लॉकडाउन में वासना का ज्वार- 2

लॉकडाउन लगने पर मेरी बुआ की अविवाहित बेटी जो कॉलेज में पढ़ रही थी, मेरे किराए के फ्लैट में मेरे साथ रहने आ रही थी. मैं उसकी जवानी की ओर आकर्षित हुआ जा रहा था.

अब आगे सेक्सी कॉलेज गर्ल की कहानी:

मोनी ने सामान निकालते हुए, चहकते हुए कहा- अरे नीलू! तू इतना लम्बा है यार … बाप रे बाप! पाँच साल छोटा होकर भी मेरा बड़ा भाई लग रहा है!

“हे हे दीदी … आप न … बिल्कुल नहीं बदली!” मैंने झेंपते हुए कहा.
कहते हुए मैं सामान लेने मोनी के पास पंहुचा.

हम गले मिले, हमें गले लगते हुए टावर के गार्ड ने भी देखा.

“अरे वाह भाई … इतना हैंडसम हो गया है तू … और इतनी तगड़ी बॉडी शॉडी भी बना रखी है … सारी दिल्ली की लड़कियाँ पटाने का इरादा है क्या?” मोनी ने फिर मज़े से भरपूर लहजे में कहा.

“बस बस … बाकी की टांग ऊपर फ्लैट चलकर खींचना दीदी!” मैंने भी हँसते हुए जवाब दिया.
मोनी 3 बड़े सूटकेस में अपना सारा सामान पैक कर लायी थी.

हम दोनों ने मिलकर सामान खींचना शुरू किया और लिफ्ट की तरफ चल दिए.

मैंने कनखियों से देखा, टावर के गार्ड ने मोनी को नज़रें छुपकर ऊपर से नीचे तक पूरा चेक आउट किया.

खैर, हम सामान लेकर उन्नीसवीं मंजिल पर पहुंचे.
आलीशान कॉरिडोर से चलते हुए मोनी की आँखें बड़ी हो रही थी.

कुछ ही सेकंड में हम मेरे फ्लैट के सामने थे.

मैंने फ्लैट खोला और हमने अंदर कदम रखा.

मोनी के चेहरे पर जो मुस्कान थी, वो फ्लैट के अंदर घुसते हुए चौगुनी हो गयी.

ऐसा लग रहा था किसी बच्चे के हाथ उसका फेवरेट खिलौना लग गया हो. मोनी ने घूम घूम कर पूरे फ्लैट का जायज़ा लिया, खासकर बालकनी और वहां से मिल रहा व्यू देखकर तो वो मुग्ध हो गयी.

“वाह नीलू!! तू तो राजा की तरह रहता है, इतनी महंगी जगह पर … पहले कभी बुलाया क्यों नहीं मुझे? इतना सेक्सी फ्लैट हो तो मैं 3 घंटे भी सफर करके आती!”

मैंने ध्यान दिया, दीदी की भाषा में मॉडर्न शब्द बेपरवाह रूप से आये जा रहे थे.

“दीदी ये सब छोड़ो … ये बताओ क्या लोगी आप? चाय, कॉफ़ी, ठंडा?”
“बियर मिलेगी?”
“व्हाट!?”

मोनी ने एक ठहाका लगाया और बोली- तूने आज तक कुछ ट्राई नहीं किया? मुझे बेवकूफ मत समझ बेटा … तेरी बड़ी बहन हूँ मैं … इतने सालों से दिल्ली एन सी आर में रह रहा तू … संस्कारी किसी और के सामने बनना!

“हे हे दीदी … ट्राई तो बहुत कुछ किया है … बस आप मुँह मत खोल देना किसी के भी सामने इन सब बातों को लेकर … आप जानती ही हो कुछ चुगलखोर हैं हमारे खानदान में … काना-फूसी में सब बातें फैला देते हैं … फिर आपको पता ही है हमारी साइड की कम्युनिटी … काफी ऑर्थोडॉक्स और कन्सेर्वटिव है … तिल का ताड़ बन जाएगा.”

मोनी मुझे काटते हुए बोली- अरे पागल है क्या … मेरे मुँह से तो सपने में भी ये सब नहीं निकल सकता कानपुर में … भाई तू मत बोल देना गलती से भी कहीं भी … तू तो फिर भी लड़का है, बच जाएगा … मैं तो लड़की हूँ … तेरे बुआ फूफा कितने खतरनाक है तू भी जानता है … हिंट भी लगा तो मेरी लंका लग जाएगी … पी.एच.डी. वगैरह सब छोड़कर घर बिठा देंगे … क्या पता गुस्से में शादी ही करा दें!

मोनी एक सांस में बोलती चली गयी.

“अरे अरे … रिलैक्स रिलैक्स … कोई किसी को नहीं बोल रहा दीदी … मैं तो थोड़ा सतर्क था बस आपसे पहली बार बात हो रही इस बारे में इसलिए!”
मोनी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी- हाँ भाई, जानती हूँ. तुझ पर अंधा विश्वास कर सकती हूँ मैं. बचपन से सारे भाई बहनों में हम दोनों की खूब पटती थी … पता नहीं क्यों मिलना जुलना काम हो गया … मेरी पढ़ाई तेरी पढ़ाई और पता नहीं क्या क्या … चल कोई नहीं, अब तो अच्छे से टाइम मिला है … दोनों भाई बहन खूब गप्पें मारेंगे!”

मैं कुछ बोलता इसके पहले मोनी सोफे से उठी- तू बैठ नीलू, चाय मैं बनाकर लाती हूँ. कड़क अदरक वाली मसाला चाय, अपनी बहन के हाथ की चाय पीकर देख आज, मज़ा न आये तो बोलना!

यह कहकर मोनी सीधे किचन में चली गयी, पीछे पीछे मैं भी.
किचन व्यवस्थित था तो कोई भी सामग्री ढूंढने में दिक्कत नहीं हुई.

मैं किचन में प्लेटफार्म पर ही बैठ गया.
मोनी ने गैस पर चाय चढ़ाई और हम दोनों गपशप करने लगे.

काफी बातें करने के बाद चाय बनने को थी ही तभी मोनी बोली- देख नीलू, अब मैं आ गयी हूँ तो किचन का दारोमदार तू मुझ पर छोड़ दे. तू बस आर्डर कर, जो भी तुझे खाना है वो गर्मागर्म मिलेगा, वो भी ऐसे ज़ायके का कि अपनी उंगलियाँ चाटता रह जाएगा.

“ऑब्वियस्ली दीदी, आपके हाथ के लज़ीज़ खाने का तो मैं कानपुर से ही दीवाना हूँ!”

बातें करने के बीच में भी रह रह कर मेरी नज़रें छुप -छुप कर मोनी के बदन का मुआयना कर रही थीं.
आखिर मर्द तो मर्द ही ठहरा, गदराया जिस्म देखकर तो ईमान डगमगाता ही है.
चाहे वो जिस्म बहन का ही क्यों न हो.

चाय के कप लेकर हम दोनों वापस लिविंग एरिया में आये और सोफे पर बैठे.

अब तक हम इतना सहज हो चुके थे कि मानो कॉलेज के दो दोस्त हों.
एक अनकहा भरोसा हो गया था आपस में … कि आपस की बातें आपस में ही रहेंगी.

मोनी ने कहा- देख नीलू, अब जब हम दोनों को साथ ही रहना है तो छुपने छुपाने का कोई फायदा नहीं … देख, मैं खुद 8 महीने से दिल्ली रह रही, मैं समझती हूँ मेट्रो सिटी में रहते हुए अपनी ही एक मॉडर्न लाइफस्टाइल की आदत हो जाती है.

अब तक मैं भी काफी सहज हो चुका था, मैंने चुटकी लेते हुए कहा- दीदी, बियर फिलहाल तो नहीं है. लेकिन आपको पसंद है तो ठेका (वाइन शॉप) ज़्यादा दूर नहीं. शाम को चल के ला सकते हैं!

सेक्सी कॉलेज गर्ल मोनी के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान आ गयी- वाह भाई वाह … एक शर्त पर … अगर तू साथ देगा मेरा … तभी पियूँगी!
मैंने कहा- नेकी और पूछ पूछ?
हम दोनों ने ठहाका लगाया.

मैंने कहा- चलो दीदी, आपने शुरुआत करी तो मैं भी बताता हूँ. मुझे चाय के साथ सिगरेट पीने की आदत है … आपको अजीब न लगे तो जला लूँ एक?
मोनी ने मेरी आँखों में देखते हुए एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ धीरे से अपने पर्स की तरफ हाथ बढ़ाया, उसमें से क्लासिक माइल्ड सिगरेट की एक डिब्बी निकली और मुस्कुराते हुए कहा- नीलू, तूने मेरे मुँह की बात छीन ली … तू तो पूरा मेरा ही भाई है रे … आदतें भी हम दोनों की एक सी हैं … लाइटर दे मुझे, मेरा वाला ब्रांड पियेगा?

मैंने पास के एक दराज़ से मार्लबोरो गोल्ड एडवांस सिगरेट की डिब्बी और साथ में एक चमचमाता हुआ स्टील का लाइटर निकाला।
एक सिगरेट निकाल कर मैंने जलाई और लाइटर मोनी को पास किया.

मोनी ने अपनी सिगरेट जलाई और चहकी- वाह भाई, एडवांस पीता है तू? कितनी हार्ड होती है ये. पूरी मर्दाना सिगरेट है. तेरी पर्सनालिटी को भी सूट करती है … मैं तो अल्ट्रा-माइल्ड या माइल्ड ही पीती हूँ!

सिगरेट की इतनी नॉलेज के साथ साथ अब तक मुझे भी समझ आ रहा था कि मोनी भी मेरे पूरे कसरती जिस्म को अपनी आँखों से तोल रही थी.
कुछ भी बात अजीब न लगे इसलिए हम हंसी-ठिठोली में सारी बातों को हल्का कर दे रहे थे.

चाय के साथ जिस तरह से मोनी सिगरेट के कश पर कश ले रही थी, उससे साफ़ दिख रहा था कि दिल्ली की मॉडर्न हवा सर उसके अंदर तक बस चुकी थी.

हम दोनों ने चाय ख़त्म की और मोनी दूसरे खाली पड़े कमरे में अपना सामान ज़माने में लग गयी.
मैं भी ऑफिस में व्यस्त हो गया.

ऑफिस का काम करते हुए मैं उस दिन एक अलग ही जोन में था.
मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि अपनी एक बड़ी बहन के साथ मैं सिगरेट पीकर आ रहा हूँ.

शाम को लगभग पांच बजे मैं अपने ऑफिस रूम से उठा और मोनी के कमरे में झाँका तो पाया कि वह सो रही है. दूर से आयी है थक गयी होगी समझकर मैं मोनी को नींद में छोड़कर मार्केट चला गया.

मैंने अंग्रेजी शराब के ठेके से एक पेटी स्ट्रांग बियर कैन की खरीदी, साथ में व्हिस्की, वोडका और रेड वाइन की भी बोतलें खरीदीं, कुछ और खरीददारी करी.
कुछ देर के लिए देवेश के फ्लैट गया, गप्पबाज़ी करी.

वापस आते आते साढ़े आठ बज गए.

आया तो देखा कि मोनी किचन में डिनर बनाने की तैयारी कर रही है.

मैंने शराब की बोतलें लिविंग रूम की एक अलमारी में रख दीं; बियर की पेटी लेकर किचन में गया और फ्रिज में सजा दीं.

रात्रि 10 बजे हमने भोजन किया.

भोजन के पश्चात बियर का एक-एक कैन पीते हुए हमने गप्पें मारी, साथ में सिगरेट के कश लगाए.

मोनी ने शॉर्ट्स और टॉप पहन रखा था.

अब तक हम दोनों के बीच पूर्ण रूप से सहजता आ चुकी थी.
हमारी भाषा में भी वह सहजता आ चुकी थी, दिल्ली की रेगुलर छोटी मोटी गालियां भी हमारी बातचीत का हिस्सा बन गयी थी.
हर बीतते पल के साथ हम और ज़्यादा दोस्ताना होते जा रहे थे.

और मित्रो, सच कहूं तो मोनी जैसी बड़ी बहन के साथ बियर पीने का मज़ा ही कुछ था.

बियर के सुरूर में हम गप्पें मार ही रहे थे, तब तक मैंने फ़ोन पर ख़बर देखी.

प्रधानमंत्री ने बाइस मार्च, रविवार को पूरे दिन के लिए ‘जनता कर्फ्यू’ की घोषणा कर दी थी.
साथ में ‘ताली बजाओ-थाली बजाओ’ के मीम भी आ रहे थे.

मैंने मोनी को भी वह खबर दिखाई और फिर हम दोनों ने कुछ प्लानिंग करी.

अगले दिन मैंने अखिल की कार निकाली और हम दोनों ने जाकर 3-4 महीने का राशन, किचन का सामान, आवश्यक दवाएं और फ्लैट के लिए अन्य आवश्यक सामान स्टॉक कर लिया.
शराब और बियर की पेटियां, और साथ में सिगरेट के 2-3 बड़े क्रैट का भी स्टॉक ले लिया.

यह आईडिया मेरा था, यह सोचकर कि सामान महंगा न हो और कालाबाज़ारी न होने लगे, इससे पहले स्टॉक कर लेते हैं.
लेकिन जो होने वाला था वह तो मैंने दूर दूर तक न सोचा था.

बाइस तारीख को ‘जनता कर्फ्यू’ लगा, और बहुत हद तक पूरा देश थम गया.

अगले दिन, तेइस मार्च, सोमवार को शाम पाँच बजे खबर आयी कि प्रधानमंत्री रात आठ बजे एक महत्वपूर्ण घोषणा करने वाले हैं.

और ठीक रात आठ बजे, प्रधानमंत्री ने पूरे भारत में इक्कीस दिन का सम्पूर्ण लॉकडाउन लगाने की घोषणा करी.
साथ में सभी प्रदेशों की सीमाएं भी सील होनी थी और आवागमन को कम से कम करना था ताकि कोरोना वायरस का फैलाव कम करने का प्रयास किया जा सके.

प्रचुर संख्या में पुलिस भी जगह जगह तैनात कर दी गयी.
लोगों को सख्ती से लॉकडाउन का पालन करने के निर्देश दिए.

लॉकडाउन में केवल आवश्यक सेवाएं ही चालू थीं, खान-पान की सामग्री, दवाइयाँ, दूध,फल, सब्ज़ी इत्यादि.

हम खबर देख रहे थे मेरे फ्लैट पर टीवी स्क्रीन के सामने!
मेरे और मोनी के साथ देवेश और सुमित भी मौजूद थे.

मोनी का मेरे दोनों मित्रों से परिचय उसी शाम को पहली बार हुआ.
उन दोनों ने भी मोनी को बड़ी बहन का सम्मान देते हुए दीदी कहकर ही सम्बोधित किया.

खबर देखने के पश्चात दोनों फटाफट भागे कि जल्दी से कुछ आवश्यकता की चीज़ें जाकर स्टॉक कर ली जायें.

मेरे दोस्तों के जाते ही मोनी ने फिर से टीवी पर चल रही न्यूज़ को देखा और उसके मुँह से निकला- फ़क बहनचोद!! क्या बाल बाल बची मैं!!
मैं बोला- दीदी, कितनों के तो लौड़े लग गए होंगे इस वक़्त!
“सच में यार नीलू … मेरी तो गांड फट गई ये न्यूज़ सुनकर!! थैंक गॉड मैं कानपुर नहीं गई यार!”

“आप सही टाइम पर आ गयी दीदी … इस टाइम अगर आप दिल्ली में होतीं तो यहाँ गुरुग्राम पहुंचना भी नामुमकिन होता. स्टेट बॉर्डर ही बंद हो रहा!!” मैंने सामने से कहा.

“नीलू, थैंक्स मेरे भाई, तूने एकदम सही टाइम पर प्लान बना कर सब सामान भी स्टॉक कर लिया. तू टेंशन मत ले अब किसी और चीज़ की. तू अपने ऑफिस पर फोकस कर, फ्लैट मेन्टेन करने, खाने पीने की पूरी ज़िम्मेदारी मेरी … वैसे भी कोई किराया तो दे नहीं रही मैं तुझे!”

“अरे यार मोनी दी, रिलैक्स ना … इतना फॉर्मेलिटी क्यों? भाई बहन के बीच सब चलता है!”
सुनकर मोनी ने मुझे एक स्माइल दी.

हमने डिनर किया, सुट्टा मारा और सो गए.

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