Hindi Porn Stories
हाय दोस्तो, मैं मुकेश, मैंने पहले भी एक Hindi Porn Stories बार एक कहानी “चुदाई या छुप्पम-छुपाई” लिखी थी। मुझे कुछ लोगों के उत्तर भी मिले थे पर उतने अधिक नहीं। हो सकता है कि शायद ज्यादा लोगों को मेरी कहानी पसन्द नहीं आई हो, अगर आज की कहानी अच्छी लगे तो कृपया अवश्य लिखें।”
बात उन दिनों की है जब मैं बी.एस.सी. प्रथम वर्ष में पढ़ता था। एक बार मैं अपने मामा के सेब के बगीचे में गया जो कि हिमाचल में है। मेरे सबसे बड़े मामा और उनका परिवार भी वहीं रहते हैं। उनका लड़का बाहर पढ़ता था। मामी, मामा, और उनकी लड़की सभी सरकारी नौकरी में हैं। मैं अक्तूबर के महीने में उन लोगों के पास गया था, यानि की बात अक्तूबर माह की है। उस समय अभी बर्फ नहीं गिरी थी, तो पालतू जानवरों के लिए घास काटकर सुखा ली जाती है जो बर्फ गिरने के समय जानवरों को खाने के लिए दी जाती है। वास्तव में बर्फबारी के बाद हरी घास नहीं मिल पाती है इसलिए पहले ही काट कर जमा कर ली जाती है।
मामी ने विद्यालय से छुट्टी ले रखी थी, और हमारे माली की घरवाली यानि मालिन भी उन के साथ घास काट रही थी। उसका नाम स्वाति था। मैंने जब मालिन को देखा तो देखता ही रह गया… यार क्या बताऊँ, क्या सॉलिड माल थी। उम्र तकरीबन २६-२६ की थी और एकदम मस्त फिगर, काम वगैरह करते रहने की वजह से उसकी डील-डौल एकदम कमाल की थी, और बदन कसा हुआ था। ठीक से तो नहीं बता सकता पर शायद ३६-२६-३४ की फिगर रही होगी, जिसे याद कर के आज भी मुझे बहुत मज़ा आता है। जब मैंने उसे देखा तो मैंने सोचा कि अगर इसकी मिल जाए तो मज़ा आ जाए।
इस चक्कर में मामी के मना करने के बावज़ूद भी उनके साथ काम करना शुरू कर दिया। घास काटने का काम ८-१० दिनों तक चलना था और उस दिन तो पहला ही दिन था, और मेरे कॉलेज में छुट्टियाँ भी थीं तो मैंने सोचा, अभी तो काफी समय है, मुझे प्रयास करना चाहिए, शायद किस्मत मेहरबान हो जाए।
मैं ज्यादातर उसके आस-पास ही काम करता रहता था। मैं घास को इकट्ठा कर के उस को बाँधता था। जब वह घास काटने के लिए झुकती तो उस के मम्मे उस की कमीज के ऊपर से दिख जाते। पहाड़ों में काम करते समय, औरतें ज्यादातर ब्रा नहीं पहनतीं। तो बार-बार देखने पर कभी-कभी मुझे उसके निप्पल भी दिख जाते, कसम से मेरा एकदम खड़ा हो जाता था। मैं बड़ी मुश्किल से उसे छुपाता था। डरता था कहीं मामी को पता न चल जाए। मैं इसलिए उनसे दूर ही रहता था।
मालिन ने मुझे कई बार घूरते हुए देख लिया था और शायद उसने पैन्ट के अन्दर मेरे खड़े लण्ड को भी देख लिया था। इसलिए वह कभी-कभी मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा देती थी। मैंने धीरे-धीरे उससे बात करनी शुरू कर दी और वह भी मुझसे बात करने में खुलने लगी। जब शाम हुई तो मामी कहने लगी कि मैं घर जाकर कुछ खाने के लिए बनाती हूँ, तुम लोग थोड़ी देर बाद आ जाना। और वह वहाँ से चलीं गईं।
अब मैं और वह अकेले रह गये, तो मैंने उससे पूछा कि तुम्हारा पति कहाँ रहता है, तो उसने बताया कि उसकी ननद बीमार है और अस्पताल में भर्ती है, जो यहाँ से करीब ४० किलोमीटर दूर है। और मैंने उसके बच्चों के बारे में पूछा तो बोली कि दो हैं, एक लड़का ४ साल का, और लड़की २ साल की, वे उसकी सास के पास रहते हैं। उनका घर भी वहीं पर थोड़ी सी दूरी पर था, मतलब मामाजी के घर से दिख जाता था। और मैं उससे ऐसे ही इधर-उधर की बातें करता रहा, वो भी मेरे बारे में पूछती रही। समय हो गया और हम दोनों वापस मामा के घर आ गए, जहाँ मामी ने कुछ खाने के लिए बना रखा था। और वह उस दिन मेरे लण्ड को खड़ा ही छोड़कर चली गई। अब मुझे जल्दी से अगले दिन का इन्तज़ार था कि कब सुबह हो और वह आए।
अगले दिन वह फिर आई और मैं उस दिन भी उस के साथ काम कर रहा था, मैं कभी उस के मम्मे देखता और कभी उस के पीछे जा कर उसकी गाँड देखता। तभी उसके हाथ में काँटा चुभ गया और वह दर्द की वजह से हल्के से चिल्लाई। मैंने पूछा कि क्या हुआ, तो उसने जवाब दिया कि हाथ में काँटा चुभ गया। तब मैंने उसका काँटा निकालने के बहाने उसका हाथ पकड़ लिया और काँटा निकालने लगा। धीरे-धीरे उस के बाज़ू को सहलाने लगा, मगर वह काँटा इतनी जल्दी नहीं निकल रहा था, मैंने उसे कहा कि इसे पकड़ कर बाहर खींचना पड़ेगा, तो वह बोली, कैसे खींचें, यहाँ तो कुछ भी नहीं है। तभी मैंने उसका अँगूठा अपने मुँह के पास लाया और अपने दाँतों से उसे निकालने लगा, मगर वह इतनी आसानी से नहीं निकल रहा था, थोड़ी मेहनत करने के बाद वह निकल गया। मगर उस के हाथ से खून बहने लगा, तो मैंने उसका अँगूठा चूस लिया, तो वह बोली, छोड़ दो, कोई देखेगा तो जाने क्या समझेगा। हालाँकि वहाँ कोई और नहीं था पर मैंने फिर भी छोड़ दिया। ओर हम फिर से काम करने लगे।
थोड़ी देर बाद मैंने उससे कहा- स्वाति एक बात बताऊँ?
तो वह बोली- क्या?
मैंने कहा- यार तुम बड़ी टेस्टी हो !
तो वह बोली- क्या मतलब?
तो मैंने कहा- मतलब कि तुम्हें खाने में बहुत मज़ा आएगा !
वह मेरा मतलब समझ गई और बोली- “धत्त” ! अपना काम करो।
तो मैंने कहा- नहीं सच में तुम बहुत ख़ूबसूरत हो, और टेस्टी भी हो, तुम्हें खाने में सही में बहुत मज़ा आएगा।
तो वह बोली- सही में मुझे खाना चाहते हो?
तो मैंने कहा- चाहता तो मैं बहुत कुछ हूँ पर…। और मैं चुप हो गया तो वह बोलने लगी- क्या चाहते हो बताओ?
मैंने कहा- कल बताऊँगा, तो वह बोली- नहीं अभी बताओ।
हम बातें कर ही रहे थे कि मामी आ गईं और बोलीं- चलो काफी शाम हो गई है। और हम तीनों वापिस घर आ गए।
फिर अगले दिन मामी को स्कूल जाना था और पीछे हम दोनों ही रह गये थे और हम दोनों साथ-साथ काम कर रहे थे और वह मुझसे पूछने लगी कि हाँ अब बताओ कि क्या चाहते हो।
तो मैंने कहा- छोड़ो तुम बुरा मान जाओगी।
इस पर वह बोली- नहीं तुम बताओ मैं बुरा नहीं मानूँगी।
तो मैंने कहा- मेरा दिल तुम्हें चूमने का करता है।
वह थोड़ी देर खामोश बैठी मेरी तरफ देखती रही और मैं डर गया कि शायद यह कहीं मेरी शिकायत न कर दे। पर थोड़ी देर बाद वह बोली कि ऐसा नहीं बोलती, तब मैं थोड़ा सामान्य हुआ फिर कहा- तुम ही बार-बार पूछ रही थी, तो मैंने बता दिया।
उसके बाद वह कुछ चुपचाप रहने लगी, और मैंने सोचा सारा खेल ही खराब हो गया। हम पूरा दिन थोड़ी-बहुत बात करते रहे, शाम के समय वह ऊपर वाले खेत पर जा रही थी, और मैं ठीक उस के पीछे था। उसका पैर फिसला और वह गिरने लगी, तो मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया, और मेरा एक हाथ उसकी कमर में और दूसरा उसकी दाईं चूची पर आ गया। मैं भी ठीक से संतुलन नहीं बना पाया, और हम दोनों ही नीचे वाले खेत में गिर गये, मैं नीचे और वह मेरे ऊपर।
हम थोड़ी देर यूँ ही रहे और फिर वो और मं जोर-जोर से हँसने लगे। मैंने तब भी उसका एक मम्मा अपने हाथ में पकड़ रखा था और उसकी गाँड बिल्कुल मेरे लण्ड पर थी, मैंने पतले से सूट के अन्दर उसकी निप्पल पकड़ ली और मसलने लगा। वह फिर भी हँसे जा रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने उसके गाल पर चूम लिया, मैं गरम हो चुका था। तब वह हँसते-हँसते उठ गई। मैं भी उठ गया और उससे कहने लगा कि मेरे पीठ में जलन हो रही है, वास्तव में खेत में पत्थरों पर गिर पड़ा था और थोड़ी बहुत खरोंच भी लग गई थी।
उस पर वह बोली- दिखाओ !
मैंने कहा- मुझे टी-शर्ट उतारनी पड़ेगी, अगर किसी ने देख लिया तो…?
वह बोली- उधर घने पेड़ों के बीच चलते हैं, वहीं देखते हैं। तो मैं और वह घने पेड़ों के बीच चले गये और मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी। मेरी पीठ पर रगड़ लगी थी, और वह बोली कि थोड़ा सा छिल गया है, अब यहाँ तो कोई क्रीम भी नहीं है, उसने बताया कि उसकी बाँह भी थोड़ी सी छिल गई है, तो मैंने कहा कि तुम्हारी बाँह के लिए क्रीम तो है, पर निकालनी पड़ेगी, वह थोड़ी देर से समझी और फिर हँसने लगी।
मैंने उससे कहा कि मेरे ज़ख्म ठीक हो सकते हैं, अगर तुम थोड़ा चूम लो तो। वह बोली ठीक है, और मेरी पीठ पर २-३ जगह चूम लिया। मैंने कहा कि मेरे होठों पर भी रगड़ लगी है, यहाँ भी चूम लो ना… तब वह बोली, आज नहीं, आज बहुत देर हो गई है, फिर कभी… मगर मैं मान नहीं रहा था, मैंने ग्रीन सिग्नल तो देख लिया था इसलिए उसे पकड़ लिया और उसके होंठ चूमने लगा। वह भी गरम हो गई थी और मेरा साथ देने लगी।
तब मैंने उसका मोम्मा पकड़ लिया और दबाने लगा। वह उम्म्म्म… आआआहहहह हह… की आवाज़ों में सिसकारियाँ भरने लगीं। मैंने उसे ज़मीन पर लिटा दिया और उसकी कमीज़ ऊपर कर दी और उसका एक मम्मा चूसने लगा और दूसरी हाथ से दबाने लगा। मैं बारी-बारी से उस के दोनों मम्मे चूस रहा था। तभी मैंने एक हाथ उसकी सलवार के अन्दर डाला और उसकी चूत को सहलाने लगा। उसकी चूत थोड़ी गीली हो गई थी। पर मेरी किस्मत खराब थी कि मामी हम दोनों को जोर-जोर से आवाज़ लगा रही थी। और हम दोनों को जाना पड़ा। तो मैंने उसे कहा कि बाकी का कल करेंगे, तो उसने कहा कि अब तो यह बस होता ही रहेगा। और हम दोनों वापिस घर आ गये।
कुछ खाने के बाद मामी ने कहा कि जा इसे इसके घर छोड़ दे। आज थोड़ी देर हो गई है, जल्दी ही अँधेरा हो जाएगा तो मैं उसे उस के घर छोड़ने चल पड़ा। हम रास्ते में भी खूब चूम्मा-चाटी करते रहे और मैंने उसके मम्मे चूसे। वो रात मेरी बहुत मुश्किल से कटी।
मैं सुबह ही उठ गया और उसका इन्तज़ार करने लगा। मामा-मामी सुबह ७ बजे ही स्कूल निकल जाते थे। वह तकरीबन ९:०० बजे आई और हम दोनों फिर बगीचे में चले गये। बगीचे के साथ-साथ एक दूसरे गाँव का रास्ता भी जाता है, इसलिए वहाँ सुबह थोड़ी चहल-पहल होती है तो हम सिर्फ बातें ही करते रहे। उसने बताया कि उसके पति ने कभी भी उसके निप्पलों को नहीं चूसा, वह सिर्फ मम्मे ही दबाता है। अब तो वह सेक्स भी हफ्ते में शायद एक बार ही करता है। और रोज़ शाम को देसी दारू पी लेता है और सो जाता है।
वह बोली कि मैं सारी रात तुम्हारे बारे में सोचती रही और सो नहीं पाई। दोपहर के समय हम दोनों फिर घने पेड़ों में गये और मैंने उसे जाते ही चूमना शुरू करक दिया। और मैंने उसके मम्मे दबाने और कमीज़ के ऊपर से ही चूसने शुरू कर दिये, वह केवल सिसकारियाँ भर रही थी, और मेरे सिर को अपने मम्मों के बीच दबा रही थी। मैं सच में उस वक्त ज़न्नत में था।
मैंने उसको ज़मीन पर लिटा दिया और उसकी सलवार खोल दी, उसकी चूत एकदम गोरी-चिट्टी ती। उसपर थोड़े बाल भी थे, मैंने हाथ से बाल हटाकर देखा, उसकी चूत अन्दर से गुलाबी थी। मैंने उसमें अपनी एक ऊँगली डाल दी। वह एकदम गीली और चिकनी थी, मैं ऊँगली को अन्दर-बाहर करने लगा और उसके मम्मे चूसने लगा। वह उफ्फ्फ्फ… आआआहह हह… उईईई मममाँआआ की आवाज़ें निकाल रही थी। बीच-बीच में उसे चूम भी रहा था।
मैंने उसे अपना लण्ड चूसने को कहा, तो वह बोली- नहीं यह गन्दा होता है। पर मैंने उसे काफी प्रयास करने के बाद मना लिया, फिर वह मेरा लण्ड चूसने लगी। उसने थोड़ी देर चूसा और मैं फिर से उसकी चूत में ऊँगली करने लगा और मम्मे चूसने लगा। अब मैंने अपनी दो ऊँगलियाँ उस की चूत में डाल दीं और अन्दर-बाहर करने लगा।
वह ज़ोर-ज़ोर से हम्म्म… आआ आआहह हहह… उउफ्फ्फ्फ… आआआहहह… करने लगी और जब वह अपनी दोनों टाँगें इकट्ठी करने लगी तो मैं रूक गया। मैं समझ गया कि वह पूरी तरह तैयार हो गई है। तभी मैंने अपनी पैंट की जेब से कोहिनूर कंडोम निकाला और लण्ड पर चढ़ा लिया, जो कि लोहे की तरह सख्त हो रहा था। मैंने उसकी टाँगें फैला कर अपने लण्ड की टोपी उसकी चूत के मुहाने पर लगाई और हल्का सा झटका दिया। वह दर्द से आआआआह हहहह… करने लगी, तो मैंने कहा तुम्हें अब भी दर्द हो रहा है?
तो वह बोली- तुम्हारा मेरे पति से मोटा है, और लम्बा भी। तभी बातें करते-करते मैंने दूसरा ज़ोर का झटका दिया और अपना सारा लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया और वह दर्द से उफ्फ्फ करने लगी। और मैंने लण्ड को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया और थोड़ी सी रफ्तार बढ़ा दी। वह आँखें बन्द करके मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ा रही थी। मैंने ७-८ मिनट बाद उसे अपनी गोद में बिठाया और नीचे से धक्के लगाने लगा और उसे ऊपर-नीचे होने को कहा। अब वह ऊपर-नीचे हो रही थी।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे उठाया और एक पेड़ से उसकी पीठ लगा दी और उसकी दोनों टाँगें हाथ में उठा लीं और उसे हवा में उठाकर चोदने लगा। मैं बहुत ज़ोर से धक्के लगा रहा था और मैंने फिर उसे नीचे लिटा दिया और धक्के लगाने लगा। मैंने अपनी स्पीड बहुत बढ़ा दी थी। उसने एकदम अपनी टाँगें सिकोड़ लीं, मैं समझ गया कि वह छूट गई है, मैं फिर भी धक्के लगा रहा था। थोड़ी देर बाद जब मैं छूटने वाला था तो वह बोली कि मैं दुबारा छूटने वाली हूँ, और थोड़ी देर में हम दोनों शान्त हो गए।
मैंने उससे पूछा कि मज़ा आया या नहीं? तो वह कहने लगी कि आज पहली बार यह हुआ कि मैं दो बार छूटी हूँ, और ऐसे तरह-तरह से पहली बार चुदी हूँ। उसके बाद हम दोनों फिर काम पर लग गए। फिर तो हम दिन में कम से कम ३-४ बार कर ही लेते थे।
तो यह थी मेरी कहानी। कैसी लगी दोस्तों, ज़रूर बताना, मैं इन्तज़ार करूँगा। अगर आपलोगों ने उत्तर दिये तो मैंने मालिन की जेठानी को कैसे चोदा, इसकी कहानी भी लिखूँगा।
एक ज़रूरी बात मैं और कहना चाहता हूँ कि कृपा करके दोस्तों, किसी पराई-स्त्री के साथ सेक्स करते समय अच्छी क्वालिटी का कॉण्डोम ज़रूर लगा लें, क्योंकि दोस्तों “जान है तो जहान है”। अलविदा दोस्तों, मेरे पास बहुत से किस्से हैं, समय मिला तो ज़रूर सुनाऊँगा। Hindi Porn Stories