शादीशुदा औरत के साथ चुदाई-Antarvasna

नमस्ते पाठको,Antarvasna

मेरा नाम अमन है। मैं बचपन से दिल्ली Antarvasna में रह रहा हूँ। जब से मुझे सेक्स की जानकारी हुई, तब से मैं बस सेक्स के बारे में ही सोचता रहता हूँ। विशेषकर मुझे विवाहित स्त्रियाँ अधिक पसन्द हैं, साथ ही मोटी स्त्रियाँ भी। मेरा लंड ८ इंच लम्बा व ३ इंच मोटा है।

मैं इन्टरनेट पर चैट रूम में एक समलैंगिक रूम में हमेशा एक स्त्री के नाम से चैट करता और पूरा मज़ा लेता। एक दिन मेरी बात ग्रेटर कैलाश में रहने वाली गौरी नाम की महिला से हुई। एक दूसरे की जानकारी लेने के बाद हम सीधा सेक्स की बात पर आ गए। उसने बताया कि उसके पति अक्सर बाहर रहते हैं। उसको जब भी अवसर प्राप्त होता है तो वह अपने कामवाली बाई के साथ समलैंगिक सहवास करती है। मैं भी उससे स्त्री बनकर ही बात कर रहा था।

मैंने उससे कहा, “आप किसी लड़के को क्यों नहीं तलाश करतीं?”

“मैं कुछ लड़कों को जानती हूँ, जो सेक्स-जॉब करते हैं।” – मैंने उसे आगे बताया

गौरी ने कहा, “क्या वो मेरी गाँड भी चाटेगा?”

“सब कुछ करेगा, जो कुछ तुम करवाना चाहोगी, और उसकी शुल्क भी अधिक नहीं है।” – मैंने उसे जानकारी दी।

मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे, मेरी बात बनती नज़र आ रही थी। मैंने गौरी को टेलीफोन नम्बर दिया, और कहा कि यह उसका नम्बर है, और उसका नाम अमन है। तुम उससे बात कर लो, मैं भी उससे बात करके तुम्हारे बारे में बता दूँगी। असल में अमन तो मैं ही था।

चैट के लगभग एक घण्टे के बाद उस स्त्री का फ़ोन आ गया। उसने मेरा नाम पूछा, और अपना नाम बताया। उसने कहा कि आपका नम्बर मुझे एक औरत ने दिया है। वो तो मैं ही था, तो मैं समझ गया।

मैंने पूछा, “तो फिर कब आऊँ आपके पास?”

कल दिन में ११ बजे आ जाओ।

मैंने कहा, “ठीक है।”

क्या बताऊँ दोस्तों, वह आधा दिन काटना मेरे लिए पहाड़ जैसा प्रतीत हुआ, बस मैं तो यही सोचता रहा कि ये करूँगा, वो करूँगा, और ये सब सोच-सोचकर मैंने उस औरत के नाम से दो बार मुट्ठ भी मार ली।

अगले दिन ठीक ११ बजे मैं उसके घर पहुँच गया। मैंने घंटी बजाई, दरवाजा खुला, और लगभग ३५ वर्ष की एक गोरी स्त्री ने दरवाजा खोला। मैंने उसे बताया, “मैं अमन…”। उसने अन्दर आने को कहा।

मैं जैसे ही अन्दर घुसा, उसने दरवाजा बन्द कर लिया, और सीधे शयनकक्ष में ले गई और कहा, तुम ५ मिनट यहीं रुको, मैं अभी आई। ५ मिनटों को बाद जब वह वापस आई तो मैं उसे बस देखता ही रह गया। वह गुलाब़ी रंग की ब्रा और पैन्टी पहने हुए मेरे सामने थी। थोड़ी देर के लिए तो मैं बिल्कुल सुन्न हो गया था, फिर मैं होश में आया और सीधे जाकर उसे ज़ोरों से गले लगा लिया और उसके होंठों पर होंठ रखकर चूमने लगा, उसे ख़ुद को सँभालने का मौक़ा भी नहीं मिला।

चूमते-चूमते मैंने अपना एक हाथ उसकी पैन्टी के अन्दर डाल कर उसके गोरे-गोरे और मुलायम चूतड़ों को सहलाने लग गया। फिर मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी। ब्रा उतारते ही उसकी गुलाब़ी घुंडियों वाली चूचियाँ मेरे सामने थीं। मैंने उन्हें दबोच लिया और एक हाथ से उसकी घुंडी को मसलने लगा, तो उसकी सिसकियाँ निकल पड़ीं। फिर मैंने एक झटके से उसकी पैन्टी को उतार कर उसे बेड पर लिटा दिया, उसने भी मेरे कपड़े उतार दिए।

उसने झट से उठकर मेरे लंड को पकड़ कर चूसना शुरु कर दिया। मैंने जीवन में कभी भी ऐसा अनुभव नहीं किया था, मुझे स्वर्ग की अनुभूति हो रही थी। वह मेरे लंड को चूसती रही। मैं कभी उसकी चूचियों को सहलाने लगता, कभी घुंडियों को काट लेता। उसने मुझे नीचे लिटा दिया और स्वयं मेरे ऊपर इस तरह आ गई, कि उसकी बिना बालों की चूत मेरे मुँह के पास थी। मैंने भी उसकी चूत में उँगली डालकर चूसने लगा।

उसके गाँड की छेद भी गुलाबी रंग की थी। मैं बीच-बीच में उसमें भी उँगली डाल देता, जिससे वह अचानक चिहुँक पड़ती। थोड़ी देर ऐसा करने के बाद मैंने उसे नीचे लिटा दिया, उसकी टाँगों को अपने कंधों पर रखकर मैंने अपना लंड उसके गाँड की छेद पर रखा और हल्का सा धक्का लगाया तो मेरे लंड का सुपाड़ा उसके अन्दर चला गया, जिसके कारण वो चिल्ला उठी। मैं रुक गया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा, उसका दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैंने फिर उसकी जाँघों को पकड़ कर धक्का मारा और पूरा लंड अन्दर घुसा दिया। वह एकदम से चिल्ला उठी।

मैंने उसके होठों को चूमने शुरू कर दिया, फिर थोड़ा सामान्य होने पर मैं उसकी गाँड में अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा। अब उसे भी मज़ा आने लगा। मैंने साथ में उसकी चूत में उँगली करना भी जारी रखा, जिससे उसे और भी मज़ा आ रहा था। वह सिसकारियाँ लेने लगी और बोली, अमन थोड़ा और तेज़ करो। मैंने चुदाई की गति में और बढ़ावा किया। थोड़ी देर बाद उसकी चूत से पानी आने लगा, और वह अपनी गाँड को दबोचने लगी। उसने कहा, “अमन मैं गई… मैं गई…!” कहते हुए फिर वो आहहह्हहहह…. आह्ह्हहह्हहहह करने लगी।

पर मैं रुका नहीं। ५ मिनट बाद मेरा भी निकलने वाला था। मैंने पूछा – “गौरी कहाँ छोड़ूँ?”

उसने कहा, “अन्दर ही।”

थोड़ी देर धक्के मारने का बाद मैंने अपना सारा वीर्य उसकी गाँड में ही छोड़ दिया। यह पहला अवसर था कि मैं किसी की गाँड में स्खलित हुआ था।

फिर मैं उसके ऊपर लेट गया, थोड़ी देर लेटे रहने के बाद हमने एक-दूसरे को साफ़ किया और वापस आकार दुबारा बिस्तर पर लेट गए और बातें करने लगे। थोड़ी देर बाद मैं फिर से तैयार हो गया। फिर मैंने उसकी चूत की जमकर चुदाई की।

उस दिन मैंने उसकी २ बार चुदाई की। फिर उसने मुझे १००० रुपये दिए और कहा कि अब मैं तुम्हें बुलाती रहूँगी।

उस दिन से अब तक मैंने उसकी कई बार चुदाई की। फिर मैंने उसके द्वारा अन्य स्त्रियों से भी सम्पर्क साधा। Antarvasna

Leave a Comment