पड़ोस की कुंवारी लड़की को हचक कर चोदा

Xxx लड़की नाईट सेक्स कहानी में पड़ोस की एक लड़की मुझे अच्छी लगी तो मैंने उससे दोस्ती बढ़ाई. गर्मियों में हमारा और उसका परिवार छत पर एक साथ सोते थे.

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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम मोहन है.
मैं एक शादीशुदा लड़का हूँ. मैं सूरत गुजरात का रहने वाला हूँ.

मेरी हाइट पाँच फुट आठ इंच है और मेरे लंड का साइज़ छह इंच है.
मैं देखने में गुड लुकिंग हूँ और ज्यादा मस्ती वाला मिज़ाज़ का हूँ.

वैसे तो मुझे तरह तरह की लड़कियां और भाभी पसंद हैं.
खास कर बड़े मम्मे और बड़ी गांड वाली भाभियां और लड़कियां ज्यादा पसंद आती हैं.

मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ.

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अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली सेक्स कहानी है.

आज मैं अपने साथ हुई एक घटना आपके साथ साझा करना चाहता हूँ.
मैं आशा करता हूँ कि आपको मेरी Xxx लड़की नाईट सेक्स कहानी पसंद आएगी.

तब मेरी शादी नहीं हुई थी और पढ़ाई खत्म हुए 6 महीने हो चुके थे.

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गर्मी की छुट्टियों की बात है.
उन दिनों हम लोग रात को छत पर सोने जाया करते थे.

हमारे वाले अपार्टमेंट में एक लड़की रहती थी.
उसका नाम एकता (बदला हुआ नाम) था.

एकता का फिगर 32-28-34 का था. उसे देख कर लगता था कि बनाने वाले ने बड़ी ही फुरसत से उसे बनाया हो.
क्या मस्त पीस थी यार … देखने में थोड़ी सांवली जरूर थी मगर बहुत सुंदर दिखती थी.

उसके बूब्स बहुत ही जानलेवा थे.
मैं तो उसके दूध देखते ही गदगद हो जाता था.

उसकी हरकतों से लगता था कि साली चूत में बहुत गर्मी भरी थी.
वह भी अपने परिवार के साथ छत पर सोने आया करती थी.

एकता हमारे बाजू वाले फ्लैट में किराये पर रहने आई थी.
वे लोग नए नए आए थे, तो हम लोग उनसे ज्यादा बात नहीं करते थे.

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कुछ दिन तक मैंने उसे देखा तो वह भी मेरी तरफ देखने लगी थी.
कुछ दिन तक यूं हम दोनों एक दूसरे को बस देख कर हल्की सी स्माईल देकर घूम जाते थे.

वह देखने में तो सीधी सादी लग रही थी पर ऐसे किसी को कैसे समझा जा सकता था.

कुछ ही दिनों में कुछ ऐसा हुआ कि मैं उससे बात करने के लिए तड़पने लगा था.
मैंने बहुत हिम्मत जुटा कर जैसे तैसे उससे बात करने की कोशिश की.

वह भी सहज भाव से मुझसे बात करने लगी.
अब धीरे धीरे हम लोगों की दोस्ती हो गई और बातचीत भी होने लगी.
हम दोनों अब जब भी छत पर एक दूसरे को देखते तो थोड़ा मस्ती मजाक भी कर लिया करते थे.

जैसा कि मैंने बताया कि यह गर्मी के दिनों की बात है. उन दिनों हम लोग छत पर सोने जाया करते थे.
हमारी बिल्डिंग के कई सारे लोग सोने के लिए छत पर आ जाते थे.

उसमें एकता, उसके माता पिता और उसका छोटा भाई भी सब लोग सोने के लिए छत पर आ जाया करते थे.

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हम दोनों में पहले से ही बोलने का व्यवहार था, तो हम लोग सोने से पहले थोड़ी बहुत बात कर लिया करते थे.
थोड़ी मस्ती मजाक भी कर लिया करते थे और सो जाते थे.

धीरे धीरे हम लोग और करीब आने लगे थे.
वह भी मेरे साथ बात करने का कोई ना कोई बहाना ढूंढ़ती रहती थी और मैं भी उससे बात करने का कोई न कोई बहाना ढूंढता रहता था.

हम दोनों जहां पर सोते थे, वह जगह पानी की टंकी की आड़ में थी.
मेरे बाजू में ही एकता का बिस्तर लगता था.

हम दोनों सोने से पहले मोबाइल में लूडो खेलते थे.
खेल में एकता, उसका छोटा भाई और मैं … हम तीनों खेलते थे.

खेलने के दौरान मैं किसी ना किसी बहाने से उसे छूने की कोशिश करता रहता था.
वह भी समझती थी, तो मेरे स्पर्श का मजा लेती थी.

एक दिन उसका छोटा भाई अपनी छुट्टियां बिताने के लिए अपने मामा के घर गया था.
उसके मामा का घर गांव में था.
उसी वजह से आज मैं और एकता अकेले थे.

रोज की तरह हम दोनों ने लूडो खेलना चालू किया.
आपको तो पता ही है कि मुझे जो चाहिए था, वह मुझे मिलने वाला था.

अन्दर ही अन्दर मेरे मन में लड्डू फूटने लगे थे.
आज एकता भी कुछ अलग सा व्यवहार कर रही थी.
पता नहीं क्यों आज उसके चाल चलन भी कुछ ठीक नहीं लग रहे थे.

रोज की तरह हम दोनों ने लूडो खेलना चालू किया.
आज हम दो ही थे.

हम दोनों ने थोड़ी देर तक लूडो खेला.
मगर पता नहीं क्यों, आज हम दोनों को खेलने में मजा नहीं आ रहा था.

एकता भी आज कुछ अजीब सी हरकत कर रही थी.
आज उसने एकदम छोटी वाली सॉर्टी और गंजी ही पहन रखी थी.

उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी, वह साफ साफ समझ आ रहा था.
उसके निप्पल उसकी गंजी से कड़क से साफ दिख रहे थे.

मेरी नजरें उसके नट्स पर ही टिकी थीं.
वह भी मेरी नजरों को भांप कर बार बार अपनी चूचियों को सहला रही थी.
आज वह मुझे इतना भाव दे रही थी कि साफ लग रहा था कि आज टांगें खोलने के लिए एकदम राजी है.

उसने मुझसे आज तक ऐसे कभी बर्ताव नहीं किया था.
वह बार बार पूरी नीचे झुक कर अपने गोल गोल संतरे मुझे दिखा रही थी.

आज उसका खेलने में जरा सा भी ध्यान नहीं था; वह कुछ और खेलना चाहती थी.
बात बात में वह मेरा हाथ भी पकड़ ले रही थी और जोर से मेरे हाथ पर च्यूँटी काट देती थी.

फिर बड़े प्यार से मेरे हाथ में किस कर देती थी.
थोड़ी देर बाद मुझे भी पता चल गया कि आज इसे क्या चाहिए है.

हम दोनों ने आज बहुत देर तक ऐसा किया.
हमारा खेल तो बस एक बहाना था. हमें तो कुछ और ही खेलना था.

मगर करें तो करें क्या … कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि शुरुआत कैसे करें.
उसकी हरकतें देख कर मेरा लंड भी तन कर तंबू बना चुका था.

वह एकता को भी मालूम पड़ गया था.

पूरी छत में सब लोग सोये हुए थे.
एकता के मम्मी पापा भी उसके बाजू में ही सोये हुए थे.

बहुत देर हो गई थी तो उसके पापा ने उसको सो जाने का बोला.

हम दोनों लेट गए मगर पूरी रात नींद नहीं आयी. हम दोनों अपनी अपनी जगह पर सो गए.

सोते सोते एक दूसरे को देखा रहे थे और इशारों में बात कर रहे थे.
उस वक्त रात के लगभग दो बज रहे होंगे.

मैंने उसे इशारा करते हुए कहा कि नीचे चलो.
वह आजू बाजू देख कर तुरंत वॉशरूम के बहाने नीचे चली गई.

थोड़ी देर बाद मैं भी अपने तकिया को चादर उढ़ा कर उठ गया और वॉशरूम के बहाने उसके पीछे पीछे नीचे आ गया.

वह नीचे भूखी कुतिया की तरह मेरा सीढ़ियों पर ही इंतज़ार कर रही थी.

हमारे अपार्टमेंट में कोई लिफ्ट नहीं है केवल सीढ़ियां ही हैं.
एकता सीढ़ियों के बीच बनी बाल्कनी में मेरा इंतजार कर रही थी.

मैं नीचे आया तो उसने मुझे इशारे से अपनी ओर बुलाया.
तो मैं झट से उसके पास पहुंच गया.

अब मैं बाल्कनी में जाकर खड़ा हो गया और चारों ओर देखा कि कोई हमें देख तो नहीं रहा है.

बाद में वह मेरे पास आई.
उसने हल्के से मेरे गाल पर पप्पी दी और उसने कहा- आज मुझे तुमसे चुदवाना है!

बस फिर क्या था … मैं भी सालों से चूत का भूखा उसको अपनी बांहों में कसके पकड़ लिया और जोर जोर से उसके होंठों को अपने होंठों से रगड़ने लगा.
वह भी इतनी गर्म हो चुकी थी कि वह भी मेरा जोर जोर से साथ दे रही थी.

थोड़ी देर बाद उसने मेरे सर के बाल पकड़ लिए और मेरा मुँह अपने मम्मों पर रख कर बोली- चूसो.
मैं उसके मम्मों को जोर जोर से चूसने का मजा लेने लगा.

लगभग बीस मिनट तक हम लोग यूं ही चुम्मा-चाटी ही करते रहे.

उस वक्त एकता ने चूंकि ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी तो मैंने झट से उसकी छोटी सी टी-शर्ट उठा कर ऊपर कर दी और उसकी शॉर्टी को भी सरका कर नीचे कर दी.
हम दोनों को यह सब करते हुए बहुत डर लग रहा था कि कहीं कोई आ न जाए.

इसी लिए हम दोनों ने पूरे कपड़े नहीं उतारे थे.
मैंने भी छोटा सा बॉक्सर पहन रखा था, उसे भी मैंने नीचे सरकाने का इशारा किया.

उसने भी झट से मेरा बॉक्सर नीचे कर दिया और बैठ कर मेरा लंड चूसने लगी.

साली ने लंड को लॉलीपॉप समझ लिया था. वह लौड़े को मुँह से रगड़ रही थी.
मुझे तो ऐसा लग रहा था मानो मैं जन्नत की सैर कर रहा हूँ.

वह एकदम अनुभवी रांड सी लग रही थी.
साली जैसे कई सालों से किसी का लंड मुँह में लेती आई हो.

खैर मुझे इससे क्या … मुझे तो आनन्द मिल रहा था, तो मैं क्यों ज्यादा सोचूं.
वैसे भी किसी ने सही कहा है, आम खाओ गुठलियां मत गिनो.

मैं भी आनन्द ले रहा था और वह मेरा लंड रगड़ रगड़ कर चूस रही थी.
मेरा छूटने वाला था, तो मैंने उसे बताया कि मैं छूटने वाला हूँ.
वह इशारे से बोली- कोई बात नहीं … मेरे मुँह में ही छोड़ दो.

क्या गजब मजा आ रहा था, सच बोलूँ तो आज तक किसी भी लड़की को मैंने मुँह में नहीं दिया था.
आज तो मानो जन्नत की सैर पर ही था.
ऐसा अहसास हो रहा था.

थोड़ी देर तक लॉलीपॉप चुसवाने के बाद मैंने उसे पलट कर खड़े होने को बोला और चारों ओर देखा कि कोई आ तो नहीं रहा है.
सब तसल्ली करने के बाद उसे दीवार पकड़कर खड़े होने को कहा.

वह पलट कर खड़ी हो गई.
बाद में उसके पीछे से डालने की कोशिश की, मगर उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मैं पीछे से लंड पेल ही नहीं पाया.

यह बाद में समझ में आया कि चुदी चुदाई चूत को ही पीछे से पेलना आसान होता है.
पहली बार में तो चित लिटा कर ही चुदाई संभव है.

उसके बाद मैंने उसे बाल्कनी की दीवाल पर बिठाया और धीरे से अपने लंड का सुपारा उसकी चूत पर रख कर रगड़ने लगा.

उसकी चूत गीली हो गई थी और लंड लीलने को खुल गई थी.

थोड़ी देर बाद मैंने हल्का सा झटका दिया, तो मेरा आधा लंड अन्दर चला गया.
वह दर्द के मारे एकदम से तड़प उठी और मुझसे छूटने की कोशिश करती हुई माँ बहन की गालियां देने लगी.

मगर मैंने उसके मुँह पर हाथ रख कर उसे जकड़ लिया था.
वरना उसकी चीख से सब लोग उठ जाते और इज्जत की कायदे से माँ चुद जाती.

बाद में थोड़ी देर तक मैं उसको चूमता रहा.
उसका दर्द कम हो गया था.

मैंने एक और जोर का झटका दिया तो मेरा पूरा लंड अन्दर घुस गया था.
वह फिर से तड़प उठी.

मैंने वैसे ही बिना हिले उसकी चूत में लंड घुसा रहने दिया और उसके मम्मों से खेलना चालू कर दिया.
उसकी आह निकलना बंद हुई तो मैंने उसके होंठों को चूसना चालू कर दिया.

मैं उससे इधर उधर की बातें करने लगा ताकि उसका दर्द से ध्यान भटक जाए.

थोड़ी देर बाद मैं लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा.
उसका भी दर्द कम हो गया था और Xxx लड़की नाईट सेक्स का मजा लेने लगी थी.

जैसे जैसे वक्त निकलता गया, वैसे वैसे मैं अपनी स्पीड बढ़ाता गया.
वह चुदाई का मजा लेने लगी थी.

तकरीबन 15 मिनट तक हम दोनों ने सेक्स किया.
बाद में मैंने उसे पलट कर दीवार को पकड़कर खड़े होने को कहा.
मगर उसने साफ साफ मना कर दिया कि मैं पीछे से नहीं करने दूंगी.

बहुत मनाने के बाद उसने पीछे से करवाने का मन बनाया.

उसके बाद जैसे ही वह गांड खोल कर खड़ी हुई, मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रख दिया.
वह डर के मारे घूम गई.

बहुत समझाने के बाद वह वापस घूमकर खड़ी हुई. इस बार जरा सी भी देर किए बिना मैंने अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया.
जैसे ही लंड पेला, तो उसे बहुत ज्यादा दर्द होने लगा था. वह दर्द सह रही थी और उसकी आंखों से पानी निकलने लगा था.

आज मैं उस पर तरस खाता, तो वापस ये मौका कभी नहीं आता.
जैसे तैसे मैंने उसको शांत किया और लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा.

एकता के मुँह पर दर्द साफ दिखाई दे रहा था मगर वह भी मजे ले रही थी और मेरा साथ भी दे रही थी.
कुछ पल बाद मुझे ख्याल आया कि एकता को छोड़ दूँ.

जैसे ही मैं उसको छोड़ने लगा तो उसके चेहरे पर उदासी छा गई.
मैं समझ गया कि वह भी दर्द होने का नाटक कर रही है, इतना हार्ड सेक्स करके अब उसे भी मजा आ रहा है.

बस फिर क्या … मुझे जो चाहिए था उसकी हरी झंडी मिल गई थी तो मैं किसी की भी सुनने वाला नहीं था.
मैं और जोर जोर से उसे चोदने लगा.

सच कहूँ तो पीछे से चोदने में जो मजा आता है, वह किसी भी स्टाइल में नहीं आता है.

वह चिल्लाना चाहती थी मगर सब लोगों के जागने के डर की वजह से वह अन्दर ही अन्दर चिल्ला रही थी और तेज तेज चोदने का कह रही थी.

मैंने स्पीड बढ़ा दी थी और जोर जोर से झटके दे रहा था.

वह सेक्स के दौरान दो बार झड़ चुकी थी.
अब मैं झड़ने ही वाला था इसलिए मैंने उसके दोनों चूचे पकड़ कर अपनी स्पीड और बढ़ा दी.

उसे भी चूत में बहुत दर्द हो रहा था, मगर क्या करे … चिल्ला भी नहीं पा रही थी.
मैं उसकी चूत में ही झड़ गया. तब जाकर उसने सुकून की साँस ली.

मैंने उसे अपनी बांहों में कसके पकड़ लिया और उसने भी मुझे अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया.
हम दोनों एक दूसरे की बांहों में खड़े रहे.

जैसे ही उसने मेरी तरफ देखा तो लगा कि वह आज मेरी जान ही लेकर मानेगी.
मैंने उसके माथे पर किस की और हम दोनों अपने अपने कपड़े पहन कर छत पर आ गए.

उधर हम अपनी अपनी जगह सो गए.
दूसरे दिन सुबह एकता जब मेरे सामने आई तो मैंने देखा कि वह थोड़ी लंगड़ा कर चल रही थी.

मैंने पूछा- क्या हुआ?
वह इतराते हुए बोली- एक कुत्ते ने जबरदस्ती काट लिया.

मैं अन्दर ही अन्दर हंसने लगा और वह Xxx लड़की लंगड़ाती हुई चली गई.
फिर उसके बाद हम दोनों ने कई बार सेक्स किया.

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