मेरा नाम साजिद है और मैं राजस्थान के चुरू जिले का रहने वाला हूँ.
मैं थोड़ा सांवला हूँ.
ये वैरी हॉट गर्ल सेक्स कहानी मेरी भतीजी की है. उसका नाम रुखसार है और उसको हम सभी प्यार से गुड्डू बुलाते हैं.
कुछ साल पहले जून 2018 की बात है. मैं सीढ़ियों से गिर गया था तो मुझे स्लिप डिस्क की प्रॉब्लम हो गई थी.
डॉक्टर के कहने पर मैंने बहुत किस्म की दवाइयां लीं पर कुछ आराम नहीं मिला.
इस बात की जानकारी मेरे सभी निकट सबंधियों को हो गई थी.
मेरे मौसी के लड़के यानि मेरे मौसेरे भईया ने मुझे अपने पास श्रीगंगानगर में बुला लिया.
वहां पर भईया का एक दोस्त डॉक्टर था, उन्होंने मेरा इलाज उससे करवाने के लिए कहा था.
मैं उनके पास चला गया और उनके मित्र डॉक्टर को अपनी समस्या दिखाई.
उन्होंने इलाज भी किया. उनके इलाज से एक दो हफ्ता तो ठीक लगा और मैं उस डॉक्टर के इलाज पर भरोसा करने लगा.
श्रीगंगानगर में भाभी और भईया और उनका बेटा यानि मेरा भतीजा, मेरा खूब ख्याल रखते थे.
उनके घर पर भईया भाभी की एक लड़की भी थी, जो मेरी भतीजी भी थी.
उसकी शादी 10 फरवरी 2018 को हो चुकी थी.
वह अपनी ससुराल में थी.
मेरे श्रीगंगानगर जाने के दो हफ्ते के बाद वह ससुराल से आई और अपने शौहर के साथ रात को बाहर वाले कमरे में रुक गई.
उस रात वे दोनों शौहर पत्नी बाहर वाले रूम में सो रहे थे और हम सभी अन्दर सो रहे थे.
रात को तकरीबन एक बजे मुझे पेशाब लगी तो मैं उठा और पेशाब करके वापिस लौटने लगा.
उसी वक्त मुझे भतीजी के कमरे से आवाजें आती सुनाई देने लगी थीं.
पता नहीं, मुझे क्या होने लगा और मैं उनके दरवाजे के पास को आ गया.
मैं दरवाजे से झांक कर देखने की कोशिश करने लगा.
पर काफी कोशिशों के बाद भी मुझे कुछ दिखाई नहीं दिया.
बस उन दोनों की सेक्स की आवाजें आ रही थीं.
पांच मिनट बाद वे आवाजें भी आना बंद हो गईं.
शायद वे दोनों झड़ कर शांत हो गए थे.
मैं लंड सहला कर वापस अपने कमरे में गया और सो गया.
अब दूसरे दिन मैंने भतीजी वाले रूम के दरवाजे में एक छेद खोज लिया.
अब बस मुझे रात होने का इंतजार था.
रात को सभी के सोने के बाद मैं उनके दरवाजे के पास आ गया और अन्दर झांक कर देखने लगा.
अन्दर वह बिल्कुल नंगी थी और अपने शौहर का औजार हिला रही थी.
मैं यह सोच भी नहीं सकता था कि मैं ये सब देख रहा हूँ. मेरी भतीजी की नंगी चूचियां मेरा हाल बुरा कर रही थीं.
उसका गदराया और गोरा बदन मुझे उत्तेजित करने लगा और उस दृश्य ने मेरे हाथ को लौड़े पर ले जाने पर विवश कर दिया.
मुझे पता ही नहीं चला कि रुखसार का फिगर साफ नजर आ रहा था.
उसकी चूचियां 34 की, कमर 32 की और उसके 36 इंच के चूतड़ मुझे बेकाबू कर रहे थे.
रुखसार अपने शौहर का औजार अपने मुँह में ले रही थी.
उसे लंड चूसते देख कर ऐसा लग रहा था मानो उसके शौहर को जन्नत मिल रही हो.
वह अपनी टांगों के बीच में रुखसार का सर दबाए हुए था और उसकी हल्के स्वर में आह आह की आवाजें उसकी कामुकता को साफ दर्शा रही थीं.
उस वक्त मुझे अपनी भतीजी रुखसार भी इतनी सेक्सी लग रही थी मानो वह कोई आसमानी परी हो.
कुछ देर बाद उन दोनों ने पोजीशन बदल ली.
वह फिर से लंड पर झुक गई थी.
इस बार उसकी गांड मेरी तरफ थी.
कमरे की तेज रोशनी में उसकी गांड और चूत साफ दिख रही थी.
वैरी हॉट गर्ल की टांगों में से उसकी चूत की फांकें ऐसी दिख रही थीं मानो कोई खिला हुआ गुलाब हो.
कुछ देर तक मुख मैथुन के बाद उसके शौहर ने चुदाई की स्थिति बनाई और रुखसार की चूत में अपना लंड पेल दिया.
रुखसार चिल्लाने लगी.
उसका शौहर जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगा.
कुछ मिनट बाद उसका शौहर उससे अलग हो गया और लेट गया.
रुखसार उसके ऊपर बैठ गई.
जब वह अपने शौहर के लंड के ऊपर बैठी, तो उसका चेहरा मेरी तरफ था.
वह जोर जोर से ऊपर नीचे हो रही थी और वासना की हवस उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी.
उसके दोनों चूचे कसी हुई गेंदों के जैसे उछल रहे थे.
यह सब देख कर मैं भी अपना लंड हिलाने लगा था.
पता ही नहीं चला कि कब उसके शौहर की जगह मैं खुद को महसूस करने लगा.
उस समय मैं एक अलग आनन्द की दुनिया में जा चुका था.
गुड्डू की सिसकारियां मेरे कानों में एक अलग ही रस की अनुभूति कर रही थीं.
तकरीबन दस मिनट के बाद उन दोनों का पानी निकल गया.
उसने गुड्डू की चूत में ही सारा पानी डाल दिया और वह दोनों ऐसे ही लेट गए.
फिर मैं भी बाथरूम में जाकर उसकी पैंटी को सूंघ कर लंड हिलाने लगा.
मैंने अपना सारा माल उसकी पैंटी पर ही छोड़ दिया और आकर सो गया.
अगले तीन दिन तक मैं अपनी भतीजी की चुदाई लीला को देखता रहा और इस बात से वाकिफ़ हो गया था कि गुड्डू को रोज रात में सेक्स चाहिए ही होता है. बिना चुदे वह सो नहीं पाती है.
क्योंकि कल रात को जब गुड्डू के शौहर ने उसे बिना चोदे ही अपनी टांगें पसार ली थीं और वह सोने लगा था तब गुड्डू ने उसे हिला कर जगाया और कहने लगी- तुम मुझे बिना चोदे कैसे सो सकते हो?
उसने जिस तरह से अपने खाविंद को जगाया था, वह तरीका देख कर तो मेरे होश फाख्ता हो गए थे.
गुड्डू ने पहले अपने शौहर को आवाज देकर उठाने की कोशिश की पर जब वह नहीं उठा तो उसने अपनी कुर्ती उतारी और ब्रा भी निकाल कर फेंक दी.
फिर वह अपने दोनों बड़े बड़े मम्मों के निप्पलों को हाथ में पकड़ कर अपने शौहर के दोनों नथुनों में घुसाने लगी.
इससे उसके लंबे अंगूर के जैसे कड़क निप्पलों ने टीट सी बना कर नाक के नथुनों को बंद कर दिया. इससे गुड्डू के शौहर को सांस आना बंद हो गई और वह हड़बड़ा कर उठ गया.
उसके उठते ही गुड्डू ने अपने एक निप्पल को अपने शौहर के मुँह में दे दिया और कहने लगी- लो अंगूर चूसो मियां.
उसके शौहर ने भी गुड्डू के निप्पल को अपने होंठों में दबा लिया और वह उसके दोनों निप्पलों को बारी बारी से खींचते हुए चूसने लगा.
जल्द ही गुड्डू एक सांडनी सी गर्म हो गई और उसने अपने शौहर के सारे कपड़े उतार दिए.
उसको नंगा करने के बाद वह भी अपनी सलवार और चड्डी को उतार कर मादर्जात नंगी हो गई.
गुड्डू की चूत एकदम चिकनी थी और उस पर झांट के एक बाल भी वजूद नहीं था.
गुड्डू ने 69 का पोज लेते हुए अपने आपको अपने शौहर के ऊपर सैट कर लिया और उसके मुँह पर अपनी चूत रख दी.
उसके शौहर ने चूत में जीभ फिरानी शुरू कर दी.
दूसरी तरफ गुड्डू ने अपने मियां का लंड अपने मुँह में ले लिया और उसे सहलाती हुई चूसने लगी.
जल्द ही गुड्डू के शौहर का लंड एकदम टाइट हो गया और वह गुड्डू की चूत को चोदने के लिए तैयार हो गया.
गुड्डू झट से अपने शौहर के ऊपर से उठी और खुद बिस्तर पर चित लेट कर अपने शौहर को अपने ऊपर आने का इशारा करने लगी.
शौहर ने अपनी बीवी यानि मेरी भतीजी गुड्डू की चूत के छेद पर लौड़े का सुपारा सैट किया और एक झटका देते हुए लंड को अन्दर पेवस्त कर दिया.
गुड्डू की एक मीठी आह निकली और वह चूत चुदवाने लगी.
दो ही मिनट बाद दूल्हे मियां ने लंड चूत से निकाला और वह उसे इशारे से कुतिया बनने की कहने लगा.
जैसे ही गुड्डू कुतिया बनी, उसके शौहर ने अपना लंड गुड्डू की गांड में रगड़ दिया.
गुड्डू ने कहा- आह साले … वह गलत जगह है.
उसके शौहर ने चूत में लंड पेला और गुड्डू के ऊपर चढ़ कर उसकी चूचियां दबोच कर चुदाई करने लगा.
कुछ ही झटकों के बाद उन दोनों की चुदाई मस्त चलने लगी.
गुड्डू के शौहर ने कहा- बेगम, आज छोटी लाइन पर गाड़ी चलाने का मन कर रहा है.
गुड्डू समझ गई कि उसका शौहर उसकी गांड मारने की बात कर रहा है.
उसने कहा- उस तरफ भूल कर भी नजर मत डालना मियां … वरना मामला काजी साहब की अदालत में पहुँच जाएगा.
गुड्डू के शौहर ने गुड्डू की दोनों चूचियां मसलते हुए कहा- मां की चूत काजी की. वह तो साला खुद तेरे साथ हलाला के चक्कर में है.
गुड्डू हंसने लगी और बोली- यार मियां तुम समझते क्यों नहीं हो. उधर से तुम्हारा लंड लेना बड़ा मुश्किल का काम है. तुम गांड की चुदाई को कोई आसान सा काम समझ रहे हो?
शौहर ने कहा- मुझे मालूम है कि दिक्कत और दर्द दोनों ही होते हैं. पर कोशिश करो तो सब आसान हो जाता है.
गुड्डू ने कहा- वो सब अपने घर चल कर ट्राई करेंगे … इधर अब्बू के घर नहीं.
उसके शौहर ने कुछ नहीं कहा और वह तेज तेज झटके देते हुए गुड्डू की चूत चुदाई को अपने चरम तक ले जाने की कोशिश करने लगा.
करीब पांच मिनट बाद वे दोनों झड़ कर लेट गए और लंबी लंबी सांसें लेने लगे.
मैं भी समझ गया कि अब काम खत्म हो गया है और यदि इन दोनों के बीच वापस चुदाई होगी भी तो अभी आधा घंटा कुछ नहीं होगा.
मैं अपने कमरे में आ गया और अपने लंड को हिला कर झाड़ कर ढीला हुआ और सो गया.
अगले दिन गुड्डू का शौहर अपना सूटकेस लेकर जाने लगा था. गुड्डू अभी कुछ दिन यहीं रहने वाली थी.
अपनी भतीजी की रोजाना चुदाई की आदत को याद करके मेरे मन में भी एक बार को आया कि शायद मेरा चांस बन सकता है.
उस रात को मैं पेशाब करने के लिए गया तो गुड्डू के कमरे की खिड़की में झांक कर देखा.
अन्दर मेरी भतीजी गुड्डू पूरी नंगी थी और अपने शौहर के साथ वीडियो चैट करती हुई फोन सेक्स का मजा ले रही थी.
मैं उधर ही खड़ा रह कर लंड हिलाने लगा और कुछ समय बाद अपने कमरे में आकर सो गया.
मुझे इस बात का अहसास ही नहीं था कि मेरी मौजूदगी की खबर गुड्डू को हो गई थी.
अगले ही दिन मेरे बड़े भाई जान को अपने काम के सिलसिले में दिल्ली जाना था और वे मुझसे घर की देखभाल की कह कर चले गए.
रात हुई तो रोज की तरह मैं बाथरूम में गया और बिना कुछ देखे अपना लोअर नीचे करके अपने लंड को बाहर निकाल कर मूतने लगा.
लंड से पेशाब निकल जाने के बाद मैंने लंड को हाथ से मुठियाते हुए बुदबुदाना शुरू कर दिया- आह गुड्डू … किसी दिन मुझे भी मौका देकर देख जालिम … तेरी चूत के परखच्चे न उड़ा दूँ तो कहना.
यही सब कहते हुए मैंने लोअर ऊपर किया और बाथरूम से बाहर कदम रखा ही था कि वैरी हॉट गर्ल गुड्डू की आवाज आई- आज आपको मौका दिया जा सकता है चचाजान!
बस इतना कह कर वह तेजी से बाथरूम से बाहर निकल कर अपने कमरे की तरफ बढ़ गई.
मुझे काटो तो खून नहीं.
एक पल को तो मैं सकपका गया था.
फिर गुड्डू ने अपने कमरे की देहरी से मुझे आने का इशारा दिया और मुस्कुरा दी.