फर्स्ट ओरल सक का मजा मैंने तब लिया था जब मैं कॉलेज टूर में गयी थी. वहां मैंने लड़के लड़कियों के ग्रुप को सेक्स का मजा लेते देखा. उन्होंने मुझे भी खींच लिया और मैंने पहली बार लंड चूसा.
कहानी के दूसरे भाग
बेटी को यौन शिक्षा की शुरुआत
में आपने पढ़ा कि मेरी बेटी सेक्स के बारे में जानती तो थी पर उतना नहीं जितना उसे उस उम्र में जानना चाहिए तो मैंने उसे बताना शुरू किया, उसे कंडोम, लंड और चूत के बारे में बताया. उसके साथ लेस्बियन सेक्स करके उसे मजा दिया.
अब आगे फर्स्ट ओरल सक का मजा:
चारू झड़ने के बाद मुझ पर गुस्सा करने लगी- मौसी, आपने जो उंगली डाली थी अभी भी बहुत जलन हो रही है मुझे!
मैंने कंडोम चढ़ा खीरा उठाया और चारू को दिया- लो, तुम अब मेरी चूत मार लो।
चारू की आंखों में चमक आ गई।
उसने झट से खीरा मेरी चूत पर लगाया और एक ही झटके में पेल दिया।
मैं तो बस चिल्ला कर रह गई।
खीरा मेरी बच्चेदानी से जा टकराया था और उसमे ऐसा दर्द उठा कि मेरा बदन ऐंठ गया।
6 इंच तक खीरा मेरी चूत में घुसा मेरी चूत को गहरा करने में लगा था।
चारू बेहद शैतानी अंदाज में मेरी चूत को खीरे से चोद रही थी।
डॉट वाला कंडोम होने की वजह से खुरदरापन इतना ज्यादा था कि मेरी चूत का हर कोना रगड़ खाकर झनझना रहा था।
चारू इतने जोर से मेरी चूत मार रही थी कि मुझे झड़ने में 5 मिनट भी न लगे।
मेरी चूत से झरना निकला तो चारू ने खीरा निकाल लिया.
लेकिन धार इतनी तेज थी कि चारू का बदन भीग गया।
मेरी चूत से कामरस के फव्वारे छूट रहे थे और वह झरने जैसे बह रही थी।
तब मैंने अपनी जीभ से उसका जिस्म चाट कर साफ किया।
इसके बाद हम दोनों ही ठण्डी हो गई थी।
चारू अब मुझसे लिपट गई और हमने चारू की बनियान से ही अपना बदन साफ किया।
फिर नंगे बदन ही एक दूसरे से लिपट कर लेट गई।
मां बेटी के बीच आज सारी दीवारें खत्म हो गई थी।
चारू- मौसी, आज के पहले आपने कभी किसी लड़की के साथ सेक्स किया है?
मैं- लड़की नहीं, लड़कियों के साथ किया है, ग्रुप में, मेरी चारों सहेलियों ने मिलकर मेरी ली थी।
चारू- इसीलिए आप सेक्स में इतनी एक्सपर्ट हो. अगर कोई मर्द आपको आज मिले तो क्या आप उसके साथ मजा करोगी?
मैं- ऐसा क्यों पूछ रही है तू?
चारू- मुझे आपको सेक्स करते हुए देखना है।
मैं- कोई तेरे सामने मेरी लेगा तो तुझे बुरा नहीं लगेगा?
चारू- नहीं, मुझे मजा आयेगा क्यूंकि आप उस मर्द को भी मेरी तरह निचोड़ कर रख दोगी।
मैं- अगर तेरे पापा को पता चला तो वे मुझे घर से निकाल देंगे।
चारू- आप परेशान मत हो मौसी, मैं उनसे कुछ नहीं कहूंगी बल्कि मैं तो चाहती हूं कि आपके साथ साथ मैं भी किसी लड़के को निचोड़ कर अपनी प्यास बुझाऊं!
उसकी बात सुनकर मुझे हंसी आ गई।
मैं- चारू अभी तुम छोटी हो, अगर इस उम्र में सेक्स करोगी तो बहुत सी परेशानियां सामने आ जायेंगी, जैसे वजन बढ़ना, इन्फेक्शन, योनि का ढीलापन, मुंहासे वगैरह। तुम थोड़ा और सब्र कर लो फिर जी भर के जिंदगी के मजे लेना।
चारू ने कहा- ठीक है मौसी … लेकिन याद रखियेगा, आपने आज मुझे निचोड़ दिया है, अब मैं आपकी बेटी के साथ साथ लौड़ी भी हूं, इसलिए मैं आपके दूध निचोड़ूंगी भी और चूसूंगी भी!
यह कहकर उसने मेरे निप्पल पर काट लिया।
मैं आह भरी सिसकी लेकर उसका मुलायम बदन सहलाने लगी।
उसके नितम्बों के बीच के छेद पर उंगली फेर कर मैंने उसे आराम दिया.
और फिर चारू मेरे ऊपर चिपक कर लेट गई।
उसका नंगा बदन इतना मुलायम और रसभरा था कि कोई भी उसे छूकर उत्तेजित हो जाता, उसके गोलाकार नितंब मेरी हथेलियों से मालिश का मजा ले रहे थे।
चारू- वासू मौसी, आपने पहली बार सेक्स किसके साथ किया था?
मैं- एक लड़का था मेरे कॉलेज के पास का, उसके साथ प्रेम शुरू किया था, उसने ही मेरी सील तोड़ी थी। लेकिन तुम्हारे पापा से मुझे शादी करनी पड़ी और हम दोनों अलग हो गए।
चारू- सच! लेकिन सब कैसे हुआ, प्लीज बताइए।
मैंने उसे अपनी आप बीती सुनानी शुरू की।
चारू, बात तब की है जब मैं 12वीं में स्कूल में थी।
तब मैं तेरे जैसी थी, इतनी की उम्र की जितनी कि तुम अब हो.
मैं पढ़ाई में ज्यादा अच्छी नहीं थी लेकिन मार्क्स ठीक आ जाते थे।
देखने में तो मैं बला की खूबसूरत हूँ ही।
मेरे हल्के नींबू जैसे स्तन अभी विकसित होना शुरू ही हुए थे, मेरे शरीर पर मांस पर्याप्त मात्रा में था और मेरे नितम्ब गोलाई लिए हुए मेरे रूप को आकर्षक बनाते थे।
बोर्ड एग्जाम हो चुके थे और सभी लोग छुट्टियां काट रहे थे।
एक दिन स्कूल की तरफ से टूर पर जाने की योजना बनाई गई।
टूर में हमें सिर्फ राजनगर के किले और जंगल में जाना था और टूर एक ही दिन का था।
मुझे भी जाने का अवसर मिला।
अगले दिन मैं अपने कपड़े और बाकी समान लेकर स्कूल के लिए निकल गई।
धीरज सर और मोनिका मैम को छात्रों को संभालने की जिम्मेदारी दी गई।
हमारे साथ हमारे सीनियर क्लास के लड़के लड़की भी आए थे।
कुल 30 बच्चों का ग्रुप था।
धीरज सर और मोनिका मैम का चक्कर पूरे कॉलेज को पता था।
हमारे ग्रुप में कुछ तेज तर्रार लड़कियां थीं।
उनमें से एक लड़की थी रचना जो सबसे हॉट और सेक्सी थी।
उसकी दो सहेलियां थी रुचि और नेहा।
वे भी उसी के जैसी थी और उन तीनों के पीछे लड़कों की लाइन लगी रहती थी।
हम सभी बस में सवार हो गए।
फिर बस राजनगर के किले की तरफ़ चल दी।
बस में मेरी ही क्लास का एक लड़का भी था, रोहित जो चोरी छुपे मुझे देखता था लेकिन कुछ कहता नहीं था।
टूर एक दिन और एक रात का था।
बस राजनगर के किले के पास पहुंच गई तो हम सब लोग अपनी अपनी टीम में बंट गए।
लड़के धीरज सर के साथ थे और मेरी टीम मोनिका मैडम के साथ थी।
हम सखियां रचना को ही देख रहे थे।
उसका लम्बा गोरा मांसल जिस्म बहुत आकर्षक लग रहा था।
इंटर के लड़के उसी को ताड़ रहे थे, रचना भी उनको खूब लाइन दे रही थी।
घूमते घूमते शाम हो गई और हम लोग राजनगर के जंगल में आ गए।
धीरज सर और मोनिका मैम के बीच कुछ इशारा हुआ तो धीरज सर बोले- बच्चो, मोनिका मैम की तबीयत ठीक नहीं है, मैं इनको दवा दिलाकर लाता हूं, तब तक आप लोग यहीं रहिएगा और मेरे आने तक इधर उधर मत जाइएगा।
यह कहकर वह मोनिका मैम के साथ चले गए।
अब टीचर थे नहीं इसलिए सबको खुलकर नैन मटक्का करने का मौका मिल गया।
रचना ने कुछ लड़कों को इशारा किया और फिर पहले 5 लड़के और फिर कुछ देर बाद रचना और उसकी सहेलियां नेहा और रुचि भी जंगल में अंदर की तरफ चली गई।
मैंने अपनी सखियों से कहा- चलो हम लोग भी चलते हैं जंगल में, देखो रचना गई है। बहुत मजा आयेगा।
लेकिन मेरी सहेलियों ने मना कर दिया।
लेकिन मैं नहीं मानी और 10 मिनट बाद मैं भी जंगल में चली गई।
जंगल में बड़ी चट्टाने थी और मुझे कुछ आहट मिली तो मैं उन्ही की ओट में छिपकर सब देखने लगी।
देखा तो आंखें फटी रह गई।
रचना 3 लड़कों के साथ चुम्मा चाटी कर रही थी और उसकी सहेलियां नेहा और रुचि भी यही कर रही थी।
नेहा अपनी टांगें खोल कर चट्टान पर बैठी हुई थी और एक लड़का उसकी योनि को चाट रहा था।
रुचि भी एक लड़के को किस कर रही थी और वह लड़का रुचि के नितम्ब सहला रहा था।
सबसे ज्यादा तो रचना लगी थी इन सब कामों में!
उसने अपनी शर्ट के बटन खोल रखे थे और उसकी ब्रा नीचे सरकी हुई थी।
एक लड़का पीछे से उसके दोनों संतरे जैसे स्तनों को मसल रहा था और दो लड़के अगल बगल खड़े हो कर उसे किस कर रहे थे।
रचना के दोनों हाथों में दोनों लड़कों के लंड थे और वह उन्हें सहला रही थी।
वहां बिलकुल कामसूत्र का लाइव टेलीकास्ट चल रहा था।
तभी एक लड़के ने रचना और रुचि की पैंटी निकाल दी।
स्कर्ट पहने हुए वह लड़कियां अपनी ब्रा नीचे किए लड़कों से मजे ले रही थी।
तभी एक लड़के ने रचना को छोड़ा और जाकर नेहा के पास खड़ा हो गया।
नेहा इशारा समझ गई।
उसने लपक कर उस लड़के का लिंग अपने मुंह में भर लिया।
चारू, ये सीन देखकर तो मेरे तन बदन में आग लग गई।
मेरी सांसें तेज हो गई और मैं अब गीली होने लगी।
तभी एक और करतब हुआ।
एक लड़के ने रचना को उठा लिया और सर के बल कर दिया।
रचना का सर उस लड़के के लिंग के सामने आ गया।
तभी एक और लड़के ने रचना को सहारा दिया और फिर दोनों ने रचना के गुप्तांगों पर अपनी जीभ चलानी शुरू कर दी।
रचना भी एक एक कर के उस दोनो का लिंग चूस रही थी।
उधर एक लड़का रुचि के स्तन पी रहा था और उसकी योनि सहला रहा था.
वहीं दूसरी तरफ दो लड़के नेहा पर लगे थे।
उनमें से एक नेहा का मुंह चोदन कर रहा था और एक लड़का नेहा की योनि को चूस रहा था।
इन गर्मागर्म नजारों को देखकर मुझे भी गर्मी लगने लगी।
हाथ पांव कांपने लगे और दिल की धड़कन आसमान छूने लगी।
तभी मुझे छींक आ गई और लोगों की नजर मुझपे गई।
मैं वहां जड़ खड़ी थी, कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं।
सबने मुझे देखा तो मुस्कुरा कर एक दूसरे से धीरे धीरे कुछ कहने लगे।
फिर रचना, नेहा और रुचि मेरे पास आई।
उनके स्तन अभी भी खुले हुए थे।
जब रचना मेरे पास आई तो अहसास हुआ कि उसके स्तन कितने रस भरे हैं।
रचना- यहां क्या कर रही है वासु?
मैं हकलाती हुई बोली- मुझे माफ कर दो दीदी, मैं बस यहां से गुजर रही थी।
रचना- अच्छा, आ फिर तुझे सैर कराती हूं।
ये कहकर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे अपने साथ उस चट्टान के पास ले आई।
सारे लड़के मुझे देखकर आनन्दित थे।
अभी कच्ची कली थी मैं इसलिए शरीर ज्यादा विकसित नहीं हुआ था।
रचना ने मेरी शर्ट खोली तो बनियान में मेरे स्तन आधे नींबू की तरह उभार लिए सामने आ गए।
एक लड़का बोला- इसकी तो चूचियां भी नहीं निकली अभी, इसमें मजा नहीं आयेगा।
तो रचना बोली- रुक जाओ जानेमन, चूत तो है ही, चलो देखते हैं।
यह कहकर उसने मेरी पैंटी सहलाई तो मुझे करंट सा लगा।
नेहा उन लड़कियों ने मेरी पैंटी निकाल दी और मैं कुछ न कह सकी।
मेरी योनि पर हल्के हल्के बाल आ गए थे।
रचना ने मेरी चूत का मुआयना किया और कहा- अभी सील पैक माल है ये!
यह बोलकर उसने जीभ निकाली और मेरी चूत को चाटने लगी।
उफ्फ पहली बार किसी की जुबान मेरी चूत से टकराई थी।
मैं आँखें बंद कर के इस लम्हे का मजा लेने लगी।
अब नेहा ने मेरी बनियान भी उठा दी और मेरे स्तन को बाहर कर दिया।
लड़कों ने मेरे नींबू दबा दिए तो मुझे दर्द हुआ।
मैं चिल्लाई- आह दीदी, दर्द हो रहा है।
रचना ने मेरी चूत छोड़ी और अपने होंठ मेरे होंठों से टिका दिए।
पहली बार किसी ने मुझे किस किया था वह भी एक लड़की ने!
मैं भी मजे लेकर उसे चूसने लगी।
सच कहूं तो वह चुम्बन मुझे आज भी याद है चारू!
इसके बाद नेहा और रुचि नीचे बैठ गई।
एक एक लड़का उन दोनों के पास गया और दोनों ने उनके लंड अपने मुंह में भर लिए।
उधर रचना दो लड़कों का लंड चूस रही थी।
यह नजारा ही ऐसा था कि कोई भी गीला हो जाए।
इसके बाद एक लड़का मेरे पास आया और बोला- तू भी चूस मेरा!
मैं डर के बोली- नहीं, मैं नहीं कर पाऊंगी।
तो उस लड़के ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख दिया।
उसका गर्म लिंग पकड़ कर मुझे बेहद झटका सा लगा।
मैंने धीरे धीरे उसे सहलाना शुरु किया और फिर उसने मुझे भी घुटनों के बल बिठा दिया।
मेरे बाल पकड़ कर उसने अपना लिंग मेरे मुंह में डाल दिया।
उसका नमकीन स्वाद मेरे मुंह में घुल गया।
वह अब धीरे धीरे मेरे मुंह का चोदन करने लगा।
मेरे मुंह पर धक्के लगाते हुए उसने गले तक अपना लिंग मेरे मुंह में घुसेड़ना शुरू कर दिया।
उसका 5 इंच का काला लिंग मेरे मुंह में घुसता और निकालकर दोबारा अंदर घुस जाता।
उसका लिंग मेरी लार से अच्छी तरह भीग गया।
फर्स्ट ओरल सक का ये क्रम 5 मिनट तक चला फिर उसका बदन अकड़ने लगा।
उसने मेरे सर पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली और फिर मेरे मुंह में झड़ गया।
एक गर्म तेल सा मेरे मुंह में गिरा और मुझे उसका नमकीन स्वाद मिल गया।
उस लड़के ने मेरा सर ऊपर उठा दिया और मेरे मुंह का वीर्य मेरे गले से अंदर उतर गया।
झड़ने के बाद वह लड़का ढीला हो कर मुझसे अलग हो गया।
मैंने देखा तो दोनों लड़के रचना के मुंह पर लंड रगड़ रहे थे और कुछ ही देर बाद झटकों के साथ उनका वीर्य रचना के चेहरे पर जा गिरा।
उधर नेहा और रुचि भी लंड को चूस चूस कर खाली कर चुकी थी।
रचना मेरे पास आई और अपने चेहरे पर लगा वीर्य मेरे स्तनों पर मल दिया और कहा- इसे लगा रहने देना बेबी, तुझे बहुत मजा आयेगा।
लड़के झड़ कर ठंडे हो गए थे इसलिए अब हमने चलने का फैसला किया।
अपने कपड़े पहनकर हम सब वापस बस में आ गए।