तीसरी मंजिल-Hindi Porn Stories

Hindi Porn Stories

मैं अभी सेकेण्ड ईयर बी एस सी Hindi Porn Stories में हूँ। मेरे पापा ने एक छात्र अमन को तीसरी मंज़िल पर एक कमरा किराये पर दे रखा था। ऊपर बस दो ही कमरे थे। एक खाली था और एक में अमन रहता था। दोनो कमरों के बीच एक खुली छत थी। मैं खाना खा कर कभी-कभी छत पर टहलती थी।

ऐसी ही एक रात थी… मैं छत पर टहल रही थी। अमन अपने दोस्त के साथ था। मेरे बारे में उन्हें नहीं पता था कि मैं रात को अक्सर छत पर टहलती हूँ। मैंने यूँ ही एक बार खिड़की से उसके कमरे में झाँका। अमन और उसका दोस्त कमल नीचे बैठे दारू पी रहे थे। सामने टीवी चल रहा था। पाजामे में से अमन का लण्ड खड़ा साफ़ ही दिख रहा था। कमल उसे बार-बार देख रहा था। अचानक मैं चौंक गई। कमल का हाथ धीरे से अमन की जाँघ पर आया और धीरे से उसके लण्ड की तरफ़ आ गया। अमन ने तिरछी नज़रों से उसके हाथ को देखा, पर कहा कुछ नहीं। अब कमल का हाथ उसके लण्ड पर था। अमन के जिस्म में थोड़ी कसमसाहट हुई। कमल ने अब उसका लण्ड अपने हाथों से दबा दिया। अमन ने उसकी कलाईयाँ पकड़ लीं पर लण्ड नही छुड़ाया।

“ अमन कैसा लग रहा है…?”

“हाय… बस पूछ मत… दबा यार और दबा !” अमन ने भी अपना हाथ उसके लण्ड की तरफ़ बढ़ा दिया। अमन ने भी उसका लण्ड पकड़ लिया। अब दोनों एक दूसरे का लण्ड दबा रहे थे और धीरे-धीरे मुठ्ठ मार रहे थे। मेरे दिल की धड़कन बढ़ने लगी… ये क्या कर रहे हैं… क्या होमो कर रहे हैं…।

तभी कमल ने पाजामे का नाड़ा खोल दिया और अमन का लण्ड बाहर निकाल लिया। हाय रे… इतना बड़ा लण्ड…! मेरा जी धक् से रह गया। मेरा मन वहाँ से हटने को नहीं कर रहा था।

कमल ने धीरे से अमन के सुपाड़े की चमड़ी ऊपर खींच दी। अमन भी उसके पाजामे के अन्दर हाथ डाल कर कुछ कर रहा था। कुछ ही देर में वो नंगे हो गये। दोनों शरीर से सुन्दर थे, बलिष्ठ थे, चिकना जिस्म था। मेरी भी इच्छा होने लगी कि अन्दर जा कर मैं भी मज़े करूँ। वो दोनों एक-दूसरे से लिपट गये और कुत्ते की तरह से कमर हिला हिला कर लण्ड से लण्ड टकराने लगे।

“कमल… चल लेट जायें… और लण्ड चूसें…” अमन ने अपने मन की बात बताई।

दोनों ही बिस्तर पर लेट गये और और करवट लेकर उल्टे-सुल्टे हो गये। अब दोनों का लण्ड एक-दूसरे के मुँह के सामने थे। दोनों ने एक दूसरे का लण्ड अपने-अपने मुँह में लेकर चूसना चालू कर दिया। मैंने तो पहले ऐसा ना सुना था ना ही देखा था। मैंने अपनी चूत दबा ली… और पैन्टी के ऊपर गीला और चिपचिपापन आ गया था। मन में मीठी सी चुभन होने लगी थी।

दोनों की कमर ऐसे चल रही थी जैसे एक दूसरे के मुँह चोद रहे हों। दोनों ने एक-दूसरे के गोल-गोल चूतड़ों को दबा रखा था। पर अमन ने अब कमल की गाँड में अपनी ऊँगली घुसा डाली। और थूक लगा कर बार-बार ऊँगली को गाँड में डाल रहा था। अचानक अमन उठा और कमल की गाँड पलट कर उस पर सवार हो गया। उसने कमल की चूतड़ों को चीर कर अलग किया और अपना लण्ड उसकी गाँड में घुसाने लगा। मुझे लगा कि उसका लण्ड अन्दर घुस गया था। कमल ने अपनी टाँगें फ़ैला दी थीं। अमन के बलिष्ठ शरीर के मसल्स उभर रहे थे। कमर ऊपर-नीचे चल रही थी। कमल की गाँड़ चुद रही थी।

अब अमन ने कमल को उठा कर घोड़ी बना दिया और उसका लम्बा और मोटा लण्ड अपने हाथ में भर लिया। अब उसे शायद धक्के मारने में और सहूलियत हो रही थी। उसका लण्ड अमन की मुठ्ठी में भिंचा हुआ था। वह उसकी गाँड़ मारने के साथ-साथ उसके लण्ड पर मुठ्ठ भी मार रहा था। दोनों सिसकियाँ भर रहे थे। इतने में अमन ने जोर लगाया और उसका वीर्य छूट पड़ा। अमन ने उसे जकड़ लिया और मुठ्ठ कस-कस के मारने लगा। इससे कमल का वीर्य भी जोर से पिचकारी बन कर निकल पड़ा। दोनों के मुख से सिसकारियाँ फूट रही थीं… पूरा वीर्य निकल जाने के बाद वो वहीं बैठ गये और सुस्ताने लगे।

शो समाप्त हो गया था सो मैं धीरे से वहाँ से हट गई। मैं छत से नीचे आ गई। दोनो के मांसल शरीर मेरे मन में बस गये थे। मेरी इच्छा अब उनसे चुदने की हो रही थी। चाहे अमन हो या कमल… दोनों ही मस्त चिकने थे…। मैंने फ़ैसला किया कि चूँकि अमन यहीं रहता है, इसलिये उसे पटाना ज्यादा सरल है, फिर कमल भी तो सेक्सी है। यही सोचती हुई मैं सो गई। दूसरे दिन अमन कहीं बाहर से घूम कर आया तो मैंने उसे अपने प्लान के हिसाब से रोक लिया।

“ अमन अभी क्या कर रहे हो…? मुझे तुमसे कुछ काम है…।”

“तुम ऊपर आ जाओ… खाना खाते हुए बात करेंगे…!” कह कर वो ऊपर चला गया

मैं भी ऊपर आ गई… उसका टिफ़िन आ गया था। मैंने उसका खाना थाली में लगा दिया और सामने बैठ गई।

“हां बोल… क्या बात है…?”

“यार मुझे फ़िज़िक्स पढ़ा दे… तेरी तो अच्छी है ना फ़िज़िक्स…”

“ठीक है, कॉलेज के बाद मैं तुझे बुला लूंगा…” ये कह कर वो वापिस चला गया।

मैं भी कॉलेज रवाना हो गई। कॉलेज से आने के बाद मैं अमन का इन्तज़ार करने लगी। उसके आते ही मैं बुक्स ले कर ऊपर उसके कमरे में आ गई।

उसने किताब खोली और कुर्सी पर बैठ गया, उसकी बगल में मैं भी कुर्सी लगा कर टेबल पर बैठ गई। मेरा इरादा पढ़ने का नहीं था… उसे पटाना था। मैं उसे बीच-बीच में कुछ चॉकलेट भी देती जा रही थी। मैंने धीरे से उसके पाँव पर पाँव रख दिया। फिर हटा दिया। वह थोड़ा सा चौंका… पर फिर सहज हो गया। कुछ देर बाद मैंने फिर पाँव मारा… उसने इस बार जान कर कुछ नहीं किया। मेरी हिम्मत बढ़ी… मैंने उसका पाँव दबाया।।

अमन ने मुझे देखा… मैं मुस्करा दी। उसकी बाँछें खिल उठी। हँसी तो फँसी मान कर उसने भी एक कदम आगे बढ़ाया। उसने अपना दूसरा पाँव मेरे पाँव पर रगड़ा। मैंने शान्त रह कर उसे और आगे का निमंत्रण दिया। उसने मुझे फिर से देखा… मैंने फिर मुस्करा दिया।

अचानक वो बोला,”दिव्या… तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो…”

“क्या… कह रहे हो… अच्छे तो तुम भी हो…” मैंने उसे काँपते होठों से कहा। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी ओर खींचा। मैं जान करके उसके ऊपर गिर सी पड़ी। उसने तुरन्त मौके का फ़ायदा उठाया। और मेरी चूँचिया दबा दीं।

“हाय क्या करते हो…! कोई देख लेगा ना…!”

“कौन यार… उसने मुझे खींच कर गोदी में बैठा लिया। उसका लण्ड खड़ा हो चुका था। वो मेरी गाँड में चुभने लगा था।

“उफ़्फ़्…नीचे कुछ चुभ रहा है…”

“मेरा लण्ड है…” कह कर उसने और चूतड़ में चुभाने लगा।

“क्या है?”

“मेरा लौड़ा…” मैं जान करके शरमा उठी। मेरे चूतड़ की गोलाइयों के बीच लण्ड घुसने लगा। मेरे शरीर में सनसनी फ़ैलने लगी।

“मार डालोगे क्या… पूरा ही घुसा दोगे…” मेरी चुदने की स्कीम सफ़ल होती नजर आ रही थी। मुझे ये सोच के ही कंपकंपी आ गई।

“रुको… मेरी स्कर्ट तो ऊपर कर लो… ” मैंने अपने चूतड़ ऊपर उठा लिये और स्कर्ट ऊपर करके पैन्टी नीचे खींच दी। उसने भी अपनी पैन्ट नीचे खींच ली। उसका लण्ड फुँफकारता हुआ बाहर आ गया। उसने मुझे धीरे से चूतड़ ऊपर उठा कर लण्ड को मेरी चूत पर रख दिया और फिर मुझसे कहा कि धीरे से घुसा लो। उसका लण्ड मेरी चूत में फ़िसलता हुआ अन्दर बैठ गया। मैं आनन्द से भर गई।

तभी नीचे से पापा की आवाज आई। मैं चिढ़ गई। ये पापा भी ना… मैंने लण्ड धीरे से बाहर निकाला और कपड़े ठीक किये।

“ये दरवाजा खोल कर रखना रात को… मैं यहीं से आऊंगी… ! “

“पर ये तो बाहर से बन्द है ना…”

“अरे मैं खोल दूँगी… ये छत पर खुलता है…” कह कर मैं नीचे भाग आई। मेरा काम तो हो चुका था… बस चुदना बाकी था। मन ही मन मैं बहुत खुश थी, जैसे मैदान-ए-जंग जीत लिया हो। मैं रात होने का इन्तज़ार करने लगी।

मेरा कमरा दूसरी मंजिल पर था… मम्मी-पापा नीचे बेडरूम में सोते थे… मैं खाना खा कर अपने कमरे में आ गई। लगभग 9 बजे जब सब शान्त हो गया, मैं छत पर आ गई। मैंने तुरन्त अमन का दरवाजा खोला तो दिल धक् से रह गया… अमन और कमल दोनों ही वहाँ थे… बिल्कुल नंगे खड़े थे और गाँड मारने की तैयारी में थे।

मैं वापस जाने लगी तो अमन ने कहा…”जाओ मत दिव्या… सॉरी हम ऐसी हालत में हैं… मुझे ऐसा लगा कि तुम नही आओगी !”

मुझे लगा कि एक की जगह दो दो… मेरा मन मचल उठा…दो दो से चुदवाने को ! मैं रूक गई।

“पर दोनों नंगे हो कर ये क्या कर रहे हो…” मुझे पता था फिर भी अन्जान बनने का नाटक किया फिर अन्दर आ कर जल्दी से दरवाजा बन्द कर लिया।

“देखो किसी से कहना मत… हम रोज होमो करते हैं… कभी ये मेरी गाँड मारता है और कभी मैं इसकी गाँड चोदता हूं”

“मजा आता है ना…”

“हाँ… पर कुछ अलग सा…”

“क्या बात है यार… तुम भी ना…”

“थैंक्स दिव्या… देखो तुम यहाँ बैठो और बस देखो… हम तुम्हारे साथ कुछ नही करेंगे…” अमन और कमल दोनो ही एक तरह से विनती करने लगे।

“अरे तो मैं क्या तुम्हारी शकल देखूँगी… बस देखो!!! … मुझे भी तो मज़ा दो…” सुनते ही दोनों ही खुश हो गये। कमल को तो शायद पहली लड़की को चोदने का मौका मिल रहा था।

दोनो ने प्यार से मेरे कपड़े उतार दिये और अब हम तीनो नंगे थे। कमल तो मुझे ऐसे देख रहा था जैसे उसे कोई खज़ाना मिल गया हो… दोनों के लण्ड मुझे देख कर ९० का नहीं १२० डिगरी का ऐंगल बना रहे थे। मुझे ये जान कर सनसनी और मस्ती चढ़ रही थी कि मुझे दो-दो लण्ड खाने को मिलेंगे।

अमन मेरे आगे खड़ा हो गया और कमल मेरी गाँड से चिपक गया। अमन बोला,” दिव्या दोनो ओर से यानि चूत और गाँड में लण्ड झेल लोगी…?”

मैं सिहर उठी। मेरे मन में खुशियाँ हिलोरें मारने लगीं।

मैंने कुर्सी पर एक टाँग ऊपर रख दी और गाँड का छेद खोल दिया और इशारा किया- “लग जाओ मेरे हीरो… कमल तुम मेरी गाँड मारो, अमन ये चूत तुम्हारी हुई…!”

मैंने नशे में अपनी आँखे बन्द कर लीं। दोनों ही मेरे आगे-पीछे चिपक गये… मुझे दोनों का चिकना शरीर मदमस्त किये दे रहा था… मेरी एक टाँग कुर्सी पर ऊपर थी इसलिये गाँड और चूत दोनो ही खुली थी… पहल कमल ने की, मेरी गाँड पर तेल लगाया… और छेद में अपना लण्ड जोर लगा कर घुसा दिया।

अब अमन की बारी थी… उसने अपना लण्ड मेरी चिकनी और पनीली चूत में डाल दिया।

दोनों के मोटे और लम्बे लण्ड का भारीपन मुझे महसूस होने लगा। चूत लप लप कर लण्ड निगलने को तैयार हो गई थी। अब दोनों चिपक गये और हौले-हौले से कमर हिलाने लगे। दोनों ओर से लण्ड घुस रहे थे। मेरे आनन्द का कोई पार नहीं था। मेरे शरीर में तरंगें उठने लगीं। लण्ड मेरे दोनों छेदों में सरलता से आ जा रहे थे। पहली बार मैं आगे और पीछे से एक साथ चुद रही थी। दोनो के लण्ड फुफकार मार-मार कर डस रहे थे…

मैं वासना की गुड़िया बनी जम कर चुदवा रही थी। मस्तानी हो कर झूम रही थी। चुदाने का पहले का तज़ुर्बा काम में आ रहा था। दोनों ओर की चुदाई के कारण मैं कमर हिला नही पा रही थी… पर धक्के अब जोरदार लग रहे थे और मेरे चूत और गाँड में गजब की मिठास भर रहे थे। मेरी गाँड और चूत एक साथ चुदी जा रही थी।

कमल के दोनों हाथ मेरी चूचियों पर थे और मसलने में कोई कसर नही छोड़ रहे थे। उसे तो शायद पहली बार बोबे दाबने को मिले थे… सो जम कर दाब रहा था… लग रही थी, पर आनन्द असीम था… मेरी चूत और गाँड में तेज़ गुदगुदी और सनसनाहट हो रही थी… उन दोनों के लण्ड अन्दर आपस में टकराने का अह्सास भी करा रहे थे।

अचानक दोनों की ही बाँहों ने मुझे भींच लिया… दोनों के लन्डों का भरपूर दबाव चूत पे आने लगा। भींचने के कारण मेरी चूत में रगड़ लगने लगी और मैं अपनी सीमा तोड़ कर झड़ने लगी… “हाय रे… मैं तो गई…”

पर दोनों के बाँहों की कसावट बढ़ने लगी। अमन ने अपना लण्ड चूत में दबाया और अपना वीर्य छोड़ दिया… और ज़ोर लगा कर बाकी का वीर्य भी निकालने लगा। मेरी चूत से वीर्य निकल कर मेरे पाँवों पर बह चला।

इतने में कमल ने भी अपनी पिचकारी गाँड़ में उगल दी। दोनों ही कुत्ते की तरह कमर को झटका दे देकर वीर्य निकाल रहे थे। मेरी टाँग दोनो के वीर्य से चिकनी हो उठी। दोनों ने मुझे अब छोड़ दिया।

दोनों के मुरझाये हुए लण्ड लटकने लगे। अब मुझे अपने बिस्तर पर लिटा कर दोनों ही अपने मन की भड़ास निकालने लगे और बाकी की चूमा चाटी करने लगे। काफ़ी देर प्यार करने के बाद उन दोनों ने मुझे छोड़ा। मैंने उन दोनो को इस डबल मज़े के लिये धन्यवाद कहा और कल और चुदाने का वादा करके मैंने अपने कपड़े पहने और कमरे से निकल कर छत पर आ गई। धीरे से नीचे आकर अपने कमरे में आ गई।

आज मेरा मन सन्तुष्ट था। आज मेरी चूत और गाँड दोनों की प्यास बुझ गई थी। मैं अब सोने की तैयारी करने लगी…… Hindi Porn Stories

Leave a Comment