यह बात 2008 की है, जब मैंने पहली बार घर से दूर कोटा में एडमिशन लिया था और कॉलेज की दहलीज पर कदम रखा था. मेरे पहले दिन ही कॉलेज में कुछ अच्छे दोस्त बन गए.. मुझे अच्छा भी लगा. दो दिन बाद मेरी क्लास में एक नई लड़की आई, जिसका नाम तान्या था. वो दिखने में एकदम गोरी, खूबसूरत, शांत स्वभाव की लड़की थी. उसके लिए मैं ये कह सकता हूँ कि उसे भगवन ने फुर्सत से बनाया था.
चूंकि उसका कॉलेज में पहला दिन था तो मैंने उससे पूछ लिया- न्यू एडमिशन?
तो उसने हाँ में जवाब दिया. उसके बाद मैंने उसका नाम पूछा, तो उसने अपना नाम तान्या बताया. वो इटारसी की थी. वो एक साधारण देसी लड़की थी. उसके बाद 10 दिन उससे कोई बात नहीं हुई.. न ही वो किसी लड़के से क्लास में बात करती थी. लेकिन पता नहीं उसे देख कर मेरे मन में अजीब सी हलचल होने लगती थी. मन ही मन मैं उसे प्यार करने लगा था, लेकिन उससे बात करने की हिम्मत नहीं कर पाता था.
धीरे धीरे मैंने उसका मोबाइल नम्बर पता किया और उसे कॉल किया. उसने हैलो बोला, तो मैं डर गया और बात नहीं कर सका. फिर जब वो अगले दिन कॉलेज आई तो मैंने हिम्मत करके जाकर उसे बताया कि वो कॉल मैंने किया था.
इस पर उसने कई सवाल किए कि मेरा नम्बर कहां से मिला था, क्यों फोन किया था.. मुझसे क्या चाहते हो?
मैंने उसके सारे सवालों का जबाब दिया.
धीरे धीरे मेरी उससे बात होने लगी. हम लंच शेयर करने लगे. लाइब्रेरी, कैंटीन लैब में साथ जाने लगे. फिर 6 महीने बाद मैंने उससे अपने प्यार का इज़हार कर दिया, तो उसने कोई जवाब नहीं दिया.
लगभग एक महीने तक उसने मुझसे बात नहीं की. मैं पहले से ज्यादा उदास रहने लगा. फिर मेरे कुछ दोस्तों ने उससे बात की और कुछ क्लास की लड़कियों ने भी तब जाकर उसने मुझसे बात की. तीन महीने बाद मैंने फिर से अपने प्यार का इज़हार किया.
तब जाकर उसने कहा कि मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ, लेकिन डरती हूँ कि इसका असर हमारी स्टडी पर ना आये.
मैंने उसे समझाया कि ऐसा कुछ नहीं होता.
अब मैं उससे हर रोज घंटों बात करने लगा. रात में दो बजे तक बात करता, कभी पूरी रात लगा रहता. कभी कॉल से बात करता तो कभी मैसेज से करता रहता. ऐसे ही दिन निकलते रहे.
एक दिन मैंने उससे बोला कि मुझे तुम्हारे साथ वो सब करना है.
उसने साफ़ मना कर दिया.
मैंने उससे कुछ नहीं कहा.
फिर एक दिन वो मेरे रूम पर आई तब हम दोनों ही थे और कोई नहीं था. उसने मेरी तरफ अनुराग भरी निगाह से देखा तो मैंने धीरे से उसे किस किया. वो कुछ नहीं बोली तो मैंने उसे गले से लगाया और धीरे धीरे उसकी पीठ पर हाथ घुमाने लगा. अब उसे लगने लगा कि कुछ गड़बड़ होने वाली है तो वो मुझसे अलग हो गयी.
वो मुझसे कहने लगी कि ये सब शादी से पहले किसी के साथ करना गलत है.
मैंने उसे बहुत समझाया, लेकिन वो नहीं मानी और अपने होस्टल चली गयी. दो दिन हमारा झगड़ा बना रहा, उसके बाद उसका कॉल आया, वो बोली- मुझे तुमसे मिलना है.
तो मैंने उससे बोला कि आ जाओ बाहर किसी पार्क में मिलते हैं.
उसने बाहर मिलने से मना कर दिया और मेरे ही रूम पर मिलने का कहने लगी.
मैंने उसे बोल दिया कि ठीक है आ जाओ.. मैं अपने ही रूम पर हूँ.
जब वो आई तो उसने मुझसे सेक्स के बारे में बात की. मैंने उसे बहुत कुछ बताया और उसने भी, जो उसे पता था मुझसे शेयर किया.
फिर वो बोली कि तुम गुस्सा मत हो जानू… मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ लेकिन वो सब नहीं कर सकती और अगर तब भी तुम करना चाहते हो तो ऊपर ऊपर से जो भी करना है, कर लो.
मैंने भी उसके जज्बातों को समझा और मना कर दिया कि नहीं मुझे कुछ भी ऐसा नहीं करना है.
यह सुन कर वो मुझसे लिपट गयी और मुझे किस करने लगी. उसने मुझे पन्द्रह मिनट तक लगातार किस किया और बोली- हम आज नहीं.. लेकिन सही समय आने पर इस बारे में जरूर सोचेंगे.
इस तरह समय निकलता गया. एक दिन किसी फेस्टिवल का टाइम था, वो अपने घर नहीं गयी थी. उसकी वजह से ही मैं भी घर नहीं गया था. कॉलेज 5 दिन के लिए बंद था और सभी दोस्त अपने अपने घर जा चुके थे. उसका भी हॉस्टल लगभग खाली था, तो उसे भी बुरा लग रहा था.
मैंने उसे अपने रूम पर रुकने का ऑफर किया, तो उसने बोला कि तुम्हारे मकान मालिक क्या कहेंगे?
मैंने उससे बोला- तुम उसका छोड़ो, वो मेरी परेशानी है.
तब मैंने अपनी मकान मालिक से बात की और उन्हें बात बताई कि वो अकेली हॉस्टल में रह गई है, जिस वजह से वो डर रही है और बुरा फील कर रही है.
यह सुनकर उन्होंने उसे मेरे रूम पर रुकने की इजाजत दे दी. तब मैंने उसे बता दिया कि मकान मालिक ने रहने की हां कर दी है. वो अपना बैग लेकर आ गयी.
अब हम दोनों साथ साथ टाइम स्पेंड करने लगे. दिन तो जैसे तैसे निकल गया अब रात आयी. चूंकि मैं अकेला रहता था तो एक ही बिस्तर था.
उसने बोला- कोई बात नहीं, हम सो जाएंगे.
मुझे भी ये सुनकर अच्छा लगा. खाना खाने के बाद जब हम बिस्तर पर आये तो वो मेरे सीने पर हाथ रख कर और मेरे हाथ पर अपना सर रख कर मुझसे बात करने लगी.
बात करते करते वो सो गयी और मैं उसे देखता रहा. मुझे जरा भी नींद नहीं आ रही थी. मैं रात को लगभग दो बजे तक जागता रहा.
तभी अचानक से उसकी नींद खुली और वो मुझे जागता देख कर पूछने लगी- अभी तक क्यों नहीं सोये?
मैंने उससे कहा- तुम सो रही थी तो मैं तुम्हें देख रहा था.
यह सुनकर उसने मुझे किस किया और वो मेरे ऊपर आ कर मुझे किस करती रही. काफी देर तक किस करने के बाद मैंने उससे बोला कि क्या आज मैं तुम्हारे साथ सेक्स कर सकता हूँ?
तो उसने थोड़ा टाइम लेकर जबाब दिया कि हां कर सकते हो अगर मुझे कोई प्रॉब्लम हुई तो वहीं पर रोकना पड़ेगा.
मैं मान गया, तब फिर मैंने धीरे धीरे उसके मम्मों को सहलाना चालू किया. जब काफी देर हो गयी तो मैंने उसके टॉप को अलग किया. अन्दर का जो नज़ारा देखा तो मैं उसे देख कर पागल हो गया.
एक दूध सी सफ़ेद लड़की ब्लैक रंग की ब्रा में मेरे सामने थी. मैंने उसको देख कर उसे चूमना स्टार्ट किया. चूमते चूमते मैंने कब उसकी ब्रा खोल दी.. पता ही नहीं चला.
वो मेरे सामने आधी नंगी होकर शर्माने लगी और खुद को चादर में छिपाते हुए बोली- अपने भी तो कपड़े उतारो.
मैं अपने कपड़े निकालने लगा और केवल फ्रेंची में उसके सामने खड़ा हो गया. तब वो मेरी फ्रेंची की तरफ नज़र टिका कर देख रही थी.
मैंने उसे टोका और पूछा- कहां ध्यान है तुम्हारा?
तो वो मुस्कुराने लगी. मैं भी झट से उसकी चादर में घुस गया और उससे चिपक गया. मैंने उसे सहलाते सहलाते उसके लोअर को नीचे किया तो उसने अपनी टाँगें उठाकर उसे उतारने में मेरी मदद की. फिर मैं उसे किस करने लगा और वो मेरा साथ देने लगी.
तभी मैं सहलाते सहलाते अपना हाथ उसकी पेंटी के ऊपर ले गया, जहां उसकी चूत पहले से ही भट्टी के जैसी गर्म थी. मैंने जरा सा हाथ नीचे किया तो पता चला कि कुछ गीला और चिपचिपा सा द्रव्य उसकी पेंटी से लगा है. मैंने उससे पूछा- ऐसा क्यों?
वो बोली कि मुझे खुद नहीं पता कि कैसे गीली हो गई?
मैं समझ गया कि वो एक बार झड़ चुकी थी और उसे खुद नहीं पता था.
मैंने अब देर न करते हुए उसकी पेंटी में हाथ डाल लिया और उसकी चूत को सहलाने लगा. वो गर्म होने लगी और मुझे कसके पकड़ने लगी. तो मैंने एक झटके में ही उसकी पेंटी उसके बदन से अलग कर दी और उसकी चूत में एक उंगली डालने लगा. जैसे ही मैंने उसकी चूत में उंगली डाली, वो चिहुंक उठी. उसे थोड़ा सा दर्द हुआ तो मैंने उसे समझाया कि दर्द तो होगा और ब्लड भी आएगा.
वो कहने लगी- हां ये सब तो पता है कि पहली बार में ये आएगा.
मैंने उसे चूमा और कहा कि अगर तुम न चाहो तो मैं ये सब यहीं पर रोक सकता हूँ.
तो वो बोली- मैंने तुमसे प्यार किया है तो तुम्हारा ही इस पर हक है. आज जो चाहे हो जाए.. हम एक बार तो जरूर ही ये सब करेंगे, इसके लिए मुझे कितना भी दर्द क्यों न हो.
तब मुझे उस पर और ज्यादा प्यार आने लगा और मैंने मना किया कि नहीं, मैं अब ये सब नहीं करना चाहता.
उसने जिद करते हुए बोला कि आज कर लो.. पता नहीं ऐसा मौका दोबारा कभी मिलेगा भी कि नहीं.
तो मैं उसकी बात मान गया. चूंकि आग दोनों तरफ लगी थी, सो मैंने अपनी फ्रेंची उतार कर साइड में रख दी और उसके ऊपर आ गया.
जब उसने मेरा लंड देखा तो वो थोड़ा डर गयी और कहने लगी- एक उंगली से इतना दर्द हुआ तो इससे तो बहुत ज्यादा होगा.
तो मैंने हाँ में सर हिलाया तो उसने बोला कि जो भी हो, अब यहाँ तक पहुँच गए तो आगे भी जाएंगे.
मैंने ओके कहा तो उसने मुझसे बोला कि जब तुम ये अन्दर डालो, तो मेरा मुँह बंद कर देना.
मैंने उसे फिर से समझाया कि अगर इतना ही डर हो रहा है तो मत करो.
तो उसने मेरी एक न सुनी और बोलने लगी- अब मैं रेडी हूँ, जो चाहे सो आज कर लो.
तब मैंने उसे अपनी एक टी-शर्ट दी और उससे बोला- इसे अपने मुँह में दबा लो, जिससे आंटी के रूम तक आवाज़ न जाये.
उसने मेरी बात मान ली और कपड़े को मुँह में उतना ठूंस लिया, जितना बन सकता था.
तब मैंने उसे इशारा किया कि मैं अपना लंड उसकी चूत में डाल रहा हूँ तो उसने हाँ में सर हिलाया.
फिर जैसे ही मैंने अपने लंड का टोपा उसकी चूत पर रखा तो वो ऊपर तरफ खिसकने लगी. मैंने उसे प्यार से किस किया और धीरे धीरे उसकी चूत पर अपना लंड फिराने लगा.
इससे उसे कुछ अच्छा लगा और आँखों से सहमति दे दी कि करो अब.
तब मैंने उसकी गीली चूत पर अपना लंड रखा और उसकी तरफ देख कर हल्का सा झटका दिया. मेरा लंड का टोपा उसकी चूत के अन्दर चला गया. उसको बहुत ज्यादा दर्द हुआ और वो मुझे धकेलने लगी. मैंने उसकी तरफ देखा तो आँख में आंसू थे. उसी समय मैं झट से अलग हो गया और अपना टोपा बाहर निकाल लिया. फिर मैंने उसके मुँह से कपड़ा निकाला और उसके आंसू पौंछे.
उसने कराहते हुए कहा- बहुत ज्यादा दर्द हुआ है.
उसने नीचे हाथ लगाया तो देखा हल्का सा ब्लड लगा था, जो उसकी चूत की साइड की स्किन कटने से निकला था.
तब मैंने उससे बोला कि अब नहीं करते हैं, जब इतना दर्द हो रहा है तो रहने दो.
उसने बोला- एक बार और कोशिश कर लो.. अगर इस बार हुआ तो फिर नहीं करेंगे.
मैंने उसकी बात मानी और उसके मुँह में कपड़ा देकर अपने लंड पर पहले तेल लगाया और कुछ तेल उसकी चूत पर भी लगा दिया. फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर सैट किया और इस बार जोर का धक्का लगाया तो मेरा लंड लगभग तीन इंच उसकी चूत में चला गया. वो दर्द से आंसू बहाने लगी और अपने हाथ पैर छटपटाने लगी. तब मैंने उसके आंसुओं को पोंछा और समझाया कि अब अन्दर चला गया है. कुछ देर बाद दर्द नहीं होगा.
उसने मुझे ऐसे ही दो मिनट रुकने को बोला. मैं वैसे ही उसके ऊपर रुका रहा.. अन्दर मेरा लंड जल रहा था. मुझे लग रहा था कि जैसे मैंने किसी गरम भट्टी में अपना लंड डाल दिया हो.
कुछ देर बाद मैंने थोड़ा सा हिलना शुरू किया और अपना लंड अन्दर बाहर किया, तो उसे फिर से दर्द हुआ. मैंने अब उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया और अन्दर बाहर करने लगा. कुछ देर बाद वो नार्मल हुई और अपने मुँह से कपड़ा निकल कर मादक सिस्कारियां निकालने लगी. वो मुझे किस करने लगी.
जब मैंने उससे पूछा कि अब कैसा फील हो रहा है?
तो उसने मुस्कुराकर कहा- बहुत अच्छा.
मैंने उससे बोला- अभी थोड़ा और बाहर बाकी है..
उसने बोला- डाल दो पूरा, पर मेरा मुँह पकड़ कर करना.
मैंने वैसा ही किया, अपने होंठ उसके होंठ से लगा कर एक तेज़ झटका दिया और पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया.
उसे फिर से दर्द हुआ और चीखने लगी लेकिन मेरी किस की वजह से उसकी चीख वहीं सिमट गयी.
फिर थोड़ा रुक कर मैंने उसे चोदना चालू किया. वो कुछ देर बाद झड़ने वाली थी. उसे बहुत अच्छा लगने लगा था, वो कहने लगी- और जोर से और जल्दी आह आह आह्ह ऊंह.
ये कहते हुए उसने मुझे जोर से पकड़ लिया और वो झड़ गयी. उसके एक मिनट बाद मैं भी झड़ने वाला था तो मैंने तुरंत अपना लंड बाहर निकाल कर सारा माल उसकी चूत के ऊपर गिरा दिया.
जब वो उठी और उसने जो देखा तो पागल सी हो गयी. उसकी चूत से बहुत ज्यादा खून निकला था. जिससे चादर का एक फीट का हिस्सा पूरी तरह ख़राब हो गया था, उसमें दाग लग चुका था.
फिर उसने अपनी चूत की तरफ देखा तो वो सूज गयी थी और लाल हो गयी थी. वो लंगड़ाते हुए बाथरूम गयी और खुद को साफ़ करके बाहर आई.
उसने मुझे किस किया और बोली- आज जो हुआ, वो करने की हिम्मत तुमसे मिली है.. और यह रात मेरी जिन्दगी की सुहागरात से कम नहीं है.
उसके बाद उसने वो बेडशीट हटाई और दूसरी बिछाई. हम फिर से बिस्तर पर आ गए.