Hindi Sex Stories
मेरे घर में एक पार्टी थी। मैंने एक Hindi Sex Stories खेल रखा था और सब उसके नियम सुनने को बेचैन थे। १५ मिनट हो चुके थे।
“दोस्तों! अब जो खेल मैंने रखा है… प्लीज़ सब ध्यान से उसके नियम सुन लें”, मैं सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हुए बोला। “दीवार पर लगी घड़ी में इस समय साढ़े सात बजे हैं। ठीक सवा आठ पर बार बंद हो जायेगा। और सवा आठ से नौ के बीच में हर मर्द को अपनी औरतों की जोड़ी को एक बार जरूर चोदना है। ठीक नौ बजे औरतों को अपने-अपने मर्द का लंड चूसना है। जिस जोड़ी की औरत अपने मर्द का पानी पहले छुड़ाने में कामयाब होगी, वो ही इस खेल की विजेता होगी। कोई सवाल है किसी के दिल में?”
“क्या हम औरतों की चुदाई एक से ज्यादा बार नहीं कर सकते?” आर्यन ने पूछा।
“तुम्हारा दिल चाहे… उतनी बार तुम उनको चोद सकते हो पर तुम्हारी जोड़ीदार औरतों को ही तकलीफ होगी तुम्हारा पानी छुड़ाने में”, मैंने जवाब दिया।
“पहले किसको चोदना है… माँ को या बेटी को?” राम ने पूछा।
“इसकी कोई पाबंदी नहीं है। ये तुम लोग आपस में तय कर सकते हो”, मैंने उसकी बात का खुलासा किया।
“नहीं मैं इस बात से सहमत नहीं हूँ”, मिली ने मेरे लंड को चूमते हुए कहा, “उम्र के हिसाब से अहमियत बड़ों को पहले मिलनी चाहिये। क्या सब मेरी बात को मानते हैं?”
सबने उसकी बात का समर्थन किया।
“तो ठीक है! जो बड़ी है पहले वो चुदाई करायेगी”, मैंने कहा।
“क्या जीतने वाले को इनाम भी मिलने वाला है? अगर हाँ तो वो क्या है?” आयेशा ने पूछा।
“इनाम ये है कि जीतने वाली आज अपना चुदाई का कोई भी ख्वाब पूरा कर सकती है”, मैंने कहा, “और कोई सवाल?”
“क्या लंड चूसने के भी कोई नियम हैं?” अनिता ने पूछा।
“नहीं उसके कोई नियम नहीं हैं, सिर्फ़ इतना कि लंड चूसते वक्त औरतें अपने हाथों का इस्तमाल नहीं करेंगी।” मैंने कहा, “और कुछ पूछना है किसी को।”
“हाँ! बार वापस कब खुलेगा?” योगिता ने पूछा।
“जैसे ही ये खेल कोई जीत लेगा”, मैंने जवाब दिया, “वैसे बार अभी खुला है।”
“मम्मी!” आर्यन रूही के पास पहुँचा।
“हाँ बेटा! तुम ड्रिंक ले सकते हो पर ज्यादा मत लेना”, रूही ने आर्यन के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा जबकि खुद तो रूही नशे में झूम रही थी।
“क्या तुमने पहले कभी शराब पी है?” आयेशा ने आर्यन से पूछा।
“नहीं आज से पहले कभी नहीं पी, पर आज पीने वाला हूँ”, आर्यन ने कहा।
“चलो तुम्हें बीयर पिलाती हूँ… पहली बार ही व्हिस्की पियोगे तो चोद नहीं पाओगे… चलो मेरा भी पैग खत्म हो गया है”, आयेशा लड़खड़ाती हुई आर्यन को घसीट कर बार की ओर ले गयी।
“कितनी अच्छी जोड़ी है दोनों की!” मैंने रूही के कान में कहा।
“हाँ! मैं भी यही सोच रही थी” रूही ने जवाब दिया।
जब हम सब ड्रिंक करते हुए आपस में बातें कर रहे थे तो एम-डी ने कहा, “सुनील मैं तुम्हें बता सकता हूँ कि आज कौन जीतेगा।”
“कौन?” मैंने पूछा।
“मैं अपने पैसे अनिता पर लगा सकता हूँ। मेरी ज़िंदगी में कई औरतों ने मेरा लंड चूसा पर अनिता का लंड चूसने का अंदाज़ ही निराला है। वो एक नपुंसक के लंड में भी जान डाल सकती है”, एम-डी ने हँसते हुए कहा।
“पर सर, मिली, रूही और प्रीती भी किसी से कम नहीं हैं। मुझे लगता है कि स्पर्धा काफी नज़दीकी होगी,” मैंने कहा।
“अनुभवी इंसान की बात को मानना सीखो… हमेशा फ़ायदे में रहोगे”, एम-डी ने अपनी छाती पे हाथ ठोंकते हुए कहा।
ठीक सवा आठ बजे, सात खड़े लंड, सात गीली हुई चूतों में घुस गये और एक साथ सात आवाज़ें “आआआआहहहहह” की कमरे में गूँज पड़ी। थोड़ी ही देर में कमरे का माहोल गरमा गया। चारों तरफ से सिसकरियों की आवाज़ गूँज रही थी, “ओहहहहहह हाँ…आआआआ चोदो मुझे!!!!!”कोई कह रहा था, “हाहाहाँआआआ जोर से!!!! और जोर से डालो!!!! हाँ और जोर से!!!!”
कुछ देर बाद सिसकरियाँ बड़बड़ाहट में बदल गयीं, “रुकना मत… चोदते जाओ… और जोर से… मेरा छूटने वाला है…” और मर्दों ने एक जोर की “आआआआआहहहहह” के साथ अपना पानी उनकी चूत में छोड़ दिया।
जैसे ही सब मर्दों का लंड दोबारा खड़ा हुआ तो वो बेटियों की चूत में अपना लंड घुसा कर चोदने लगे। थोड़ी देर में सब औरतों की चुदाई एक बार हो चुकी थी। सब मर्द अपनी उखड़ी साँसों को संभालते हुए आराम कर रहे थे, सिवाय आर्यन के। “आयेशा चलो एक बार फिर से चुदाई करते हैं। तुम्हारा तो सपना कोई होगा नहीं!”
“सच कहूँ तो एक नहीं… कई हैं! और मैं आज उनमें से अपने एक सपने को जरूर पूरा करूँगी!” आयेशा ने जवाब दिया।
निराश होता हुआ आर्यन प्रीती के पास पहुँचा, “प्रीती! चलो चुदाई करते हैं।”
“अभी नहीं! मैं नहीं चाहती हूँ कि आयेशा इस खेल में हार जाये”, प्रीती ने जवाब दिया।
“जैसे सब बैठे हैं वैसे ही तुम भी बैठ जाओ और नौ बजने का इंतज़ार करो”, कहकर आयेशा ने आर्यन को एक कुर्सी पर बिठा दिया।
ठीक नौ बजे औरतों की जोड़ी में जो छोटी थी, वो अपने मर्दों का लंड चूसने लगी, “आयेशा! जरा धीरे चूसो! तुम्हारे दाँत मुझे चुभ रहे हैं”, आर्यन ने दर्द से सिसकते हुए कहा।
“आर्यन! अपना मुँह बंद रखो… मेरे हिसाब से आयेशा सही ढंग से चूस रही है”, प्रीती ने उसे डाँटते हुए कहा।
टीना मेरे लंड को चूस रही थी। उसे भी लंड चूसने का अनुभव नहीं था इसलिये उसके भी दाँत मेरे लंड पर चूभ रहे थे। थोड़ी देर बाद सब बड़ी औरतों ने छोटी लड़कियों का स्थान ले लिया। “शुक्रिया!!! आल्लाह!!!!” आर्यन ने एक गहरी साँस ली। “आयेशा तुमने तो मेरे लौड़े को चबा ही डाला था।”
मैंने अनिता को कहते हुए सुना, “मीना! कैसा चल रहा है?”
“वैसे तो ठीक है पर खड़ा नहीं हो रहा”, मीना ने जवाब दिया।
“लाओ इसके लंड को मुझे चूसने दो”, अनिता ने कहा, “मैं इसके लौड़े को थोड़ी देर में ऐसा कर दूँगी कि ये कमरे के चारों ओर पिचकारी मारता रहेगा।” थोड़ी देर मैं जय के मुँह से सिसकरियाँ फूटनी शुरू हो गयीं। “हाँ…आआआआ चूसो ऐए!!!!! हाय ओहहहहह हाँ जोर से… ऊईईई।”
वैसे तो मिली भी काफी अच्छी तरह चूस रही थी पर जय के चेहरे से लग रहा था कि वो लोग बाज़ी मार ले जायेंगे।
“ओहहहह अनिता..आआआआआ मेरा छूटने वाला है!!!!” जय जोर से चिल्लाया, “हाँ जोर से चूसो… हाँ ऐसे ही… हाँ मेरा छूटा।” उसका शरीर अकड़ा और उसके लंड ने अपने वीर्य की पिचकारी अनिता के मुँह में छोड़ दी।
खुशी से झूमते हुए अनिता ने जय के लंड को अपने मुँह में से निकाला और मीना और जय को अपनी बाँहों में भर लिया, “हम जीत गये… हम जीत गये!!!”
जब सब मर्दों का पानी छूट गया तो सभी औरतें अनिता को बधाई देने लगीं। “एम-डी सही कह रहा था, लगता है हम सब को तुमसे ट्यूशन लेना पड़ेगा। अब बताओ तुम अपना कौन सा सपना पूरा करना चाहोगी?”
“मेरा एक सपना है जिसके बारे में मैं हमेशा सोचती रहती थी किंतु…!” अनिता कहने जा रही थी पर मैं बीच में बोला, “अनिता! तुम अपना समय लो और सोच कर बोलो। हम खाना खाने के बाद तुम्हारा सपना जरूर पूरा करेंगे। अब बार खुला है और जो लोग फिर से ड्रिंक्स लेना चाहें… ले सकते हैं।”
“सुनील! मुझे मालूम है कि मैं क्या करना चाहती हूँ… मुझे सोचने की जरूरत नहीं है!” अनिता हँसते हुए बोली।
खाना खाने के बाद सब ये जानने को उत्सुक थे कि अनिता का वो ऐसा कौन सा सपना है जिसे वो पूरा करना चाहती है। सब अपने-अपने ड्रिंक्स लेकर अनिता के पास इकट्ठा हो गये। “मेरा हमेशा से सपना रहा है कि मुझे पाँच मर्द मिल कर चोदें और मेरे शरीर को अपने वीर्य से नहला दें… आज मैं अपना ये सपना पूरा करूँगी”, अनिता ने अपना ड्रिंक पीते हुए कहा।
“क्या पाँच मर्द? वो कैसे?” अंजू ने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“सीधी सी बात है, एक मेरी चूत में, एक मेरी गाँड में, और एक मेरे मुँह में! बाकी बचे दो… तो वो या तो मेरे हाथों में या मेरी चूचियों के बीच!” अनिता ने बताया।
“ठीक है तुम अपने साथी चुन सकती हो?” मैंने अनिता से कहा।
“विजय तुम नीचे लेट जाओ और मैं तुम्हारे ऊपर चढ़ कर तुम्हारे लंड को अपनी चूत में लूँगी। जय… तुम मेरी गाँड मारोगे और मैं आर्यन के लंबे लंड को अपने मुँह से चूसूँगी। राम और श्याम के लंड को अपने हाथों में लूँगी।”
जब सब लड़कों ने अपनी जगह ले ली तो अनिता ने कहा, “लड़कों! मेरा सपना है कि तुम सब आपस में ताल मेल रखते हुए अपना पानी छोड़ोगे और सब मेरे बदन पर ही छोड़ोगे। इससे सबको ज्यादा मज़ा मिलेगा।”
“हे राम और श्याम! ध्यान रखना जब तुम अपना पानी छोड़ो तो अनिता के बदन पर ही छोड़ना… कहीं मेरे चेहरे पर मत छोड़ना”, विजय ने उनसे कहा।
“राम! तुम इसकी बांयी आँख पर पिचकारी मारना और मैं इसकी दांयी आँख पर”, श्याम ने हँसते हुए कहा। इसके पहले कि विजय कुछ कहता, अनिता बोली, “विजय ये मज़ाक कर रहे हैं! और अगर ये ऐसा करते भी हैं तो तुम चिंता मत करो मैं तुम्हें चाट-चाट कर साफ कर दूँगी।”
नज़ारा जो अनिता ने रखा था, वो देखने लायक था। जय उसकी गाँड में अपना लंड जड़ तक पेल देता जिससे जय का लंड भी अंदर तक घुस जाता। राम और श्याम के लंड अनिता की बंद हथेलियों में अगे पीछे हो रहे थे। और आर्यन के लंड को अनिता जोर-जोर से चूस रही थी।
कमरे में सबकी सिसकरियाँ गूँज रही थीं। जय उसकी गाँड में लंड पेलते हुए बड़बड़ा रहा था, “ले साली! और जोर से ले!!! बहुत शौक है ना पाँच मर्दों से चुदवाने का??? आज मैंने तेरी गाँड ना फाड़ दी तो कहना!!!”
वहीं आर्यन बड़बड़ा रहा था, “हाँ! और जोर से चूसो ना!!!! हाँ अपने गले तक ले लो!!! ओहहहह आआआहहहह।”
अनिता जोर-जोर से लंड चूसने लगी तो आर्यन तुरंत बोला “अनिता आँटी! धीरे! मेरा छूटने वाला है।” अनिता ने अपनी रफ़तार धीमी कर दी।
“भाई! कैसा चल रहा है?” जय ने पूछा।
“मज़ा आ रहा है, ऐसा लग रहा है कि तुम्हारा लंड मेरे लंड को स्पर्श कर रहा है। हाँ इसी तरह अंदर तक अपने लंड को इसकी गाँड में पेलते रहो।” विजय ने नीचे से धक्का लगाते हुए जवाब दिया।
“हाँ जोर से!!! जोर से चोदो मुझे सब मिलकर!!!! मेरा छूटने वाला है!!!” अनिता जोर-जोर से अपने कुल्हे उछाल रही थी।
आर्यन ने अनिता के सर को अपने हाथों से पकड़ रखा था और अपना लंड उसके गले तक डाल कर चोद रहा था।
बहुत ही दिलकश नज़ारा था। ऐसी सामुहिक और भयंकर चुदाई ना तो मैंने देखी थी ना ही मैंने की थी।
“ओहहह मेरा…आआ छूटा…आआआ!” अनिता का इतना कहना था कि आर्यन ने भी, “ओहहहह मेरा छूटा!!!!” कहकर अपने लंड की बौंछार अनिता के चेहरे पर कर दी।
विजय ने जोर से अनिता को कमर से पकड़ कर अपने लंड को ऊपर की ओर करते हुए अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। वहीं जय ने अपने लंड के दो चार धक्के उसकी गाँड में और मारे और अपना पानी अनिता की पीठ पर छोड़ने लगा।
राम और श्याम ने अपने लंड को ठीक अनिता के चेहरे और छाती का निशाना बना कर अपनी पिचकारी छोड़ना शुरू किया। अरे संभालो! विजय कुछ कहता इसके पहले उनके लंड से छूटा वीर्य उसके चेहरे पे गिर पड़ा।
फातिमा जोर से हँस पड़ी और आयेशा ताली बजाने लगी कि तभी दो और बौंछार विजय के चेहरे से टकरायी।
“गंदे साले! क्या और कोई जगह नहीं मिली निशाना साधने के लिये”, विजय गुस्से में बोला।
“अरे गुस्सा क्यों करते हो”, कहकर अनिता उसके चेहरे पर लगे वीर्य को चाटने लगी। जब उसने विजय को अच्छी तरह साफ कर दिया तो निढाल पड़ गयी।
जब सब कोई सुस्ता चुके थे तो आयेशा ने कहा, “सर! अब मेरी बारी है।”
“नहीं तुम्हारी नहीं! अब मीना की बारी है”, मैंने कहा, “मीना! तुम बताओ तुम्हारा क्या सपना है।”
“मेरा कोई खास सपना नहीं है। एम-डी और आप मुझे ऑफिस में चोदते हैं… मैं उससे ही खुश हूँ”, मीना ने जवाब दिया। मीना बुरी तरह नशे में धुत्त थी और सोफे पर पसरी हुई थी।
“तो फिर दोनों के साथ यहाँ क्यों नहीं चुदवाती?” फातिमा ने कहा।
“दोनों मुझे कई बार एक साथ चोद चुके हैं… इसलिये एक बार और चुदवाने से मुझे कोई फ़रक नहीं पड़ेगा”, मीना ने हँसते हुए कहा, “एम-डी सर! आप लेट जायें और नीचे से मेरी चूत में लंड को डालें और सुनील सर, आप पीछे से मेरी गाँड मारें। आपका मोटा और लंबा लंड मुझे अपनी गाँड में अच्छा लगता है।”
कमरे में फिर एक बार चारों तरफ चुदाई का आलम था। मैं यहाँ एम-डी के साथ मिलकर मीना को चोद रहा था और चारों तरफ कोई ना कोई किसी को चोद रहा था।
थोड़ी देर बाद सब थक कर निढाल पड़े थे। पार्टी करीब-करीब खत्म होने को आ गयी थी। “आयेशा! रात काफी हो चुकी है… चलो तुम्हें घर छोड़ आऊँ”, मैंने आयेशा से कहा।
“सर! मुझे यहीं रहने दें ना… वैसे भी घर में सबको पता है कि मैं यहाँ हूँ”, आयेशा थोड़ा नाराज़ होते हुए बोली। नशे में उसकी आवाज़ बहक रही थी।
“वो तो सब ठीक है… पर काम ऐसा करना चाहिये कि तुम्हें दोबारा भी यहाँ आने की इजाज़त मिल जाये”, मैंने उसे समझाते हुए कहा।
“ठीक है! पर क्या मैं सुबह यहाँ आ सकती हूँ? रूही मैडम! आप और आर्यन कल यहीं हैं ना?” आयेशा ने कहा।
“हाँ मेरी जान! हम यहीं हैं”, रूही ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा। “तुम कल सुबह आ जाना… हम इंतज़ार करेंगे।” फिर आयेशा को कपड़े पहनाने में विजय ने मेरी मदद की क्योंकि आयेशा को तो नशे में कुछ होश नहीं था। बड़ी मुश्किल से उसे कार में बिठा कर उसके घर ले गया।
जब मैं आयेशा को उसके घर छोड़ कर आया तो देखा कि सब किसी ना किसी को बाँहों में लिये सो गये है। मैंने देखा कि प्रीती और रजनी अकेले सो रहे हैं तो मैं भी उनके बीच में जाकर सो गया।
“ट्रिंग…ट्रिंग” डोर बेल की घंटी बजी। मैंने उसे अनसुना कर दिया। “ट्रिंग…ट्रिंग” घंटी फिर बजी और देर तक बज रही थी। इतनी सुबह कौन हो सकता है? सोचकर मैंने घड़ी पर देखा तो सुबह के नौ बज चुके थे। दरवाजा खोलते ही मैं चौंक पड़ा, दरवाजे पर आयेशा खड़ी थी। उसकी आँखें अभी भी नशे में सुर्ख थीं। वो सो कर उठते ही सीधी यहाँ आ गयी थी।
“ओह गॉड! इतनी सुबह… तुम यहाँ क्या कर रही हो?”
“मैं यहाँ पार्टी जॉयन करने आयी हूँ”, उसने अंदर आते हुए कहा, “आप ही ने तो कहा था कि मैं आ सकती हूँ।”
“हाँ कहा था पर इतनी सुबह आ जाओगी… उम्मीद नहीं थी, सब सोये पड़े हैं”, मैंने कहा।
“आप इसकी चिंता मत करो… मैं सबको जगा दूँगी”, कहकर वो अपने कपड़े उतारने लगी। “ये वक्त चुदाई करने का है ना कि सोकर बर्बाद करने का।”
वो आर्यन को ढूँढने लगी जो अंजू और मंजू के बीच सोया हुआ था। उसने उसके मुर्झाये लंड को अपने हाथों में लिया। “गुड मोर्निंग मेरे प्यारे सुनीला!” कहकर उसके लंड को चूसने लगी।
“ओहहहह बहुत ही अच्छा लग रहा है!” आर्यन ने बड़बड़ाते हुए अपनी आँखें खोलीं, “ओह आयेशा! तो ये तुम हो?”
“हाँ मेरे सुनीला! तुम्हारी जान आयेशा, और सिर्फ़ तुम्हारी”, आयेशा थोड़ा मुस्कुरायी, “आराम से लेटे रहो और मज़े लो।”
आर्यन के मुँह से सिसकरी निकाल पड़ी और वो अंजू और मंजू की चूत को सहलाने लगा। अंजू और मंजू ने आँख खोलकर जब देखा तो दोनों आर्यन की छाती में चेहरा छिपा कर उसके निप्पल पर अपनी ज़ुबान फिराने लगीं।
“आयेशा का सुझाव बुरा नहीं है”, सोचते हुए मैं भी देखने लगा कि कोई उठा हुआ है कि नहीं। मैंने देखा कि विजय सिमरन और साक्षी के बीच सोया हुआ था। सिमरन अपनी पीठ के बल लेटी हुई थी। मैं उसकी टाँगों के बीच आकर उसकी चूत को चाटने लगा।
“ओह प्लीज़ नहीं, प्लीज़ रुक जाओ ना!” वो चिल्ला पड़ी
“क्या तुम्हें मेरा, तुम्हारी चूत चाटना अच्छा नहीं लग रहा?” मैंने थोड़ा झल्लाते हुए पूछा।
“ऐसी बात नहीं है, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है पर मुझे पिशाब जाना है और अगर मैं जल्दी से नहीं गयी यहीं तुम्हारे मुँह पर कर दूँगी”, सिमरन ने जवाब दिया।
“ठीक है जाओ!” मैंने उसे जाना दिया। वो लगभग दौड़ती हुई बाथरूम की तरफ लपकी। बाकी लड़कियों की तरह उसने भी पिछली रात अपने सैंडल नहीं उतारे थे। मैं फिर दूसरों की तरफ देखने लगा। मैंने अनिता और मीना को उठाया और उन्हें दूसरों को भी उठाने के लिये कहा। इतने में सिमरन टॉयलट से लौट कर आ रही थी।
“ओये ये यहाँ क्या चल रहा है?” वो बोली जब उसने आर्यन को तीन लड़कियों के साथ मज़े लेते देखा। “किसी को बुरा तो नहीं लगेगा अगर मैं भी इसमें शामिल हो जाऊँ?” कहकर उसने अपनी चूत आर्यन के मुँह पर रख दी।
“ये क्या कर रही हो?” आर्यन ने पूछा।
“कुछ नहीं… मेरी चूत के पानी के रूप में तुम्हें सुबह की चाय पिला रही हूँ”, सिमरन ने हँसते हुए कहा, “चलो अब अपनी चाय पियो।”
“सुनील! क्या तुमने जय को देखा है?” अनिता ने पूछा। मैंने अपनी गर्दन ना में हिला दी।
“मैंने उसे उस कमरे में जाते देखा था”, रूही ने जवाब दिया।
“आओ रूही हम उसे ढूँढते हैं”, अनिता ने रूही का हाथ पकड़ते हुए कहा। जय उन्हें बाथरूम में नहाते हुए मिला। छोटी बच्चियों की तरह उन्होंने जय को बाथरूम के बाहर खींचा और बिस्तर पर ढकेल दिया। जय का पूरा बदन साबुन से भीगा हुआ था।
“रूही! मैं इसका लंड चूसती हूँ और तुम अपनी चूत इसे चाटने के लिये दे दो?” अनिता जोर से चिल्लायी।
कमरे के बाहर मैंने देखा कि एम-डी फातिमा की चूत चाट रहा था वहीं प्रीती उसके लंड को मुँह में लेकर जोरों से चूस रही थी।
हम सब लोग पूरे दिन चुदाई, चटाई, गाँड मराई करते रहे। हालत ये थी कि सब चोद-चोद के इतना थक चुके थी कि किसी में भी ताकत नहीं बची थी।
दूसरे दिन रूही अपने बच्चों के साथ वापस चली गयी और वादा कर गयी कि वो जल्द ही वापस आयेगी। शाम को मेरी बहनें अपने पतियों के साथ और मेरे साले अपनी बीवियों के साथ अपने-अपने घर जाने के लिये ट्रेन में सवार हो गये।
कई महीने गुज़र गये। इसी दौरान हम कई बार रूही के यहाँ हो आये थे और रूही भी कई बार हमारे यहाँ आ चुकी थी। गौरी के इक्किसवें जन्मदिन को अब एक हफ्ता ही रह गया था और हमें उसके जन्मदिन की तैयारियाँ करनी थी।
गौरी के जन्मदिन से एक दिन पहले रजनी, योगिता, टीना, प्रीती और मैं, सब डिसकस कर रहे थे कि हम गौरी की कुँवारी चूत को चोदने के प्रोग्रम को कैसे अंजाम दें। हमें पता था कि इस बार एम-डी पूरी सावधानी बरतेगा कि मैं उसकी बेटी कि कुँवारी चूत ना फाड़ पाऊँ। हम ये भी जानते थे कि टीना की तरह वो हमें गौरी की बर्थडे पार्टी नहीं करने देगा।
“योगिता! तुम्हें क्या लगता है कि हमें मिली से भी होशियार रहना चाहिये?” मैंने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“नहीं… मुझे ऐसा नहीं लगता। वो बड़ी प्रैक्टीकल किस्म की औरत है। उसे ये बात मालूम है कि उसकी बेटी की चूत को एक दिन तो फटना ही है, सो कल फटे या आज… उसे कोई फ़रक नहीं पड़ता”, योगिता ने जवाब दिया।
“अगर ऐसा है तो क्या हम उसे सारी हकीकत बता कर अपना राज़दार बना सकते हैं?” मैंने पूछा।
“नहीं उसे बिल्कुल मत बताना। सारी बात जानने के बाद शायद वो अपनी बेटी की चूत चुदवाने में हमारी मदद ना करे पर चुद जाने के बाद शायद वो ऐतराज़ ना करे”, योगिता ने जवाब दिया।
“क्या उसके जन्मदिन की पार्टी होगी?” प्रीती ने पूछा।
“जरूर होगी! गौरी अपने पापा की लाडली बेटी है। उन्होंने उसे एक बड़ी पार्टी का वादा किया है और वो अपना वादा जरूर पूरा करेंगे, बस सवाल ये उठता है कि वो पार्टी कहाँ पर रखेंगे”, टीना ने जवाब दिया।
“क्या गौरी अब भी अपनी उस इंगलिश टीचर की चूत चाटती है और अपनी चटवाती है… क्या नाम था उस टीचर का… मुझे याद नहीं आ रहा… हाँ याद आया, मिस ब्रिगेंज़ा!” प्रीती ने पूछा।
“बदकिस्मती से हाँ! पूरी लेस्बियन बन गयी है!” रजनी ने जवाब दिया, “और उसका यही शौक हमारे काम को अंजाम देने में आड़े आ सकता है।”
उसी समय फोन की घंटी बजी। एम-डी लाईन पर था, “सुनील! मैं तुम्हें और प्रीती को मेरी बेटी गौरी की जन्मदिन की पार्टी की दावत देता हूँ… पार्टी शनिवार की शाम को है… सो जरूर से पहुँच जाना।”
“थैंक यू सर!” मैंने जवाब दिया, “पर सर! आपने क्यों तकलीफ उठायी? मुझसे कह दिया होता… मैं पार्टी का सारा इंतज़ाम कर देता, जैसे मैंने टीना की पार्टी का इंतज़ाम किया था।”
“सुनील! क्या तुम मुझे बेवकूफ़ समझते हो?” एम-डी ने जोर से हँसते हुए कहा, “तुम्हें क्या लगता है कि मैं अपनी मासूम बेटी को तुम्हारे फ्लैट पे आसानी से आने दूँगा जिससे तुम मेरी बेटी की कुँवारी चूत को चोद सको? किसी भी हालत में नहीं सुनील! इस बार पार्टी मेरे घर पे होगी। और मैं तुम्हें सावधान कर रहा हूँ कि अगर तुमने मेरी बेटी की ओर आँख उठा कर देखा तो मैं तुम्हें जान से मर दूँगा।”
“सर! आप जबरदस्ती मुझ पर शक कर रहे हैं”, मैंने झूठ बोलते हुए कहा, “मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है।”
“हो सकता है तुम्हारा इराद ना हो… फिर भी मैं तुम्हें सावधान कर रहा हूँ”, एम-डी हंसा, “ठीक है शनिवार कि शाम को मिलते हैं”, कहकर उसने फोन रख दिया।
“एम-डी था फोन पर… उसने गौरी के जन्मदिन की पार्टी के लिये शनिवार की शाम की दावत दी है हमें”, मैंने सबको बताया।
“पर तुमने ऐसा क्यों कहा कि तुम्हारा गौरी की कुँवारी चूत चोदने का कोई इरादा नहीं है?” रजनी ने पूछा।
“मैंने ये इसलिये कहा कि जिससे वो निश्चिंत हो जाये और आखिरी वक्त पर अपना इरादा ना बदल ले”, मैंने जवाब दिया।
“अब जब पार्टी उसके घर पर है तो हम अपने इरादों को कैसे कामयाब बनायेंगे?” योगिता ने पूछा।
“जब मैं उससे बात कर रहा था तो एक ऑयडिया मेरे दिमाग में आया है… हम वही तरीका आजमा सकते हैं जो हमने सायरा की कुँवारी चूत के लिये आजमाया था”, मैंने कहा।
“ये सायरा कौन है और क्या हुआ था?” योगिता ने पूछा।
तब रजनी ने उसे सब बताया कि किस तरह और कैसे हमने सायरा की कुँवारी चूत चुदवायी थी।
“ये तो सब समझ में आता है… फिर भी ये बात समझ में नहीं आती कि गौरी अपनी चूत चुदवाने को कैसे तैयार होगी?” योगिता ने पूछा।
“रुको सब लोग! मेरे पास एक प्लैन है”, प्रीती ने कहा, “उसकी चूत चूसने की आदत ही उसकी चूत का उदघाटन करायेगी।” फिर प्रीती हमें प्लैन समझाने लग गयी। हम सब उसकी बात से सहमत हो गये और शनिवार का इंतज़ार करने लगे।
शनिवार की शाम को मैं और प्रीती एम-डी के घर पहुँच गये। हमने एक बड़ा सा तोहफ़ा लिया था गौरी के लिये। केक काटने की रस्म के बाद सबने गौरी को तोहफ़े दिये। कमरे में म्यूज़िक चालू था और सब आपस में बातें कर रहे थे।
“सर! हम सबने मिलकर काफी समय से मज़ा नहीं किया है… क्यों ना आज कर लें”, प्रीती ने एम-डी से कहा।
“क्यों नहीं? वैसे भी मुझे इतनी जोर से म्यूज़िक बजता अच्छा नहीं लगता”, एम-डी अपने स्टडी रूम की ओर बढ़ता हुआ बोला। “रजनी! गौरी को सिर्फ़ चार बिस्कुट देना खाने के लिये… ज्यादा नहीं!” प्रीती रजनी के कान में फुसफुसायी और लड़खड़ाते कदमों से सैंडल खटपटाती हुई एम-डी के पीछे चल पड़ी। उसने काफी शराब पी रखी थी और इतने नशे में होने के बावजूद उसे अपना मकसद याद था।
“तुम इस बात की चिंता मत करो”, रजनी ने कहा।
जब स्टडी रूम में पहुँचे तो योगिता को छोड़ कर हम सबने अपने कपड़े उतार दिये। “क्या बात है डार्लिंग! क्या आज तुम हमे अपनी चूत नहीं दिखाओगी?” एम-डी ने पूछा।
“आज मैं तुम लोगों का साथ नहीं दे पाऊँगी। मेरी तबियत ठीक नहीं है”, योगिता ने जवाब दिया।
“मेरी जान अगर तुम्हारी चूत बिमार है तो क्या हुआ… हम तुम्हारी गाँड तो मार ही सकते हैं”, एम-डी ने हँसते हुए कहा।
“जब कोई मेरी गाँड मारना चाहेगा तो मैं अपने कपड़े उतार दूँगी”, योगिता ने जवाब दिया।
जब एम-डी और योगिता ये बातचीत कर रहे थे तो मैंने मिली को रूम में लगे दिवान पर लिटा दिया और उसे चोदने लगा।
एम-डी ने जब देखा कि योगिता साथ देने को तैयार नहीं है तो उसने प्रीती को खींच कर हमारे बगल में सोफ़े पर लिटा दिया। “प्रीती! जल्दी करो नहीं तो सुनील और मिली हमसे आगे निकल जायेंगे”, कहकर वो अपना लंड प्रीती की चूत में घुसाने लगा।
“नहीं! ऐसे मज़ा नहीं आयेगा”, प्रीती ने उसे रोकते हुए कहा, “पहले तुम मेरी चूत चूसो और ऐसे चूसो कि मैं चुदवाने कि लिये भीख माँगने लगूँ।”
“ठीक है… अगर तुम यही चाहती हो तो…” एम-डी ने प्रीती को अपनी बाँहों में भर लिया और फिर उसकी टाँगों के बीच आ गया। इधर मैं जोर के धक्के मार कर मिली को चोद रहा था।
थोड़ी ही देर में प्रीती के मुँह से सिसकरियाँ फूटनी सुरू हो गयीं, “हाँ!!!! अच्छा लग रहा है!!!!” वो और सिसकी, “हाँ आआआआ और जोर से चूसो… हाँ जोर से!!!!”
मिली भी उत्तेजना में पागल हो रही थी। वो भी अपने कुल्हे उछाल कर मेरी ताल से ताल मिला रही थी।
“हाँ अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर तक डाल दो”, प्रीती बड़बड़ा रही थी, “हाँ ऐसे ही!!!! हाँ अब अपनी जीभ से मेरी चूत को चोदो।”
“ओहहहहह सुनील!!!! जोर से हाँ और जोर से कितना अच्छा लग रहा है…” मिली चिल्ला रही थी और मैं अपनी पूरी ताकत से उसकी चूत की धज्जियाँ उड़ा रहा था।
“ओहहहहहहह बस अब मुझसे सहन नहीं हो रहा”, प्रीती चिल्लायी, “चोदो मुझे… अपना गधे जैसा लंड डाल दो मेरी चूत में… और फाड़ दो मेरी चूत को!!!!”
“नहीं अभी नहीं!!!!” एम-डी हँसते हुए बोला, “पहले तुम भीख माँगो।”
“ओहहहहह प्लीज़!!!! मैं आपसे भीख माँगती हूँ… डाल दो अपने लंड को मेरी चूत में…” प्रीती मिन्नत करते हुए बोली।
“प्रीती! अब मैं तुम्हारी चूत का भोंसड़ा बना दूँगा”, हँसते हुए एम-डी ने पूरी ताकत से अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया।
“ओहहहहह मज़ा आआआआ गया… और जोर से!!!!” प्रीती चिल्ला उठी।
“ओहहहह सुनील!!!! रुको मत!!!! हाँ आआआआ कुछ धक्कों की बात और है… ओहहहह सुनील मेरा छूटा!!!!” मिली जोर से सिसकी। उसी समय मैंने भी एक जोर की हुंकार भरते हुए अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया।
“ओह सुनील! आज तो चुदाई में मज़ा आ गया”, मिली मुझे बाँहों में भरते हुए बोली, “चलो एक बार फिर से करते है।”
“जरूर मेरी जान… पर सुस्ता तो लेने दो”, कहकर मैंने हम दोनों के लिये दो सिगरेट जला लीं।
उसी समय प्रीती के प्लैन के मुताबिक योगिता मेरे पास आयी। “सुनील! जरा मेरे साथ आना तो!” वो धीरे से बोली।
“ठीक है आता हूँ!” मैंने जवाब दिया। “डार्लिंग! मैं अभी आता हूँ”, मैंने मिली से कहा।
“जाओ पर ज्यादा देर मत लगाना, मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ”, मिली ने सिगरेट का कश लेते हुए कहा।
एम-डी प्रीती की चूत को भोंसड़ा बनाने में इतना खोया हुआ थी कि उसका ध्यान ही नहीं गया कि मैं कमरे के बाहर खिसक गया हूँ। योगिता मुझे गौरी के कमरे में ले आयी। गौरी बिस्तर पर नंगी लेटी हुई अपनी दोनों टाँगें हवा में फ़ैलाये हुए थी।
रजनी उसकी टाँगों के बीच बैठी उसकी चूत को चूस रही थी। “ओहहहह दीदी!!!!! अपनी जीभ को और अंदर तक घुसाओ ना। मेरी चूत में इतनी खुजली हो रही है कि शाँत ही नहीं हो रही… ओहहहह और अंदर तक!!!!!” गौरी सिसक रही थी।
“गौरी! देख तो हमारे बीच कौन आया है”, योगिता ने कहा।
गौरी ने अपनी गर्दन घुमाई और मुझे कमरे में नंगा खड़ा देखा। मैं अपने लंड की चमड़ी को ऊपर नीचे करते हुए उसे देख रहा था।
“अच्छा हुआ सुनील तुम आ गये! देखो ना मेरी चूत में इतनी खुजली मच रही है और रजनी दीदी की जीभ इतनी लंबी नहीं है कि उस खुजली को मिटा सके। तुम अपना लंबा लंड मेरी चूत में घुसा कर मेरी खुजली मिटा दो ना!” गौरी गिड़गिड़ाते हुए बोली।
“मेरा लंड तुम्हारी चूत को फाड़ देगा!” मैंने जवाब दिया।
“फट जाने दो मेरी चूत को… पर मुझे इस खुजली से छुटकारा दिला दो प्लीज़!” गौरी बिस्तर पर मचलते हुए बोली।
“जैसा तुम कहो मेरी जान!” कहकर मैं उसकी टाँगों के बीच आकर उस पर झुक गया और अपने लंड को उसकी चूत पर घिसने लगा। योगिता ने टीना को आँख मारी और धीरे से कहा, “अब तुम अपना काम करो?”
टीना दरवाजे के बीचों बीच खड़ी होकर चिल्लाने लगी, “पापा आप वहाँ प्रीती को चोद रहे हैं और सुनील यहाँ गौरी की चूत चोदने की तैयारी कर रहा है।”
“ओह सुनील! तुम ये क्या कर रहे हो? अपने लंड को मेरी चूत में डालो ना अंदर!” गौरी अपनी चूत को मेरे लंड पर और रगड़ते हुए बोली, “तुम्हारे लंड रगड़ने से तो खुजली कम होने के बजाये और बढ़ रही है।”
“मुझे थोड़ा समय दो!” मैंने कहा, “अभी तुम्हारी चूत की खुजली मिटाता हूँ।”
“क..क..क..क्याक्याक्या बकवास कर रही हो। सुनील तो यहाँ तुम्हारी माँ की चुदाई कर रहा है”, एम-डी ने जोर से चिल्लाते हुए कहा, “मिली सुनील कहाँ है?”
मिली ने क्या कहा हमें सुनाई नहीं पड़ा। “हरामजादी कुत्तिया! तूने सुनील को जाने कैसे दिया??? साली यहाँ नशे में मस्त हो कर पड़ी है और सिगरेट फूँक रही है… सुनील को जाने कैसे दिया? तुझे पता है कि सुनील गौरी की कुँवारी चूत के पीछे पड़ा है”, एम-डी जोर से मिली पर गुर्राते हुए बोला। “हे भगवान! इसके पहले कि सुनील गौरी की कोरी चूत फाड़ दे… मुझे उसे बचाना चाहिये।”
“हे रुको!!!! तुम इस तरह नहीं जा सकते!!!!” प्रीती एम-डी को रोकते हुए बोली, “तुम्हें पता है कि मेरा छूटने वाला है।”
“प्रीती मुझे अभी जाने दो। मैं बाद में आकर तुम्हारी चूत का पानी छुड़ा दूँगा”, एम-डी गिड़गिड़ाते हुए बोला, “अगर गौरी का कुँवारापन छिन गया तो मैं बर्बाद हो जाऊँगा।”
एम-डी प्रीती को लगभग घसीटते हुए कमरे में दाखिल हुआ। मिली भी लड़खड़ाती हुई उसके पीछे-पीछे आ गयी।
कमरे में आकर जब एम-डी ने देखा कि मेरा लंड अभी भी गौरी की चूत पर ही था और अंदर नहीं गया था तो एम-डी चिल्लाया, “रुक जाओ सुनील! मेरी बेटी गौरी की कुँवारी चूत को बख्श दो… मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूँ।”
मैं थोड़ी देर के लिये हिचकिचाया। “सुनील किसका इंतज़ार कर रहे हो? घुसा दो अपना लंड गौरी की चूत में”, योगिता मुझे जोश दिलाते हुए बोली।
“सुनील! इसकी बातों पर ध्यान मत देना, मैं तुमसे गौरी की चूत की भीख माँगता हूँ”, एम-डी अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए बोला।
“सुनील! मेरे पापा की बात मत सुनो और जैसे योगिता आँटी कह रही हैं, वैसे ही फाड़ दो मेरी चूत को”, गौरी अपने कुल्हे उछाल कर बोली।
“जैसे तुम चाहो डार्लिंग!” कहकर मैंने गौरी की दोनों जाँघों को पकड़ लिया और धीरे से अपना लंड उसकी चूत में ढकेल दिया।
“ओहहहहह मर गयीईईई”, गौरी चींख पड़ी।
मैंने एक जोर का धक्का लगाया। मुझे महसूस हुआ कि मेरा लंड गौरी की चूत की झिल्ली को चीरता हुआ उसकी चूत में घुस गया है। मैंने अपने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाला और एक जोर का धक्का दिया।
“ओहहहह सुनील!!! बहुत दर्द हो रहा है!!!! मर गयी!!!!” गौरी दर्द से चिल्ला पड़ी।
मैं धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा। जैसे-जैसे गौरी की चूत ढीली पड़ रही थी वैसे ही मेरा लंड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था।
“सुनील! तुमने ये क्या कर दिया!!!” एम-डी गिड़गिड़ाते हुए बोला। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“सुनील ने गौरी की चूत फाड़ दी है और उसे चोद रहा है”, योगिता हँसते हुए अपना शराब का ग्लास हवा में नचाते हुए बोली।
उसकी बात पर ध्यान दिये बिना एम-डी ने मुझसे पूछा, “सुनील! तुमने तो फोन पर कहा था कि तुम्हारा गौरी की चूत को चोदने का कोई इरादा नहीं है… फिर ये क्या है?”
“सर मेरा… आआआआ इरादा…” मैं कुछ कहने ही वाला था कि गौरी बीच में बोल पड़ी, “पापा! आप शाँत रहिये… ये कोई वक्त है सवाल करने का। सुनील को पहले मेरी चूत की खुजली मिटा लेने दीजिये फिर जितने सवाल करने हों कर लीजियेगा”, गौरी अपने कुल्हे उछालते हुए बोली, “सुनील! मैं चाहती हूँ कि तुम जमकर मेरी चुदाई करो।”
“तुम्हारा हुक्म सिर आँखों पर!” कहकर मैं जोर के धक्के लगाने लगा।
“शाबाश मेरे शेर!” योगिता ताली बजाने लगी।
“तुम्हें बड़ा मज़ा आ रहा है, इस घिनोनी हर्कत पर?” एम-डी ने घूरते हुए योगिता से कहा।
“क्यों ना आयेगा? ये मेरे बदले का हिस्सा है”, योगिता ने जवाब दिया।
“बदला, मैं तो समझा था कि अपना हिसाब बराबर हो चुका है”, एम-डी ने चौंकते हुए कहा।
“मेरी बे-इज्जती का हिसाब तो बराबर हो चुका है। पर ये बदला मेरे पति की बनायी हुई कंपनी को रंडी खाना बनाने के लिये है”, योगिता बोली।
“ओह गॉड! अगर इन जैसे दोस्त हों तो दुनिया में इंसान को दुश्मनों की जरूरत नहीं है”, कहकर एम-डी वहीं सोफ़े पर ढेर हो गया।
“ओहहहह सुनील! कितना अच्छा लग रहा है”, गौरी सिसक रही थी। मुझे भी मज़ा आ रहा था। मैं जोर-जोर से उसकी कसी चूत में धक्के लगा रहा था।
“हाँ! अब और अच्छा लग रहा है… हाँ और जोर से!! हाँ ऐसे ही चोदो मुझे!!! ओहहहह सुनील!!! लगता है कि मेरा छूटने वाला है!!!!” कहकर गौरी बिस्तर पर निढाल पड़ गयी।
ये मेरी दूसरी चुदाई थी इसलिये मेरा छूटने में टाईम था। मैं अब भी उसकी चूत में अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था।
थोड़ी देर में गौरी फिर अपने कुल्हे उठा कर मेरी ताल से ताल मिलाने लगी। “ओहहह सुनील!!! लगता है कि मेरा फिर छूटने वाला है!!! हाँ और जोर से चोदो ना!!! हाँ और जोर से!!! ओहहहह मेरा छूटा!!!” कहते हुए उसकी चूत ने फिर पानी छोड़ दिया।
मैंने भी जोर के दो चार धक्के और लगा कर अपना वीर्य उसकी चूत में उगल दिया। गौरी ने मुझे बाँहों में भींच लिया और चूमने लगी, “ओहहह सुनील! कितना अच्छा लगा। लंड से चुदवाने में सही में मज़ा आ गया! मिस ब्रिगेंज़ा की जीभ और उंगलियों से तो तुम्हारा लंड लाख दर्ज़े अच्छा है!”
गौरी की बात सुन एम-डी चौंक उठा, “ये मिस ब्रिगेंज़ा कौन है?”
समाप्त Hindi Sex Stories