Antarvasna
दोस्तो, यह जिस्म, यह Antarvasna जवानी, यह नाज़ुक-नाज़ुक अंग सदा नहीं रहेंगे। आज हो कल नहीं ! यह किसने जाना है ! अगर भगवान् ने औरत और मर्द बनाए हैं, हर औरत एक जैसी नहीं होती, हर मर्द एक जैसा नहीं होता। लेकिन लौड़े की चाहत, चूत की चाहत किसको नहीं होती?
कौन कहता है कि कामवासना अपने हाथ में होती है ! जी नहीं ! मेरी थोड़ी कुछ अलग है। लगभग हर औरत की होगी।
मैं ऐसे माहौल में बड़ी हुई, बहुत उच्च वर्ग के परिवार से ताल्लुक रखती हूँ। मैं बी.सी.ए प्रथम वर्ष की छात्रा हूँ। मेरे माँ-बाप के पास मेरे लिए समय नहीं है। असल में किसी भी बच्चे के लिए समय नहीं था, पैसा अँधा था, होना भी चाहिए।
सोलहवें ही साल में मैंने सेक्स का सुख पा लिया था। अपनी मॉम, बहनों, पापा को अपने-अपने दोस्तों के प्रति चाहत थी। सातवीं कक्षा में थी जब मैंने अपने ही घर में अपनी मॉम को गैर-मर्द की बाँहों में झूलता देखा, वो भी पापा के बेस्ट फ्रेंड से ! उसके इलावा भी मैंने कई बार अपनी मॉम को अलग-अलग मर्दों की बाँहों में देखा था।
अपनी ही बहन को रात उसके बेडरूम, में आधी रात को चुदाई करते देखा।
पापा ज्यादातर घर से बाहर ही रहते थे, बिज़नस ही धर्म-करम सब कुछ था।
ऊपर से मेरी दोस्ती मध्यम वर्ग की कुछ लड़कियों से, जिनके एक नहीं, कई बॉय फ्रेंड थे। यह सब कुछ देख देख कर मेरा दाना भी फड़कने लगा, जवानी यार मांगने लगी, खुद को दबवाने के लिए, शांत करवाने के लिए ! लड़कों के गंदे-गंदे कटाक्ष अब अच्छे लगने लगे। उसके बाद शुरु हुआ मेरी जवानी का लुटाना ! पसंद के लड़कों से शुरु हुई जो अब बंद नहीं करना चाहती !
आखिर अपने इर्द-गिर्द मंडराने वाले भंवरों को अपना रस चखाने का फैंसला कर लिया और एक बहुत बड़े ट्रांस्पोर्टर के लड़के को मैंने हाँ कह दी। अपने लेवल, अपने स्टैण्डर्ड के ही लड़के को हाँ कही थी मैंने भी !
उसके साथ लॉन्ग-ड्राइव पर जाना, रात को डिस्को लेकर जाना ! आखिर एक दिन उसने मुझे अपना फार्म हाउस दिखाने लेकर गया। आलिशान सा फार्म हाउस मेरे लिए आम सा था। सीधा कार से उतर उसके बेडरूम में गए और उसने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया। मैं भी बेल की तरहं उससे लिपट गई, वो पीछे से मेरे भरे-भरे गोल-मोल चूतड़ों को दबाने लगा और मेरे होंठ चूसने लगा। मैं भी गरम होती गई और नीचे से हाथ डाल उसके लौड़े को मसलने लगी। उसका खड़ा हो चुका था और मेरे हाथ में था।
उसने झट से मेरी टॉप उतार फेंका और फिर जींस खींच कर उतार दी।मेरी गोरी-चिट्टी जांघें देखकर उसका लौड़ा सख्त हो गया। उसने मेरी ब्रा उतार मेरा मम्मा मुँह में ले लिया और फिर मेरे चुचूक को चूसने लगा। जिससे में भड़क उठी और जोर से उसके लौड़े को मसलने लगी और फिर उसकी पेंट उतार ऊपर से उसका लौड़ा मसलने लगी। उसने मुझे नीचे दबाते हुए अपना लौड़ा मेरे होंठों पर टिका दिया और मैंने उसको मुँह में डाल दिया, उसके लौड़े को चूसने लगी।
अब उसने मेरी चड्डी उतार मेरी कोरी चूत पर जैसे ही मरदाना हाथ फेरा, वो पल मेरी जिंदगी का हसीन पल बन गया। वाह वाह ! क्या नज़ारा आया !
उसको मालूम हो गया कि चूत कोरी है ! उसने 69 में लिटा कर अपने होंट उसपर रख दिए जिससे वासना और भड़क उठी। मैं जोर-जोर से उसका लौड़ा चूसने लगी, वो मेरे दाने से खेल रहा था।
मैं अब आपे से बाहर होने लगी। यह देख उसने मुझे लिटाते हुए मेरी टांगें चौड़ी करवा दी और बीच में बैठ अपना लौड़ा चूत पे टिका दिया।
प्लीज़ घुसा दो इसको मेरे अन्दर !
उसने मेरी दोनों बाहें पकड़ ली और मेरे होंठ अपने होंठों में ले लिए और ज़बरदस्त झटका दिया। लौड़ा चूत चीरता हुआ अन्दर घुसने लगा। मैं चिल्लाना चाहती थी लेकिन वो खिलाड़ी था इस खेल का ! उसने पूरी मर्दानगी सीख रखी थी, पूरा घुसा कर उसने पूरा निकाल दिया, फिर से डाला, फिर निकाला ! मेरे खून से उसका लौड़ा भीगा पड़ा था।
यह देख मैं रोने लगी पर उसने मेरे होंठ नहीं छोड़े। जैसे ही मैं नीचे से चूतड़ उठाने लगी, उसने मेरे होंठ छोड़ दिए। मैंने चैन की सांस ली और उसकी छाती पर मुक्के मारे- अब और करो ! जोर-जोर से करो ! फाड़ डाली मेरी चूत ! लूट ली मेरी सील बंद चूत !
बोला- अच्छा लग रहा है?
मैंने कहा- बहुत अच्छा ! और मारो मेरी !
वो पटक पटक कर मेरी चूत मार रहा था, मैं नीचे से उठ-उठ कर उसे उकसा रही थी- आह !
उसने मुझे कुतिया की तरह घुटनों के बल कर पीछे से मेरी चूत में लौड़ा डाल कुत्ते की तरह चोदने लगा।
वाह ! इतना मजा आता है इस खेल में !
हां ! मजा आ रहा है ना ?
बहुत अच्छा लग रहा है ! फक मी ! फक मी फास्ट, यू रास्कल ! फक माय पसी फास्ट ! यः टेक इट ! अह अह उह उह !
उसने फिर से मुझे नीचे डाल लिया और मेरे ऊपर सवार होता चला गया। पम्प की तरह मेरी चूत चुद रही थी- यह ले साली, कुतिया ! गश्ती ! तू आज से मेरी हुई ! तोड़ डाली सील तेरी फुद्दी की !
हाय, मार मार मेरी लाल कर दे ! चोद हरामी चोद ! हरामी माँ बना दे मुझे ! कुंवारी माँ !
ले ! ले ! करते करते उसने अपना माल मेरे अंदर छोड़ दिया। उसका गरम-गरम माल वो भी इतना निकला कि बाहर गिरने लगा। उसने लौड़ा निकाल मेरे मुँह में डाल दिया, मैंने साफ़ कर दिया। उस पूरे दिन उसने मुझे तीन बार चोदा और मुझे कच्ची कली नहीं रहने दिया। मुझे भी सेक्स का इतना स्वाद आया और अब मौका मिलते हम दोनों चुदाई का मजा लेने लगे।
फिर वो इंग्लैंड में पढ़ने चला गया और मेरी चूत प्यासी रहने लगी।
मेरा अफेयर एक और लड़के के साथ चल निकला और मैंने उसको अपने घर बुलाया, वो बोला- रात को अकेला नहीं आऊंगा ! अपने कज़िन को साथ लाना पड़ेगा, तभी घरवाले रात को बाहर आने देंगे।
मैं मान गई। उसके बाद दो दो लौड़े मिले, उसके बारे में लिखूंगी अगली बार ! Antarvasna