कहानी का पिछला भाग: मेरे बस के सफ़र से आगे का सफ़र-2
मैंने भाभी को नीचे खींचा और फिर से उनके मम्मे दबाने लगा. मेरा जोश अब पहले से भी ज्यादा था. क्या पता फिर मौका मिले ना मिले? मैं उनके मम्मे चूसे ही जा रहा था और एक हाथ से चूत सहला रहा था. मैंने अब उनको चाटना चालू किया. उन्होंने अपने हाथों से सर के नीचे जो तकिया था, उसे कस के पकड़ा था. तो मैंने उनकी बगलों में चूमना चालू किया जिससे भाभी पूरी सिहर उठी. धीरे धीरे चूमते हुए मैं नीचे आ गया और चूत चाटने लगा. अब भाभी ने धीरे से अपने पैर उठाये और अपनी छाती के पास ले गई जिससे अब उनकी गांड का छेद मेरे सामने आ गया था.
“आशीष , अगर तुमको तकलीफ ना हो तो थोड़ा इसे भी चाटो ना!”
मैंने अपनी जीभ गांड के छेद पर रखी और धीरे धीरे अपनी जीभ का जोर बढ़ाया. भाभी कसमसा रही थी और नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर मुझसे चुसवा रही थी.
“भाभी क्या इस छेद को कभी किसी ने छेड़ा है?”
“नहीं आशीष , ये तो मेरी चूत को हो नहीं चाटते! तो इसको क्या चाटेंगे!”
“भाभी, मैं इसको चूसूंगा भी और बजाऊँगा भी!”
भाभी अब जरा मेरा लंड गीला तो करो!”
भाभी ने वापस मेरा लंड मुँह में लिया और चूसना चालू किया.
“अब भाभी पेट के बल हो जाओ, मैं आपके पीछे के छेद को छेड़ता हूँ!”
“आशीष , संभल के! मैंने कभी पीछे लिया नहीं है!”
“अरे भाभी जी! तुमने कभी आगे भी नहीं लिया था! लेकिन अब लेती हो ना!”
मैंने अपनी पकड़ बना ली और उनकी गांड पर लंड का दबाव बनाने लगा.
“आशीष , धीरे से करो! मुझे दुःख रहा है!”
“हाँ भाभी! मैं धीरे से करता हूँ!”
“भाभी, एक काम करो! आप नीचे से गांड उठाओ और धीरे से अन्दर लेने की कोशिश करो!”
लंड तो अब मेरा भी दुखने लगा था क्योंकि गांड का छेद बहुत ही छोटा था. भाभी ने अपनी गांड नीचे से उठानी शुरू कर दी थी. वो गांड तो नीचे से उठा रही थी, साथ में चिल्ला भी रही थी.
“आशीष , आऽऽऽऽ आआआऽऽऽ बहुत दर्द हो रहा है आशीष …!”
अब लंड आधा अन्दर जा चुका था और भाभी अब गांड आगे खींचने लगी थी. मुझे लगा कि भाभी अब बाहर निकलेगी तो मैंने भाभी को पेट के नीचे हाथ डाल कर पकड़ लिया और ऊपर से ऐसा जोर लगाया कि लंड अन्दर धंसने लगा. भाभी की तो चीख ही निकलने वाली थी पर उसने जैसे तैसे रोक ली.
“भाभी, अब पूरा अन्दर गया है! अब कैसा लग रहा है?”
“आशीष , बहुत ही दर्द हो रहा है!”
“भाभी, थोड़ा सहन करो! और आपको दर्द ना हो, इस तरह से अपनी गांड नीचे से हिलाओ!”
“हाँ भाभी! बस इसी तरह से धीरे धीरे हिलाओ!”
भाभी ने अपना काम चालू कर दिया था.
“भाभी, कैसा लग रहा है?”
“आशीष , यह तो अलग ही अनुभव है! मुझे बहुत ही मजा आ रहा है! तुम भी कमर हिलाओ ना! मजा आ रहा है बहुत!”
अब मैंने अपने शॉट धीरे से चालू किये जिससे उनको तकलीफ़ ना हो.
लेकिन भाभी पूरे जोश में आ गई थी, वो तो नीचे से गांड हिला हिला कर लंड ले रही थी.
मैं भी जोरों पर था और और एक हाथ से उनकी चूची भी दबा रहा था.
बहुत देर ये खेल चला!
“भाभी, क्या बस करूँ गांड की ठुकाई?”
“हाँ आशीष , अब जरा मेरी चूत पर जोर लगाओ!”
मैंने गांड से लंड बाहर निकाला और उनको घोड़ी बना कर उनकी चूत में डाल दिया और पूरी गति से कमर हिलाने लगा.
भाभी की सिसकारियाँ रुक रुक कर निकल रही थी जो के मेरे धक्के के कारण हो रहा था.
“भाभी, कैसा लग रहा है?”
“आशीष , मत पूछो! तुम अपना काम चालू रखो!”
“आशीष ! आआऽऽऽ आआआआअ… क्या मजा आ रहा है! मैं तो पागल थी जो तुम्हें चोदने को मना कर रही थी!”
“आशीष , मैं निकलने वाली हूँ मुझे कस लो आशीष ! आआऽऽऽ आआआआअ…! ”
मैंने भाभी की हालत जान ली और पीछे से उनको कस कर पकड़ लिया.
भाभी ने अपनी चूत को मेरे लंड पर कस लिया जिस कारण मैं भी मचलने लगा.
“भाभी, ऐसे ही चूत से दबाओ मेरे लंड को! मैं भी निकलने वाला हूँ…भाभी ऽऽऽ! ”
और मैं और भाभी एक साथ झड़ने लगे. मेरे लंड का फव्वारा भाभी की चूत में खाली हो रहा था और भाभी भी अपनी चूत के होंट दबा दबा कर मेरा पूरा लंड खाली करवा रही थी.
“क्यों आशीष , मजा आया?”
“बहुत भाभी…बहुत मजा आया!”
“अरे अभी कहाँ? मजा तो अब तुझे दूंगी जो तुम जिन्दगी भर नहीं भूलोगे!”
और भाभी ने मेरा मुरझाया हुआ लंड अपने मुँह में लिया और अपनी जबान से और दातों से उसे चूसने लगी. मेरी हालत तो ख़राब हो रही थी, एक तो पहले ही मैं दो बार झड़ चुका था.
“भाभी बस करो ना! अब मेरे लंड में दर्द हो रहा है!”
“आशीष , यह दर्द बस थोड़ी देर सहन करो! फिर देखो!”
थोड़ी देर बाद मेरी लंड में जान आने लगी और वो वापिस पहले की तरह तैयार हो गया. भाभी मेरे लंड को निहार निहार कर चाट रही थी. शायद उनको लंड चूसना बहुत ही पसंद था.
“आशीष , तुम्हरे लंड में तो बड़ा जोर हैं! यह तो तीसरी बार भी तैयार हो गया है?”
“यह तो आप के मुँह में लेने की कला के वजह से हो रहा है!”
“अब मेरी समझ में आया कि मेरी गांड में इतना दर्द क्यों हुआ! यह तो कितना बड़ा है!”
“अब आपको पता चला? जब चूत और गांड दोनों चोद कर हो गया?”
“अरे तुमने देखने ही कहाँ दिया? जब देखो मशीन चालू थी तुम्हारी!”
“हाँ भाभी! अब क्या करना है मुझे?”
“आशीष , चूत और गांड तो तुमने चोद दी! अब मैं तुम्हें मुँह चोदना सिखाती हूँ.
भाभी ने मुझे घोड़ा बना दिया और मेरे नीचे आ कर नीचे से मेरे लंड को पकड़ा.
“आशीष , जैसे तुमने मेरी चूत चोदी और मेरी गांड चोदी, उसी तरह अब मेरे मुँह को चूत समझ कर जोर से चोदो!”
मैंने जैसे ही अपनी कमर हिलाना चालू किया, भाभी ने अपने मुँह से कमाल दिखाना चालू किया, नए-नए तरीके से मेरे लंड को मुँह में चूस रही थी, कभी अपने होंटों का दबाव बना कर, कभी अपनी जबान से सहला कर मुझे पागल कर रही थी.
मैं भी अब पूरी गति से उनके मुँह में लंड को हिला रहा था. मैं अब घुटनों के बल बैठ गया और भाभी वैसे ही नीचे से सर हिला के अपने मुँह को खुद चुदवा रही थी.
मैंने एक हाथ पीछे किया और उनकी चूत में उंगली डाल दी. भाभी अब आगे से सर हिला के मुँह को चुदवा रही थी और कमर हिला एक चूत में उंगली ले रही थी. अब मेरा बदन अकड़ने लगा था. भाभी अपने मुँह का कमाल दिखा रही थी. मैं अब अपने हाथों पर आ गया और कमर हिला हिला के भाभी का मुँह चोदने लगा.
भाभी पूरा लो! खा जाओ! मैं तो झड़ने वाला हूँ ऽऽ!!
और एक जोरदार धक्का लगाकर मैं उनके मुँह में झड़ गया. पहले की तरह भाभी ने मेरा वीर्य पूरा चाट लिया और मेरे लंड को साफ कर दिया.
फिर हमने उठ कर कपड़े पहन लिए.
“भाभी, मैं निकलता हूँ! आपने आज मेरा सपना पूरा कर दिया! अब मैं आप से दोबारा कुछ नहीं मांगूंगा!”
“आशीष भले ही तुम मुझे दोबारा कुछ नहीं मांगो, लेकिन तुमने आज जो ख़ुशी मुझे दी है, अब मैं तुमसे रोज तुम्हारा लंड मांगूंगी! तो फिर आशीष कल दोपहर को आओगे ना? मैं तुम्हारा इंतजार करुँगी.”
तो दोस्तो! कैसी लगी मेरी आगे की कहानी?
अब तो मैं इतना चोदने का आदि हो गया हूँ कि जब तक दो बार झड़ता नहीं, मैं नीचे उतरता ही नहीं.
तो अब मैं 32 साल का हूँ और मुंबई में रहता हूँ.