सुरेश से अपनी प्यास बुझाई- Antarvasna

Antarvasna

मैं रेखा अपनी पहली Antarvasna चुदाई की कहानी सुनाने जा रही हूँ! उस समय मैं 18 साल की थी।

मैं दिल्ली की रहने वाली हूँ और अभी इन्जिनियरिन्ग अन्तिम वर्ष की छात्रा हूँ। मेरे पिताजी बिजनेस मैन हैं। हम दो बहनें हैं, बड़ी बहन की शादी हो चुकी है, वो अपने ससुराल में रहती है। मेरा कोई भाई नहीं है। मैं अपने मम्मी-पापा के साथ ही रहती हूँ। पापा भी बिजनेस के सिलसिले में ज्यादातर घर से गायब ही रहते हैं।

हमारे घर के सामने वाले मकान में मेरे पापा के एक दोस्त कुछ ही दिनों से रह रहे थे। उनके एक लड़का और एक लड़की है। लड़की तो तब छोटी थी लेकिन लड़का बाईस साल से कम का नहीं था। क्योंकि वो मेरे पापा के दोस्त का लड़का था इसलिये हमारे घर में आता-जाता रहता था। उसका नाम सुरेश था, देखने में काफी हैन्डसम था और बहुत अच्छी बॉडी थी उसकी !

मैं भी काफी जवान हो चुकी थी और बहुत सुन्दर दिखती थी। सबके सोने के बाद मैं बेड पर लेट कर अकसर ब्लू फ़िल्में देखा करती थी और अपनी उन्गलियों से ही अपनी चूत को शान्त कर लिया करती। मेरे स्तन उस समय भी बहुत बड़े थे।

मैं तो सुरेश पर लट्टू हो गई थी और उसके साथ सोने के सपने देखने लगी और सोचती रहती कि कैसे अपनी चूत की प्यास शान्त करूँ !

वो भी मेरे गदराये जिस्म को चोरी-चोरी निहारा करता था। मेरे बड़े बड़े स्तन किसी भी लड़के को पागल कर देने के लिये काफी थे। धीरे धीरे मेरी उससे बात होने लगी।

एक बार वो किसी काम से हमारे घर में आया। उस समय मम्मी बाजार गई हुई थी और मैं टीवी देख रही थी। वो भी मेरे कहने पर बैठ कर टीवी देखने लगा। अब मेरा मन टीवी में बिल्कुल भी नहीं था और सोचने लगी कि इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा चुदवाने का !

मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था ! उसकी हालत भी मेरे जैसी ही थी ! सुरेश के अन्दर भी खलबली मची हुई थी, उसका लंड खड़ा हो गया था और उसकी पैंट से निकलने के लिये कुलबुला रहा था !

हम दोनों धीरे धीरे पास आने लगे और दिल की धड़कने जोर जोर से चल रही थी हम दोंनो की !

मैने हिम्मत करके उसकी जान्घों पर अपना हाथ रख दिया और धीरे धीरे सरकाते हुए उसके लंड को पकड़ लिया। सुरेश का पूरा शरीर कांप रहा था। हम दोनों ही जल रहे थे और अपनी आग बुझाने के लिये आतुर हो रहे थे। हम बहुत करीब आ गये और गरम सासें आपस में टकराने लगी ! उसने झट से मेरी चूचियों को पकड़ लिया और दबाने लगा। उसके होंठ मेरे होठों का रस चूस रहे थे। मैंने उसकी पैन्ट की चैन खोलकर उसके लंड को अपने हाथों में ले लिया और सहलाने लगी।

मैं आपको कैसे बताऊँ कि क्या हालत हो रही थी मेरी उस समय !

मैं बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी ! लेकिन उसी समय दरवाज़े पर घण्टी बज उठी !

मम्मी बाज़ार से लौट चुकी थी !

मेरी इच्छा अधूरी रह गई !

लेकिन मैने भी ठान लिया कि अब बिना चुदवाये नहीं रह सकती !

एक बार जब पापा किसी काम से बाहर गये हुये थे और घर में सिर्फ मैं और मम्मी ही थे, मैंने सोचा यह अच्छा मौका है अपनी चूत की प्यास शान्त करने का !

मौका देखकर मैंने उसका नम्बर ले लिया !

सोते समय जब मम्मी ने पीने के लिये दूध माँगा तो मैंने उसमें नीन्द की दवा मिला दी ताकि वो सुबह से पहले नहीं उठ सके और सुरेश को सारा कुछ बता दिया !

जब मम्मी सो गई तो मैंने उसे मिसकाल कर दिया !

रात काफी अन्धेरी थी और करीब 11 बज चुके थे, उसके घरवाले भी सो चुके थे।

उसे मैं अपने बेडरूम में ले गई। सिर्फ दो ही बेडरूम थे, एक में मम्मी पापा सोते थे और एक में हम !

मम्मी के बेडरूम का दरवाजा मैंने बाहर से लॉक कर दिया ताकि वो अचानक उठकर आ न जायें !

अब मेरी चुदाई का रास्ता साफ़ था !

हमने भी अपना दरवाजा अन्दर से लॉक कर लिया और एक दूसरे की बाहों में समा गये !

रात के 11 बज रहे थे और काली रात ! दो प्यासे बदन !

यह मौका मैं कैसे चूक सकती थी !

एक दूसरे से उलझ गये हम दोनों ! हम दोनों ही नंगे हो गये। काली रात थी तो कुछ दिखाई नहीं दे रहा था ! वो मेरे वक्ष मसलने लगा और मैं उतेजना के मारे छटपटाने लगी !

वो कह रहा था कि तेरे गदराए हुए जिस्म के बारे में सोचकर मैंने न जाने कितनी बार मुठ मारी है !

वो मेरे ठीक उपर था और बिल्कुल नन्गा !

उसका लण्ड मेरी जान्घों और चूत को छू रहा था, मैं कह नहीं सकती कि कितनी उत्तेजित हो चुकी थी मैं !

वो भी होश में कहाँ था !

उसकी सांसें बहुत जोर जोर से चल रही थी !

मैं उसके लंड को अपने दोनों हाथों से सहलाने लगी और वो अपने काबू से बाहर होने लगा !

काफी देर सहलाने के बाद मैं उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी !

बहुत बड़ा था उसका गरम लंड और मेरे मुँह में ठीक से नहीं आ पा रहा था !

बहुत देर तक चूसती रही मैं ! कैसे कहूँ कि कितना मजा आ रहा था मुझे !

वो नीचे खड़ा था और मैं बेड पर लेट कर चूसे जा रही थी !

वो अपने लंड को मेरे मुँह में ही आगे पीछे करने लगा ! बहुत बड़ा होने के कारण मेरे मुँह में पूरा समा नहीं पा रहा था लेकिन वो धक्के मार मार कर मेरे कंठ तक उतार दे रहा था और मैं अकबका जाती थी !

तीन चार मिनट तक वो मेरे मुँह को ही चूत समझकर पेलता रहा !

मुझसे अब नहीं रहा जा रहा था और उसे मैंने बेड पर खींच लिया अपने ऊपर !

और बोली- अब नहीं रुक सकती, चोदना शुरु करो !

मेरे कहते ही सुरेश ने अपना लंड मेरी बुर में धीरे से उतार दिया !

मैं दर्द से छटपटा उठी और कराहने लगी और उसका लंड अपने चूत से निकाल दिया !

बहुत खून भी निकल गया !

सुरेश ने मुझसे पूछा- पहले कभी किसी से भी नहीं चुदवाई?

मैंने कहा- नहीं ! पहली बार मुझे तुम ही चोद रहे हो !

मैंने उससे पूछा- क्या तूने इससे पहले किसी लड़की को चोदा है?

तो उसने कहा- हाँ मैं पहले भी लड़की की चूत का मजा ले चुका हूँ !

उसने मुझे समझाया कि शुरु में दर्द होगा लेकिन बाद में सही हो जायेगा।

सुरेश ने फिर से अपना कड़ा लण्ड मेरी चिकनी चूत में धकेल दिया। मुझे रोना आ गया लेकिन उस दर्द को मैं सह गई। सुरेश ने धीरे धीरे चोदना शुरु किया और मुझे मजा आने लगा। सारा दर्द गायब हो गया और मुझे असीम आनन्द आने लगा।

वो मेरे ऊपर लेट गया और अपने छाती से मेरे वक्ष को रगड़ने लगा। फिर वो मेरे चुचूक को अपने मुँह में ले कर चूसने लगा और हौले हौले अपने दांत मेरी मुलायम चूचियों में गड़ाने लगा।

सुरेश का लंड मेरी बुर में घुसा हुआ था और आगे पीछे हो रहा था। वो अपने चूतड़ उछाल उछाल कर मुझे चोदे जा रहा था ! मैं भी अपने चूतड़ उचका उचका कर चुदवा रही थी !

मैं पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी ! कभी मैं उसे नीचे पटक देती तो कभी वो मुझे अपने नीचे ले लेता था !

बुरी तरह से एक दूसरे से उलझे हुए थे हम दोनों !

सुरेश के चोदने की रफ्तार धीरे धीरे तेज होने लगी। उसका बड़ा और कठोर लण्ड मेरी मुलायम चूत को फाड़े जा रहा था। सुरेश अपने लंड को मेरी चूत की पूरी गहराई में उतार उतार कर पेल रहा था और बहुत जोर जोर से धक्का लगा रहा था।

मैं उई उई कर रही थी और अपनी पहली चुदाई का पूरा मजा ले रही थी।

वो भी अनछुई चूत का जमकर मजा उठा रहा था।

वो बीच-बीच में पूछता भी कि मजा आ रहा है?

और मैं कहती- पूछो मत क्या हाल है मेरा ! आह आह ! बस चोदते रहो नॉन स्टॉप !

वो और तेजी से चोदने लगता !

वो कहता- रेखा तेरी कुँवारी चूत का स्वाद मैं बयान नहीं कर सकता !

एकाएक उसके चोदने की रफ्तार बहुत तेज हो गई, पूरा बेड हिलने लगा, मेरी सिसकारियाँ निकलने लगी और उसने मेरा मुँह ढांप दिया।

मैं बेड में धंसी जा रही थी और उसका सारा बोझ उठाये हुए थी !

मैं उतेजना में जोर जोर से चोदो ! उई उई ! फाड़ डालो चूत को ! ओह बहुत मजा आ रहा है ! पेलते रहो ! रुको मत ! और ना जाने क्या क्या बड़बड़ाती रही और वो पेलता रहा मुझे नॉन-स्टॉप !

अन्त में सुरेश ने मुझे जोर से पकड़ लिया और मेरी चूत में झड़ गया !

अभी करीब रात के बारह बज रहे थे और मेरी चूत पूरी तरह से शान्त नहीं हुई थी। वो भी मेरी मस्त मस्त चूत और चूचियों का फिर से मजा उठाना चाहता था और रात भी बहुत बची हुई थी !

वो फिर से तैयार हो गया और एक बार फिर से चोदने लगा !

वो कह रहा था- रेखा, मैं तेरी बड़ी बड़ी रसीली दूधिया चूचियों और चिकनी चूत का स्वाद कभी नहीं भूल पाऊँगा ! मुझसे शादी कर लो डार्लिंग ! और फिर मैं तुम्हें दिन रात चोदता रहूंगा ! हम दोनों ही रात गंवाना नहीं चाहते थे !

उस रात मैं करीब तीन बजे रात तक चुदवाती रही और फिर सुरेश अपने घर चला गया !

मेरी दोनों चूचियाँ फ़ूल कर लाल हो गई थी और मेरी चूत अन्दर से छिल सी गई थी !

यह थी मेरी पहली चुदाई !

इसके बाद तो मैं काफी चुदक्कड़ हो गई थी !

सुरेश ने पता नहीं कितनी बार मेरी चिकनी चूत का आनन्द उठाया और मैंने उसके गरम कठोर लंड का !

मुझे जरुर मेल करें ! Antarvasna

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