प्रवासी मजदूर से गांड मरवाई-Antarvasna

प्रेषक : संगीता Antarvasna

सभी अन्तर्वासना के पाठकों को मेरी तरफ से Antarvasna यानि कि संगीता की तरफ से प्रणाम !

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मैं अन्तर्वासना का एक सच्चा पाठक हूँ जो इसकी एक एक कहानी का तुत्फ़ उठाता हूँ। मैं कई बार अपनी एक मस्त चुदाई सबके सामने लाना चाहता था सो आज मैं अपनी पहली चुदाई का सीन सबको बताने जा रहा हूँ।

दोस्तो ! मैं एक ‘गे’ हूँ, मुझे मर्द अच्छे लगते हैं, खास कर जब कभी मैं अकेला किसी मर्द के साथ होता हूँ, मेरे में उतावलापन आ जाता है। लेकिन मुझे लड़कों से गांड मरवाना अच्छा नहीं लगता। मुझे शादीशुदा या फिर जो अपने स्टेट, अपने शहर के ना हों, क्यूंकि वो लोग बात फैलाते नहीं हैं, बदनामी नहीं करते। वहीँ लड़का एक बार गांड मारता है अपने कई साथियों को बताता है।

चलो खैर, अपने मुददे पर आते हैं।

एक रात की बात है, मैं घर में अकेला था। रात को भी घर में अकेले ही रहना था, बोर हो रहा था, मैंने इन्टरनेट ओन किया और बैठ गया, चेटिंग करने लगा। गे-रूम में पहुँच वहाँ लोगों के साथ बातें करते हुए मैं गरम होने लगा। वेबकैम पर एक मर्द से चेटिंग करते हुए दोनों नंगे हो गए। वो गांड मारने वाला गे था और मैं गांड मरवाने वाला गे था। उसके खड़े लौड़े को देख कर मेरा दिल गांड मरवाने को करने लगा। आखिर चेटिंग करने में वो मजा थोड़े होता है जो असली में गाण्ड मरवाने में आता है।

रात का समय था, किस को बुलाता ! उसी मर्द ने मुझे प्लान बताया कि तेरे पास कार है?

मैंने कहा- है !

बोला- तू घर से निकल किसी ऐसी कालोनी में जा, जहाँ कन्स्ट्रक्शन का काम चल रहा हो !

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मैंने कहा- वहां क्या मिलेगा?

वो बोला- या स्टेशन वाले एरिया के आस पास कोई प्रवासी जो यहाँ काम करने आया हो या कोई रिक्शा वाला उसको पैसों का लालच दे कर बिठा ला और सुबह होने से पहले वहीं छोड़ आना !

मुझे सही लगा, मैंने अपनी कार निकाली, घर लॉक किया, निकल पड़ा मिशन ‘लौड़ा-ढूंढ’ पर !

पास में एक नई कालोनी में प्लाट काटे गए थे और अब वहां मकान बन रहे थे ,तभी मेरी नज़र एक आदमी पर पड़ी। कोई प्रवासी मजदूर था, लुंगी वगैरा डाल रखी थी। वो सिगरेट पी रहा था, उसके आस पास कोई नहीं था।

मैं चलता हुआ उसके पास पहुंचा। काफी ताक़तवर हट्टा-कट्टा मर्द था। मेरे बोलने से पहले बोला- तू इतनी रात को अकेला इस जगह क्यूँ आया है?

कुछ नहीं, घर में अकेला था, आज दिल नहीं लग रहा था, घूमने निकल आया ! तुम कहाँ के हो?

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मैं बिहार में एक गाँव का हूँ, यहाँ मजदूरी करता हूँ, अब ठेकेदारी का काम करने वाला हूँ। तू बहुत चिकना चुपड़ा है, सब जानता हूँ मैं तुम बड़े लोगों को, बहुत टाइम से हूँ यहाँ पर, तुम लोग इतनी रात को क्या करने निकलते हो, सब जानू, चल अन्दर आजा ! जगह है, आज अकेला ही हूँ मैं भी ,वरना कल से सभी गाँव से लौट आयेंगे !

उसने मेरा काम खुद कर दिया था, मुझे तेरा लौड़ा लेना है !

मालूम था मुझे !

लेकिन यहाँ नहीं, मेरे साथ घर चलो जितने पैसे कहोगे दूंगा !

उसने गेट लाक किया, बैठ गया कार में, बोला- पचास का नोट निकालना, ज़रा ठेके से पौवा ले लूँ !

उसने एक पौवा लिया, खोला, वहीं ग्लास में डाल कर खींच लिया और वापिस कार में बैठ गया। चलती कार में ही मैंने उसकी लुंगी में हाथ डाल दिया और उसके लौड़े को सहलाने लगा। छूने पर ही लग गया कि माल सॉलिड मिला है।

उसको भी सरूर सा होने लगा दारू का ! उसने खुद ही लौड़ा निकाल दिया, तन्न चुका था, देख कर खुश हुआ कि क्या लौड़ा मिला है।

मैंने दरवाजा खोला, उसको कार में बैठे रहने को बोल मैंने कार अन्दर ले जाकर पोर्च में लगा दी। गेट लॉक कर, लाइट बंद कर उसको उतार के कमरे में ल गया। उसको बिठा कर पानी पिलाया और कपड़े बदल कर वहीं आ गया।

उसको नशा हो चुका था। मैंने सिर्फ अंडरवियर और पतली सी शर्ट डाली थी, उसके पास बैठ गया, वो अपना हाथ मेरी जांघ पे फेरते हुए बोला- तुमको लड़की होना चाहिए था, मस्त माल है तू !

मैंने भी उसको नीचे से नंगा कर दिया और उसके लौड़े को सहलाने लगा, झुकते हुए मुँह में ले लिया। वो सिसक उठा किसी ने उसका कभी चूसा नहीं था। वो मजे से चुसवा रहा था। उसने मुझे भी नंगा किया और रौंदने लगा। चूम चूम के मेरे निपल लाल कर डाले, बोला- साले लड़की को मात पावे तू !

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हाय मैं हूँ ही लड़की !

मैं घोड़ी बन गया और उसने लौड़ा रख धक्का दिया फिसल गया।

तुम भी न ! कभी गांड नहीं मारी?

खुद पकड़ कर रखा, उसने धक्का मारा और आधा लौड़ा घुसा दिया। उसका मोटा लौड़ा डलवा मेरी भी चीख निकल गई। लेकिन उसने रहम न खाते हुए पूरा डाल दिया। मैं चिल्लाने लगा, उसने नहीं छोड़ा, नशे में था और फाड़ डाली, जोर जोर से रौंदने लगा। जैसे ही गांड ने उसके साइज़ को अपना लिया, मुझे बहुत मजा आने लगा और खुद मरवाने लगा।

मैंने कहा- नीचे लिटा कर चोद !

उसने टांगे चौड़ी करवा बीच में बैठ घुसा दिया और मेरा एक मम्मा पूरा मुँह में ले चूसने लगा और तेज़ धक्के मार फाड़ डाल करते हुए उसने अपना लावा अन्दर छोड़ दिया। मुझे बहुत मजा आया।

उसने वहां बार देख लिया, बोतल देख बोला- मुझे पिला !

पीकर वो शराबी होने लगा और हवसी की तरह पूरी रात मेरी मारता रहा। क्या मजा आया, बता नहीं सकता।

अगली रात फिर अकेला था मैं !

सुबह जब चैट पे मैंने अपने नेट वाले दोस्त को सब बताया और उसका शुक्रिया किया।

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उसने मुझे एक सीख दी कि कभी उसको दूसरी बार घर मत लाना, दिन में हरगिज़ नहीं ! उसको रास्ता न मालूम पड़े और आज कोई और ढूंढ लेना, लेकिन कंडोम रखा कर और इन प्रवासी मर्दों के लौड़े लेता रह !

अगली रात मैंने किस तरह एक रिक्शा वाले को फंसाया, अगले बार में बताऊंगा ! Antarvasna

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