मजबूरी मे सुहागरात मनानी पड़ी-2

जैसे ही संजय मेरे लबों पर चुम्बन करने लगे, मैंने मुँह फेर लिया.
वो रुक गये.
पर फिर मैंने खुद को समझाया और फीस के बारे में सोचा तो खुद ही उनकी तरह मुँह किया वो मेरी इस हरकत को देख कर खुश हो गये और मेरे लिप्स पर किस किया.
फिर उन्होंने मुझे स्मूच करना शुरू कर दिया.

अजीब लग रहा था क्योंकि यह सब मेरी लाइफ में पहली बार हो रहा था.
उन्होंने बहुत लंबा समूच किया और समूच करते करके मेरे बूब्स पर छुआ और फिर दबाने लगे. उनकी पकड़ और ज्यादा बढ़ती जा रही थी.

फिर उन्होंने मुझे गले पर किस किया और फिर मेरी पीठ पर चूमते हुए मेरे ब्लाउज का धागा खोल दिया. उन्होंने मेरे ब्लाउज को उतार दिया और फिर अपना भी कुरता भी उतार दिया.

अब वो मेरे पेट पर किस किए जा रहे थे और फिर मुझे घुमा कर मेरे दोनों चूचों को दबाने लगे और ब्रा के ऊपर से ही चूस रहे थे. उन्होंने फिर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और धीरे धीरे ब्रा निकाल दी.
मैंने दोनों हाथ से अपने चूचे छुपा लिए और फिर उन्होंने दोनों हाथों पकड़ के साइड कर दिया और मेरे बूब्स पर किस किया.

फिर उन्होंने मेरा निप्पल अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया. मुझे अजीब सा लग रहा था पर सच बताऊँ तो मजा सा भी आने लग गया था. मेरे हाथ उनके सिर पर चला गया और मैं उन्हें अपने बूब्स पर दबा रही थी.
वो काफ़ी देर तक मेरे निप्पल चूसते रहे, मैं भी अब गर्म हो चुकी थी.

फिर संजय धीरे धीरे मेरे पेट पर किस करने लगे और फिर मेरी नाभि को चूमने लगे. मुझे एक अजीब सा अहसास हो रहा था.

संजय ने फिर नीचे सरका कर मेरे पैर पर किस करना शुरू किया और फिर मेरे टांगों को किस करने लगे. संजय किस करते करते मेरा लहंगा उठाते हुए मेरी जांघों तक आ चुके थे. मेरे शरीर में एक अजीब सी कंपकपी हो रही थी.

संजय ने फिर धीरे से मेरे लहंगे का नाड़ा खोल दिया, लहंगा पूरा ढीला हो गया और फिर संजय ने धीरे धीरे उसे नीचे कर दिया और फिर पूरा का पूरा निकाल दिया.
मैं अब सिर्फ़ पेंटी में थी… मुझे बहुत शर्म भी आ रही थी.

तभी संजय ने दुबारा मेरे पैरों पर किस करते हुए मेरी जांघों को चूमा और फिर पेंटी के ऊपर से चूमना शुरू कर दिया.
संजय ने फिर धीरे से मेरी पेंटी भी उतार दी.

मैं अब खुद को समझा चुकी थी और इसलिए संजय का साथ देने लगी.

संजय ने फिर मेरी टांगों को खोला और मेरी बुर पर किस कर दिया. किस करते ही मैं एकदम से मचल गई, संजय ने फिर मेरी बुर को चाटना शुरू कर दिया.

वो अपनी जीभ मेरी बुर के अंदर तक डाल कर चाट रहे थे. मैं पूरी तरह गर्म हो चुकी थी और मुझे बहुत मजा भी आ रहा था. मैं भी संजय के सिर को पकड़ के अपनी बुर में दबाने लगी. वो मेरी बुर के होंठों के साथ समूच कर रहे थे.
मैं खुद को सातवें आसमान पर महसूस कर रही थी.

संजय ने करीब दस मिनट तक अपनी जीभ से मेरी बुर अंदर बाहर से चाट ली थी. मैं अब झरने वाली थी और आख़िरकार मैं संजय के मुँह में ही झर गई, वो भी मेरा सारा पानी पी गए और पागलों की तरह मेरी बुर को चाटते जा रहे थे.

फिर संजय ने अपना पाजामा और अंडरवीयर खोल दिया.

संजय का लंड एकदम तना हुआ 6 इंच लंबा और मोटा लंड देख कर मैं डर गई थी. मुझे पता था की आज मेरी बुर में यह लंड घुसने वाला है.
संजय ने मेरे पास आकर मुझे लंड हाथ में पकड़ कर हिलाने को कहा, मैंने बात मान ली और हाथ से उनका लंड हिलाने लगी.

फिर उन्होंने मुझे लंड मुँह में डाल के चूसने को कहा तो मैंने मना कर दिया पर फिर फीस की याद आने के कारण मैंने लंड मुँह में ले लिया. लंड का स्वाद थोड़ा अजीब सा लगा पर बाद में अच्छा लगने लगा. मैं भी पूरे जोश के साथ लंड को चूसने लगी.
करीब 15 मिनट लंड चूसने के बाद संजय मेरे मुँह में ही झर गए और सारा का सारा माल मेरे मुँह में ही छोड़ दिया. मैंने माल बाहर थूक दिया.

मैंने संजय से बाथरूम जाने को कहा तो वो मुझे ले गए. बाथरूम रूम से ही अटॅच्ड था. मैंने बाथरूम में जाकर कुल्ली की और आ गई.
संजय ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बेड तक ले गए.

संजय और मैं लेट कर समूच कर रहे थे, हम दोनों एक दूसरे के मुँह में अपनी जीभ डाल रहे थे. संजय का लंड फिर से तन चुका था, अब मेरी बुर का उद्घाटन होने वाला था. संजय ने मेरी टांगों को खोला और अपनी उंगली से मेरे बुर को सहलाने लगे. मेरी बुर भी गीली हो चुकी थी.

संजय ने अब अपना लंड मेरी बुर पर रख के रगड़ना शुरू कर दिया और फिर धीरे से अंदर डालना शुरू किया.
मुझे तो संजय की उंगली से ही इतना दर्द हो रहा था तो अब पता नहीं लंड कितना दर्द देने वाला था.

खैर कभी ना कभी तो पहली बार होता ही है…
संजय ने लंड को मेरी बुर पर सेट किया और हल्का सा धक्का लगाया. धक्का लगते ही उसके लंड का टोपा बुर में घुसने के लिए सेट हो गया. अभी सिर्फ़ 1 इंच लंड ही अंदर गया था कि मैं दर्द से पागल हो गई.

फिर संजय थोड़ा और ज़ोर लगाने लगे और साथ ही मेरे निप्पल को मुँह में चूस रहे थे. चूसते चूसते उन्होंने आखिर अपने लंड को एक ज़ोरदार धक्का मारा. संजय का पूरा लंड मेरी बुर को चीरता हुआ अंदर घुस गया.
मैं दर्द से मर ही गई थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ और मेरी आँख से आँसू निकल आये.

संजय थोड़ी देर से वैसे ही रुके और मेरे दर्द के कम होने का इंतज़ार करने लगे.
संजय मुझे स्मूच कर रहे थे.

2 मिनट बाद दर्द कुछ कम हुआ, संजय बहुत ही धीरे से अपना लंड वापिस निकालने लगे, मैं लंड की तरफ देख रही थी और जैसा सोचा था वही दिखाई पड़ा… लंड खून से लाल हो चुका था. मेरी बुर की सील टूट गई थी.

संजय ने करीब 5 इंच लंड बाहर निकाला होगा और फिर एक झटका अंदर की ओर मारा और फिर से लंड अंदर डाल दिया, संजय का लंड फिर से बुर में घुस गया. मुझे अंदर संजय का लंड अपने बच्चेदानी तक महसूस हो रहा था. संजय धीरे धीरे लंड अंदर बाहर कर रहे थे.

अब मेरा दर्द आनन्द में बदल गया था और अपने आप ही मेरे मुँह से मादक आह आह आह की आवाज़ निकलनी शुरू हो गई थी. मैंने संजय को कस के पकड़ लिया और अब शायद मेरा मन भी यही था कि संजय मुझे चोदते रहें!

संजय काफी देर तक धक्के लगाते रहे, अब मैं झरने वाली थी… मैंने संजय को कस के पकड़ लिया. संजय समझ गए कि मैं झरने वॉली हूँ तो उन्होंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.
अगले 2-3 मिनट में ही मैं झर गई. संजय अभी भी नहीं फारिग हुए थे इसलिए उन्होंने धक्के मारने चालू रखे.

करीब 5 मिनट बाद मुझे अपनी बुर में एक गर्म फव्वारा महसूस हुआ. संजय मेरी बुर में झर चुके थे.

संजय सेक्सुअली बहुत ही ताकतवर थे शायद इसलिए झरने के बाद भी वो अगले 2-3 मिनट तक धक्के मारते रहे.
फिर आख़िर वो भी थक कर मेरे साथ लेट गए और मुझे फिर स्मूच करने लगे.

संजय ने वेट टिश्यू पेपर और पानी से मेरी बुर जो अब चूत बन चुकी थी, अच्छे से साफ की और फिर से बुर को चूसने लगे.

20 मिनट तक संजय ने मेरे पूरे शरीर को दुबारा चूमा, चाटा, चूसा… और वो दुबारा मेरी चुदाई करने के लिए तैयार हो गए.
संजय ने फिर मेरी टाँगें खोल कर अपना लंड मेरी बुर में डाल दिया. इस बार मुझे कम दर्द हुआ और साथ ही मजा भी बहुत आने लगा था.

संजय ने अगले राऊंड में मेरी चुदाई काफी देर तक की जिसमें मैं 2 बार झर चुकी थी.
मैं संजय से बहुत खुश हो गई थी शायद और इसलिए उसका पूरी तरह साथ दे रही थी.

हमने उस रात पूरी रात चुदाई की, संजय ने कम से कम 5 बार उस रात में मुझे चोदा.

सुबह करीब 5 बजे हम दोनों तक से सो गये. संजय मेरे साथ एकदम पति की तरह नंगे बदन हग करके सोये हुए थे.

हम लोग करीब 11 बजे उठे, मैं नहाने चली गई. मेरे नहा कर आने के बाद मैंने अपने पहले वाले कपड़े पहन लिए और फिर संजय ने मुझे नाश्ता करने को कहा.

डाइनिंग टेबल पर नाश्ता लग चुका था, हमने नाश्ता किया और फिर मैं अंशुल के आने का वेट करने लगी.

संजय ने मुझे बाक़ी के पैसे और एक बैग दिया जिसमें मेरे साइज़ के कुछ ब्रांडेड कपड़े थे.

अंशुल 2 बजे वहाँ आ पहुँचा. मैं जैसे ही अंशुल के साथ जाने लगी तभी संजय ने मेरा हाथ पकड़ के रोक लिया और अंशुल को बोले- तुम थोड़ी देर ड्रॉयिंग रूम में बैठ कर टीवी देखो, हम आते हैं!

संजय मुझे अपने रूम में फिर ले गये और फिर से मुझे समूच करने लगे.
उन्होंने मुझे एक और राऊंड के लिए पूछा तो मैंने भी हाँ कर दी और एक राउंड और चुदाई का खेल लिया.

अब मैं जाने लगी, संजय को हग किया और अंशुल के साथ चल दी.

संजय जी की गाड़ी से हम संदीप के पास पहुंच गये. मैं संदीप के साथ मोटरसाइकल पर बैठ गई और हम हॉस्टल की ओर चल दिए.
संदीप ने मुझे हॉस्टल में जाने से पहले एक आई पिल दी ताकि मैं प्रेगनेंट ना हो जाऊँ.
मैंने संदीप को कहा- संदीप जो हुआ, इसका किसी को कुछ पता मत चलने देना!
यह कह कर मैं वहाँ से चली गई और हॉस्टल पहुंच गई.

अगले दिन फीस भरने का आख़िरी दिन था, मैंने 1 लाख 30 हज़ार फीस भर दी और बाक़ी पैसे अपने अकाउंट में डलवा दिए.

इस तरह से मुझे मजबूरी मे सुहागरात मना कर आना पड़ा.

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