Indian Sex Stories
आज मेरे लण्ड में Indian Sex Stories वही खुजली हो रही थी … न जाने आज उसके मुंह में पानी क्यूँ रिस रहा था।
मेरे घर में एक जवान लड़की काम करने आती है आज कल…
माँ बीमार है ! छोटे साहब डॉक्टर ने आराम करने को कहा है … कहकर वो काम में जुट गई।
घर में आज कल कोई नहीं रहता … पापा का टूरिंग चल रहा था और मम्मी मामाजी के घर में रहती थी।
मेरी परीक्षा नजदीक आ रही थी इसलिए पढ़ाई की चिन्ता थी।
उसका नाम रचना था .. पास ही झोंपड़ी में रहती थी।
बाबूजी ये कपड़े धोने के है? .. यह पूछ कर मेरी चड्डी उठा ली उसने !
रात में मैंने उसमें मुठ मारा था, उसका गीलापन और महक अभी भी थी।
मैंने कहा- अरी रहने दे ! मैं धो लूँगा उसे ! छोड़ दे ..
वो चले गई और बाकी के कपड़े धोने लगी… उसकी काली ब्रा पीछे से दिख रही थी .. उसकी मांसल जांघें और उसके उरोजों के बारे में सोचने लगा।
मेरा लण्ड खड़ा हो गया .. मैंने अपने चड्डी में मुठ मारा और फिर उसे धोने को कहा।
क्या बाबूजी ! कितना गन्दा हो गया … ख्याल नहीं रखते क्या ?? हँसकर वो चड्डी धोने लगी ..
उसके कमसीन उरोजो को मैं छुप कर देख रहा था …
वो हँसने लगी …
कभी देखा नहीं है क्या बाबूजी ? .. आपकी तो बहुत गर्लफ्रेंड होगी ना??
मुस्कुरा कर मेरे मुठ वाली चड्डी को रगड़ने लगी … ओह्ह हो यही मिली थी माल निकलने के लिए …
मैं डर गया मेरा लण्ड सिकुड़कर मूंगफली बन गया … इतनी तेज़ चीज़ ..इतनी तेज़ तो अंजू भी नहीं है ??
मैं जल्दी से अपने कमरे घुस गया … रात भर नींद नहीं आई … मैंने सोचा- अगर मुठ मार लिया तो कल चोदना पड़ गया फिर … ना ना नौकरानी को नहीं चोदूंगा .. पापा को पता चल गया, फिर ?
अगले दिन वो नहीं आई उसकी माँ आई थी।
मेरे खड़े लण्ड पर डंडा हो गया ! मैं सोचने लगा कल ही मौका था … फिर एक सेक्सी आवाज़ आई … माँ ! रहुआ फिर आ गयी .. जहियो ! मैं हूँ ना ! घर जहियो…
मेरा लण्ड खड़ा हो गया .. रचना मेरे कमरे की सफाई करने लगी। मैंने उसे बांहों में भर लिया और चुम्मियाँ लेने लगा …
अरे बाबूजी ! बस भी करो ! कहकर वोह बेड पैर गिर पड़ी.. ओह्ह इतना आरामदेह बेड ! इसमें चुदवाने का मज़ा ही कुछ और होगा !
उसने समय का सदुपयोग करके अपना आवरण त्याग दिया, उसकी सांवली देह पर फटे पुराने पैंटी और ब्रा थी।
मैं उसके और पास आया और पूछा- तुम पहले भी चुदवाई हो क्या ?
वो हंसी और पूछा- क्यों ? शादी करने का इरादा है क्या बाबूजी ?
मैं शरमा गया !
मैंने भी अब तक सिर्फ दो बार ही अंजू को चोदा था। पर कहाँ उसकी पतली सुखी हुई काया और कहाँ इसका चरमरा हुआ .. भरा हुआ मांसल बदन … मैंने अपने कपड़े खोल दिए और उसकी पैंटी खोलकर उसी को चाटने लगा।
उसने कहा- अरे बाबूजी ! आपकी जगह वहां नहीं है !
कहकर मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया।
आह आह आराम से .. आज तक अंजू ने भी मुझे मुँह से मुठ नहीं मारी !
उसे यह गन्दा लगता है ..
मैंने उसकी टांगो को अलग किया और अपना भाला घोंप दिया ..
आह बाबूजी ! चोद दो इस रांड को .. और दम लगाओ आह आह और घस्से मारो ..
मैं पूरे जोर से अन्दर बाहर कर रहा था- आह अहह अंजू !
ओह्ह तो उसका नाम अंजू है साहब.. क्या वो मुझसे भी मस्त है क्या ?
नहीं जानेमन यू आर तो सेक्सी ?? आह सच में साहब आप भी बहुत सेक्सी हो …
उसने मेरी गांड कस ली और मैं स्खलित हो गया …. आह अ अआहा
ओह्ह साहब ! आज इस गरीब को आपने वीर्य से नहाकर शुद्ध कर दिया !
थैंक्यू साहब ! कहकर वो पीछे घूम गई …
मैंने उसकी गांड मारी ! क्यूंकि अंजू की सूखी गांड क्या मारता !
उस दिन मैंने उसको पॉँच बार पेला !
आह रचना ! आज तुमने मुझे खुश कर दिया !
मैंने अपने तिजोरी से गर्भ निरोधक गोली दी और और उसे खिला दिया।
जाते वक़्त मैंने उसकी पोटली में मम्मी के नए ब्रा और पैंटी डाल दी थी ..
बाय बाय ! छोटे साहब फिर मिलूंगी …. Indian Sex Stories