Hindi Sex Stories
राज और साहिल मेरे अच्छे दोस्तों में थे। हम Hindi Sex Stories तीनों अक्सर शाम को झील के किनारे घूमने जाते थे. मुझे राज ज्यादा अच्छा लगता था. उसमे सेक्स अपील ज्यादा थी. उसमें मर्दों जैसी बात थी.
पर साहिल साधारण था…बातें भी कम करता था.
हम तीनो हम उमर थे. मैं राज के बदन को मन में नंगा करने की कोशिश करती थी और सोचती थी की उसका लंड कैसा होगा. जब खड़ा होता होगा तो कैसा लगता होगा. कैसी चुदाई करता होगा. कुछ दिनों से मैंने महसूस किया कि राज भी मुझ में खास दिलचस्पी लेने लगा है। साहिल की नज़रें तो मैं पहचान ही गई थी। साहिल तो मन ही मन में शायद मुझे प्यार करता था. पर बोलता कुछ नहीं था.
जब मेरे घर वाले ५ -६ दिनों के लिए दिल्ली गए तब एक दिन मैंने कुछ सोच कर दोनों को घर पर बुलाया. मैंने सोचा की दोस्ती तो बहुत हो गयी, अब दोस्ती को भुना लेना चाहिए. राज को जाल में फंसा लेना चाहिए. लगता था वो चक्कर में आ भी जाएगा.
साहिल और राज दोनों ही दिन को ११ बजे मेरे घर पर आ गए. राज और साहिल एक साथ ही कार में आए थे. मैंने उनके लिए अच्छा लंच तैयार किया था. मैंने उस दिन जान बूझ कर उत्तेजक कपड़े पहने थे. मेरा कसा हुआ तंग पजामा उन्हें अच्छा भी लग रहा था. उन दोनों की नजरें बार बार मेरे चूतडों पर जा रही थी. मेरी चुन्चियों के उभर भी उनकी नजरों में समां रहे थे. राज बार बार मेरे पास आकर मुझे छूने की कोशिश भी कर रहा था.
मुझे लगा कि ये तो आराम से काबू में आ जायेंगे. मेरा टॉप मेरी चूतडों से ऊपर था इसलिए मेरी दोनों गोलाइयां उन तंग पजामे में ऊपर से खूबसूरत लग रही थी. पजामा तंग था, इसलिए वो मेरी चूतड की दरारों में भी घुसा था. मेरे चलने पर, झुकने पर मेरे सरे कटाव उभर लंड को खड़ा करने के लिए काफी थे. उन दोनों का निहारना मुझे रोमांचित करने लगा. राज तो अब बार बार मेरे चूतडों को भी स्पर्श कर रहा था. मुझे लगा कि राज को कब्जे में कर लेना चाहिए. मैंने साहिल को हटाने के लिए उसे बाहर भेज दिया.
“साहिल…प्लीज़ मेरी मदद कर दो … पास की दुकान से ये समान लाना है …”
“हाँ ..हाँ … बताओ…” मैंने उसे एक लिस्ट बना कर दे दी. साहिल पैदल हे सामान लेन चला गया.
उसके जाते ही मैंने दरवाजा बंद कर दिया. राज मुझे देखने लगा. वो मुस्करा कर बोला …”नेहा. … दरवाजा क्यों बंद कर दिया …”
मैं मुस्कुराई… “बस यूँ ही …”
राज मेरे पास आया और उसने अचानक मेरा हाथ पकड़ लिया. मैंने घबराने का नाटक किया.
“राज …ये क्या कर रहा है … छोड़ दे मेरा हाथ …” मैंने कुछ घबराते हुए और शरमाते हुए कहा. पर हाथ नहीं छुडाया.
राज ने कहा – “नेहा …प्लीज़ …एक रेकुएस्ट… सिर्फ़ एक किस …”
“अरे कोई देख लेगा …”
उसने कहा – ” अच्छा कौन देखेगा…” और उसने मुझे धीरे से अपनी तरफ़ खींच लिया.
“बस ..एक ही …प्रोमिस ना…” मुझे पता था कि खेल आरम्भ हो चुका है. राज मेरे ऊपर झुक गया.
मेरे नरम होंट उसके होटों से चिपक गए. उसने मेरे चूतड दबा कर पकड़ लिए. मैं सिसक उठी. उसके शरीर का स्पर्श मुझे बहुत ही सुकून दे रहा था. मैंने आँखें बंद कर ली. वो मुझे बेतहाशा चूमता रहा था. मैं चूमने में उसका पूरा साथ दे रही थी. अचानक लगा कि साहिल आ गया है. मैंने जोर से धक्का दे कर उसे दूर करने की कोशिश की पर तब तक देर हो चुकी थी. साहिल एकटक हमें देख रहा था. मैं वास्तव में घबरा गयी.
राज बोला- थैंक्स नेहा … साहिल ! मेरी फरमाइश तो नेहा पूरी कर दी…अब तुम भी फरमाइश कर दो …”
साहिल हडबडा गया -“ने … नेहा… मैं .. मतलब …मुझे भी … किस करोगी…”
मेरी सांसे शांत होने लगी. मैंने उसे तिरछी नजरों से देखा,”तो दूर क्यों खड़े हो … आ जाओ…”
वो शर्माता हुआ सा पास आ गया. मैंने उसकी कमर में हाथ डाल कर उसके होंट से होंट मिला दिए. राज ने इतने में मेरे चूतडों को दबा दिया. और चूतडों को पकड़ कर मसलने लगा. मैं मस्त होने लगी.
मुझसे रहा नहीं गया. मैंने साहिल का लंड पकड़ लिया. उसका लंड खड़ा था. मैंने उसे मसल दिया. वो एकदम से सहम गया. राज मेरे पीछे चिपक गया. और उसका लंड मेरे चूतडों की दरार में जोर लगाने लगा. एक साथ दो दो लड़कों का लंड मुझे मिलेगा ये मैंने कल्पना भी नहीं की थी. मेरा मन तो दोनों से चुदने की बात सोच कर ही झूम उठा था. राज की तरफ़ मैंने मुड कर देखा. उसकी आंखों में सेक्स भरा था. मैंने अब मन को सँभालते हुए कहा -“राज… साहिल …मेरी बात सुनो …”
“हाँ .. हाँ … कहो …”
“तुम्हारे मन में क्या है… बताओ …तो …”
साहिल ने अपना सर झुका लिया. पर राज बोला -“तुम्हारी इच्छा हो तो … एक मौका मुझे दो… मुझसे अब रहा नहीं जाता है ..”
“साहिल ..तुम भी कुछ कहो…”
“नेहा …तुम हमारी दोस्त हो… तुम्हारी मर्ज़ी है… मना भी कर सकती हो …पर दोस्ती नहीं तोड़ना …”
“अब तुम दोनों की यही इच्छा है तो … फिर मेरी सूरत क्या देख रहे हो .. अब हो जाओ शुरू…”
राज ने तुंरत मेरा तंग पजामा उतार दिया. साहिल ने मेरा टॉप खींच लिया. मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया. पहले तो मैं शर्म से झुक गयी. पर झुक के भी क्या करती. झुकते ही साहिल ने मेरे चूतड मसल दिए. सीधी हुयी तो राज ने मेरी चुंचियां दबा दी. मैंने बेशरम होते हुए अपनी दोनों टाँगें चौडी कर दी और हाथों को ऊपर उठा कर सर पर रख लिया. दोनों के मुंह से आह निकल गयी. मेरा रोम रोम काम की आग से सुलग उठा था. मैंने अपने आपको पूरी तरह उनके हवाले कर दिया. दोनों ने अपने कपड़े उतार दिए थे. राज बलिष्ठ दिख रहा था, जबकि साहिल का बदन साधारण था. साहिल नीचे बैठ कर मेरी चूत का रस चूसने लगा …और राज ने मेरे स्तनों को अपने कब्जे में कर के मसलना चालू कर दिया.
मेरा तो अंग अंग रोमांच से भर गया था. ऐसे मजे की बात तो मैंने सोची भी नहीं थी. मेरे मुंह से सिस्कारियां निकलने लगी थी. राज पीछे से बार बार अपना लंड मेरे चूतडों की दरार में घुसाने की कोशिश कर रहा था। साहिल और राज ने मुझे बाँहों में उठा कर बिस्तर पर लेटा दिया. राज ने मेरी चूत चाटनी चालू कर दी और साहिल मेरे मुंह के पास आ गया. उसने अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा. मैं आनंद के मारे मदहोश हो रही थी. मैंने देखा साहिल की आँखें आनंद से बंद हो गयी थी.
तभी राज ने साहिल को इशारा किया. साहिल ने लंड मुंह से निकाल लिया और हट गया. साहिल अब बिस्तर पर लेट गया. मुझे पता चल गया की अब मुझे क्या करना है. मैं उसके खड़े लंड पर धीरे से बैठ गयी और चूत के लबों को खोल कर उसकी सुपारी पर रख दिया. थोड़े से जोर लगाने पर साहिल का लंड मेरी चूत में सरकता चला गया. मैं साहिल को चोदने लगी… पर हाँ … चुद तो मैं ही रही थी.
इतने में राज ने मेरी चूतडों की गोलाइयों को पकड़ कर खोल दिया और मेरी गांड पर अपना लंड रख दिया. मेरी गांड तो वैसे भी चिकनी थी. छेद भी नरम था. लन्ड की सुपारी छेद में उतर गयी. मेरी पोसिशन ऐसी हो गयी थी कि धक्के नहीं लगा पा रही थी और ना ही साहिल चोद पा रहा था. मैं बीच में दब सी गयी.
उन दोनों ने अपने आप को इधर उधर करके… आराम की पोसिशन में ले आए. अब मैं भी फ्री महसूस कर रही थी और साहिल भी. मैं अपने हाथों पर आ गयी अब दोनों ही ने धक्के मारने चालू कर दिए थे. मुझे लगा कि स्वर्ग है तो बस इन दोनों के बीच में है. मैं आनंद से सराबोर होने लगी. दोनों के धक्के चल रहे थे. राज का ताक़तवर लंड मेरी गांड को जम कर चोद रहा था. नीचे से साहिल के लंड झटके पर झटके मर कर चोद रहा था. मैं आनंद से निहाल हो रही थी. जोर जोर से सिस्कारियां भर रही थी. “हाय रे… मजा आ गया… चोदो …और चोदो…”
चूत में मीठी मीठी सी गुदगुदी तेज होने लगी. राज का लंड मेरी गांड की भूख मिटा रहा था… और साहिल मेरी चूत की खुजली मिटा रहा था. मुझे लग रहा था कि आज दोनों मिलकर मुझे चुदाई की भूख शांत कर देंगे.
“राज… हाय … मेरी गांड चुद गयी… सी …सी …”
साहिल … और तेज करो … और तेज… हाय ..डबल मजा … आगे से भी…और पीछे से भी… मैं दोनों को नहीं छोड़ना चाह रही थी. पर
अब मैं झड़ने वाली थी.
“राज मैं गयी… साहिल जरा जोर से …मेरा निकला… आ अह ह्ह्ह्छ… गयी…निकल गया पानी … हाय …झड़ गयी रे …”
मेरा पानी जोर से निकल गया.
राज और साहिल को पता चल गया की मैं झड़ गयी हूँ. दोनों ने अपने अपने लंड को जोर से अन्दर घुसा कर… झड़ने के लिए जोर लगाने लगे. ऐसा लगा कि दोनों के लन्ड अन्दर टकरा गए हो. और अब हाय. ..रे…मुझे ठंडक महसूस होने लगी. उन दोनों के लन्ड ने अपना रस छोड़ना चालू कर दिया था. मेरी चूत और गांड उनके गरम गरम लावा से भरने लगी.
उनके झड़ने के मीठे मीठे झटके मुझे महसूस हो रहे थे. राज थोड़ा रुका और अपना लन्ड निकाल लिया. साहिल ने भी मुझे एक तरफ़ लेटा दिया और बड़ी बड़ी सांसे भरने लगा. राज तुंरत तोलिया ले कर आ गया… और मेरी चूत और गांड को साफ़ करने लगा. अब वो दोनों मेरे दोनों तरफ़ लेट
गए और चिपक कर प्यार करने लगे. हमारे नंगे शरीर फिर से रगड़ खाने लगे. मुझे चुदाई की पूरी संतुष्टि मिल गयी थी. अब वो मुझे कभी भी चोद सकते थे … मुझे अब जल्दी नहीं थी ..
हाँ वो बात अलग है कि राज ने अब साहिल का लन्ड पकड़ रखा था और उसे मसलने लगा था…
मैं समझ चुकी थी अब इन दोनों का गांड मारने का प्रोग्राम होगा… Hindi Sex Stories