Antarvasna
यह तब की बात है Antarvasna जब एक दिन मेरा दोस्त राकेश अपनी पत्नी के साथ मेरे घर आया। राकेश और मैं साथ साथ काम करते हैं, राकेश की पत्नी प्रिया टीचर है।
उस दिन राकेश ने बताया कि उसका प्रिंटर और यू पी एस खराब हो गया है और प्रिया को स्कूल के कुछ पेपर सेट करके स्कूल में जमा करने हैं। इसलिये वो मेरी मदद चाहता था, मेरे पास प्रिंटर और पी सी दोनों हैं।
वह जब शाम को करीब 8:00 बजे आया तो मैं थोड़ा घबरा गया था कि अचानक दोनों कैसे आ गये।
राकेश को थोड़ा ड्रिंक लेने की आदत है और उस दिन शायद शनिवार था तो उस समय वह थोड़ा ड्रिंक किये हुये था।
उससे मैंने कहा- कोई बात नहीं, मैं टाइप कर देता हूँ, तुम बोलती रहो!
तो प्रिया ने कहा- कोई बात नहीं, मैं बोल देती हूं, यह मैंने ही बनाया है तो गल्तियाँनहीं होंगी!
उसने बताया कि उसको अच्छी टाइपिंग नहीं आती तो वह टाइप नहीं कर पायेगी।
प्रिया मेरे बगल में कुरसी लगाकर बैठ गई, वह इतना नज़दीक थी कि मैं उसकी सांसें महसूस कर सकता था।
कई बार उसके बोडी से मेरी बोडी छू रही थी और उसके लिप्स बिल्कुल मेरे करीब थे उसके गोरा रंग और स्लिम फिगर मुझे डिस्टर्ब कर रहा था।
राकेश भी पीछे बैठा था और मैं अपने पर किसी तरह कंट्रोल किये हुये था। पर प्रिया एकदम नोर्मल थी, उसे शायद ही मेरे बुरे इरादों का अहसास हो रहा हो।
मैं थोड़ा नर्वस सा भी हो रहा था। मन तो कर रहा था कि उसकी एक पप्पी ले लूं और उसकी थाईस पर हाथ फ़ेरूं। उसके मीडियम साइज़ के टाइट बूब्स पर अपने लिप्स से चूमूं।
पर ये सब उस समय सम्भव नहीं था, इस चक्कर में, मैं एक दो बार टाइपिंग करना ही भूल गया। कभी कभी मैं उसके पूरे बदन को ही देखते रह जाता।
थोड़ी देर में राकेश को फ़िर ड्रिंक की जरूरत महसूस हुई, तो वह बोला- प्रिया मैं 10 मिनट में आया।
हम दोनों समझ गये थे कि वह कहाँ जा रहा है। दोनों ही उसकी आदत जानते थे। राकेश के जाने के बाद प्रिया और मैं अपना काम करते रहे और मैं बीच बीच में प्रिया के पूरे बदन पर नज़र मार लेता तो प्रिया भी मुझे देखकर मुस्करा देती।
फ़िर जब पेपर पूरा हो गया तो मैंने एक प्रिंट आउट चेकिंग के लिये प्रिया को दे दिया। प्रिया ने कुछ कोर्रेक्शन के बाद मुझे प्रिंट आउट दिया तो मैं कोररेक्शन करके दुबारा फ़ेयर प्रिंट आउट निकालकर प्रिया को दे दिया।
इस तरह हमारा टाइपिंग का काम पूरा हो गया तो मैंने प्रिया को बोला कि काम तो पूरा हो गया पर राकेश नहीं आया। मैं ऐसा करता हूं थोड़ी चाय बनाता हूं तब तक शायद राकेश आ जाये फ़िर तीनो चाय पीयेंगे।
प्रिया बोली- नहीं चाय में बनाऊँगी, मुझे कल भी तुमको तकलीफ़ देनी है। यह तो एक ही पेपर हुआ है अभी तीन पेपर और हैं, प्रिंटर और यु पी एस शायद दो-तीन दिन में ठीक होंगे और मुझे पेपर परसों तक जमा करना है।
मैं कुछ कहता इससे पहले ही प्रिया किचन में चली गई मैं मना नहीं कर पाया। उसे किचन में कोई परेशानी नहीं हुई और उसने चाय बनाने को भी रख दी। पाँच मिनट के बाद प्रिया दो कप में चाय लेकर आ गई तो मैंने कहा कि राकेश को भी आने दो।
तो वह बोली- राज तुम क्या बात कर रहे हो, इस टाइम वह चाय पीने की हालत में होंगे कहाँ। उनके लिये चाय मैंने नहीं बनाई है उनको जो चाहिये वो उसके लिये ही गये हैं।
मैं तो राकेश के ड्रिंक के बारे में जानता था पर किसी की बुराई और वह भी उसकी बीवी से करना बड़ी बेवकूफ़ी होती है आखिर पति परमेश्वर जो होता है।
फ़िर अचानक वह मुझसे बोली राज तुम भी अब शादी कर ही लो, ऐसे कब तक चलेगा तो मैंने कहा हाँ राकेश को देखकर मेरा भी मन करता है और उसके मज़े देखकर कभी जलन भी होती है।
प्रिया बोली- क्यों जलन किस बात की, अरे वह तो तुम्हारी बचोलर लाइफ को अच्छा बताते हैं और कहते है कि वह गलत फ़ंस गये।
मैंने कहा- मैं सच कहूं तो एक बात की जलन बड़ी होती है कि उसकी (राकेश) की बीवी बड़ी खूबसूरत है।
मेरा ऐसा कहने पर प्रिया पहले तो शरमा सा गई फ़िर बोली- अच्छा जी तो तुम मुंह में जबान भी रखते हो। मैं तो तुमको बड़ा सीधा साधा समझती थी, पर तुम भी कम नहीं हो बातें बनाने में। दूसरे की हरी हरी दिखती है, मेरी भी कुछ परेशानियाँहैं।
मैंने कहा- क्यों आपका एक अच्छा परिवार है बच्चा है। ऐसी कोई प्रोब्लम तो नहीं लगती आप दोनों ठीक ठाक कमाते हो।
प्रिया बोली हाँ वह सब तो है पर। बहुत कुछ मिस करती हूं, फ़िर भी ठीक ही है। राकेश अभी तक भी नहीं आया तो मैंने कहा पता नहीं क्या बात है?
तो प्रिया बोली- यही तो बात है अगर ड्रिंक कर लिया तो इन्हे किसी बात का कोई ध्यान नहीं रहता। अब घर जाकर न ढंग से खायेंगे न कुछ करेंगे और सो जायेंगे, कभी कभी तो रोज़ ही ऐसा होता है। मुझे ऐसे पियक्कड़ से नफ़रत होती है और फ़िर हम दोनों कई दिनो तक एक कमरे में भी अलग अलग रहते हैं। बच्चा तो बस इस बात का सबूत है कि हम पति पत्नि हैं पर शायद एक पति पत्नि की तरह प्यार किये हमें सालों गुजर गये।
प्रिया एकदम इमोशनल हो गई थी, मैंने उसके हाथ पर हाथ रखकर कहा- सब ठीक हो जायेगा तुम उसे प्यार से समझाओ वह समझेगा। वह तुमसे डरता तो है पर शायद अपनी आदत भी नहीं छोड़ पाता और इसका कारण भी शायद उसकी कम आमदनी है, तुम उस से ज्यादा मांगें ना किया करो।
प्रिया ने अपना कंधा मेरी गोद में रख दिया और बोली- राजू, तुम्हारी भी तो प्रोब्लम्स होंगी तो क्या ड्रिंक में ही सब प्रोब्लम का हल है?
वह मेरी गोद में आ गई थी, मैं उसकी बाहों पर हाथ फ़ेरने लगा, वैसे मैं ये कन्सोल करने के लिये कर रहा था पर मेरा सेक्सी मन पूरा मज़ा ले रहा था।
प्रिया को भी मेरा टच पसंद आया था और वह कुछ नहीं बोली तो मैंने उसे और ऊपर खींच कर अपनी बाहों में ले लिया। प्रिया ने कुछ नहीं कहा और अपना सर मेरे कंधों पर रख दिया।
मैं उसे कमर से पकड़ कर सोफ़े की तरफ़ ले गया तो वह मेरे साथ चल दी।
प्रिया दिखने में एकदम पटाखा है, गोरा रंग और चमकदार चिकनी त्वचा, पतली कमर, कद 5’3″ उसका फ़िगर 34-26-36 होगा। प्रिया शायद चाहती थी कि मैं उससे खूब बातें करूं और उसकी तारीफ़ करूं पर में ऐसा नहीं कर पाया।
मैं अब तक प्रिया के बदन को देखकर मस्त हो चुका था और मैंने सोचा बेटा इससे बढ़िया मौका किसी औरत के बदन से खेलने का मिलना मुश्किल है इसलिये मैं भी मौके का फ़ायदा उठाना चाहता था।
प्रिया को क्या फ़र्क पड़ता अगर मैं वहाँ नहीं होता तो राकेश तो उसके साथ रोज़ ही ऐसा करता। मैं उमर में बड़ा और उसको अपनी बाहों में लेकर बोला सब ठीक हो जायेगा तुम चिंता मत करो बस मस्त रहो, अभी तो मैं तुमको निराश नहीं करुंगा, राकेश से ज्यादा मज़ा दूंगा!
और इतना कह कर मैंने उसके लिप्स पर अपने लिप्स रखकर उसके लिप्स को बंद कर दिया। प्रिया सकपका गई और कुछ बोल नहीं पाई, मैंने उसके लिप्स जो बंद कर दिये थे। जैसे ही मैं अपने लिप्स हटाये वह बोली राज आप बहुत गंदे हो, आप ने ऐसी गंदी बात कैसे सोची।
मैंने कहा जो राकेश नहीं करता वह मैं करता हूं तो तुम क्यों परेशान हो, मैं कौन हूं भूल जाओ थोड़ी देर के लिये। मैं भी तुम्हारा नज़दीक का हूं और सोचो मैं वह सब तुमको दे रहा हूं जो तुम राकेश से इस समय चाहती हो, फ़िर मैं ड्रिंक भी नहीं करता।
मेरी इस बात का प्रिया पर असर हुआ, वह बोली- पर मुझे डर लग रहा है, मैं उनके साथ कोई गलत तो नहीं कर रही।
मैंने कहा- सोच लो यह तुम्हारे ऊपर है और मैं उसे चूमता और उसके जांघों और बैक पर मसाज भी करता रहा।
प्रिया बोली- प्लीज़ जैसा तुम चाहो पर प्लीज़ मेरे कपड़े मत उतारना आप बाहर से जो चाहे कर लो मुझे बड़ी शरम आ रही है।
मेरा तीर सही निशाने पर लग गया था और मैंने प्रिया को अपनी बाहों में ले लिया। फ़िर मैंने बिना समय गवाये किये हुए प्रिया के बूब्स पर उसकी कमीज़ के बाहर से ही हल्का हाथ फ़ेरना शुरु कर दिया।
दोस्तो ये सब कैसे हो रहा था मुझे नहीं मालूम, मैं इतना हिम्मत वाला नहीं हूं। प्रिया मेरे छूने से मस्त हो रही थी, इसी बीच मैंने मौका देखकर प्रिया की सलवार का नाड़ा चुपके से खोल दिया और उसे पता नहीं चला।
मैं उसकी चिकनी जांघों पर हाथ फ़ेरना चाहता था पर जैसे मेरा हाथ उसकी पैंटी पर टच हुआ वह एकदम से नाराज़ होते हुए बोली- राज, नो चीटिंग!
और उसने अपनी सलवार एक हाथ से पकड़ ली, पर ऊपर से वह मस्त हो चुकी थी पर अभी भी मुझसे चुदवाने में वह संकोच कर रही थी पर मेरे टच से उसे मज़ा आ रहा था। उसकी सलवार अभी तक खुली हुई थी, जिसको उसने एक हाथ से पकड़ रखा था।
जैसे ही मैंने उसे अपनी बाहों में लिया तो उसके हाथों से उसकी सलवार नीचे सरक गई और मैंने ऊपर से उसकी कमीज़ की ज़िप पीछे से खोल दी और उसने अंदर से काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी। मैं तो उसके गोरे बदन पर काली ब्रा देखकर मस्त हो गया।
आगे की कहानी अगले भाग में…Antarvasna