊपर से हट गया। मैं उठ गई और दीवार के सहारे टिक कर बैठ गई।
‘सूरज तुम बहुत बुरे हो, मुझसे पूछ तो लिया होता…अच्छे से चुदवाती तो मजा आता ना !’
‘दीदी मुझे माफ़ कर देना, तुम्हारे झूलते हुए बोबे देख कर मेरा मन डोल गया था…प्लीज़ माफ़ कर दो ना !’
मैने सूरज को गले लगा लिया, राहुल भी मेरे से लिपट गया।
‘अब मेरे लिये भी एक जाम बनाओ, सूरज…’ सहिल खुश हो गया। उसने मेरे लिये पेप्सी में एक जाम बनाया, हम तीनों ने जाम पूरा पी लिया।
‘अब तुम दोनों मेरे पास लेट जाओ, मुझे भी तुम्हारा चोदन करना है।’ दोनों ही हंस पड़े। मेरे दायें-बायें दोनों ही चित लेट गये। मैंने दोनों का लण्ड हाथ में लिया और धीरे धीरे सहलाना चालू कर दिया। दोनों के मुख से सिसकारियाँ निकलने लगी। दोनों लण्डो की चमड़ी ऊपर निकाल दी और टोपे बाहर निकाल दिये। दोनों के लाल सुपाड़े चमक उठे। मैं एक एक करके उन्हें मुँह में भर कर चूसने लगी। कभी राहुल का लण्ड चूसती और कभी सूरज का।
मेरे दिल की इच्छा पूरी जो करनी थी। मेरे नसीब में दो दो लण्ड का मजा लिखा था। मैं हमेशा ये सोचती थी कि हाय कभी ऐसा दिन आयेगा कि नहीं जब मेरी चूत और गाण्ड एक साथ दो लण्ड चोदेंगे, और मुझे चोद चोद कर निहाल कर देंगे। दो लण्डो को एक साथ चूसने का मौका मिलेगा कि नहीं। हाय रे… आज तो मेरे दिल की इच्छा पूरी होने जा रही थी। उनके लण्ड फ़ुफ़कार उठे। सुपाड़े की रिन्ग को कस कर चूसे जा रही थी।
‘अब दोनों अपनी टांगे ऊंची कर लो…’ वासना में दोनों तडप उठे थे, उन्होंने अपनी टांगे ऊपर कर ली। उनके गाण्ड का फूल खिल उठा, और दरारो में से झांकने लगा। मैंने प्यार से वहा पड़ा देसी घी उंगली में लगाया और उनके फूल पर लगा दिया। फ़ूल स्पर्श पा कर अन्दर बाहर होने लगा, लपलपाने लगा। मेरी उंगली उनके गाण्ड के फूल में घी लगा कर चिकना कर रही थी। फिर मैंने दोनों हाथों की एक एक उंगली उनके फ़ूल में दबा दी और अन्दर सरका दी। और धीरे से अपनी पूरी उंगली अन्दर घुसा दी।
मेरी उत्तेजना बहुत बढ गई थी। चूत से एक बार फिर गीली हो कर पानी से तर हो गई थी। उन दोनों को इस काम में पूरा मजा आ रहा था, क्योकि वो दोनों गाण्ड मराने में माहिर थे। मेरे से अब रहा नहीं गया मैंने रोहल को सीधा किया और उस पर लेट गई।
‘राहुल मजा आया ना, अब मुझे चोद दे…और मजा करेंगे !’
मेरी गीली चूत पर उसका लण्ड दबा हुआ था। मैंने ऊपर से उस पर जोर लगाया और फ़क से लण्ड चूत में उतर गया। मैं ऊपर से ही अपने दोनों पांव खोल कर उसके लण्ड को अपनी चूत में समा लिया। इतने में सूरज ने भी मेरी पोजिशन देखी तो वो मेरे पीछे आ खड़ा हुआ और मेरी गोलाईयो को चीर कर मेरी गाण्ड को खोल दिया। मेरा फ़ूल मुस्करा उठा।
उसने घी अपनी उंगली में लगा कर मेरी गाण्ड में भर दिया। उसका लन्ड अब मेरी गाण्ड में घुसने कि कोशिश करने लगा। मुझे ये सोच कर ही मदहोशी छाने लगी कि मेरी गाण्ड और चूत को एक साथ लण्ड मिल रहा है। यही तो मेरी दिली तमन्ना थी। उसका लण्ड मेरी गाण्ड में घुस पड़ा।
‘राहुल, इस सूरज ने तो मेरी गाण्ड में लण्ड घुसा डाला !’
‘दीदी, मस्त हो जाओ, दोनों तरफ़ से मजे लूटो, सूरज मेरी गाण्ड भी बहुत अच्छी मारता है।’
‘हाय रे राहुल… मेरी किस्मत कितनी अच्छी है, चोद दो आज मुझे, मुझे स्वर्ग में पहुंचा दो’…।
‘दीदी, अब तो आज से रोज ही तुम्हें ऐसे ही चोदेंगे…तुम्हारी चूत की मा चोद देंगे, तुम्हारी चूत का भोसड़ा बना देंगे’
‘चुप सूरज, ना बोल ऐसे, वरना ऐसे तो मेरा तो रस निकल जायेगा… चल मेरी भोसड़ी चोद दे…लगा लौड़ा जोरदार !’ मैं भी बहक उठी उसकी भाषा सुन कर, गाण्ड की जड़ तक लण्ड घुस पड़ा था। मुझे दर्द होने लगा। पर राहुल के लण्ड का मजा दुगना था। चूत भी लप लप कर रही थी और रस से भर चुकी थी। सूरज के धक्के ऐसे जोरदार थे कि उसके धक्को का सहारा मेरी चूत को भी मिल रहा था और वही धक्का राहुल के लण्ड पर जा रहा था। हम तीनों एक जिस्म होने की कोशिश कर रहे थे।
मुझे लग रहा था हाय राम… एक औरत को दो मर्दो से शादी करनी चाहिये। आखिर ऊपर वाले ने दो छेद भी तो दिये है दो लण्ड घुसाने को। अब हम तीनों बिस्तर पर करवट से लेट गये थे और मैंने अपना पांव राहुल की कमर पर डाल दिया था। अब मेरी चूत और मेरी ग़ाण्ड पूरे स्वतन्त्र थे।
सूरज भी फ़्री हो कर मेरी गाण्ड में लण्ड पेल रहा था और राहुल भी अब तेजी पर था। मेरे बोबे दोनों मिल कर खींच रहे थे, निचोड़ रहे थे। निपल को खींच खींच कर मजा दे रहे थे, दर्द भी निपल में हो रहा था पर मजा भी तो असीम आ रहा था।दोनों ने मुझे जबर्दस्त भींच रखा था। लण्ड फ़चाफ़च चल रहे थे।
मेरे पूरे जिस्म में मिठास भर चुकी थी। खुशी सम्हाले नहीं सम्हल रही थी। मेरा मुख को चाटते हुए पूरा थूक से भर दिया था और जीभ लपक लपक कर मेरा सुन्दर चेहरा चाटे जा रही थी। मैं आंखे बंद किये स्वर्ग जैसी अनुभूति प्राप्त कर रही थी। अचानक मेरा जिस्म इतनी खुशी झेल ना सका और बदन कसमसा गया।
‘हाय राहुल, बस अब नही, मेरी तो माँ चुद गई… गई रे… आह्ह्ह्ह’ और मेरा सारा आनन्द चूत में से पानी बन कर बाहर उछल पड़ा। दोनों के लण्ड तेजी पर थे, मस्त चोद रहे थे, मैं झड़ती जा रही थी। मैं राहुल से लिपट पड़ी। इतने में सूरज ने मेरी गाण्ड पर वीर्य की बौछार कर दी। मैं आनन्दित हो उठी।
तभी राहुल भी छूट पड़ा। मेरा निचला तन दोनों ओर से भीग उठा। दोनों के शरीर के वीर्य निकलते हुए, लण्ड के झटके बड़ा ही आनन्द दे रहे थे। दो मर्दों की चुदाई में इतना आनन्द आता है ये तो मुझे सपने में भी अहसास नहीं हुआ था। शराब का नशा, चुदाई का नशा, दो जवान जिस्मों का आनन्द, मुझे दो जन्मो का आनन्द दे गया।
हम धीरे से उठे और बाथ कमरा में चले आये। रोहल और सूरज ने दोनों ने मुझे प्यार से साफ़ किया, पानी डाल कर मेरी चूत और गाण्ड की सफ़ाई की। फिर दोनों ने मुझे लिपटा कर खूब प्यार किया। दोनों मुझे बैठा कर प्यार से मेरे मुख में खाना डाल कर खाना खिलाया। हम फिर से तरोताजा हो गये।
‘अब गुडनाईट, कल मिलेंगे…!’
‘दीदी रुक जाओ ना, देखो पूरी रात पड़ी है, मजे करेंगे।’
‘नही, बस अब नही, मुझे तुम दोनों ने इतनी खुशी दी है कि मैं भूल नहीं सकती हू। फिर आज तो पहला दिन है कल भी है, परसों भी…’ पर मुझे उन्होंने बोलने का मौका ही नहीं दिया। मुझे प्यार से उठा कर एक बार फिर बिस्तर पर लेटा दिया। फिर से वो दोनों मुझसे चिपक गये, पर इस बार राहुल मेरी गाण्ड से चिपका था और उसका लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा जा रहा था।
सूरज ने अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा डाला… एक बार फिर से कमरा आनन्द की सिसकारियो से गूंज उठा। मैं फ़िर से स्वर्ग का सा आनन्द उठाने लगी… Antarvasna