प्रेषिका : सुधा Hindi Sex Stories
आज मैं आपको अपनी सच्ची Hindi Sex Stories कहानी बताने जा रही हूँ ! मैं ३५ साल की ख़ूबसूरत महिला हूँ, मेरे पति मुझे पूरी संतुष्टि प्रदान करते हैं।
इचलकरंजी, महाराष्ट्र में कपडे का काम था हमारा, लेकिन किन्हीं कारणों से उन्हें बहुत नुकसान उठाना पड़ा, उस वजह से उनकी मानसिक हालत तनाव भरी रहती थी और उन्होंने मेरी और ध्यान देना छोड़ दिया था।
फ़िर हम लोग इचलकरंजी छोड़ कर कोयाम्बटर तमिलनाडु आकर बस गए। यहाँ पर नया कारोबार बसाने में जुट गए।
यहाँ पर उनकी एक आदमी से मित्रता हो गई जिनका नाम अमृत लाल है, दिखने में एकदम जवान ख़ूबसूरत हैं, मेरे पति का ध्यान नया कारोबार बसाने में था और मेरी सेक्स की भूख बढ़ती ही जा रही थी, उनका ध्यान मेरी ओर था ही नहीं !
कुछ दिनों बाद वो व्यापार के सिलसिले मैं दिल्ली चले गए, पीछे से अमृत जी को मेरा ध्यान रखने का कह कर गए।
मैंने बड़ी हिम्मत करके अमृतजी के मोबाइल पर फ़ोन लगाया और कहा कि घर पर कुछ सामान लाना हैं सो आप आ जाइए !
दोपहर को करीब ३ बजे अमृतजी आ गए, और मैं अमृतजी के साथ होंडा बाइक के पीछे बैठ कर मार्केट रवाना हो गई। मैं जान बूझ कर उनसे चिपक कर बैठी थी, मेरे मम्मे अमृतजी के पीठ में धंस रहे थे।
वो बोले- भाभीजी आप आराम से पकड़ने के लिए अपने हाथ मेरी जांघो पे रख लें !
लेकिन शर्म की वजह से हिम्मत नहीं हुई। बाइक चलाते हुए उन्हें भी मस्ती सूझ रही थी। वो बार बार ब्रेक लगा रहे थे जिनकी वजह से मेरे मम्मे उनकी पीठ में गड़ें !
खैर सामान लेकर वापस घर पहुंचे तो मैं उनके और मेरे लिए चाय बनाने किचन में चली गई, पीछे से अमृतजी भी किचन में आ गए, उन्होंने मुझसे पूछा- भाई साहब की बहुत याद आ रही हे क्या ?
घर में मैं अकेली और उनका किचन में आना, मैं पूरी शरमा गई थी। अमृतजी ने धीरे से मेरे कंधो पे हाथ रखा और अपना चेहरा मेरे चेहरे के सामने कर दिया, मैंने अपनी आँखें एकदम बंद कर दी, मुझे महसूस हुआ कि उनके होंठ मेरे होंठ से चिपक गए थे, उन्होंने मेरी यह मौन स्वीकृति मान ली थी।
फ़िर उन्होंने मुझे जो किस करना शुरु किया तो बंद करने का नाम नहीं ले रहे थे, गालों पे, गर्दन पे, हाथों पे, हथेली पे, फ़िर हम खुल गए और बेडरूम में जाकर चुदाई शुरू की तो मानो धरती पर स्वर्ग उतर आया ! Hindi Sex Stories