103 डिग्री बुखार मे

मैं सुनील, 26 साल का राजस्थान से हूँ। यह बात उन दिनों की है जब मैं नया-नया जवान हुआ था।

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मैं एक लड़की को पसंद करने लगा, कब प्यार हुआ पता ही न चला।
इतनी ज्यादा जानकारी भी नहीं थी।

स्कूल में मुझे सब अक्षय कुमार कहते थे।
स्कूल में बहुत लड़कियों से दोस्ती थी, लेकिन उनके लाइन देने के बाद भी मुझे उनसे प्यार नहीं था। मुझे प्यार अम्रता से हुआ जो कि मेरी ही कालोनी में रहने आई थी। वो दिल्ली से आई थी।

मैं वहाँ पर क्रिकेट खेलने जाता था। उसका कद 5.5 फुट का था, गोरा-चिट्टा रंग, कालोनी के सब लड़के उसे लाइन मारते थे।

नए साल पर मैंने हिम्मत करके उसे लव-लेटर दिया तो उसने जवाब दिया।

‘आई एम सीनियर.. यू आर जूनियर…’

वो मुझसे एक साल बड़ी थी, लेकिन मुझे उससे प्यार हो गया। मैं उसे किसी भी कीमत पर प्यार करना चाहता था।

मैंने उसकी सहेली जिसका नाम अंजलि था, उससे कहा- अम्रता मुझसे रिश्ता बनाए, चाहे जो भी रिश्ता बना ले, पर मुझसे बात करे।
मैं वास्तव में उसे बहुत प्यार करता हूँ।

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मेरी हालत पागलों से भी बदतर थी। मुझे न भूख लगती थी, न प्यास.. सिर्फ़ वही दिखती थी।

आखिर वो दिन आ ही गया जब उसने मुझे अपने घर बुलाया बात करने के लिए। एक बात बताऊँ वो मेरी सीनियर थी, मेरी गांड फ़ट रही थी कि कहीं मेरे घर में बता न दे।

मैं एक टॉपर स्टूडेन्ट था इसलिए मेरे सभी इज़्ज़त करते थे। मैं उसके दरवाजे पर पहुँचा तो मुझे 103 डिग्री बुखार था।

उसके छोटे भाई ने मुझे कागज़ का एक टुकड़ा दिया और बोला- दीदी ने आपको देने को कहा है।

उस पर लिखा था- आई लव यू.. माई अक्षय कुमार और इसके आगे हम क्या कहें.. जानम समझा करो। शाम 6 बजे घर पर आना। कोई नहीं होगा। मैं आपको चाय पिलाऊँगी। प्लीज़ आ जाना- तुम्हारी अम्रता।

अब तो मेरी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था। शाम 6 बजे मैं उसके घर गया।

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उसने नीले रंग का सूट पहना हुआ था मेरी अम्रता बहुत खूबसूरत थी, गोरा रंग 5.5 फुट का कद.. अच्छी फिगर.. गोल चूचियाँ… गोरी जांघें.. वो सब कुछ उसमें था, जो किसी को भी पागल कर दे, लंड को खड़ा कर दे.. हाथ से लौड़ा मसलने को मजबूर कर दे।

वो 18 साल की कमसिन चुदाई वाली उमर।

यहाँ तक कि अगर कह दें तो मैं किसी को भी गोली मार देता।

उसने मुझसे नमस्ते किया तो मैं बोला- सॉरी.. आप मेरी सीनियर हैं।

वो बोली- पहले सीनियर थी.. पर आप अब मेरे सब कुछ हो।

मुझे वो महसूस हुआ जो मैं शब्दों में नहीं कह सकता हूँ।

अम्रता मेरा पहला प्यार थी उससे मुझे बेइंतेहा मुहब्बत थी।

प्रिय पाठकों, मैं उसे आज भी प्यार करता हूँ।

अब आगे सुनिए उसने मेरा हाथ पकड़ा और कहा- डरो नहीं.. रियली आई लव यू… मैं भी आपको चाहती थी, पर डरती थी कि कहीं आप नाराज न हो जायें.. इसलिए कभी कहा नहीं, डियर सुनील जब तुम्हारे पास लड़कियाँ होती हैं तो मैं बहुत जलन महसूस करती हूँ, मुझे दूर मत करना।

इतना कहकर वो मेरे सीने से लिपट कर रोने लगी।

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मैं भी रो रहा था। पहली बार कोई लड़की मेरे सीने से लिपटी थी, उसकी चूचियां मेरे सीने से चिपक रही थीं।

मेरा लंड खड़ा होने लगा, फ़िर उसने अपने गुलाबी होंठों से मेरे होंठों को चिपका दिया और हम लोग चुम्बन करने लगे।

मैं उसकी पीठ पर हाथ फ़ेर रहा था वो रो रही थी।

चुम्बन करते समय वो अपनी जीभ से मेरी को जीभ चाटने लगी ये मेरे लिए पहल अनुभव था। मेरा लंड खड़ा हो गया और उसकी चूत के पास छूने लगा।

मुझे लगा इससे वो बुरा मान जाएगी मगर वो धीरे से बोली- सुनील क्या पहले ही दिन यह सब ठीक रहेगा?

मैं बोला- क्यों.. क्या मतलब?

वो बोली- अच्छा चलो कोई बात नहीं मैं तो तुम्हारी ही हूँ.. जो करना चाहो.. करो। अब मेरे समझ में न आए कि क्या करूँ? कैसे करते हैं?

वो मेरे लौड़े पर हाथ रखती हुई बोली- सामान तो दिखाओ।

मैंने अपनी जीन्स की ज़िप खोल दी। उसके मुलायम गोरे हाथों ने मेरा 7 इन्च लम्बा मोटा लंड बाहर निकाला तो आँख मार कर बोली- यार ये तो बहुत बड़ा है।

मैं अब पूरे जोश में था।
मैं उसको बिस्तर पर ले गया और जींस उतार दी सिर्फ़ अंडरवियर में था।

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मैं उसके होंठों को कसकर चूमने लगा। उसका कमीज उतारा, फ़िर ब्रा उतारी, मेरे हाथ में उसके गोरे-गोरे, गोल-गोल दूध थे उन पर भूरे रंग की भुंडी.. बहुत ही मस्त लग रहे थे।

वो ब्रा नहीं पहने हुए थी, सलवार का नाड़ा पकड़ कर खोला। तो उसने शरमा कर आँखें बंद कर लीं।

मैं बोला- डियर अब काहे की शरम.. मैं आपका पति हूँ।

वो बोली- तो मैं कुछ कह रही हूँ क्या…? अब आप ही मेरे सब कुछ हो… मेरा सब कुछ आपका ही है.. जो चाहो करो।

उसे विश्वास था कि हम लोगों की शादी हो जाएगी.. क्योंकि हम एक ही जाति के थे। उसके मेरे बीच प्यार बहुत था, हम दोनों के ही पिता अधिकारी हैं, इसलिए कोई दिक्कत का सवाल ही नहीं था।

मैं भी उससे शादी करना ही चाहता था। उसकी सलवार खोल कर अलग किया उसकी गोरी-गोरी जांघें मेरा स्पर्श पाकर और भी गरम हो गईं। उसकी पैंटी में थोड़ा छेद था, देखा तो मैंने उंगली डाली।

तो बोली- अरे यार दोनों पैंटी गीली थीं इसलिए यह पुरानी पहन ली थी।

मैं मुस्कुराने लगा, तो हँस कर बोली- यार तुम तो मेरी गरीबी का मज़ाक बना रहे हो।

मैं बोला- डियर आप बहुत ही मालदार हैं। बोली- माल तो नीचे है मेरे सजना.. इस चड्डी को उतार कर फ़ेंक दो और अपने माल को ले लो।

इतना कहकर वो शरमा गई।

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मैंने उसकी पैंटी को उतारा तो उसकी बुर बिल्कुल गोरी.. और उस पर भूरे छोटे-छोटे बाल थे।

अब तो मैं पागल हो गया, बुर को छुआ तो लगा जैसे गरम-गरम भट्टी हो।
मैं बुर को सहलाने लगा।

‘आह ओह्ह.. क्या कर रहे हो.. प्लीज़्ज़..!’

मैंने उसकी बुर की दरार में ऊँगली डाली तो बोली- क्या ऊँगली ही डालेंगे आप? इतना कह कर चुप हो गई।

मैंने कहा- रुको डार्लिंग.. अभी सब डालूँगा जी भर कर तुझे चोदूँगा.. पहले तेरी चूत तो चाट लूँ।

मैं जीभ से उसकी चूत के दोनों हिस्सों को चाट कर चोदने लगा, इससे मैं तो उत्तेजित हो ही रहा था, वो भी ‘आह.. ओह्ह.. मार डालोगे… चोद दो.. प्लीज़्ज़..’ सिसकार रही थी।

फ़िर मैंने उसके मुँह में अपना लंड डाला वो मेरा लौड़ा चाटने लगी।
बहुत मज़ा आ रहा था।
इस 69 की अवस्था में हम दोनों पागल हो रहे थे।

अब बारी चुदने-चुदाने की थी।

वो बोली- सुनील.. लंड धीरे से डालना प्लीज़.. वरना मेरी खूबसूरत बुर फ़ट जाएगी..समझ रहे हो न…

मैंने अब उसकी बुर पर सुपारा रखा तो लंड बुर में नहीं गया..

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फ़िसल गया तो हँस कर बोली- बुद्धूराम ऐसे नहीं होगा।
उसने अपने मुँह से थूक निकाल कर मेरे लंड पर मल दिया और लंड को बुर के मुँह पर खींचा।

मैंने हल्के से धक्का दिया तो बुर में दो इंच अन्दर घुस गया। वो आँखें फैला कर बोली- दर्द हो रहा है।

अब मेरे लंड को चूत की गरमी मिल गई थी।

मैं होंठों को चूसे जा रहा था… धीरे-धीरे 5-6 बार अन्दर-बाहर किया।

अब उसे भी मजा आ रहा था, वो नीचे से कमर भी हिला रही थी।
वो बोली- आप अभी इतना ही डालो… अब दर्द में भी मजा आ रहा है।

लेकिन मैं तो पूरा लंड उसकी बुर में डालना चाह रहा था।

मैं बोला- देखो अम्रता अब तुम्हें पूरे लंड का मजा देता हूँ।

मैंने दूसरा झटका लगाया तो मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी बुर में घुस गया।
वो इतनी तेज़ चिल्लाई कि मैं डर गया कि कोई पड़ोस से न आ जाए।
अब जोर से मैंने उसके शरीर पर दबाया कि वो उठ न जाए। वो दर्द से तड़फ कर बोली- हटो.. मैं मर गई प्लीज़्ज़.. खून आ गया है.. मुझे छोड़ दो प्लीज़ बहुत दर्द हो रहा है।

मैं जानता था कि अगर इसे छोड़ा तो फ़िर इस डर की वजह से कभी नहीं चुदवाएगी तो मैंने धीरे-धीरे 7-8 शॉट लगाए, तो उसका विरोध कुछ कम हुआ, बोली- मार डालोगे क्या?

अब वो हल्की मुस्कुराहट के साथ कमर भी हिलाने लगी।

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