रात कटती नहीं- Hindi Sex Stories

Hindi Sex Stories

मैं अपनी चालीस की उम्र Hindi Sex Stories पार कर चुकी थी। पर तन का सुख मुझे बस चार-पांच साल ही मिला। मैं चौबीस वर्ष की ही थी कि मेरे पति एक बस दुर्घटना में चल बसे थे। मेरी बेटी की शादी मैंने उसके अठारह वर्ष होते ही कर दी थी। अब मुझे बहुत अकेलापन लगता था।

video call chat

पड़ोसी रीना का जवान लड़का मोनू अधिकतर मेरे यहाँ कम्प्यूटर पर काम करने आता था। कभी कभी तो उसे काम करते करते बारह तक बज जाते थे। वो मेरी बेटी वर्षा के कमरे में ही काम करता था। मेरा कमरा पीछे वाला था … मैं तो दस बजे ही सोने चली जाती थी।

एक बार रात को सेक्स की बचैनी के कारण मुझे नींद नही आ रही थी व इधर उधर करवटें बदल रही थी। मैंने अपना पेटीकोट ऊपर कर रखा था और चूत को हौले हौले सहला रही थी। कभी कभी अपने चुचूकों को भी मसल देती थी। मुझे लगा कि बिना अंगुली घुसाये चैन नहीं आयेगा। सो मैं कमरे से बाहर निकल आई।

मोनू अभी तक कम्प्यूटर पर काम कर रहा था। मैंने बस यूं ही जिज्ञासावश खिड़की से झांक लिया। मुझे झटका सा लगा। वो इन्टरनेट पर लड़कियों की नंगी तस्वीरें देख रहा था। मैं भी उस समय हीट में थी, मैं शान्ति से खिड़की पर खड़ी हो गई और उसकी हरकतें देखने लग गई। उसका हाथ पजामे के ऊपर लण्ड पर था और धीरे धीरे उसे मल रहा था।

ये सब देख कर मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई। मेरे हाथ अनायास ही चूत पर चले गये, और सहलाने लग गये। कुछ ही समय में उसने पजामा नीचे सरका कर अपना नंगा लण्ड बाहर निकाल लिया और सुपाड़ा खोल कर मुठ मारने लगा। मन कह रहा था कि तेरी प्यासी आंटी चुदवाने को तैयार है, मुठ काहे मारता है?

तभी उसका वीर्य निकल पड़ा और उसने अपने रूमाल से लण्ड साफ़ कर लिया। अब वो कम्प्यूटर बंद करके घर जाने की तैयारी कर रहा था। मैं फ़ुर्ती से लपक कर अपने कमरे में चली आई। उसने कमरा बन्द किया और बाहर चला गया।

उसके जाते ही मेरे खाली दिमाग में सेक्स उभर आया। मेरा जिस्म जैसे तड़पने लगा। मैंने जैसे तैसे बाथरूम में जा कर चूत में अंगुली डाल कर अपनी अग्नि शान्त की। पर दिल में मोनू का लण्ड मेरी नजरों के सामने से नहीं हट पा रहा था। सपने में भी मैंने उसके लण्ड को चूस लिया था। अब मोनू को देख कर मेरे मन में वासना जागने लगी थी। मुझे लगा कि सोनू को भी कोई लड़की चोदने के लिये नहीं मिल रही है, इसीलिये वो ये सब करता है। मतलब उसे पटाया जा सकता है। सुबह तक उसका लण्ड मेरे मन में छाया रहा। मैंने सोच लिया था कि यूं ही जलते रहने से तो अच्छा है कि उसे जैसे तैसे पटा कर चुदवा लिया जाये, बस अगर रास्ता खुल गया तो मजे ही मजे हैं।

मोनू सवेरे ही आ गया था। वो सीधे कम्प्यूटर पर गया और उसने कुछ किया और जाने लगा। मैंने उसे चाय के लिये रोक लिया। चाय के बहाने मैंने उसे अपने सुडौल वक्ष के दर्शन करा दिये। मुझे लगा कि उसकी नजरें मेरे स्तनों पर जम सी गई थी। मैंने उसके सामने अपने गोल गोल चूतड़ों को भी घुमा कर उसका ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश की और मुझे लगा कि मुझे उसे आकर्षित में सफ़लता मिल रही है। मन ही मन में मैं हंसी कि ये लड़के भी कितने फ़िसलपट्टू होते हैं। मेरा दिल बाग बाग हो गया। लगा कि मुझे सफ़लता जल्दी ही मिल जायेगी।

video call chat

मेरा अन्दाजा सही निकला। दिन में आराम करने के समय वो चुपके से आ गया और मेरी खिड़की से झांक कर देखा। उसकी आहट पा कर मैं अपना पेटीकोट पांवों से ऊपर जांघों तक खींच कर लेट गई। मेरे चिकने उघाड़े जिस्म को वो आंखे फ़ाड़-फ़ाड़ कर देखता रहा, फिर वो कम्प्यूटर के कमरे में आ गया। ये सब देख कर मुझे लगा चिड़िया जाल में उलझ चुकी है, बस फ़न्दा कसना बाकी है।

रात को मैं बेसब्री से उसका इन्तज़ार करती रही। आशा के अनुरूप वो जल्दी ही आ गया। मैं कम्प्यूटर के पास बिस्तर पर यूँ ही उल्टी लेटी हुई एक किताब खोल कर पढने का बहाना करने लगी। मैंने पेटीकोट भी पीछे से जांघो तक उठा दिया था। ढीले से ब्लाऊज में से मेरे स्तन झूलने लगे और उसे साफ़ दिखने लगे। ये सब करते हुये मेरा दिल धड़क भी रहा था, पर वासना का जोर मन में अधिक था।

मैंने देखा उसका मन कम्प्यूटर में बिलकुल नहीं था, बस मेरे झूलते हुये सुघड़ स्तनों को घूर रहा था। उसका पजामा भी लण्ड के तन जाने से उठ चुका था। उसके लण्ड की तड़प साफ़ नजर आ रही थी। उसे गर्म जान कर मैंने प्रहार कर ही दिया।

“क्या देख रहे हो मोनू…?”

“आं … हां … कुछ नहीं रीता आण्टी… !” उसके चेहरे पर पसीना आ गया था।

“झूठ… मुझे पता है कि तुम ये किताब देख रहे थे ना ……?” उसके चेहरे की चमक में वासना साफ़ नजर आ रही थी।

video call chat

वो कुर्सी से उठ खड़ा हुआ और मेरे पास बिस्तर के नजदीक आ गया।

“आण्टी, आप बहुत अच्छी हैं, एक बात कहूँ ! आप को प्यार करने का मन कर रहा है।” उसके स्वर में प्यार भरी वासना थी।

मैंने उसे अपना सर घुमा कर देखा,”आण्टी हूँ मैं तेरी, कर ले प्यार, इसमे शर्माना क्या…”

वो धीरे से मेरी पीठ पर सवार हो गया और पीछे से लिपट पड़ा। उसकी कमर मेरे नितम्बो से सट गई। उसका लण्ड मेरे कोमल चूतड़ों में घुस गया। उसके हाथ मेरे सीने पर पहुंच गये। पीछे से ही मेरे गालों को चूमने लगा। भोला कबूतर जाल में उलझ कर तड़प रहा था। मुझे लगा कि जैसे मैंने कोई गढ़ जीत लिया हो।

मैंने अपनी टांगें और चौड़ी कर ली, उसका लण्ड गाण्ड में फ़िट करने की उसे मनमानी करने में सहायता करने लगी।

“बस बस, बहुत हो गया प्यार … अब हट जा…” मेरा दिल खुशी से बाग बाग हो गया था।

“नहीं रीता आण्टी, बस थोड़ी सी देर और…” उसने कुत्ते की भांति अपने लण्ड को और गहराई में घुसाने की कोशिश की। मेरी गाण्ड का छेद भी उसके लण्ड को छू गया। उसके हाथ मेरी झूलती हुई चूंचियों को मसलने लगे, उसकी सांसें तेज हो गई थी। मेरी सांसे भी धौकनीं की तरह चलने लगी थी। दिल जोर जोर से धड़कने लगा था। लगा कि मुझे चोद ही डालेगा।

“बस ना… मोनू …तू तो जाने क्या करने लगा है …ऐसे कोई प्यार किया जाता है क्या ? …चल हट अब !” मैंने प्यार भरी झिड़की दी उसे। वास्तव में मेरी इच्छा थी कि बस वो मुझे पर ऐसे ही चढ़ा रहे और अब मुझे चोद दे… मेरी झिड़की सुन कर वो मेरी पीठ पर से उतर गया। उसके लण्ड का बुरा हाल था। इधर मेरी चूंचियां, निपल सभी कड़क गये थे, फ़ूल कर कठोर हो गये थे।

“तू तो मेरे से ऐसे लिपट गया कि जैसे मुझे बहुत प्यार करता है ?”

“हां सच आण्टी … बहुत प्यार करता हूँ…”

video call chat

“तो इतने दिनों तक तूने बताया क्यों नहीं?”

“वो मेरी हिम्मत नहीं हुई थी…”उसने शरमा कर कहा।

“कोई बात नहीं … चल अब ठीक से मेरे गाल पर प्यार कर… बस… आजा !” मैं उसे अधिक सोचने का मौका नहीं देना चाहती थी।

उसने फिर से मुझे जकड़ सा लिया और मेरे गालों को चूमने लगा। तभी उसके होंठ मेरे होठों से चिपक गये। उसने अपना लण्ड उभार कर मेरी चूत से चिपका दिया।

मेरे दिल के तार झनझना गये। जैसे बाग में बहार आ गई। मन डोल उठा। मेरी चूत भी उभर कर उसके लण्ड का उभार को स्पर्श करने लगी। मैंने उसकी उत्तेजना और बढ़ाने के लिये उसे अब परे धकेल दिया। वो हांफ़ता सा दो कदम दूर हट गया।

मुझे पूर्ण विश्वास था कि अब वो मेरी कैद में था।

“मोनू, मैं अब सोने जा रही हूं, तू भी अपना काम करके चले जाना !” मैंने उसे मुस्करा कर देखा और कमरे के बाहर चल दी। इस बार मेरी चाल में बला की लचक आ गई थी, जो जवानी में हुआ करती थी।

कमरे में आकर मैंने अपनी दोनों चूंचियाँ दबाई और आह भरने लगी। पेटीकोट में हाथ डाल कर चूत दबा ली और लेट गई। तभी मेरे कमरे में मोनू आ गया। इस बार वो पूरा नंगा था। मैं झट से बिस्तर से उतरी और उसके पास चली आई।

“अरे तूने कपड़े क्यों उतार दिये…?”

“आ…आ… आण्टी … मुझे और प्यार करो …”

video call chat

“हां हां, क्यों नहीं … पर कपड़े…?”

“आण्टी… प्लीज आप भी ये ब्लाऊज उतार दो, ये पेटीकोट उतार दो।” उसकी आवाज जैसे लड़खड़ा रही थी।

“अरे नहीं रे … ऐसे ही प्यार कर ले !”

उसने मेरी बांह पकड़ कर मुझे अपनी ओर खींच लिया और मुझसे लिपट गया।

“आण्टी … प्लीज … मैं आपको … आपको … अह्ह्ह्ह्… चोदना चाहता हूं !” वो अपने होश खो बैठा था।

“मोनू बेटा, क्या कह रहा है …” उसके बावलेपन का फ़ायदा उठाते हुये मैंने उसका तना हुआ लण्ड पकड़ लिया।

“आह रीता आण्टी … मजा आ गया … इसे छोड़ना नहीं … कस लो मुठ्ठी में इसे…”

उसने अपने हाथ मेरे गले में डाल दिये और लण्ड को मेरी तरफ़ उभार दिया।

मैंने उसका कड़क लण्ड पकड़ लिया। मेरे दिल को बहुत सुकून पहुंचा। आखिर मैंने उसे फ़ंसा ही लिया। बस अब उसकी मदमस्त जवानी का मजा उठाना था। बरसों बाद मेरी सूनी जिंदगी में बहार आई थी। मैंने दूसरे हाथ से अपना पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया, वह जाने कब नीचे सरक गया। मैंने मोनू को बिस्तर के पास ही खड़ा कर दिया और खुद बिस्तर पर बैठ गई। अब उसका लौड़ा मैंने फिर से मुठ्ठी में भरा और उसे आगे पीछे करके मुठ मारने लगी। वो जैसे चीखने सा लगा। अपना लण्ड जोर जोर से हाथ में मारने लगा। तभी मैंने उसे अपने मुख में ले लिया। उसकी उत्तेजना बढ़ती गई। मेरे मुख मर्दन और मुठ मारने पर उसे बहुत मजा आ रहा था। तभी उसने अपना वीर्य उगल दिया। जवानी का ताजा वीर्य …

सुन्दर लण्ड का माल … लाल सुपाड़े का रस … किसे नसीब होता है … मेरे मुख में पिचकारियां भरने लगी। पहली रति क्रिया का वीर्य … ढेर सारा … मुँह में … हाय … स्वाद भरा… गले में उतरता चला गया। अन्त में जोर जोर से चूस कर पूरा ही निकाल लिया।

video call chat

सब कुछ शान्त हो गया। उसने शरम के मारे अपना चेहरा हाथों में छिपा लिया।

मैंने भी ये देख कर अपना चेहरा भी छुपा लिया।

“आण्टी… सॉरी … मुझे माफ़ कर देना … मुझे जाने क्या हो गया था।” उसने प्यार से मेरे बालों में हाथ फ़ेरते हुये कहा।

मैं उसके पास ही बैठ गई। अपने फ़ांसे हुये शिकार को प्यार से निहारने लगी।

“मोनू, तेरा लण्ड तो बहुत करारा है रे…!”

“आण्टी … फिर आपने उसे भी प्यार किया… आई लव यू आण्टी!”

मैंने उसका लण्ड फिर से हाथ में ले लिया।

“बस आंटी, अब मुझे जाने दीजिये… कल फिर आऊंगा” उसे ये सब करने से शायद शर्म सी लग रही थी।

वो उठ कर जाने लगा, मैं जल्दी से उठ खड़ी हुई और दरवाजे के पास जा खड़ी हुई और उसे प्यार भरी नजरों से देखने लगी। उसने मेरी चूत और जिस्म को एक बार निहारा और कहा,”एक बार प्यार कर लो … आप को यूँ छोड़ कर जाने को मन नहीं कर रहा !”

मैंने अपनी नजरें झुका ली और पास में रखा तौलिया अपने ऊपर डाल लिया। उसका लण्ड एक बार फिर से कड़क होने लगा। वो मेरे नजदीक आ गया और मेरी पीठ से चिपक गया। उसका बलिष्ठ लण्ड मेरी चूतड़ की दरारों में फ़ंसने लगा। इस बार उसके भारी लण्ड ने मुझ पर असर किया… उसके हाथों ने मेरी चूंचियां सम्भाल ली और उसका मर्दन करने लगे। अब वह मुझे एक पूर्ण मर्द सा नजर आने लगा था। मेरा तौलिया छूट कर जमीन पर गिर पड़ा।

video call chat

“क्या कर रहे हो मोनू…”

“वही जो ब्ल्यू फ़िल्म में होता है … आपकी गाण्ड मारना चाहता हू … फिर चूत भी…”

“नहीं मोनू, मैं तेरी आण्टी हू ना …”

“आण्टी, सच कहो, आपका मन भी तो चुदने को कर रहा है ना?”

“हाय रे, कैसे कहूँ … जन्मों से नहीं चुदी हूँ… पर प्लीज आज मुझे छोड़ दे…”

“और मेरे लण्ड का क्या होगा … प्लीज ” और उसका लण्ड ने मेरी गाण्ड के छेद में दबाव डाल दिया।

“सच में चोदेगा… ? हाय … रुक तो … वो क्रीम लगा दे पहले, वर्ना मेरी गाण्ड फ़ट जायेगी !”

उसने क्रीम मेरी गाण्ड के छेद में लगा दी और अंगुली गाण्ड में चलाने लगा। मुझे तेज खुजली सी हुई।

“मार दे ना अब … खुजली हो रही है।”

मोनू ने लण्ड दरार में घुसा कर छेद तक पहुंचा दिया और मेरा छेद उसके लण्ड के दबाव से खुलने लगा और फ़क से अन्दर घुस पड़ा।

“आह मेरे मोनू … गया रे भीतर … अब चोद दे बस !”

मोनू ने एक बार फिर से मेरे उभरे हुये गोरे गोरे स्तनों को भींच लिया। मेरे मुख से आनन्द भरी चीख निकल गई। मैंने झुक कर मेज़ पर हाथ रख लिया और अपनी टांगें और चौड़ा दी। मेरी चिकनी गाण्ड के बीच उसका लण्ड अन्दर-बाहर होने लगा। चुदना बड़ा आसान सा और मनमोहक सा लग रहा था। वो मेरी कभी चूंचियां निचोड़ता तो कभी मेरी गोरी गोरी गाण्ड पर जोर जोर से हाथ मारता।

उसक सुपाड़ा मेरी गाण्ड के छेद की चमड़ी को बाहर तक खींच देता था और फिर से अन्दर घुस जाता था। वो मेरी पीठ को हाथ से रगड़ रगड़ कर और रोमांचित कर रहा था। उसका सोलिड लण्ड तेजी से मेरी गाण्ड मार रहा था। कभी मेरी पनीली चूत में अपनी अंगुली घुसा देता था। मैं आनन्द से निहाल हो चुकी थी। तभी मुझे लगा कि मोनू कहीं झड़ न जाये। पर एक बार वो झड़ चुका था, इसलिये उम्मीद थी कि दूसरी बार देर से झड़ेगा, फिर भी मैंने उसे चूत का रास्ता दिखा दिया।

“मोनू, बस मेरी गाण्ड को मजा गया, अब मेरी चूत मार दो …” उसके चहरे पर पसीना छलक आया था। उसे बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी। उसने एक झटके से अपना लण्ड बाहर खींच लिया। मैंने मुड़ कर देखा तो उसका लण्ड फ़ूल कर लम्बा और मोटा हो चुका था। उसे देखते ही मेरी चूत उसे खाने के लिये लपलपा उठी।

“मोनू मार दे मेरी चूत … हाय कितना मदमस्त हो रहा है … दैय्या रे !”

“आन्टी, जरा पकड़ कर सेट कर दो…” उसकी सांसें जैसे उखड़ रही थी, वो बुरी तरह हांफ़ने लगा था, उसके विपरीत मुझे तो बस चुदवाना था। तभी मेरे मुख से आनन्द भरी सीत्कार निकल गई। मेरे बिना सेट किये ही उसका लण्ड चूत में प्रवेश कर गया था। उसने मेरे बाल खींच कर मुझे अपने से और कस कर चिपटा लिया और मेरी चूत पर लण्ड जोर जोर से मारने लगा। बालों के खींचने से मैं दर्द से बिलबिला उठी। मैं छिटक कर उससे अलग हो गई। उसे मैंने धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा दिया और उससे जोंक की तरह उस पर चढ़ कर चिपक गई। उसके कड़कते लण्ड की धार पर मैंने अपनी प्यासी चूत रख दी और जैसे चाकू मेरे शरीर में उतरता चला गया। उसके बाल पकड़ कर मैंने जोर लगाया और उसका लण्ड मेरी बच्चेदानी से जा टकराया। उसने मदहोशी में मेरी चूंचियां जैसे निचोड़ कर रख दी। मैं दर्द से एक बार फिर चीख उठी और चूत को उसके लण्ड पर बेतहाशा पटकने लगी। मेरी अदम्य वासना प्रचण्ड रूप में थी। मेरे हाथ भी उसे नोंच खसोट रहे थे, वो आनन्द के मारे निहाल हो रहा था, अपने दांत भींच कर अपने चूतड़ ऊपर की ओर जोर-जोर से मार रहा था।

“मां कसम, मोनू चोद मेरे भोसड़े को … साले का कीमा बना दे … रण्डी बना दे मुझे… !”

“पटक, हरामजादी … चूत पटक … मेरा लौड़ा … आह रे … आण्टी…” मोनू भी वासना के शिकंजे में जकड़ा हुआ था। हम दोनों की चुदाई रफ़्तार पकड़ चुकी थी। मेरे बाल मेरे चेहरे पर उलझ से गये थे। मेरी चूत उसके लण्ड को जैसे खा जाना चाहती हो। सालों बाद चूत को लण्ड मिला था, भला कैसे छोड़ देती !

वो भी नीचे से अपने चूतड़ उछाल रहा था, जबरदस्त ताकत थी उसमें, मेरी चूत में जोर की मिठास भरी जा रही थी। तभी जैसे आग का भभका सा आया … मैंने अपनी चूत का पूरा जोर लण्ड पर लगा दिया… लण्ड चूत की गहराई में जोर से गड़ने लगा… तभी चूत कसने और ढीली होने लगी। लगा मैं गई… उधर इस दबाव से मोनू भी चीख उठा और उसने भी अपने लण्ड को जोर से चूत में भींच दिया। उसका वीर्य निकल पड़ा था। मैं भी झड़ रही थी। जैसे ठण्डा पानी सा हम दोनों को नहला गया। हम दोनों एक दूसरे से जकड़े हुये झड़ रहे थे। हम तेज सांसें भर रहे थे। हम दोनों का शरीर पसीने में भीग गया था। उसने मुझे धीरे से साईड में करके अपने नीचे दबा लिया और मुझे दबा कर चूमने लगा। मैं बेसुध सी टांगें चौड़ी करके उसके चुम्बन का जवाब दे रही थी। मेरा मन शान्त हो चुका था। मैं भी प्यार में भर कर उसे चूमने लगी थी। लेकिन हाय रे ! जवानी का क्या दोष … उसका लण्ड जाने कब कड़ा हो गया था और चूत में घुस गया था, वो फिर से मुझे चोदने लगा था।

मैं निढाल सी चुदती रही … पता नहीं कब वो झड़ गया था। तब तक मेरी उत्तेजना भी वासना के रूप में मुझ छा गई थी। मुझे लगा कि मुझे अब और चुदना चाहिये कि तभी एक बार फिर उसका लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर घुस गया। मैंने उसे आश्चर्य से देखा और चुदती रही। कुछ देर में हम दोनों झड़ गये। मुझे अब कमजोरी आने लगी थी। मुझ पर नींद का साया मण्डराने लगा था। आंखें थकान के मारे बंद हुई जा रही थी, कि मुझे चूत में फिर से अंगारा सा घुसता महसूस हुआ।

“मोनू, बस अब छो … छोड़ दे… कल करेंगे …!” पर मुझे नहीं पता चला कि उसने मुझे कब तक चोदा, मैं गहरी नींद में चली गई थी।

सुबह उठी तो मेरा बदन दर्द कर रहा था। भयानक कमजोरी आने लगी थी। मैं उठ कर बैठ गई, देखा तो मेरे बिस्तर पर वीर्य और खून के दाग थे। मेरी चूत पर खून की पपड़ी जम गई थी। उठते ही चूत में दर्द हुआ। गाण्ड भी चुदने के कारण दर्द कर रही थी। मोनू बिस्तर पर पसरा हुआ था। उसके शरीर पर मेरे नाखूनों की खरोंचे थी। मैं गरम पानी से नहाई तब मुझे कुछ ठीक लगा। मैंने एक एण्टी सेप्टिक क्रीम चूत और गाण्ड में मल ली।

मैंने किचन में आकर दो गिलास दूध पिया और एक गिलास मोनू के लिये ले आई।

मेरी काम-पिपासा शान्त हो चुकी थी, मोनू ने मुझे अच्छी तरह चोद दिया था। कुछ ही देर में मोनू जाग गया, उसको भी बहुत कमजोरी आ रही थी। मैंने उसे दूध पिला दिया। उसके जिस्म की खरोंचों पर मैंने दवाई लगा दी थी। शाम तक उसे बुखार हो आया था। शायद उसने अति कर दी थी…। Hindi Sex Stories

Leave a Comment