Sex stories
आरती मेरे छोटे भाई रौनक की वाइफ़ है। आरती काफ़ी सुंदर महिला Sex stories है। उसका बदन ऊपर वाले ने काफ़ी तसल्ली से तराश कर बनाया है।
मैं सुरेश उसका जेठ हूं। मेरी शादी को दस साल हो चुके हैं।
आरती शुरु से ही मुझे काफ़ी अच्छी लगती थी। मुझसे वो काफ़ी खुली हुई थी।
रौनक एक यूके बेस्ड कम्पनी में सर्विस करता था।
हां बताना तो भूल ही गया आरती का मायका नागपुर में है और हम जालंधर में रहते हैं।
आज से कोई पांच साल पहले की बात है।
हुआ यूं कि शादी के एक साल बाद ही आरती प्रेग्नेंट हो गयी, डिलीवरी के लिये वो अपने मायके गयी हुई थी। सात महीने में प्रीमेच्योर डिलीवरी हो गयी। बच्चा शुरु से ही काफ़ी वीक था। दो हफ़्ते बाद ही बच्चे की डेथ हो गयी।
रौनक तुरंत छुट्टी लेकर नागपुर चला गया। कुछ दिन वहां रह कर वापस आया। वापस अकेला ही आया था। ये तय हुआ था कि आरती की हालत थोड़ी ठीक होने के बाद आयेगी।
एक महीने के बाद जब आरती को वापस लाने की बात आयी तो रौनक को छुट्टी नहीं मिली।
आरती को लेने जाने के लिये रौनक ने मुझे कहा।
तो मैं आरती को लेने ट्रेन से निकला। आरती को वैसे मैंने कभी गलत निगाहों से नहीं देखा था। लेकिन उस यात्रा मे हम दोनों में कुछ ऐसा हो गया कि मेरे सामने हमेशा घूंघट में घूमने वाली आरती बेपर्दा हो गयी।
हमारी टिकट प्रथम क्लास में बुक थी। चार सीटर कूपे में दो सीट पर कोई नहीं आया। हम ट्रेन में चढ़ गये।
गरमी के दिन थे, जब तक ट्रेन स्टेशन से नहीं छूटी तब तक वो मेरे सामने घूंघट में खड़ी थी।
मगर दूसरों के आंखों से ओझल होते ही उसने घूंघट उलट दिया और कहा- अब आप चाहे कुछ भी समझें मैं अकेले में आपसे घूंघट नहीं करूंगी। मुझे आप अच्छे लगते हो आपके सामने तो मैं ऐसी ही रहूंगी।
मैं उसकी बात पर हँस पड़ा- मैं भी घूंघट के समर्थन में कभी नहीं रहा।
मैंने पहली बार उसके बेपर्दा चेहरे को देखा। मैं उसके खूबसूरत चेहरे को देखता ही रह गया।
अचानक मेरे मुंह से निकला- अब घूंघट के पीछे इतना लाजवाब हुश्न छिपा है उसका पता कैसे लगता।
उसने मेरी ओर देखा फ़िर शर्म से लाल हो गयी।
आरती ने बोतल ग्रीन रंग की एक शिफ़ोन की साड़ी पहन रखी थी, ब्लाउज़ भी मैचिंग पहना था।
गर्मी के कारण बात करते हुए साड़ी का आंचल ब्लाउज़ के ऊपर से सरक गया।
तब मैंने जाना कि उसने ब्लाउज़ के अन्दर ब्रा नहीं पहनी हुई है।
उसके स्तन दूध से भरे हुए थे इसलिये काफ़ी बड़े बड़े हो गये थे।
ऊपर का एक हुक टूटा हुआ था इसलिये उसकी आधी छातियां साफ़ दिख रही थी।
पतले ब्लाउज़ में से ब्रा नहीं होने के कारण निप्पल और उसके चारों ओर का काला घेरा साफ़ नजर आ रहा था।
मेरी नजर उसकी छाती से चिपक गयी।
उसने बात करते करते मेरी ओर देखा। मेरी नजरों का अपनी नजरों से पीछा किया और मुझे अपने बाहर छलकते हुए बूब को देखता पाकर शरमा गयी और जल्दी से उसे आंचल से ढक लिया।
हम दोनों बातें करते हुए जा रहे थे।
कुछ देर बाद वो उठकर बाथरूम चली गयी। कुछ देर बाद लौट कर आयी तो उसका चेहरा थोड़ा गम्भीर था।
हम वापस बात करने लगे।
कुछ देर बाद वो वापस उठी और कुछ देर बाद लौट कर आ गयी।
मैंने देखा वो बात करते करते कसमसा रही है। अपने हाथों से अपने ब्रेस्ट को हल्के से दबा रही है।
“कोई प्रोब्लम है क्या?” मैंने पूछा।
“ना… नहीं!”
मैंने उसे असमंजस में देखा।
कुछ देर बाद वो फिर उठी तो मैंने कहा- मुझे बताओ न क्या प्रोब्लम है?
वो झिझकती हुई सी खड़ी रही, फ़िर बिना कुछ बोले बाहर चली गयी, कुछ देर बाद वापस आकर वो सामने बैठ गयी।
“मेरी छातियों में दर्द हो रहा है।” उसने चेहरा ऊपर उठाया तो मैंने देखा उसकी आंखें आंसुओं से छलक रही हैं।
“क्यों क्या हुआ?” मर्द वैसे ही औरतों के मामले में थोड़े नासमझ होते हैं।
मेरी भी समझ में नहीं आया अचानक उसे क्या हो गया।
“जी, वो क्या है म्म … वो मेरी छातियां भारी हो रही हैं।” वो समझ नहीं पा रही थी कि मुझे कैसे समझाये आखिर मैं उसका जेठ था।
“म्मम मेरी छातियों में दूध भर गया है लेकिन निकल नहीं पा रहा है।” उसने नजरें नीची करते हुए कहा।
“बाथरूम जाना है?” मैंने पूछा.
“गयी थी लेकिन वाश-वेसिन बहुत गंदा है इसलिये मैं वापस चली आयी.” उसने कहा- और बाहर के वाश-वेसिन में मुझे शर्म आती है कोई देख ले तो क्या सोचेगा?
“फ़िर क्या किया जाए?” मैं सोचने लगा.
“कुछ ऐसा करें जिससे तुम यहीं अपना दूध खाली कर सको। लेकिन किसमें खाली करोगी? नीचे फ़र्श पर गिरा नहीं सकती और यहां कोई बर्तन भी नहीं है जिसमें दूध निकाल सको!”
उसने झिझकते हुये फ़िर मेरी तरफ़ एक नजर डाल कर अपनी नजरें झुका ली। वो अपने पैर के नखूनों को कुरेदती हुई बोली- अगर आप गलत नहीं समझें तो कुछ कहूं?
“बोलो?”
“आप इन्हें खाली कर दीजिये न!”
“मैं? मैं इन्हें कैसे खाली कर सकता हूं।” मैंने उसकी छातियों को निगाह भर कर देखा।
“आप अगर इस दूध को पी लो…” उसने आगे कुछ नहीं कहा।
मैं उसकी बातों से एकदम भौचक्का रह गया- लेकिन ये कैसे हो सकता है। तुम मेरे छोटे भाई की बीवी हो। मैं तुम्हारे स्तनों में मुंह कैसे लगा सकता हूं?
“जी आप मेरे दर्द को कम कर रहे हैं इसमें गलत क्या है। क्या मेरा आप पर कोई हक नहीं है?” उसने मुझसे कहा- मेरा दर्द से बुरा हाल है और आप सही गलत के बारे में सोच रहे हो? प्लीज़!
मैं चुपचाप बैठा रहा, समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहूं। अपने छोटे भाई की बीवी के निप्पल मुंह में लेकर दूध पीना एक बड़ी बात थी।
आरती ने अपने ब्लाउज़ के सारे बटन खोल दिये- प्लीज़!
उसने फ़िर कहा लेकिन मैं अपनी जगह से नहीं हिला।
“जाइये आपको कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। आप अपने रूढ़ीवादी विचारों से घिरे बैठे रहिये चाहे मैं दर्द से मर ही जाऊँ।” कह कर उसने वापस अपने स्तनों को आंचल से ढक लिया और अपने हाथ आंचल के अंदर करके ब्लाउज़ के बटन बंद करने की कोशिश करने लगी लेकिन दर्द से उसके मुंह से चीख निकल गयी- आआहह!
मैंने उसके हाथ थाम कर ब्लाउज़ से बाहर निकाल दिये।
फ़िर एक झटके में उसके आंचल को सीने से हटा दिया।
उसने मेरी तरफ़ देखा।
मैं अपनी सीट से उठ कर केबिन के दरवाजे को लोक किया और उसके बगल में आ गया।
उसने अपने ब्लाउज़ को उतार दिया, उसके नग्न ब्रेस्ट जो कि मेरे भाई की अपनी मिल्कियत थी मेरे सामने मेरे होंठों को छूने के लिये बेताब थे।
मैंने अपनी एक उंगली को उसके एक ब्रेस्ट पर ऊपर से फ़ेरते हुए निप्पल के ऊपर लाया।
मेरी उंगली की छुअन पा कर उसके निप्पल अंगूर की साइज़ के हो गये।
मैं उसकी गोद में सिर रख कर लेट गया। उसके बड़े बड़े दूध से भरे हुए स्तन मेरे चेहरे के ऊपर लटक रहे थे।
उसने मेरे बालों को सहलाते हुए अपने स्तन को नीचे झुकाया।
उसका निप्पल अब मेरे होंठों को छू रहा था।
मैंने जीभ निकाल कर उसके निप्पल को छूआ।
“ऊओफ़्फ़ फ़्फ़ जेठजी अब मत सताओ… प्लीज़ इनका रस चूस लो!” कहकर उसने अपनी छाती को मेरे चेहरे पर टिका दिया।
मैंने अपने होंठ खोल कर सिर्फ़ उसके निप्पल को अपने होंठों में लेकर चूसा।
मीठे दूध की एक तेज़ धार से मेरा मुंह भर गया।
मैंने उसकी आंखों में देखा।
उसकी आंखों में शर्म की परछाई तैर रही थी।
मैंने मुंह में भरे दूध को एक घूंठ में अपने गले के नीचे उतार दिया।
“आआ अहह!” उसने अपने सिर को एक झटका दिया।
मैंने फ़िर उसके निप्पल को जोर से चूसा और एक घूंठ दूध पिया।
मैं उसके दूसरे निप्पल को अपनी उंगलियों से कुरेदने लगा।
“ऊओह हहाआन्न हाआन्नन… जोर से चूसो और जोर से… प्लीज़ मेरे निप्पल को दांतों से दबाओ, काफ़ी खुजली हो रही है।” उसने कहा। वो मेरे बालों में अपनी उंगलियां फ़ेर रही थी।
मैंने दांतों से उसके निप्पल को जोर से दबाया।
वो ‘ऊउईईइ…’ कर उठी, वो अपने ब्रेस्ट को मेरे चेहरे पर दबा रही थी।
उसके हाथ मेरे बालों से होते हुए मेरी गर्दन से आगे बढ़ कर मेरे शर्ट के अन्दर घुस गये।
वो मेरी बालों भरी छाती पर हाथ फ़ेरने लगी।
फ़िर उसने मेरे निप्पल को अपनी उंगलियों से कुरेदा।
“क्या कर रही हो?” मैंने उससे पूछा।
“वही जो तुम कर रहे हो मेरे साथ!” उसने कहा
“क्या कर रहा हूं मैं तुम्हारे साथ?” मैंने उसे छेड़ा.
“दूध पी रहे हो अपने छोटे भाई की बीवी के स्तनों से!”
“काफ़ी मीठा है!”
“धत्त…” कहकर उसने अपने हाथ मेरे शर्ट से निकाल लिये और मेरे चेहरे पर झुक गयी।
इससे उसका निप्पल मेरे मुंह से निकल गया। उसने झुक कर मेरे लिप्स पर अपने लिप्स रख दिये और मेरे होंठों के कोने पर लगे दूध को अपनी जीभ से साफ़ किया।
फ़िर वो अपने हाथों से वापस अपने निप्पल को मेरे लिप्स पर रख दी।
मैंने मुंह को काफ़ी खोल कर निप्पल के साथ उसके बूब का एक पोर्शन भी मुंह में भर लिया।
वापस उसके दूध को चूसने लगा।
कुछ देर बाद उस स्तन से दूध आना कम हो गया तो उसने अपने स्तन को दबा दबा कर जितना हो सकता था दूध निचोड़ कर मेरे मुंह में डाल दिया।
“अब दूसरा!” वो बोली.
मैंने उसके स्तन को मुंह से निकाल दिया फ़िर अपने सिर को दूसरे स्तन के नीचे एडजस्ट किया और उस स्तन को पीने लगा।
उसके हाथ मेरे पूरे बदन पर फ़िर रहे थे।
हम दोनों ही उत्तेजित हो गये थे।
उसने अपना हाथ आगे बढ़ा कर मेरे पैंट की ज़िप पर रख दिया। मेरे लिंग पर कुछ देर हाथ यूं ही रखे रही। फ़िर उसे अपने हाथों से दबा कर उसके साइज़ का जायजा लिया।
“काफ़ी तन रहा है!” उसने शर्माते हुए कहा।
“तुम्हारी जैसी हूर पास इस अन्दाज में बैठी हो तो एक बार तो विश्वामित्र की भी नीयत डोल जाये।”
“म्मम्म अच्छा। और आप? आपके क्या हाल हैं?” उसने मेरे ज़िप की चैन को खोलते हुए पूछा.
“तुम इतने कातिल मूड में हो तो मेरी हालत ठीक कैसे रह सकती है?”
उसने अपना हाथ मेरे ज़िप से अन्दर कर ब्रीफ़ को हटाया और मेरे तने हुए लिंग को निकालते हुए कहा- देखूं तो सही कैसा लगता है दिखने में?
मेरे मोटे लिंग को देख कर खूब खुश हुई- अरे बाप रे कितना बड़ा लिंग है आपका। दीदी कैसे लेती हैं इसे?
“आ जाओ तुम्हें भी दिखा देता हूं कि इसे कैसे लिया जाता है।”
“धत्त मुझे नहीं देखना कुछ… आप बड़े वो हो!” उसने शरमा कर कहा लेकिन उससे हाथ हटाने की कोई जल्दी नहीं की।
“इसे एक बार किस तो करो!” मैंने उसके सिर को पकड़ कर अपने लिंग पर झुकाते हुए कहा।
उसने झिझकते हुए मेरे लिंग पर अपने होंठ टिका दिये।
अब तक उसका दूसरा स्तन भी खाली हो गया था।
उसके झुकने के कारण मेरे मुंह से निप्पल छूट गया।
मैंने उसके सिर को हल्के से दबाया तो उसने अपने होंठों को खोल कर मेरे लिंग को जगह दे दी।
मेरा लिंग उसके मुंह में चला गया।
उसने दो तीन बार मेरे लिंग को अन्दर बाहर किया फ़िर उसे अपने मुंह से निकाल लिया।
“ऐसे नहीं… ऐसे मजा नहीं आ रहा है!”
“हां अब हमें अपने बीच की इन दीवारों को हटा देना चाहिये!” मैंने अपने कपड़ों की तरफ़ इशारा किया।
मैंने उठकर अपने कपड़े उतार दिये फ़िर उसे बाहों से पकड़ कर उठाया। उसकी साड़ी और पेटीकोट को उसके बदन से अलग कर दिया।
अब हम दोनों बिल्कुल नग्न थे।
तभी किसी ने दरवाजे पर नोक किया।
“कौन हो सकता है?” हम दोनों हड़बड़ी में अपने अपने कपड़े एक थैली में भर लिये और आरती बर्थ पर सो गयी।
मैंने उसके नग्न शरीर पर एक चादर डाल दी।
इस बीच दो बार नोक और हुआ।
मैंने दरवाजा खोला बाहर टीटी खड़ा था, उसने अन्दर आकर टिकट चेक किया और कहा- ये दोनों सीट खाली रहेंगी इसलिये आप चाहें तो अन्दर से लोक करके सो सकते हैं.
और बाहर चला गया।
मैंने दरवाजा बंद किया और आरती के बदन से चादर को हटा दिया।
आरती शर्म से अपनी जांघों के जोड़ को और अपनी छातियों को ढकने की कोशिश कर रही थी।
मैंने उसके हाथों को पकड़ कर हटा दिया तो उसने अपने शरीर को सिकोड़ लिया और कहा- प्लीज़ मुझे शर्म आ रही है।
मैं उसके ऊपर चढ़ कर उसकी योनि पर अपने मुंह को रखा।
इससे मेरा लिंग उसके मुंह के ऊपर था।
उसने अपने मुंह और पैरों को खोला। एक साथ उसके मुंह में मेरा लिंग चला गया और उसकी योनि पर मेरे होंठ सट गये।
“आह सुरेश जी क्या कर रहे हो, मेरा बदन जलने लगा है। पंकज ने कभी इस तरह मेरी योनि पर अपनी जीभ नहीं डाली!” उसके पैर छटपटा रहे थे।
उसने अपनी टांगों को हवा में उठा दिया और मेरे सिर को उत्तेजना में अपनी योनि पर दबाने लगी।
मैं उसके मुंह में अपना लिंग अंदर बाहर करने लगा।
मेरे हाथों ने उसकी योनि की फ़ांकों को अलग अलग कर रखा था और मेरी जीभ अंदर घूम रही थी।
वो पूरी तन्मयता से अपने मुंह में मेरे लिंग को जितना हो सकता था उतना अंदर ले रही थी।
काफ़ी देर तक इसी तरह 69 पोज़िशन में एक दूसरे के साथ मुख मैथुन करने के बाद लगभग दोनों एक साथ खल्लास हो गये, उसका मुंह मेरे रस से पूरा भर गया था।
उसके मुंह से चू कर मेरा रस एक पतली धार के रूप में उसके गुलाबी गालों से होता हुआ उसके बालों में जाकर खो रहा था।
मैं उसके शरीर से उठा तो वो भी उठ कर बैठ गयी।
हम दोनों एक दम नग्न थे और दोनों के शरीर पसीने से लथपथ थे। दोनों एक दूसरे से लिपट गये और हमारे होंठ एक दूसरे से ऐसे चिपक गये मानो अब कभी भी न अलग होने की कसम खा ली हो।
कुछ मिनट तक यूं ही एक दूसरे के होंठों को चूमते रहे फ़िर हमारे होंठ एक दूसरे के बदन पर घूमने लगे।
“अब आ जाओ!” मैंने आरती को कहा।
“जेठजी थोड़ा सम्भाल कर… अभी अंदर नाजुक है, आपका बहुत मोटा है, कहीं कोई जख्म न हो जाये।”
“ठीक है। चलो बर्थ पर हाथों और पैरों के बल झुक जाओ। इससे ज्यादा अंदर तक जाता है और दर्द भी कम होता है।”
आरती उठकर बर्थ पर चौपाया हो गयी।
मैं पीछे से उसकी योनि पर अपना लंड सटा कर हल्का सा धक्का मारा, मेरे भाई की बीवी की चूत गीली तो पहले ही हो रही थी, धक्के से मेरे लंड के आगे का टोपा अंदर धंस गया।
एक बच्चा होने के बाद भी उसकी योनि काफ़ी टाइट थी।
वो दर्द से “आआह्हह” कर उठी।
मैं कुछ देर के लिये उसी पोज़ में शांत खड़ा रहा।
कुछ देर बाद जब दर्द कम हुआ तो आरती ने ही अपनी गांड को पीछे धकेला जिससे मेरा लंड पूरा अंदर चला जाये।
“डालो न… रुक क्यों गये।”
“मैंने सोचा तुम्हें दर्द हो रहा है इसलिये।”
“इस दर्द का मजा तो कुछ और ही होता है। आखिर इतना बड़ा है दर्द तो करेगा ही।” उसने कहा।
फ़िर वो भी मेरे धक्कों का साथ देते हुए अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी।
मैं पीछे से शुरु शुरु में सम्भल कर धक्का मार रहा था लेकिन कुछ देर के बाद मैं जोर जोर से धक्के मारने लगा।
हर धक्के से उसके दूध भरे स्तन उछल उछल जाते थे।
मैंने उसकी पीठ पर झुकते हुए उसके स्तनो को अपने हाथों से थाम लिया लेकिन मसला नहीं, नहीं तो सारी बर्थ उसके दूध की धार से भीग जाती।
काफ़ी देर तक उसे धक्के मारने के बाद उसने अपने सिर को को जोर जोर से झटकना चालू किया।
“आआह शीईव्व अम्मम आआअह तउम्म इतनए दिन कहा थीए। ऊऊ ओह्हह माआ ईईइ माअर्र र्रर जाऊऊं गीइ। मुझए माअर्रर डालओ मुझीए मसाअल्ल डाअल्लओ” और उसकी योनि में रस की बौछार होने लगी।
कुछ धक्के मारने के बाद मैंने उसे चित लिटा दिया और ऊपर से अब धक्के मारने लगा।
“आअह मेरा गला सूख रहा है।” उसका मुंह खुला हुआ था। और जीभ अंदर बाहर हो रही थी।
मैंने हाथ बढ़ा कर मिनरल वाटर की बोतल उठाई और उसे दो घूंठ पानी पिलाया।
उसने पानी पीकर मेरे होंठों पर एक किस किया।
“चोदो सुरेश चोदो… जी भर कर चोदो मुझे।”
मैं ऊपर से धक्के लगाने लगा।
काफ़ी देर तक धक्के लगाने के बाद मैंने रस में डूबे अपने लिंग को उसकी योनि से निकाला और सामने वाली सीट पर पीठ के बल लेट गया।
“आजा मेरे ऊपर!” मैंने आरती को कहा।
आरती उठ कर मेरे बर्थ पर आ गयी और अपने घुटने मेरी कमर के दोनों ओर रख कर अपनी योनि को मेरे लिंग पर सेट करके धीरे धीरे मेरे लिंग पर बैठ गयी।
अब वो मेरे लिंग की सवारी कर रही थी।
मैंने उसके निप्पल को पकड़ कर अपनी ओर खींचा। तो वो मेरे ऊपर झुक गयी।
मैंने उसके निप्पल को सेट कर के दबाया तो दूध की एक धार मेरे मुंह में गिरी।
अब वो मुझे चोद रही थी और मैं उसका दूध निचोड़ रहा था।
काफ़ी देर तक मुझे चोदने के बाद वो चीखी- सुरेश, मेरे निकलने वाला है। मेरा साथ दो। मुझे भी अपने रस से भिगो दो।
हम दोनों साथ साथ झड़ गये।
काफ़ी देर तक वो मेरे ऊपर लेटी हुई लम्बी लम्बी सांसें लेती रही।
फ़िर जब कुछ नोर्मल हुई तो उठ कर सामने वाली सीट पर लेट गयी।
हम दोनों लगभग पूरे रास्ते नग्न एक दूसरे को प्यार करते रहे।
लेकिन उसने दोबारा मुझे उस दिन और चोदने नहीं दिया. उसकी बच्चेदानी में हल्का हल्का दर्द हो रहा था।
पर उसने मुझे आश्वासन दिया- आज तो मैं आपको और नहीं दे सकूंगी लेकिन दोबारा जब भी मौका मिला तो मैं आपको निचोड़ लूंगी अपने अंदर। और हां अगली बार मेरे पेट में देखते हैं दोनों भाइयों में से किसका बच्चा आता है।
उस यात्रा के दौरान कई बार मैंने उसके दूध की बोतल पर जरूर हाथ साफ़ किया। Sex stories