प्रेषिका : पूजा राय Indian Sex Stories
आज मैं एक असली कहानी सुनाने जा Indian Sex Stories रहा हूँ। यह घटना मेरे साथ १ साल पहले घटी थी जब मेरी उमर २१ साल थी। दरअसल बात मेरे भइया की शादी से शुरू होती है जो कि जबलपुर में थी। वैसे तो मैं भोपाल शहर का रहने वाला हूँ। पर अपने भाई की शादी होने की वजह से मैं जबलपुर गया था जहाँ हमारे सारे रिश्तेदार आए थे। जिनमें से एक थी किरण चाची। वैसे तो वो मेरी दूर की रिश्तेदार थी पर उनके साथ मैं घुल मिल गया था।
वो दिल्ली की रहने वाली थी, पर उनके पति का देहांत कई सालों पहले हो हो चुका था। किरण चाची की उमर करीब ३०-३२ साल है । पर देखने में वो बला सी खूबसूरत हैं। उनका जिस्म देख के सारे शरीर मैं कंपकपी होने लगती है। उनका फिगर ३६-२४-३६ है। और वो हमेशा थोड़ा पतले कपड़े का बलाउज़ पहनती हैं जिसमें से उनकी ब्रा साफ़ साफ़ दिखती थी।
शादी को अभी २ दिन बाकी थे और घर में भीड़ होने की वजह से कुछ लोगों ने तय किया कि वो छत पे सोयेंगे। उन लोगों में से मैं भी एक था। छत पे हम सिर्फ़ ६ लोग सो रहे थे। जब रात के २ बजे मेरी नींद खुली और मैं दूसरी तरफ़ पेशाब करने गया तो मैंने पाया कि वहां पलंग पे कोई औरत सोई हुई थी जिसका पेटीकोट उसके घुटने के ऊपर तक आ गया था। उसको देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं ख़ुद को उस औरत के पास जाने से रोक नहीं सका। जब मैं उसके नजदीक पहुँचा तो पाया कि वो कोई और नहीं बल्कि किरण चाची थी। उनको देखते ही मेरा लंड मेरे पायजामे में से बाहर आने लगा था। मैंने फैसला कर लिया था कि आज तो मैं इनके बदन को छू के ही रहूँगा।
मैं सबको देख कर आया कि कहीं कोई उठा तो नहीं है। पर सब गहरी नींद में सो रहे थे। शायद किरण चाची भी गहरी नींद में सो रही थी तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई और मैं उनके पलंग के बाजू में जाकर बैठ गया और धीरे धीरे उनके पेटीकोट को ऊपर की तरफ़ सरकाने लगा। थोड़ी ही देर में उनका पेटीकोट बिल्कुल ऊपर तक आ चुका था। शायद वोह चड्डी नही पहनती थीं, जिस कारण उनकी चूत मुझे साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी जिस पर हलके से बाल थे।
उनकी चूत देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उनकी जांघ पे धीरे धीरे हाथ फेरना शुरू कर दिया और उनके जिस्म के भी रोंगटे खड़े हो गए थे, थोड़ी ही देर में उन्होंने करवट ले ली और अब उनकी चूत के दर्शन मुझको साफ़ तरीके से होने लगे थे। तो मैंने भी देर ना करते हुए उनके गड्ढे में अपनी एक ऊँगली डालना शुरू कर दी पर उनकी चूत बहुत ही टाईट थी जिस वजह से मैं और पागल हो चुका था और थोड़ी देर में मैंने एक ऊँगली से दो उँगलियाँ उनकी चूत में अन्दर बाहर करना शुरू कर दी।
मैं इतना जोश मैं आ चुका था कि मैं चाची के ऊपर चढ़ गया और उनकी चूची को दबाने लगा ऊपर से ही। पर तब तक वो जाग चुकी थी। उनकी आँख खुली देखकर मैं एकदम डर सा गया, चाची ने मुझे एक चांटा लगाया और फ़िर रोने लगी और मुझसे चिपक गई, मुझे भी एक दम से कुछ समझ नहीं आया था पर उनके बदन की गर्मी से मैं पागल हो गया और उनके होंठो को मैंने चूमना शुरू कर दिया। धीरे धीरे उनके दूध दबाने लगा और वो भी मेरा बराबरी से साथ देने लगी जिससे हमारे बीच सेक्स का मज़ा दोगुना हो गया।
अब मैंने पेटीकोट को हटा दिया और उनकी चूत पर अपना मुँह रख दिया जिससे चाची परेशान हो गई और चुदने के लिए अपनी चू्त को उछालने लगी। मैं खीर को धीरे धीरे खाना चाहता था, इस वजह से मैंने उनके छेद में अपनी जीभ डाल के अन्दर बाहर करना शुरू कर दी और उनके झड़ने का इंतज़ार करने लगा।
जैसे ही चाची झड़ने वाली थी मैंने सब कुछ एकदम से रोक दिया जिस वजह से चाची झड़ नहीं पाई और वो और भी ज्यादा गरम हो गई और मुझसे कहने लगी कि आज तक इतना सुखद अनुभव उसको कभी नहीं हुआ, उसके पति के जाने के बाद से वो प्यासी थी, आज मैं उसकी प्यास बुझाऊं।
मैंने भी देरी ना करते हुए अपने ९ इंच का लंड चाची के हाथ में दे दिया और चाची ने भी बुद्धिमानी दिखाते हुए मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया और जब मेरी झड़ने की बारी आई तो चाची ने सब रोक दिया जैसा कि मैंने उनके साथ किया था।
अब बारी थी असली मज़ा करने की। मैंने चाची के छेद के ऊपर अपना सु्पाड़ा रखा और थोड़ा सा धक्का लगाया और कुछ ही देर में मेरा लंड उनकी चूत में समां चुका था फ़िर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और अन्दर बाहर करने लगा। फ़िर थोड़ी देर के लिए चाची मेरे ऊपर आई और अपने दूध मेरे मुँह के सामने रख दिए तो मैंने भी उसकी चुचियों को अपने दांतों में रख के धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया और अन्दर से उस पे जीभ फेरना भी शुरू कर दिया।
चाची अब पागलों की तरह मेरे पूरे बदन पे हाथ फेरने लगी थी और फ़िर बारी आई चाची को निढाल करने की। तो अब मैंने चाची को अपने ऊपर चढ़ाया और धीरे धीरे उसे ऊपर नीचे होने के लिए कहा। और चाची भी एक्सपर्ट थी जैसा कहा बिल्कुल वैसा ही करती रही और कुछ ही देर में हम दोनों साथ झड़ गए और एक दूसरे की बाहों में करीब ३० मिनट तक लिपटे रहे और मेरा पूरा वीर्य चाची की चूत में ही था। अब सुबह होने को थी तो मैं अपने बिस्तर पे चला गया।
उसके बाद मुझको चाची के साथ सेक्स करने का मौका नहीं मिल पाया। पर हमारी बात होती रहती है और वो मेरे साथ और सेक्स करना चाहती हैं।
अब मैं जून मैं दिल्ली जाऊंगा तब चाची को अपना और करिश्मा दिखाऊंगा। Indian Sex Stories