एक खुशनुमा सपना- Antarvasna Sex Stories

हेल्लो दोस्तो! Antarvasna Sex Stories

मैं साक्षी एक बार फिर से हाजिर हूँ Antarvasna Sex Stories अपनी नई कहानी लेकर! सबसे पहले तो मैं आप सब लोगों का तहे-दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ कि आप लोगों ने मेरी कहानी कली से फूल बनूँ‘ को इतना सराहा और इतने ईमेल भेजे।

अब मैं अपना एक सन्देश उनको देना चाहती हूँ जो पहली बार सेक्स करते हैं।

कृपया सेक्स में जल्दी न मचायें और पहले जी भर के प्यार करें एक दूसरे को और अच्छे से यौन-पूर्व-क्रीड़ा करें फिर आगे बढ़ें!

मैं एक बात और लड़कियों को बताना चाहती हूँ कि आप लोग अगर सेक्स का मौका यह सोच कर छोड़ देती हैं कि आपके पति को शायद पता चल जायेगा!

तो बेफिक्र होकर सेक्स करिए क्योंकि किसी भी हालत में उन्हें नहीं पता चलने वाला!

तो शुरु करते हैं-

उन्हीं दिनों मेरी एक सहेली थी नीतू नाम की। हम दोनों लगभग सारी बातें एक दूसरे को बता देते थे। वो भी मेरी ही उम्र की थी और मेरी जैसी ही सुन्दर और उसका फिगर भी लगभग मेरे जैसा ही था।

एक दिन मैं घर पर अकेली थी और नीतू रात के लगभग 10 बजे मेरे घर पर आई। वो मेरे घर के बाजू वाले घर में ही रहती थी इसलिए रात को कभी कभी आ जाती थी। फिर हम दोनों साथ में टीवी देखती थी।

उसके आने के थोड़ी देर पहले ही मैंने रोहित की दी हुई एक व्यस्क मूवी देखी थी इसलिए थोड़ा उत्तेजित हो रही थी। मुझे रोहित की कमी महसूस हो रही थी। नीतू ने नाईट-सूट पहना था और मैंने ट्रांसपरेंट सी नाईटी पहनी थी जिसमें से मेरी ब्रा और पैंटी भी दिख रही थी।

नीतू- साक्षी आज तो तुम क़यामत लग रही हो।
साक्षी- क्यों ऐसी क्या बात है मेरी जान?
नीतू- तुमने तो गजब की नाईटी पहन रखी है!

फिर मैंने नीतू को अपनी बाँहों में भर लिया और चूम लिया।

नीतू- यह क्या कर रही हो? मैं तुम्हारी बॉय-फ्रेंड नहीं हूँ!
“तो क्या हुआ मेरी जान तुम रोहित से कम भी तो नहीं हो!”

और फिर मैंने नीतू के स्तनों को हल्के से दबाया, नीतू ने थोड़ी प्रतिक्रिया की पर फिर मना नहीं किया। शायद वो भी मूड में थी।

मैं उसको लेकर बिस्तर पर पहुँच गई और हम दोनों बिस्तर पर एक दूसरे की बाँहों में आ गए।
हम दोनों एक दूसरे के होंठों को कस के चूसने लगे। मैं नीतू के स्तन भी हल्के हल्के दबा रही थी।

फिर मैंने नीतू के नाईट-सूट के टॉप के बटनों को खोला और उसे ऊपर करके उतार दिया। नीतू ने पीले रंग की ब्रा पहनी थी और उसके स्तन उसमें से बाहर आने को बेचैन थे।

नीतू ने भी मेरी नाईटी की गांठ खोल दी और मैंने अपनी नाईटी उतार दी।

फिर मैंने नीतू की लोअर धीरे धीरे उतार दी। अब हम दोनों ही सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। मैंने गुलाबी रंग की ब्रा और पैंटी पहनी थी। हम दोनों एक दूसरे को बाँहों में कस के जकड़ कर प्यार करने लगे और दोनों एक दूसरे से स्तन मसलने लगे।

फिर मैं नीतू के ऊपर आ गई और उसकी ब्रा को ऊपर कर दिया, उसके दोनों बड़े बड़े चुचे उछल कर बाहर आ गए और मैंने दोनों को कस के बारी बारी से चूसा।

आआअह्ह ह्ह्ह सवीईईऽऽ! क्या कर्रऽऽ रही हओ!

कुछ नहीं मेरी जान कब से तुम प्यार करना चाहती थी, आज तो मैं जी भर के तुम्हें प्यार करुंगी।

फिर मैं उसके दोनों स्तन मसलने लगी और चूसने लगी। उसने भी मेरी ब्रा नीचे कर दी तो मेरे दोनों चुचे बाहर आ गए। मैं थोड़ा ऊपर गई और अपने चुचे उसके मुँह के ऊपर ले गई।

उसने भी उछल कर मेरी चुचियों को मुँह में दबाया और कस के चूसने लगी।

फिर थोड़ी देर बाद मैं उसके पेट को चूमते हुए नीचे आई और उसके पैंटी के ऊपर से किस किया। उसकी भी पैंटी गीली हो गई थी। फिर मैं उसकी पैंटी नीचे करने लगी तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।

नीतू- बस साक्षी इससे ज्यादा ठीक नहीं है!

साक्षी- पगली, मैं ही तो कर रही हूँ, मैं तुम्हें गर्भवती थोड़ा न कर दूंगी! तुम तो बस मजे लेती जाओ!

फिर मैंने उसकी पैंटी उतार दी, उसने अपने हाथों से अपनी चूत को ढक लिया। मैंने उसके हाथ हटाये और फिर उसकी जांघों के आस पास किस करते हुए जैसे ही उसकी गीली चूत को किस किया-

आऽऽह आऽऽ साआअवीईई!

वो पागल हो उठी, शायद उसको इतना मजा कभी नहीं आया था!

फिर मैं उसकी चूत को कस के चूसने लगी

ऊऊओह्ह ह्ह्ह्ह म्म्म्माआह!

नीतू कस के बिस्तर पकड़ कर चिल्ला रही थी।

फिर करीब 15 मिनट तक मैं उसकी चूत को चूसती रही, फिर ऊपर गई और उसके मुँह के पास बैठ गई।

नीतू मेरा इशारा समझ गई, उसने मेरी पैंटी को किनारे किया और मेरी चूत में अपनी जीभ घुसेड़ दी।

अब मैं मजे ले रही थी- मैं अपने हाथों से अपनी चुचियों को हल्के हल्के मसल रही थी।

फिर थोड़ी देर बाद मैंने भी अपनी पैंटी नीतू के सामने बगैर शरमाते हुए उतार दी। हम दोनों एक दूसरे के सामने पूरी नंगी थी। फिर हम दोनों ने एक दूसरे को बाँहों में भर लिया और होठों को चूसने लगे और एक दूसरे की चुचियों को मसलने लगी।

नीतू- यार मेरी हालत तो तुमने ख़राब कर दी है, अब पूरा सेक्स कैसे होगा?

अब कोई हो तो बुलाओ!

शायद नीतू की आवाज रोहित ने सुन ली, मैं दरवाजा अन्दर से बंद करना भूल गई थी और यह भी कि मैंने रोहित को घर 10 बजे बुलाया था।

पर वो 10.30 बजे आया, दरवाजा खुला पा कर वो ड्राइंग रूम से होते हुए सीधे मेरे बेडरूम में आ गया, जहाँ हम दोनों गुथमगुथा थी।

उसकी तो बाछें खिल गई!

हम दोनों ही मना करने लायक हालत में नहीं थी और बिस्तर में एक दूसरे की बाँहों में सिमटे हुई थी।

पहले तो नीतू ने ही रोहित को देखा और वो ऊपर से नीचे तक कांप गई।

मैं तो उसकी चुचियों को नीचे जाकर चूस रही थी और उसकी चूत में अपनी ऊँगली डाल के उसकी चूत को फैला रही थी।

उसने मुझे झझकोरा, मैंने रोहित के तरफ देखा और कहा- अरे रोहित तुम कब आये?

अब सब अकबका रहे थे।

फिर रोहित ने अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया और हमारे सामने ही अपनी टी शर्ट उतारी और फिर जीन्स भी उतार दी।

उसका लंड एक साथ दो दो नंगी लड़कियों को देख कर पागल हुआ जा रहा था। उसके अंडरवियर से ही उसका लंड फनफना रहा था। फिर उसको अपना अंडरवियर भी उतारना पड़ा क्योंकि उसका लंड उसमें से बाहर आने को मचल रहा था।

मैंने रोहित को पहले नीतू की जवानी तारने के लिए इशारा किया क्योंकि वो मुझसे ज्यादा तड़प रही थी।

फिर मैं नीतू से अलग हो गई और रोहित ने नीतू को अपनी बाँहों में भर लिया, नीतू भी रोहित से चिपक गई और रोहित नीतू के स्तन दबाते हुए उसको रसीले होठों को चूसने लगा।

मैं रोहित को देख रही थी और मेरी हालत और ख़राब होती जा रही थी। रोहित जी भर के नया स्वाद चख रहा था।

फिर रोहित नीचे आ कर नीतू की चुचियों को मुँह में ले कर चूसने लगा और कस के मसलने लगा।

नीतू ये सब पहले ही करवा चुकी थी इसलिए उससे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था, वो बहुत जोर से तड़प रही थी।

फिर रोहित ने नीतू की चुचियों को अच्छे से चूसा और दबाया, फिर उसका पेट और नाभि चूमते हुए वो नीचे आने लगा। नीतू की चूत तो जबरदस्त गीली थी क्योंकि मैं भी उसे कस के चूस चुकी थी।

फिर रोहित ने नीतू की चूत को फैला कर अपनी जीभ अन्दर डाल दी और उसकी दोनों चुचियों को दबाते हुए उसकी चूत को चूसने लगा।

15 मिनट तक रोहित ने नीतू की चूत को कस के चूसा और फिर वो ऊपर आया और अपना लंड नीतू के मुँह के ऊपर रख दिया, नीतू की आँख बंद थी इसलिए जैसे ही उसने आँख खोली रोहित का लंड अपने मुँह के ऊपर देख कर वो एकदम से घबरा गई।

उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने उसको रोहित का लंड मुँह में लेने का इशारा किया।
फिर वो रोहित का मोटा और लम्बा लंड मुँह में ले कर चूसने लगी।
रोहित आहें भर रहे था।

मैं रोहित के पास आ कर बैठ गई तो रोहित मेरी चुचियों को मसलने लगा।
नीतू रोहित का लंड इतने जोर जोर से चूस रही थी कि रोहित नीतू के मुँह में ही स्खलित हो गया।
नीतू ने भी उसका वीर्य पूरा पी लिया और तब तक लंड मुँह में ले कर रखा जब तक वो दोबारा खड़ा नहीं हो गया।

फिर रोहित ने अपना लंड नीतू के मुँह से निकाला और फिर उसके ऊपर लेट गया।
रोहित ने अपना लंड नीतू के चूत में रखा और कस के धक्का मारा।
“आऽऽऽह आऽऽ म्म्म म्मर गईइऽऽऽ!” नीतू गला फाड़ कर चिल्लाई।

मैंने एकदम से नीतू के मुँह में अपना हाथ रख दिया और अपनी चूत को नीतू के मुँह में लाकर उसके ऊपर बैठ गई।

नीतू ने अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दी और उधर रोहित पूरी ताकत से नीतू के चूत में अपना लंड घुसाने लगा।

मैंने रोहित को बोला- आराम से डालना जानू! नहीं तो कुंवारी लड़की मर जायेगी।

पर रोहित कहाँ रुकने वाला था, उसने तो बस पूरी ताकत से अपना लंड नीतू की चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुसेड़ दिया।

नीतू इतना जोर का धक्का बर्दाश्त नहीं कर पाई और बेहोश हो गई।

रोहित ने पास पड़ा तौलिया उठाया और नीतू की चूत से निकल रहे खून के आस पास तौलिया लगा दिया।

मैं उठी और फिर पानी लाकर नीतू के चहेरे में एक दो बूँद पानी के छींटे मारे।

नीतू होश में आई तो रोने लगी। फिर मैंने उसे समझाया कि पहली बार तो ऐसा होता ही है क्योंकि मेरे साथ भी हुआ था।

अब तक नीतू भी कुछ सामान्य हो गई तो रोहित उसे धीरे धीरे चोदने लगा।

शुरु शुरु में कुछ धक्कों तक तो नीतू चिल्लाती रही फिर धीरे धीरे उसकी चीखें उसकी आहों में बदल गई- आआह्हह साआआवीईईई…

नीतू ने कहा- ये तुम्हारा प्रेमी तो बिल्कुल एक्सपर्ट है चुदाई का!

यह सुनकर रोहित फुला नहीं समाया और फिर वो नीतू को जोर जोर से चोदने लगा, पूरा कमरा नीतू के आहों से गूंजने लगा- आहऽऽअ ऊओह्ह ह्ह्ह!

रोहित नीतू को थोड़ी देर तक जोर जोर से चोदता रहा फिर पता नहीं उसको मेरे पर भी तरस आ गया। उसने अपना लंड नीतू की चूत से निकाला और पूरा नीतू की चूत का रस लगा गीला लंड मेरे मुँह में दे दिया।

मैंने उसका लंड अपने मुँह में पूरा अन्दर ले लिया और उसके मोटे और लम्बे लंड को जोर जोर से चूसने लगी।

नीतू की चूत का रस मुझे बहुत भा रहा था।

नीतू अपनी चूत में ऊँगली डाल के ऊँगली अपने मुँह में डाल रही थी।

फिर रोहित ने अपना लंड मेरे मुँह से निकाला और मुझे अपने गोद में बिठा लिया और अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया।

फिर मेरी गांड को ऊपर उठा के मुझे चोदने लगा और मेरी चुचियों को अपने मुँह में भर के चूसने और दबाने लगा।

क्या रात थी वो!

और रोहित की तो जैसे किस्मत खुल गई थी! दो दो लड़कियों के मजे ले रहा था वो!

थोड़ी देर बाद उसने मुझे कुतिया स्टाइल में किया और पीछे से चोदने लगा।

मैंने नीतू की चूत को अपने मुँह के पास किया और उसकी चूत को चाटने और चूसने लगी।

फिर करीब 2 घंटे तक वो हम दोनों को बारी बारी से चोदता रहा और हम दोनों लड़कियों की रात उसके पहलू में गुजरी।

मैं बता और लिख नहीं सकती की क्या क़यामत की रात थी वो!

सवेरे जब मैं जागी तो रोहित जा चुका था, नीतू मेरी बाँहों में कस के जकड़ के सो रही थी।

मैंने नीतू को अलग करने की कोशिश करी तो वो ऊँघते हुए उठी।

मैंने नीतू की तरफ देखा तो नीतू थोड़ा शरमा सी रही थी। मैंने पूछा- क्या हुआ मेरी जान?

तो नीतू ने कहा- मैंने बहुत अच्छा सपना देखा कि मैं तुम और तुम्हारा प्रेमी रोहित एक साथ हैं और वो सब मेरे साथ भी हो गया जो कुछ दिन पहले तुम्हारे साथ हुआ था।

मैंने नीतू के तरफ मुस्कुरा के देखा।

नीतू ने फिर अपने आप को देखा और उसकी नज़र जैसे ही चूत पर पड़ी वो समझ गई कि कल रात को उसने सपना नहीं देखा बल्कि वो सब कुछ सचमुच हो गया।

उसने बिस्तर पर लगा हुआ उसकी चूत से निकला हुआ खून भी देखा। उसकी चूत मेरे से भी ज्यादा बुरी हालत में थी और बहुत फटी हुई थी।
फिर वो मुझसे लिपट गई और बोली- क्या ये सब ठीक हुआ?
मैंने उसको ढांढस बंधाया कि सब भूल जाये और इसे एक खुशनुमा सपना समझ कर कभी कभी याद कर ले।

फिर हम दोनों साथ साथ नहाई और वो अपने घर चली गई।

तो दोस्तो, कैसी लगी यह नई कहानी! मैं जल्द ही अगली कहानी लेकर फिर से हाज़िर होऊँगी।
आज के लिए विदा दोस्तो! Antarvasna Sex Stories

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